अगर व्यापारी कॉन्ट्रैक्ट को स्वेच्छा से सेटल नहीं करते है तो वह कॉन्ट्रैक्ट एक्स्पायरी डेट पर अपने आप ही समाप्त हो जाते हैं। फ्यूचर व इन-द-मनी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के मामले में व्यापारी को कैश में निपटान मूल्य का भुगतान करना या लेना होता है, जबकि आउट-ऑफ-द-मनी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट शून्य हो जाते हैं।

डेरिवेटिव एक्सपायरी के बारे में जानने योग्य बातें

अगर आप डेरिवेटिव क्यों जरूरी है स्ट्राइक प्राइस? मार्केट को बॉलीवुड मानें और फिल्मों को डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट, तो फिर एक्सपायरी डे वह दिन है जब पुरानी फिल्में सिनेमाघरों से बाहर जाती हैं और नई फिल्में रिलीज होते हैं। यह महीने का वह दिन, ज़्यादातर महीने का आखिरी गुरुवार होता है, जब डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायर होता है।

जैसा नाम से ही पता चल रहा है, एक्स्पायरी डेट वह तारीख है, जिस पर एक विशेष कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायर होता है। हर डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट, जो किसी अंतर्निहित सिक्योरिटी, जैसे स्टॉक, कमोडिटी या मुद्रा, पर आधारित होता है, उसकी एक एक्सपायरी डेट होती है, हालांकि अंतर्निहित सिक्योरिटी में आमतौर पर कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती है।

एक अंतर्निहित सिक्योरिटी पर आधारित एक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट केवल एक निर्दिष्ट अवधि के लिए मौजूद रहता क्यों जरूरी है स्ट्राइक प्राइस? है, जो इसकी एक्स्पायरी डेट पर समाप्त हो जाती है। एक्स्पायरी डेट पर, डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट अंततः खरीदार और विक्रेता के बीच सेटल होता है। सेटलमेंट नीचे दिये गए तरीकों में से किसी एक पर हो सकता है -

इस दिन क्या होता है ?

एक्सचेंज पर दो प्रकार के डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट का कारोबार किया जाता है - फ्यूचर व ऑप्शन। यह कॉन्ट्रैक्ट व्यापारियों द्वारा भविष्य की तारीख में एक निश्चित मूल्य पर अंतर्निहित एसेट को खरीदने या बेचने के लिए एक समझौते के तौर पर किया जाता है। भविष्य की यह तारीख डेरिवेटिव एक्सपायरी का दिन है। इस दिन, फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट खरीदारों को एग्रीमेंट को पूरा करना पड़ता है, जो अनिवार्य है और ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट खरीदार या तो कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों को पूरा कर सकता है या उसे एक्सपायर होने दे सकता है।

जब कोई व्यापारी एक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट खरीदता है, तो वह शेयर बाजारों में अंतर्निहित एसेट की मूवमेंट और ओपन इन्टरेस्ट, फ्यूचर प्राइस मूवमेंट, जैसे कई अन्य कारकों पर निगरानी रखते हैं। अपने अवलोकन के आधार पर वह यह तय करते हैं कि कॉन्ट्रैक्ट को कब सेटल करना है। यह एक्स्पायरी की तारीख से पहले किसी भी समय किया जा सकता है।

एक्सपायरी और ऑप्शन मूल्य

सामान्य तौर पर, किसी शेयर के एक्सपायर होने में जितना ज्यादा समय होता है, क्यों जरूरी है स्ट्राइक प्राइस? उसके पास स्ट्राइक प्राइस तक पहुंचने के लिए उतना ही अधिक समय होता है और इसलिए उसकी टाइम वैल्यू ज्यादा होती है।

