यह समझना महत्वपूर्ण है कि नॉन-रेजिडेंट शेयरहोल्डर्स को वैसी डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है स्थिति में टैक्स रिटर्न नहीं भरने की अनुमति है जब कि उनकी कुल इन्कम डिविडेंड से हुई हो या किसी डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है पैसिव इन्कम से हुई हो जिसे एक्ट में तय दर के आधार पर ब्याज और टैक्स के रूप में निर्धारित गया है। इसका मतलब है कि यदि कमतर टैक्स ट्रीटी दर का दावा किया जाता है, तो नॉन-रेजिडेंट को इन्कम रिटर्न दिखाने की ज़रुरत होती है जिनमें उनकी डिविडेंड इन्कम और उस पर हुए टैक्स डिडक्शन का ज़िक्र ज़रूरी है।

डिविडेंड इनकम पर TDS: अगर आपके पास टैक्सेबल इनकम नहीं है, तो कैसे मिलेगी राहत ?

डिविडेंड इनकम पर TDS: अगर आपके पास टैक्सेबल इनकम नहीं है, तो कैसे मिलेगी राहत ?

डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) के डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है हटने के बाद, निवेशकों के पास मौजूद डिविडेंड इनकम टैक्सेबल हो गई है.

डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) के हटने के बाद, निवेशकों के पास मौजूद डिविडेंड इनकम टैक्सेबल हो गई है. इसकी वजह से इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 194 के तहत डिविडेंड पेआउट पर टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (TDS) लागू होता है. उसी के मुताबिक, एक वित्त वर्ष में पांच हजार से ज्यादा की डिविडेंड इनकम पर 10 फीसदी TDS लागू होगा, अगर निवेशक का पैन उपलब्ध है. अगर पैन उपलब्ध नहीं है, तो TDS दर 20 फीसदी होगी.

TDS की डिटेल्स अब फॉर्म 26AS पर उपलब्ध

डिविडेंड इनकम और TDS की डिटेल्स अब फॉर्म 26AS के नए फॉर्मेट पर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है उपलब्ध होंगी, जिससे इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना आसान होगा और आय को दबाना मुश्किल हो जाएगा. हालांकि, अगर व्यक्ति के पास केवल 2.5 लाख रुपये की डिविडेंड इनकम है या कुल इनकम, जिसमें डिविडेंड इनकम शामिल है, टैक्सेबल नहीं है, तो इनकम का रिटर्न फाइल करना जरूरी बन जाएगा. इसकी वजह टैक्स डिडक्शन और डिविडेंड इनकम पर चार्ज TDS को टैक्स रिफंड के तौर पर वापस क्लेम करना है.

अच्छी खबर यह है कि बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की तरह, आप अब फॉर्म 15G (60 साल तक की उम्र वाले व्यक्ति) या फॉर्म 15H (वरिष्ठ नागरिकों के लिए) भी जमा कर सकते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि आपकी डिविडेंड इनकम पर कोई TDS चार्ज नहीं हो, अगर वित्त वर्ष में कुल आय 2.5 लाख के डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है आंकड़े के पार नहीं है.

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स्टॉक डिविडेंड पर टैक्स

अब क्लासिकल सिस्टम लागू है इसलिए इसे नियंत्रित करने वाले प्रावधान भी सक्रिय हो गए हैं और नॉन-रेजिडेंट वगैरह डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है के लिए लागू ट्रीटी रिलीफ के साथ सोर्स पर लगने डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है वाले डिडक्शन टैक्स और डिडक्शन ऑफ़ एक्स्पेंसेज की भी मंज़ूरी हैं।

टैक्स के डॉक्यूमेंट में जिनका वर्णन 'अन्य स्रोत' के तौर पर होता है उसे अब उन्हें इन्वेस्टमेंट के माध्यम से होने वाली डिविडेंड इन्कम के तौर पर लिस्ट करना होता है और यह स्लैब दरों को ध्यान में रखते हुए डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है लागू होता है। किसी भी साल घोषित, बांटे गए या भुगतान किए गए डिविडेंड में से जो भी पहले होता है उस पर इन्कम टैक्स एक्ट के अनुसार टैक्स देना होता है।

