RBI का बड़ा कदम : अब रुपये में होगा अंतरराष्ट्रीय आयात-निर्यात का भुगतान, बैंकों को दिए निर्देश
केंद्रीय बैंक ने बड़ा कदम उठाया है (RBI big step). भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय रुपये में इनवॉइसिंग, पेमेंट और आयात या निर्यात के निपटान के लिए अतिरिक्त व्यवस्था करने का निर्णय लिया है.
मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अंतरराष्ट्रीय कारोबार को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाया है. आरबीआई ने रुपये में वैश्विक कारोबारी समुदाय की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए बैंकों को भारतीय मुद्रा में आयात एवं निर्यात के लिए अतिरिक्त इंतजाम करने का सोमवार को निर्देश दिया. रिजर्व बैंक ने एक परिपत्र में कहा कि बैंकों को यह व्यवस्था लागू करने के पहले उसके विदेशी मुद्रा विभाग से पूर्व-अनुमति लेना जरूरी होगा.
In order to promote growth of global trade with emphasis on exports from India & to support the increasing interest of global trading community in INR, it has been decided to put in place an additional arrangement for invoicing, payment & settlement of exports/imports in INR: RBI
— ANI (@ANI) July 11, 2022
आरबीआई ने कहा, 'भारत से निर्यात बढ़ाने पर जोर और भारतीय रुपये में वैश्विक कारोबारी समुदाय की बढ़ती दिलचस्पी को ध्यान में रखते हुए वैश्विक व्यापार को बढ़ाने के लिए यह तय किया गया है कि बिल बनाने, भुगतान और रुपये में आयात/निर्यात के निपटान के लिए एक अतिरिक्त इंतजाम किया जाए.'
परिपत्र के मुताबिक, व्यापार सौदों के समाधान के लिए संबंधित बैंकों को साझेदार कारोबारी देश के अभिकर्ता बैंक के विशेष रुपया वोस्ट्रो खातों की जरूरत होगी. केंद्रीय बैंक ने कहा, 'इस व्यवस्था के जरिये भारतीय आयातकों को विदेशी विक्रेता या आपूर्तिकर्ता से वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति के इन्वॉयस या बिल के एवज में भारतीय रुपये में भुगतान करना होगा जिसे उस देश के अभिकर्ता बैंक के खास वोस्ट्रो खाते में जमा किया जाएगा.'
इसी तरह विदेश में वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति करने वाले निर्यातकों को उस देश के निर्दिष्ट बैंक के खास वोस्ट्रो खाते में जमा राशि से भारतीय रुपये में भुगतान किया जाएगा. इस व्यवस्था से भारतीय निर्यातक विदेशी आयातकों से अग्रिम भुगतान भी रुपये में ले सकेंगे.
आसान भाषा में ऐसे समझें : कारोबार में सहयोगी देशों की मुद्राओं के बीच विनिमय दर बाजार दर पर निर्धारित हो सकती है. इस व्यवस्था के तहत व्यापार लेनदेन का सेटलमेंट भारतीय रुपये में होगा. भारत के आयातकों को भारतीय रुपये में पेमेंट करना होगा. ये रकम जहां से सामान आयात किया जा रहा होगा उस देश के विशेष बैंक खाते में जमा की जाएगी. यही स्थिति निर्यात में होगी. विशेष खाते में रकम जमा कर दी जाएगी और निर्यातक को रुपये में भुगतान आसानी से मिल सकेगा.
अब विदेशों में भी चलेगा रुपया, हो सकेगा व्यापार और भुगतान, RBI ने लिया ये बड़ा फैसला
अब रुपया भी डॉलर की लाइन में आ खड़ा हुआ है. भारतीय रिजर्व बैंक ने आज एक बड़ा फैसला लिया. जिसके चलते यह मुमकिन हुआ. दरअसल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए भारतीय रुपये के इस्तेमाल को इजाजत दे दी है.
