क्रिप्टो बैन: सही कदम या भूल

भारत में इन दिनों क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चर्चा हरेक की जुबान पर है भले ही उसने इसमें कभी निवेश किया हो या नहीं. अब सरकार इस पर कानून लाने वाली है, लेकिन यह काम भी बड़ा उलझन भरा है. जाानिए क्यों?

भारतीय संसद के इस हफ्ते शुरू हुए शीतकालीन सत्र की खास बात कृषि या विकास संबंधी परियोजनाएं न होकर एक ऐसी करेंसी या मुद्रा रही जो न देखी जा सकती है, न छुई जा सकती है और जिसकी कीमत तेजी से घटती-बढ़ती रहती है. इसे क्रिप्टोकरेंसी या डिजिटल करेंसी कहते हैं, जिस पर सरकार या बैंक का नियंत्रण नहीं होता है. यह करेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर बनी होती है, जो किसी डेटा को डिजिटली सहेजता है.

अब जो करेंसी किसी के नियंत्रण में नहीं है, उस पर सरकार कानून कैसे ला सकती है? इसका जवाब हां और ना दोनों है. भले ही सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई कानून न बनाया हो, लेकिन भारत का आयकर विभाग क्रिप्टो निवेश पर होने वाली इनकम पर टैक्स लेता है. हालांकि क्रिप्टो टैक्स के नियम ज्यादा साफ नहीं हैं, लेकिन अगर किसी निवेश पर टैक्स लिया जा रहा है तो इसका मतलब है कि सरकार उसे आय का स्रोत मान रही है.

दूसरा पक्ष यह है कि सरकार इसे पेमेंट का माध्यम मानने से इनकार कर रही है. हाल ही में संसद की ओर से जारी एक बुलेटिन में कहा गया कि बिटकॉइन या इथेरियम जैसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी का दर्जा नहीं दिया जा सकता है. यानि इनसे कोई भी दूसरा सामान नहीं खरीदा जा सकेगा.

नुकसानदेह हो सकता है सरकार का रवैया

सरकार की यह हिचक लंबे अर्से में नुकसान ही कराएगी क्योंकि कई छोटे-बड़े देशों ने क्रिप्टोकरेंसी को पेमेंट का माध्यम मान लिया है. मसलन, अमेरिका स्थित दुनिया के सबसे बड़े मूवी थिएटर चेन एएमसी ने कुछ क्रिप्टोकरेंसी से पेमेंट किए जाने को मंजूरी दे दी है. वहीं, कोरोना महामारी से बुरी तरह तबाह हो चुके टूरिज्म बिजनेस को दोबारा खड़ा करने के लिए थाइलैंड ने क्रिप्टो निवेशकों का स्वागत करते हुए कहा है कि वे उनके यहां आकर क्रिप्टो के जरिए सामान खरीद सकते हैं.

प्राइवेट बैंकों ने तो एटीएम भी लगा रखा हैतस्वीर: Christian Beutler/picture alliance/KEYSTONE/dpa

हालांकि, भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी को एसेट क्लास यानि स्टॉक, बॉन्ड जैसा मानने को तैयार दिख रही है. इसका मतलब है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी न मानकर निवेश का माध्यम मानने को तैयार है. संसद की ओर से जारी बुलेटिन की एक अन्य टिप्पणी भी भ्रम पैदा करने वाली है. सरकार ने कहा है कि वह प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा देगी. यह प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी आखिर है क्या? सरकार ने इसे लेकर कोई व्याख्या नहीं दी है. क्रिप्टो जगत में प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी जैसी कोई चीज होती ही नहीं है क्योंकि सारी क्रिप्टोकरेंसी ‘प्राइवेट' ही हैं, ‘पब्लिक' या सरकार के नियंत्रण में तो हैं नहीं.

ब्लॉकचेन तकनीक से परहेज नहीं

एक अन्य मुद्दा जिस पर सरकार का रुख कन्फ्यूज कर रहा है वह है डिजिटल रुपये. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को ब्लॉकचेन तकनीक भा गई है क्योंकि इसकी वजह से रिकॉर्ड को सहेजना और करेंसी को जारी करना आसान है. सरकार को भले क्रिप्टोकरेंसी से दिक्कत हो, लेकिन वह खुद रुपये को डिजिटली जारी करना चाहती है. यानि हो सकता है एक केंद्रीकृत क्रिप्टो एक्सचेंज क्या है कि भारतीय रुपया जल्द ही बिटकॉइन या डॉजकॉइन की तरह डिजिटल हो जाए.