दो प्रकार के ऑप्शन होते हैं, कॉल और पुट। कॉल, धारक को शेयर के एक्सपायरी पर पहुँचने से पहले अगर वह स्ट्राइक प्राइस तक पहुंचता है तो उसे खरीदने का अधिकार देती है, दायित्व नहीं। इसी तरह पुट भी धारक को अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं, कि अगर शेयर एक्सपायरी तिथि तक एक निश्चित स्ट्राइक मूल्य तक पहुंच जाता है तो वह शेयर को बेच सकता है। दोनों ही केस में, धारक के पास अधिकार है कि वह शेयर को खरीद या बेच सकता है पर यह उसका दायित्व (लाइबलिटी) नहीं है कि उसे ऐसा करना ही है।

यही कारण है कि एक्सपायरी तिथि ऑप्शन व्यापारियों के लिए इतनी जरूरी क्यों है। ऑप्शन का मूल्य निर्धारित होने में समय एक अहम भूमिका निभाता है। पुट या कॉल के एक्सपायर होने के बाद, टाइम वैल्यू मौजूद नहीं रहती। दूसरे शब्दों में, एक बार डेरिवेटिव के एक्सपायर होने पर निवेशक के पास ऐसा कोई भी अधिकार नहीं होता है जो उसके पास कॉल या पुट होल्डर होने के वक्त था।

एक्सपायरी और फ्यूचर मूल्य

फ्यूचर, ऑप्शन से इस तरह अलग हैं कि फ्यूचर के एक आउट-ऑफ-द-मनी फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट एक्स्पायरी के बाद भी अपनी वैल्यू रखता है। उदाहरण के लिए, एक तेल कॉन्ट्रैक्ट, तेल के बैरल का प्रतिनिधित्व करता है। अगर कोई व्यापारी उस कॉन्ट्रैक्ट को समाप्त होने तक होल्ड करता है, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि वे या तो कॉन्ट्रैक्ट में बताए तेल को खरीदना या बेचना चाहते हैं । इसलिए, फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट बेकार नहीं एक्सपायर होता है, और इसमें शामिल पक्ष कॉन्ट्रैक्ट के क्यों जरूरी है स्ट्राइक प्राइस? अपने पार्ट को पूरा करने के लिए एक दूसरे के प्रति उत्तरदायी होते क्यों जरूरी है स्ट्राइक प्राइस? हैं। जो लोग कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करने के लिए उत्तरदायी नहीं होना चाहते हैं, उन्हें आखरी ट्रेडिंग डे पर या उससे पहले अपनी पोजीशन को रोलओवर क्यों जरूरी है स्ट्राइक प्राइस? या क्लोज करना होगा।

एक्सपायर हो रहे कॉन्ट्रैक्ट रखने वाले वायदा कारोबारियों को अपने लाभ या हानि को हासिल करने के लिए, एक्सपायरी से पहले या एक्सपायरी के दिन, जिसे अंतिम व्यापारिक दिन भी कहा जाता है, क्लोज कर देना चाहिए। वैकल्पिक रूप से, वे कॉन्ट्रैक्ट को होल्ड कर सकते हैं और अपने ब्रोकर को उस अंतर्निहित एसेट को खरीदने / बेचने के लिए कह सकते हैं जिसका कॉन्ट्रैक्ट प्रतिनिधित्व करता है। खुदरा व्यापारी आमतौर पर ऐसा नहीं करते हैं, पर ट्रेडर ऐसा करते हैं। उदाहरण के लिए, तेल बेचने के फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट का उपयोग करने वाला एक तेल उत्पादक अपने टैंकर को बेचना चुन सकता है। फ्यूचर व्यापारी अपनी पोजीशन को "रोल" भी कर सकते हैं। यह उनके वर्तमान व्यापार का समापन है, और एक्सपायरी से दूर वाले कॉन्ट्रैक्ट के लिए तत्काल बहाली है।

वीकली एक्सपायरी के बाद Nifty हिट कर सकता है 19000 का स्तर, शॉर्ट टर्म में अच्छे रिटर्न के लिए इन 2 शेयरों पर लगाएं दांव