Updated: July 11, 2022 9:59 PM IST
अब रुपया भी डॉलर की लाइन में आ खड़ा हुआ है. भारतीय रिजर्व बैंक ने आज एक बड़ा फैसला लिया. जिसके चलते यह मुमकिन हुआ. दरअसल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए भारतीय रुपये के इस्तेमाल को इजाजत दे दी है. आरबीआई ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर होने वाले हर कारोबार का निपटारा भारतीय रुपये में किया जा सकेगा. दरअसल एक्सपोर्ट में भारतीय रुपए के इस्तेमाल से , ग्लोबल ट्रेडिंग में रुपये को बढ़ावा मिलने से भारतीय रुपये में मजबूती आएगी.
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गौरतलब है कि भारतीय रुपये में व्यापार निपटान की सुविधा के साथ ही भारत को अब उन देशों या कंपनियों से व्यापार करने में आसानी होगी, जो कि डॉलर में लेनदेन करने की इच्छुक नहीं थी. उदाहरण के लिए रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका ने पूर्व के कई देशों पर डॉलर में रूस के साथ व्यापार करने पर रोक लगा दी थी, ऐसे में रुपये में व्यापार करने का विकल्प आने से ऐसे देशों से व्यापार करना और आसान होगा.
अतिरिक्त इंतजाम करने के निर्देश
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रुपये में वैश्विक कारोबारी समुदाय की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए बैंकों को भारतीय मुद्रा में आयात एवं निर्यात के लिए अतिरिक्त इंतजाम करने का सोमवार को निर्देश दिया. रिजर्व बैंक ने एक परिपत्र में कहा कि बैंकों को यह व्यवस्था लागू करने के पहले उसके विदेशी मुद्रा विभाग से पूर्व-अनुमति लेना जरूरी होगा. आरबीआई ने कहा, ‘भारत से निर्यात बढ़ाने पर जोर और भारतीय रुपये में वैश्विक कारोबारी समुदाय की बढ़ती दिलचस्पी को ध्यान में रखते हुए वैश्विक व्यापार को बढ़ाने के लिए यह तय किया गया है कि बिल बनाने, भुगतान और रुपये में आयात/निर्यात के निपटान के लिए एक अतिरिक्त इंतजाम किया जाए.’
इस तरह आसान होगा व्यापार
परिपत्र के मुताबिक, व्यापार सौदों के समाधान के लिए संबंधित बैंकों को साझेदार कारोबारी देश के अभिकर्ता बैंक के विशेष रुपया वोस्ट्रो खातों की जरूरत होगी. केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘इस व्यवस्था के जरिये भारतीय आयातकों को विदेशी विक्रेता या आपूर्तिकर्ता से वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति के इन्वॉयस या बिल के एवज में भारतीय रुपये में भुगतान करना होगा जिसे उस देश के अभिकर्ता बैंक के खास वोस्ट्रो खाते में जमा किया जाएगा.’ इसी तरह विदेश में वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति करने वाले निर्यातकों को उस देश के निर्दिष्ट बैंक के खास वोस्ट्रो खाते में जमा राशि से भारतीय रुपये में भुगतान किया जाएगा. इस व्यवस्था से भारतीय निर्यातक विदेशी आयातकों से अग्रिम भुगतान भी रुपये में ले सकेंगे.