हाल के दिनों में सरकार के रवैये ने आम भारतीय क्रिप्टो निवेशकों को खूब छकाया. भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज जैसे वजीरएक्स और कॉइनडीसीएक्स पर निवेशकों ने जल्दबाजी में अपनी करेंसी बेच डाली. पुराने और मंझे हुए क्रिप्टो निवेशकों ने इसका फायदा उठाया और गिरे हुए भाव पर दाव लगाकर क्रिप्टोकरेंसी को अपनी झोली में डाल लिया. ऐसा ही होता है क्रिप्टोकरेंसी बाजार में, जहां कीमत के गिरने का इंतजार कर रहे निवेशक झट से पैसे लगाकर प्रॉफिट लेकर चले जाते हैं.

कंपनियों को सरकार के फैसले का इंतजार

भारत में स्थित क्रिप्टो कंपनियां फिलहाल सरकार के बिल लाने का इंतजार कर रही हैं. वह कई वर्षों से सरकार के साथ बातचीत कर रही थीं क्योंकि उन्हें मालूम है कि रेगुलेशन और कानून आने से उन्हीं का फायदा होगा और क्रिप्टो को लेकर आम लोगों में विश्वास जगेगा. यही वजह है कि क्रिप्टो बिल को लेकर तमाम अटकलों के बावजूद अरबों की संपत्ति वाला क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइनडीसीएक्स अब अपना आईपीओ शेयर बाजार में लाने वाला है. आईपीओ के जरिए उसे विस्तार मिलेगा और वह आम लोगों में अपने शेयर बेचकर धन की उगाही कर सकेगा.

कई देशों में बिटकॉइन के प्रचार की कोशिशें हो रही हैंतस्वीर: Salvador Melendez/AP Photo/picture alliance

भारत को लेकर बड़ी कंपनिया आश्वस्त हैं कि यहां चीन की तरह क्रिप्टो पर बैन लगाकर तानाशाही नहीं चलेगी. एनालिटिक फर्म चेनएनालिसिस ने भी भारत को क्रिप्टो का हब करार दिया है, जो बिना किसी गाइडलाइंस के देश ने हासिल किया है. यह बड़ी उपलब्धि है और सरकार को इसे गंवाना नहीं चाहिए.

फिलहाल सरकार को ब्लॉकचेन तकनीक से कोई दिक्कत नहीं, न ही क्रिप्टोकरेंसी इनकम पर मिलने वाले टैक्स से. लेकिन विडंबना यह है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने को भी आतुर है. यह वही बात हो गई है कि कमरे में हाथी रखा है और सबने उसकी अपनी तरह से व्याख्या की है. भारत सरकार को क्रिप्टोकरेंसी पर व्यापक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. एक ऐसा देश जो आईटी सेक्टर का हब हो, जहां 50 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हो और जिसने डिजिटल इंडिया एक केंद्रीकृत क्रिप्टो एक्सचेंज क्या है का ख्बाव देखा हो, वह ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी के उदय के दौर में पिछड़ कर रह जाएगा.

ये भी देखिए: बिटकॉइन कैसे काम करता है और यह किस काम आता है

Centralized और Decentralized एक्सचेंज में क्या अंतर है?

Centralized और Decentralized एक्सचेंज में अंतर

क्रिप्टोकरेंसी में जब आप ट्रेड करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले किसी न किसी एक्सचेंज पर रजिस्टर करना ही पड़ेगा। एक्सचेंज वह माध्यम हैं जिनके द्वारा आप किसी क्रिप्टोकरेंसी को खरीद अथवा बेच सकते हैं। वैसे तो मार्केट में कई एक्सचेंज हैं जिनके आपने नाम सुने होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं ये एक्सचेंज 2 प्रकार के होते हैं। एक होता है Centralized और दूसरा है Decentralized. आज हम इन दोनों पर चर्चा करेंगे व साथ ही यह बताएँगे कि Centralized और Decentralized एक्सचेंज में क्या अंतर है?

Centralized क्रिप्टो एक्सचेंज क्या है?