निफ्टी के लिए सबसे ज्यादा परेशानी 18700 पर दिख रही है, क्यों जरूरी है स्ट्राइक प्राइस? ये लेवल वीकली एक्सपायरी में अमह भूमिका निभाएगा

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Vishal Wagh-Bonanza Portfolio

30 नवंबर को निफ्टी 140 अंकों की तेजी लेकर 18758.35 के स्तर पर बंद हुआ। कल डेली स्केल पर इसने एक बुलिश कैंडलिस्टिक बनाया। सभी टाइम फ्रेमों पर निफ्टी हायर हाईज और हायर लोज फॉर्मेशन में घूम रहा है। ये बाजार में बुलिश ट्रेंड कायम रहने का संकेत है। इचिमोकू क्लाउड टेक्निकल इंडीकेटर (Ichimoku Cloud technical indicator) से संकेत मिल रहा है कि कीमतें कनवर्जन और बेस लाइन से ऊपर हैं, जो शॉर्ट टर्म में बाजार में तेजी कायम रहने की ओर इशारा कर रहा है। मोमेंटम ऑसीलेटर RSI (relative strength index 14) डेली चार्ट पर 73 के एक दम करीब है। ये इस बात का संकेत है कि ये बस ओवरबॉट जोन में जाने ही वाला है। इसके साथ ही फीयर इंडेक्स India VIX कल 1.41 फीसदी की बढ़त के साथ 13.8075 पर आ गया। निफ्टी के लिए सबसे ज्यादा परेशानी 18700 पर दिख रही है, ये लेवल वीकली एक्सपायरी में अमह भूमिका निभाएगा।

SBI समेत दूसरे बैंकिंग शेयर पर क्‍यों बुलिश हैं Rakesh jhunjhunwala, जानिए क्‍या है आउटलुक

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दिग्‍गज इन्‍वेस्‍टर Rakesh Jhunjhunwala को वैसे तो शेयर बाजार ने मालामाल कर रखा है. लेकिन उन्‍हें भी Risk पर नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसा कम ही लोग जानते हैं. राकेश झुनझुनवाला को Realty Sector की कंपनियों ने झटका दिया है. उन्‍होंने एक कार्यक्रम में कहा कि मेरा स्‍ट्राइक क्यों जरूरी है स्ट्राइक प्राइस? रेट उतना अच्‍छा नहीं है. मैंने 20 प्राइवेट इक्विटी कंपनियों में पैसा लगाया था लेकिन उनमें 10 में पैसा डूब गया. साथ ही उन्‍होंने कहा कि PSU बैंक स्‍टॉक 5 से 10 साल में काफी उछलेंगे.

ट्रांसपोर्ट हड़ताल का चौथा दिन, आने वाले दिनों में बढ़ सकती है महंगाई

प्रतीकात्मक तस्वीर

  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2018,
  • (अपडेटेड 23 जुलाई 2018, 5:03 PM IST)

देशभर में लगातार बढ़ रही पेट्रोल और डीजल की कीमतों के चलते ट्रांसपोर्टर हड़ताल पर हैं. दिल्ली में भी ट्रांसपोर्ट पूरी तरह से ठप है, यही वजह है कि दिल्ली के सबसे बड़े ट्रांसपोर्ट नगर संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर में हजारों ट्रक ठप खड़े नजर आए. सोमवार को दिल्ली की थोक सब्जी मंडियों में आने वाले ट्रकों की संख्या भी काफी कम रही.

दरअसल रविवार को हड़ताल कर रहे ट्रांसपोर्टरों ने चेतावनी दी थी कि आने वाले दिनों में वो दिल्ली में दूध और सब्जियों जैसे जरूरी सामानों की सप्लाई भी रोक देंगे. उसके बाद जहां तहां जरूरी सामान की सप्लाई करने वाले ट्रक यूनियनों को भी अपनी हड़ताल में शामिल कर लिया गया, ऐसे में अगले दो दिन से सब्जी के दामों में तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है.

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