यदि किसे साल म्यूचुअल फंड से या डिविडेंड से होने वाली आय 5000 रूपये से अधिक होती है तो रेजिडेंट शेयरहोल्डर्स को 10 प्रतिशत टीडीएस देना होगा। यह डिडक्ट किया गया टैक्स टैक्सपेयर की अंतिम टैक्स लायबिलिटी के ज़रिये क्रेडिट के रूप में उपलब्ध होगा जब वे अपना इन्कम टैक्स रिटर्न भर रहे होंगे।

डिडक्ट जाने वाले एक्स्पेंसेज़-

पिछले साल से लागू टैक्स कानूनों के तहत टैक्सपेयर्स को उन इंटरेस्ट एक्स्पेंडीचर डिडक्शन का क्लेम कर सकते है जो उन्होंने डिविडेंड डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है इन्कम के ज़रिये किया, और इस इन्कम का अधिकतम 20 प्रतिशत टैक्स योग्य होता है। बैंकर या ब्रोकर को दिए गए कमीशन या रेम्युनेरेशन के तौर पर हुए अन्य एक्स्पेंसेज़ को भी क्लेम के रूप में मंजूरी हैं।

इसके अलावा, टैक्सपेयर से उम्मीद की जाती है कि यदि किसी साल उनके लिए 10,000 से अधिक टैक्स देने की संभावना बनती हो तो वे एडवांस में अपने टैक्स की क़िस्त जमा करें। यदि टैक्स पेमेंट में न हुआ हो या कम हुआ हो तो जितनी राशि कम हुई हो उस पर ब्याज लगाया जाता है। इसका मतलब है कि डिविडेंड से होने वाली इन्कम की प्रकृति और अडवांस टैक्सत के सम्बन्ध में सटीक आंकड़ों से जुड़ी मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए, कानून ने इन एडवांस टैक्स के भुगतान में कमी के सम्बन्ध में प्रावधान किये गए हैं। ये तय करते हैं कि डिविडेंड इन्कम के कारण कोई शॉर्टफॉल हो तो ब्याज लागू नहीं होगा बशर्ते टैक्सपेयर बाद के सारे एडवांस टैक्स का भुगतान में पूरी तरह करे।

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, घरेलू कंपनियों को अब डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स नहीं देना है और डिविडेंड भुगतान पर टैक्स देने की ज़िम्मेदारी अब उन शेयरहोल्डर्स पर है जिन्हें ये डिविडेंड मिलना है।

प्रश्न 1. डिविडेंड क्या हैं?
उत्तर1 डिविडेंड एक कंपनी द्वारा अर्जित प्रॉफिट है जो उसके शेयरहोल्डर्स के बीच बांटा जाता है।

प्रश्न 2. क्या डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स अब भी लगता है?
उत्तर2. धारा 115-ओ के तहत डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स पिछले साल ख़त्म कर दिया गया है और अब यह नहीं लगता है।

प्रश्न3. क्या एनआरआई को डिविडेंड पर टैक्स रिटर्न भरने की अनुमति है?
उत्तर4. एनआरआई को डिविडेंड पर टैक्स रिटर्न भरने की अनुमति तभी दी जाती है जब तक कि उनकी कुल इन्कम केवल डिविडेंड इन्कम(या पैसिव इन्कम) ही न हुई हो। यदि एनआरआई की इन्कम पूरी तरह से डिविडेंड इन्कम या इंटरेस्ट जैसी पैसिव इन्कम हो, तो इस पर टैक्स एक्ट में तय दर पर विदहेल्ड किया गया है।

डिविडेंड आय पर टैक्‍स कैसे लगता है?

डिविडेंड आय पर टैक्‍स कैसे लगता है?

डिविडेंड आय एक कंपनी की कमाई का वह हिस्सा है जिसे वह उन लोगों में वितरित करती है जिनके पास उस विशेष कंपनी के शेयर या म्युचुअल फंड हैं। निवेशक और शेयरधारक निस्संदेह इसके लाभों से परिचित होंगे। हालांकि, अक्‍सर इस पर लगने वाले टैक्‍स और परिणामों के बारे में थोड़ी बहुत अनिश्चितता भी रहती है।

कोई भी व्‍यक्ति शेयर, म्युचुअल फंड आदि जैसे विभिन्न माध्‍यमों से डिविडेंड आय अर्जित कर सकता है। यहां ध्‍यान देने वाली एक महत्वपूर्ण बात यह है कि विभिन्न माध्‍यमों से प्राप्त डिविडेंड आय पर अलग-अलग तरह से टैक्‍स लगते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं; डिविडेंड आय के कराधान में आगे फिर से कई विभाजन होते हैं।

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