Centralized क्रिप्टो एक्सचेंज एक प्लेटफार्म है जो आपको क्रिप्टोकरेंसी खरीदने एवं बेचने की सुविधा प्रदान करता है। इसमें एक थर्ड पार्टी यूजर के द्वारा किये गए ट्रांजेक्शन्स को मॉनिटर करती है एवं उन्हें सिक्योर करती है। इन ट्रांजेक्शन्स को ब्लॉकचैन सिस्टम के द्वारा ट्रैक तो किया जाता है पर उसका पूरा कण्ट्रोल एक्सचेंज के पास होता है। जब आप किसी Centralized क्रिप्टो एक्सचेंज को उपयोग करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले इसपर रजिस्टर करके अपना डिटेल्स (KYC) वेरीफाई करवाना होता है। वेरिफिकेशन प्रोसेस के बाद आपको एक बड़ी हुई लिमिट प्रदान की जाती है जिसके अनुसार आप क्रिप्टोकरेंसी को स्टोर, ट्रेड और विथड्रॉ कर सकते हैं। यह एक्सचेंज काफी पॉपुलर हैं एवं इनका उपयोग करना भी आसान है। यह रूल्स एंड रेगुलेशन को फॉलो करते हैं। इनमें से कुछ हैं Binance, Coinbase इत्यादि।

Decentralized क्रिप्टो एक्सचेंज क्या होता है?

यह भी सेंट्रलाइज्ड क्रिप्टो एक्सचेंज के सामान ट्रेडिंग करने के लिए प्लेटफार्म है किन्तु बिना किसी थर्ड पार्टी के हस्तक्षेप के। यह फण्ड को सीधा ब्लॉकचैन पर जमा करते हैं। इनमें आप P2P ट्रेडिंग भी कर सकते हैं। यह थोड़े कम पॉपुलर हैं क्यूंकि यह बाद में लांच हुए और इनमें बहुत से ट्रेडिंग फीचर्स जैसे स्टॉप लॉस, टेक प्रॉफिट अभी नहीं मिलते इनमे केवल आप एक कॉइन को दूसरे अवेलेबल पेयर में स्वैप कर सकते हैं। Decentralized क्रिप्टो एक्सचेंज को शार्ट में DEX कहा जाता है एवं AirSwap, Uniswap और Barterdex Decentralized क्रिप्टो एक्सचेंज के उदाहरण हैं।

Centralized और Decentralized एक्सचेंज में अंतर

Difference Between Centralized and Decentralized Exchange in Hindi: कुछ मुख्य बिंदुओं के आधार पर हम आपको Centralized और Decentralized एक्सचेंज में अंतर बताएंगे ताकि आप इसे आसानी से समझ सकें।

सुरक्षा की दृष्टि से (Security)

सुरक्षा की दृष्टि से यदि हम दोनों में अंतर की बात करें तो एक केंद्रीकृत क्रिप्टो एक्सचेंज क्या है एक केंद्रीकृत क्रिप्टो एक्सचेंज क्या है Centralized क्रिप्टो एक्सचेंज काफी सुरक्षा प्रणालियों का उपयोग करते हैं मगर फिर भी इनमें हैक होने के काफी चांस होते हैं। पिछले कुछ सालों में हुए हैकिंग अटैक्स के बाद से इन्होने अपनी सुरक्षा को और बढ़ाया तो है फिर भी हैक होने और क्रिप्टो फण्ड चोरी होने का डर रहता ही है।

इसके मुकाबले Decentralized एक्सचेंज काफी ज्यादा सिक्योर हैं और आपके फंड्स की चोरी होने की सम्भावना बहुत ही कम है।

एक्सचेंज की लोकप्रियता (Popularity)

Centralized क्रिप्टो एक्सचेंज मार्केट में सबसे पहले आये थे इसीलिए इनके पास अधिकतर यूजर्स हैं एवं इनके बारे में सबको पता है। यहां लिक्विडिटी भी ज्यादा है। इसके विपरीत Decentralized एक्सचेंज थोड़े कम लोकप्रिय हैं और यहाँ लिक्विडिटी की कमी है। लेकिन जैसे जैसे सबको इनके फायदे पता चलते जा रहे हैं ये भी लोकप्रिय होते जा रहे हैं।