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डिजिटल मुद्रा से आरबीआई की कैश मैनेजमेंट की लागत होगी कम
शेयर बाजार 06 नवंबर 2022 ,13:45
© Reuters. डिजिटल मुद्रा से आरबीआई की कैश मैनेजमेंट की लागत होगी कम
नई दिल्ली, 6 नवंबर (आईएएनएस)। आरबीआई ने 1 नवंबर से होलसेल सेगमेंट में डिजिटल रुपया लॉन्च करने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की है और बाद में एक महीने के भीतर रिटेल सेगमेंट में एक और प्रोजेक्ट लाने की योजना है। केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) को अपनाने के पीछे कई कारण हैं, जैसे वित्तीय समावेशन को बढ़ाना और कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना।माना जाता है कि डिजिटल रुपये की ओर बढ़ने का एक प्रमुख कारण भौतिक नकदी प्रबंधन से जुड़ी लागत को कम करना है। आरबीआई के एक कॉन्सेप्ट नोट में कहा गया है कि भारत में कैश मैनेजमेंट की लागत महत्वपूर्ण बनी हुई है। 1 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2022 के दौरान सुरक्षा मुद्रण पर किया गया कुल खर्च 4,984.80 करोड़ रुपये था, जो पिछले वर्ष (1 जुलाई, 2020 से 31 मार्च, 2021) 4,012.10 करोड़ रुपये के मुकाबले अधिक है।
यह लागत, जिसमें पैसे की छपाई की पर्यावरणीय, सामाजिक और शासन (ईएसजी) लागत शामिल नहीं है, मुख्य रूप से चार स्टेकहॉल्डर्स आम जनता, व्यवसायों, बैंकों और आरबीआई द्वारा वहन किया जाता है। सीबीडीसी रुपए जारी करने वाले कार्य के समग्र मूल्य को प्रभावित करते हैं। यह मुद्रण, भंडारण, परिवहन, बैंक नोटों के प्रतिस्थापन आदि से जुड़ी लागतों से संबंधित ऑपरेशनल लागत को कम करता है।
आरबीआई के कॉन्सेप्ट नोट में कहा गया है, शुरूआत में, सीबीडीसी निर्माण या जारी करने की स्थिरता में महत्वपूर्ण निश्चित बुनियादी ढांचे की लागत हो सकती है, लेकिन बाद में मार्जिनल ऑपरेटिंग लागत बहुत कम होगी। फिजिकल करेंसी की तुलना में सीबीडीसी का उपयोग करते हुए कैश मैनेजमेंट की लागत-प्रभावशीलता एक सकारात्मक संकेत देती है, जिसे पर्यावरण के अनुकूल भी माना जा सकता है।
कॉन्सेप्ट नोट में आगे कहा गया, देश की उच्च नकदी आवश्यकता को पूरा करने के लिए, सीबीडीसी लागत को कम करेगा। इसके अलावा, भौगोलिक प्रसार को देखते हुए, जहां भौतिक नकदी उपलब्ध कराना एक चुनौती भरा काम है, ऐसे में सीबीडीसी से सहज लेनदेन की सुविधा की उम्मीद है।
सीबीडीसी की शुरूआत के आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश पीछे एक और महत्वपूर्ण कारण कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने के लिए डिजिटलीकरण के उपयोग को आगे बढ़ाना है। सीबीडीसी महामारी कोविड-19 जैसी किसी भी अनिश्चित स्थिति आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश में नकदी के बजाय केंद्रीय बैंक के पैसे रखने का एक पसंदीदा तरीका हो सकता है। इससे देश में डिजिटलीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
सीबीडीसी सीमा पार से भुगतान में इनोवेशन को बढ़ावा दे सकता है, लेनदेन को तात्कालिक बना सकता है और टाइम जोन, एक्सचेंज रेट के अंतर के साथ-साथ सभी न्यायालयों में कानूनी और नियामक आवश्यकताओं से संबंधित प्रमुख चुनौतियों को दूर करने में मदद कर सकता है।