लिक्विडिटी (Liquidity)

जैसा की हमने पिछले पॉइंट में ही आपको बताया कि सेंट्रलाइज्ड एक्सचेंज की लोकप्रियता अधिक है इसलिए यहां लिक्विडिटी भी अधिक है। इसके अलावा जब आप एक सेंट्रलाइज्ड एक्सचेंज पर कोई आर्डर डालते हैं तो वह जल्दी फील हो जायेगा। जबकि एक Decentralized एक्सचेंज में आर्डर फील होने में टाइम लग सकता है अगर सम्बंधित करेंसी की लिक्विडिटी कम हुई तो।

फीचर्स (Features)

फीचर्स की यदि हम बात करें तो एक Centralized एक्सचेंज आपको बहुत ही सारे फीचर्स प्रदान करता है जो कि काफी एडवांस हो चुके हैं। यहां न केवल आप ट्रेडिंग कर सकते हैं बल्कि ये आपको मार्जिन ट्रेडिंग, Futures ट्रेडिंग, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के टूल्स और भी कई सारी सुविधाएं प्रदान करता है। जबकि DEX न ही मार्जिन ट्रेडिंग देता है और न ही अन्य प्रकार के कुछ ऑर्डर्स स्टॉप लॉस, OCO ऑर्डर्स और लिमिट ऑर्डर्स डालने की सुविधा।

स्पीड (Speed)

क्रिप्टो एक्सचेंज में स्पीड एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि हम इसके आधार पर दोनों एक्सचेंज में तुलना करें तो एक Centralized एक्सचेंज पर ट्रांजेक्शन स्पीड अधिक होती है। रिपोर्ट्स के अनुसार एक Centralized एक्सचेंज 10 मिली सेकंड के अंदर ट्रांजेक्शन को पूरा कर देता है और एक Decentralized 15 मिली सेकंड तक का समय ले लेता है।

नियमितता (Regulations)

Centralized एक्सचेंज रेगुलेटेड होते हैं। इन्हें ऑपरेट करने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती है एवं इन्हें सरकार द्वारा दिए गए नियमों का भी पालन करना ही पड़ता है। जबकि एक DEX को रेगुलेट करना बहुत ही मुश्किल है। क्यूंकि ये एक डिस्ट्रिब्यूटेड ब्लॉकचैन पर काम करते हैं और इसी वजह से ये उन देशों में भी काम करते हैं जहां क्रिप्टो बैन है।

नियंत्रण (Control)

एक सेंट्रलाइज्ड एक्सचेंज पर आपके द्वारा रखी गयी क्रिप्टो करेंसी है तो आपकी पर इसकी प्राइवेट कीज इस एक्सचेंज के पास होती है अतः उसपर कंट्रोल इस एक्सचेंज का होता है। जबकि Decentralized के मामले में पूरा कंट्रोल ओनर के पास ही होता है। इसलिए ज्यादातर Decentralized एक्सचेंज को अब लोग इस्तेमाल करने लगे हैं।

भारत के टॉप Crypto Exchange ईडी के रडार पर, 8 करोड़ लोगों का लगा है पैसा

Crypto Exchange: ED ने वजीरएक्स के 65 करोड़ रुपये सीज किए तो एक अन्य एक्सचेंज के 370 करोड़ रुपये सीज किए.

केंद्रीय एजेंसी ED जिसने कई विपक्षी नेताओं को डरा रखा है इस वक्त सुर्खियों में हैं, नेता ही नहीं ईडी के निशाने पर अब क्रिप्टो एक्सचेंज (Crypto Currency Exchange) भी हैं. क्रिप्टो एक्सचेंज मतलब जहां क्रिप्टो करेंसी खरीदी और बेची जाती है. भारत के 10 क्रिप्टो एक्सचेंज और सैकड़ों इंस्टेंट लोन एप्स भी ED के रडार पर हैं. इसकी वजह क्या है? क्या गलती हुई है? इन सारे सवालों का जवाब देंगे इस वीडियो में और सरकार से भी पूछेंगे कुछ सवाल.

नमस्कार मैं हूं प्रतीक वाघमारे..क्रिप्टो पर किचकिच से पहले आपकी जेब से जुड़ी हफ्ते की खबरों पर नजर डालते हैं-

RBI ने महंगाई को लेकर चिंता जताई है और कहा है कि इस वित्त वर्ष महंगाई को एक केंद्रीकृत क्रिप्टो एक्सचेंज क्या है नियंत्रण में लाना मुश्किल है और इसे कम करना तो और भी मुश्किल. संकेत साफ है ब्याज दरों में फिर बढ़ोतरी हो सकती है.

RBI पेमेंट इकोसिस्टम में बदलाव करने की तैयारी में है, इसके तहत आप जो UPI ट्रांजेक्शन करते हैं उस पर चार्ज लग सकता है और NEFT, RTGS पर लगने वाले चार्ज में भी बदलाव आ सकता है.

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में $2 बिलियन की कमी के साथ अब इसमें $570 बिलियन बचे हैं

पेटीएम के सीईओ विजय शेखर शर्मा ने कहा कि कंपनी सितंबर 2023 तक मुनाफे में आ जाएगी. बता दें कि लंबे समय से कंपनी घाटे में चल रही है.

शुक्रवार को क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन तेजी से गिरा और 3 हफ्ते के निचले स्तर पर आ गया. यह 8% से ज्यादा फिसलकर $22,000 स्तर से भी नीचे आ गया है.

लग रहा है क्रिप्टो के दिन अच्छे नहीं चल रहे. हुआ ये है कि ED ने देश की 10 क्रिप्टो एक्सचेंज को जांच के दायरे में रखा है. और ये एक्सचेंज देश के नामी और बड़े एक्सचेंज हैं. इसमें वजीरएक्स, कॉइन डीसीएक्स, कॉइनस्विच कुबेर समेत कई बड़े नाम हैं. ED ने वजीरएक्स के एक केंद्रीकृत क्रिप्टो एक्सचेंज क्या है 65 करोड़ रुपये सीज किए तो एक अन्य एक्सचेंज के 370 करोड़ रुपये सीज किए. आरोप है कि ये एक्सचेंज FEMA यानी फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट का उल्लंघन कर रहे थे और मनी लॉन्ड्रिंग में लिप्त रहे. आपने फटाफट लोन देने वाले एप्स और उनके फर्जीवाड़े की खबरें तो सुनी है, अब ऐसी 300 एप्स ED की रडार पर है जो 10 क्रिप्टो एक्सचेंज के जरिए कथित तौर पर 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा की मनी लॉन्ड्रिंग कर रहे थे. ED की जांच में पाया गया कि इन लोन एप्स को चलाने वाली कंपनियों ने क्रिप्टो एक्सचेंज से 100 करोड़ रुपये से अधिक की एसेट्स खरीदने के लिए संपर्क किया, इसे विदेशी वॉलेट में ट्रांसफर कर दिया. इन एक्सचेंज के अलावा ये कई अन्य नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टिट्यूट का भी सहारा ले रहे थे. इन एप्स को चाइना की कंपनियों की बैकिंग है, इनके पास फंड भी काफी है. इन इंस्टेंट लोन एप ने अपने प्रॉफिट को अवैध रूप से बाहर भेजने के लिए ये तिगड़म अपनाया.

इन क्रिप्टो एक्सचेंज ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है और कहा है कि ये देश के सभी नियम कानूनों का पालन एक केंद्रीकृत क्रिप्टो एक्सचेंज क्या है कर रहे हैं. लेकिन ED ने अपनी जांच में बताया कि केवाईसी यानी ‘नो यॉर कस्टमर’ के नियम को भी ठीक से लागू नहीं किया गया है. केवाईसी में ऐसे लोगों का डेटा मिला है जिनका क्रिप्टो से एक केंद्रीकृत क्रिप्टो एक्सचेंज क्या है कोई लेना देना नहीं है. ED ने बताया कि ऐसा होने पर एक्सचेंज को संदिग्ध ट्रांजेक्शन रिपोर्ट फाइल करनी थी वो नहीं की गई है.

सोचिए क्रिप्टो में कितना पैसा लगा हुआ है, मार्केट एंड मार्केट्स समेत कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि क्रिप्टो का मार्केट साइज 2021 में 1.6 बिलियन डॉलर था जो 2026 तक बढ़कर 2.2 बिलियन डॉलर का हो सकता है. यूएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में देश की 7 फीसदी आबादी से भी ज्यादा लोगों के पास क्रिप्टो है.