सीबीडीसी की इंटरऑपरेबिलिटी का मतलब है कि भुगतान प्रणाली के लिए एक एंकर के रूप में केंद्रीय बैंक के पैसे की भूमिका आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश को मजबूत करते हुए क्रॉस-बॉर्डर और क्रॉस-करेंसी के खतरे को कम करना। इसलिए, सीमा पार से भुगतान में चुनौतियों को कम करने में सीबीडीसी का संभावित उपयोग एक बेहतर तकनीक है।
वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल रुपया भी एक महत्वपूर्ण उपकरण हो सकता है। उपयुक्त डिजाइन विकल्पों के साथ, सीबीडीसी विभिन्न लेनदेन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जनता को डिजिटल मनी प्रदान कर सकता है। एक विकल्प के रूप में ऑफलाइन कार्यक्षमता सीबीडीसी को इंटरनेट के बिना लेन-देन करने की अनुमति देगी और इस प्रकार, खराब या बिना इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में पहुंच को सक्षम करेगी। साथ ही, उन लोगों तक पहुंच को सरल बनाएगी, जिन्हें ऋण की आवश्यकता है।
आरबीआई नोट में कहा गया है कि सीबीडीसी की यूनिवर्सल एक्सेस विशेषताएं, जिसमें ऑफलाइन कार्यक्षमता, यूनिवर्सल एक्सेस डिवाइस का प्रावधान और कई डिवाइसों में संगतता शामिल है। यह लचीलापन, पहुंच और वित्तीय समावेशन के कारणों के लिए समग्र सीबीडीसी प्रणाली में सुधार करके गेम चेंजर साबित होगी।
सबसे महत्वपूर्ण बात, सीबीडीसी क्रिप्टो एसेट्स के प्रसार की स्थिति में आम आदमी के विश्वास की रक्षा कर सकता है।
बढ़ते क्रिप्टो एसेट्स मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के फाइनेसिंग से संबंधित महत्वपूर्ण जोखिम पैदा कर सकता है। इसके अलावा, क्रिप्टो एसेट्स का उपयोग मौद्रिक नीति के उद्देश्यों के लिए खतरा हो सकता है, इसकी वजह यह है कि इससे समानांतर अर्थव्यवस्था का निर्माण हो सकता है और मौद्रिक नीति संचरण और घरेलू मुद्रा की स्थिरता को कमजोर कर सकता है। यह विदेशी मुद्रा विनियमों के प्रवर्तन को भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है।
सीबीडीसी जनता को एक खतरे से मुक्त वर्जुअल करेंसी प्रदान कर सकता है जो उन्हें प्राइवेट वर्जुअल करेंसी में लेनदेन के जोखिम के बिना वैध लाभ प्रदान करेगी। इसलिए, यह जनता को असामान्य स्तर की अस्थिरता से बचाने के अलावा सुरक्षित डिजिटल मुद्रा की मांग को पूरा कर सकता है, जो इनमें से कुछ वर्जुअल डिजिटल संपत्ति का अनुभव है।
देश में कहां और कैसे मिलेगा डिजिटल रुपया? क्या हैं इसके फायदे, जानिए पूरी डिटेल्स
डिजिटल रुपया (e₹-R) का उपयोग आप देश में कई तरह की खरीदारी के लिए कर सकते है. इसे कुछ चुनिंदा बैंको के जरिये ही ख़रीदा जा सकता है.
By: ABP Live | Updated at : 18 Dec 2022 01:25 PM (IST)
डिजिटल रुपया (Pic: ABP Live)
How To Buy Digital Rupee Currency In India : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से देश में डिजिटल इकॉनमी (Digital Economy) को बढ़ावा देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर डिजिटल रुपये (Digital Rupee) की शुरूआत हुई. आरबीआई द्वारा लॉन्च डिजिटल रुपया (e₹-R) का उपयोग देश में दुकानों से लेकर हर तरह की खरीदारी के लिए किया गया है. यह डिजिटल रुपया (Digital Rupees) एक लीगल टेंडर के तहत जारी हुआ है. यह डिजिटल टोकन (Digital Token) के रूप में काम करेगा. देश में e-RUPI की सुविधा नेशनल पेमेंट कॉर्पोशन ऑफ इंडिया (NPCI) की ओर से दी जा रही है. NPCI ही ई-रुपये के पेमेंट के लिए QR code भी जारी कर रहा है.
क्या है डिजिटल रुपया
आपको बता दें कि, डिजिटल रुपया या ई-रुपया (e-Rupee) नोट और सिक्कों का डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक रूप है. ई-रुपया के आने के बाद से अब आपको नोट या सिक्के रखने की कोई जरूरत नहीं है. खरीदारी या किसी अन्य लेनदेन के लिए आप इस ई-रुपये का इस्तेमाल कर सकते है. इसमें आपको ऑनलाइन लेनदेन करना होगा. डिजिटल रुपया ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है.
ये होंगे लेनदेन
डिजिटल रुपये से आप व्यक्ति-से-व्यक्ति (P2P) और व्यक्ति-से-व्यापारी (P2M) के बीच लेनदेन कर सकते हैं. आप किसी दुकान पर कोई सामान खरीदने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते है. आपको दुकानदार के QR कोड को स्कैन करके डिजिटल वॉलेट में जमा ई-रुपी से भी पेमेंट करने का विकल्प मिलता है.
देश में कहां मिलेगा
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पायलट प्रोजेक्ट के 8 बैंकों के साथ डिजिटल रुपया को उपलब्ध कराने की जानकारी दी है. इसमें पहले चरण में मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में सुविधा शुरू होगी. वही दूसरे चरण में अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला में डिजिटल रुपया मिल सकेगा.
इन बैंकों में मिलेगा डिजिटल रुपया
पहले चरण की 4 बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank), यस बैंक (YES Bank) और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक (IDFC Bank) मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में ये सुविधा उपलब्ध होगी. वहीं दूसरे चरण में बैंक ऑफ बड़ौदा (BOI), यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI), एचडीएफसी बैंक (HDFC) और कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak) के जरिए डिजिटल रुपया मिलेगा.
ऐसे ले सकते हैं डिजिटल रुपया
आप डिजिटल रुपया को भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के ऐप या वेबसाइट से खरीद सकते हैं. इसके लिए ग्राहकों के मोबाइल या किसी अन्य डिवाइस में बैंकों द्वारा एक डिजिटल वॉलेट में उपलब्ध कराया जाएगा. ग्राहक अपने बैंक के वॉलेट में इस डिजिटल करेंसी को रख सकते हैं.
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Published at : 18 Dec 2022 01:25 PM (IST) Tags: yes bank Union Bank of India RBI DIGITAL RUPEE DIGITAL CURRENCY CBDC Pilot For Trading Digital Rupee Pilot हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
RBI का बड़ा ऐलान, अब रुपये में हो सकेगा Import और Export का भुगतान
डीएनए हिंदी: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) एक बड़ा कदम उठाते हुए कहा कि अब आयात और निर्यात का भुगतान (Payment of Import and Export) रुपये में किया जा सकेगा. इसके लिए नए मैकेनिज्म की शुरूआत कर दी गई हैं. आरबीआई (RBI) के अनुसार वह रुपये में इंटरनेशनल बिजनेस सेटलमेंट के लिए एक मैकेनिज्म स्थापित कर रहा है, जिसका उपयोग करने के लिए बैंकों को पहले से ही अप्रूवल लेना होगा. आरबीआई ने एक प्रेस रिलीज में कहा कि यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होता है और मेकेनिज्म को "निर्यात पर जोर देने के साथ ग्लोबल ट्रेड के विकास को बढ़ावा देने" के लिए डिजाइन किया गया है. सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 22 पैसे की गिरावट के साथ 79.48 के नए लाइफ टाइम लो लेवल पर बंद हुआ, जो विदेशों में मजबूत ग्रीनबैक और घरेलू इक्विटी को कमजोर करता है. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने रुपये के नुकसान को सीमित कर दिया. विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) के तहत भारतीय रुपये में सीमा पार ट्रेड ट्रांजेक्शन के लिए व्यापक ढांचा नीचे दिया गया है:
चालान-प्रोसेस : इस व्यवस्था के तहत सभी निर्यात और आयात को रुपये (INR) में मूल्यवर्गित और चालान किया जा सकता है.
विनिमय दर: दो व्यापारिक भागीदार देशों की मुद्राओं के बीच विनिमय दर बाजार निर्धारित हो सकती है.