इसलिए बात चिंता की है और सवाल सरकार से है जिसकी आंखों के सामने लंबे समय से ये सब चल रहा है-
2017-18 में जब से क्रिप्टो का बूम शुरू हुआ तो दुनिया की बड़ी एजेंसी IMF और FATF ने चेताया था कि क्रिप्टो में मनी लॉन्ड्रिंग का गहरा रिस्क है.
इसके अलावा पिछले दो साल से लगातार RBI भी कह रहा है कि क्रिप्टो में पार्दर्शिता नहीं है.
क्रिप्टो को लेकर भारत में कोई रेग्युलेटर नहीं है. कोई नियम कायदा नहीं है. ये एक्सचेंज ठीक से केवाईसी जैसी बेसिक सी व्यवस्था लागू नहीं कर पाए
फिर क्रिप्टो में होने वाले ट्रांजेक्शन को ट्रेस करना मुश्किल है.
यहां तक की सरकार खुद भी क्रिप्टो के फेवर में कभी दिखाई नहीं दी.
इन सबके बावजूद सरकार ने क्रिप्टो को देश में फलने फुलने दिया, दो बार इसे लेकर बिल पेश किया और तो और क्रिप्टो में प्रॉफिट पर 30% का टैक्स लगाकर उससे कमाई भी कर रही है. क्या सरकार को क्रिप्टो एक्सचेंज के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग होने के रिस्क के बारे में नहीं मालूम था.

Cryptocurrency बाजार में अफरातफरी, करोड़ों के नुकसान के बाद पैसा लगाना सुरक्षित है या नहीं?

Cryptocurrency Price: दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज बाइनेंस के संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) चांगपेंग झाओ ने क्रिप्टो बाजार को लेकर अधिक नियामकीय स्पष्टता का आह्वान किया है.

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Cryptocurrency बाजार में अफरातफरी, करोड़ों के नुकसान के बाद पैसा लगाना सुरक्षित है या नहीं?

Bitcoin Price: दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज बाइनेंस के संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) चांगपेंग झाओ ने क्रिप्टो बाजार को लेकर अधिक नियामकीय स्पष्टता का आह्वान किया है. क्रिप्टो करेंसी बाजार में अफरातफरी और गत एक वर्ष में निवेशकों को दो हजार अरब डॉलर का नुकसान होने के अनुमान के बीच उन्होंने यह बात कही है. झाओ ने बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन में कहा, ‘‘हमें क्रिप्टो बाजार में नियमों को स्पष्ट और बेहतर बनाने की आवश्यकता है.’’

क्रिप्टो करेंसी उद्योग पर प्रतिकूल असर

झाओ ने कहा कि लोगों के हितों की रक्षा के लिए केवल नियामक ही जिम्मेदार नहीं हैं, उद्योग को ऐसे नये मॉडल की तलाश करनी चाहिए जिनसे इस बारे में मदद मिल सके. एफटीएक्स के हाल में धराशायी होने का पूरे क्रिप्टो करेंसी उद्योग पर प्रतिकूल असर पड़ा है. एफटीएक्स ने अमेरिका में दिवाला प्रक्रिया के लिए अर्जी भी लगा दी है. इस साल की शुरुआत में इसका कुल कारोबार मूल्य 32 अरब अमेरिकी डॉलर आंका गया था.

बिटकॉइन दो साल के निचले स्तर पर

वहीं एफटीएक्स संकट के बाद सबसे मजबूत डिजिटल मुद्रा बिटकॉइन दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गई. क्रिप्टो करेंसी व्यापारियों या निवेशकों को बैंकों और बिचौलियों की आवश्यकता के बिना खरीदने और बेचने की अनुमति देती है. ब्लॉकचेन तकनीक एफटीएक्स और इसके प्रतिद्वंद्वी बाइनेंस जैसे एक्सचेंज पर क्रिप्टोकरेंसी के आपस में लेनदेन की सुविधा देती है. लेन-देन को सत्यापनकर्ताओं के एक समूह द्वारा आम सहमति के माध्यम से सत्यापित किया जाता है जिन्हें आम तौर पर ‘माइनर’ कहा जाता है.