निपटान: इस आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश व्यवस्था के तहत व्यापार लेनदेन का निपटान इस परिपत्र के पैरा 3 में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार भारतीय रुपये में होगा. इस मैकेनिज्म से आयात करने वाले भारतीय आयातकों को भारतीय रुपये में भुगतान करना होगा, जिसे विदेशी विक्रेता/आपूर्तिकर्ता से माल या सेवाओं की सप्लाई के लिए चालान के खिलाफ भागीदार देश के संपर्क बैंक के विशेष वोस्ट्रो खाते में जमा किया जाएगा. इस मैकेनिज्म के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात करने वाले भारतीय निर्यातकों को भागीदार देश के संपर्ककर्ता बैंक के नामित विशेष वोस्ट्रो खाते में शेष राशि से भारतीय रुपये में निर्यात आय का भुगतान किया जाएगा.
डॉक्युमेंटेशन : इस तरह से किए गए और तय किए गए निर्यात / आयात सामान्य डॉक्युमेंटेशन और रिपोर्टिंग आवश्यकताओं के अधीन होंगे. साख पत्र (एलसी) और अन्य व्यापार संबंधी डॉक्युमेंटेशन का निर्णय सहयोगी व्यापारिक देशों के बैंकों के बीच कस्टम और प्रैक्टिस फॉर डॉक्युमेंट्री क्रेडिट (यूसीपीडीसी) और इनकोटर्म के समग्र ढांचे के तहत पारस्परिक रूप से किया जा सकता है. सुरक्षित और कुशल तरीके से संदेशों का आदान-प्रदान भागीदार देशों के बैंकों के बीच पारस्परिक रूप से सहमत हो सकता है.
निर्यात के बदले एडवांस : भारतीय निर्यातक विदेशी आयातकों से निर्यात के बदले भारतीय रुपये में एडवांस भुगतान प्राप्त कर सकते हैं. निर्यात के लिए एडवांस पेमेंट की ऐसी किसी भी प्राप्ति की अनुमति देने से पहले, भारतीय बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि इन खातों में उपलब्ध धनराशि का उपयोग पहले से निष्पादित निर्यात आदेशों / पाइपलाइन में निर्यात भुगतान से उत्पन्न भुगतान दायित्वों के लिए किया जाता है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि एडवांस केवल विदेशी आयातक के निर्देशों के अनुसार जारी किया गया है, भारतीय बैंक अपने कॉरेसपांडेंस बैंक के विशेष वोस्ट्रो अकाउंट को बनाए रखने के लिए, सामान्य सावधानी उपायों के अलावा, प्राप्त सलाह के साथ एडवांस जारी करने से पहले कॉरेसपांडेंस बैंक से निर्यातक के दावे को सत्यापित करेगा.
बैंक गारंटी: इस व्यवस्था के माध्यम से किए गए व्यापार लेनदेन के लिए बैंक गारंटी जारी करने की अनुमति है, जो समय-समय पर संशोधित फेमा अधिसूचना संख्या 8 के प्रावधानों और गारंटी और को-एक्सेप्टेंस पर मास्टर निर्देश के प्रावधानों के अधीन है.
अप्रूवल प्रोसेस : एक भागीदार देश का बैंक विशेष आईएनआर वोस्ट्रो अकाउंट खोलने के लिए भारत में एक एडी बैंक से संपर्क कर सकता है. एडी बैंक व्यवस्था के डिटेल के साथ रिजर्व बैंक से अप्रूवल मांगेगा. स्पेशल वोस्ट्रो अकाउंट रखने वाला एडी बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि हाई रिस्क और नॉन कॉपरेटिव क्षेत्राधिकारों पर अपडेटिड एफएटीएफ सार्वजनिक वक्तव्य में कॉरेसपांडेंस बैंक किसी देश या अधिकार क्षेत्र से नहीं है, जिस पर एफएटीएफ ने काउंटर उपायों के लिए कहा है.
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