लिमिट ऑर्डर बुक

सत्यापन का कार्य करने वाले ‘माइनर’ ऐसा करने के लिए जटिल गणितीय पहेलियों को हल करते हैं. हालांकि जब इन लेनदेन को व्यवस्थित करने की बात आती है, तो बाइनेंस और उससे जुड़ी कंपनियां उसी "लिमिट ऑर्डर बुक" मॉडल का उपयोग करते हैं, जो किसी भी पारंपरिक एक्सचेंज जैसे न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में होता है. इसका मतलब है कि यह एक केंद्रीकृत ढांचा है जो खरीदारों और विक्रेताओं को मिलाती है और क्रिप्टो एक्सचेंज से खरीद-बिक्री करने वाले नकदी की आपूर्ति करते हैं और लेनदेन के लिये कारोबारियों से प्रभार वसूलते हैं.

क्रिप्टो कंपनियों को ऋण की अनुमति

इस तरह की संरचना ने क्रिप्टो बाजार में हाल की घटनाओं को कुछ हद तक बढ़ा दिया है. एफटीएक्स के केंद्रीकृत मॉडल ने इस साल की शुरुआत में संकटग्रस्त क्रिप्टो कंपनियों को ऋण की अनुमति दी. हालांकि उभरते मॉडल, विकेन्द्रीकृत एक्सचेंज, क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य निर्धारण और शासन के लिए अलग-अलग नियमों के तहत काम करते हैं जो ऐसे जोखिमों को कम कर सकते हैं. वे निवेशकों को एल्गोरिथम रूप से निर्धारित मूल्य पर टोकन खरीदने और बेचने की अनुमति देते हैं. यह स्वचालित मॉडल पेशेवर बाजार प्रतिभागियों पर भरोसा नहीं करता है, इसके बजाय व्यक्तिगत निवेशक नकदी की आपूर्ति करते हैं और लेनदेन से शुल्क का एक हिस्सा एकत्र करते हैं.

तीन साल से सरकारी असमंजस: क्रिप्टो में भारतीयों के 6 लाख करोड़ से ज्यादा लग चुके, फ्रॉड हुआ तो धेला भी नहीं मिलेगा

क्रिप्टो करेंसी में अब तक भारतीयों के 6 लाख करोड़ रु. से ज्यादा निवेश हो चुके हैं। देश में कुल 4 क्रिप्टो एक्सचेंज काम कर रही हैं। लेकिन, ज्यादातर निवेशकों को शायद ही इस बात का अंदाजा हो कि यदि कोई हेराफेरी होती है तो वे कानूनी तौर पर कुछ भी नहीं कर पाएंगे। साइबर कानूनों के विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विराग गुप्ता कहते हैं- ‘अनरेगुलेटेड एक्सचेंज या क्रिप्टो के कारोबारी यदि फ्रॉड करके गायब हो जाएं तो निवेशकों की जमापूंजी डूबनी तय है।

ऐसे में पीड़ित लोगों के पास सिर्फ दो विकल्प हाेंगे। पहला- पुलिस में आपराधिक शिकायत दर्ज कराना। दूसरा- कोर्ट में सिविल मुकदमा दायर करके एक्सचेंज या क्रिप्टो कारोबारी से हर्जाने की मांग करना। लेकिन जिस मामले पर संसद अभी तक कोई कानून नहीं बना पाई है, उस पर एक पुलिस अफसर क्या ही कर लेगा, यह समझा जा सकता है।’ एक वित्तीय कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि बैंक, म्यूचुअल फंड या जीरोधा जैसे स्टॉक ट्रेडिंग प्लेटफार्म खोलने के लिए कंपनियों को कई प्रकार के लाइसेंस, जांच और प्रतीक्षा अवधि से गुजरना पड़ता है।

क्रिप्टो बाजार में इस तरह का कोई सरकारी सेफ्टी नेट नहीं है। अगर क्रिप्टो मार्केट में मैनीपुलेशन हुआ हो तो निवेशक का नुकसान तय है, क्योंकि उसके पास यह जानने का कोई कानूनी प्रावधान ही नहीं है कि उसके निवेश के साथ क्या हो रहा है। क्रिप्टो बाजार में इस समय फर्जीवाड़े सामने आ रहे हैं। अगर ऐसे फर्जीवाड़े किसी विनियमित सेक्टर में हो तो कई लोग अब तक जेल पहुंच चुके होते।

रिजर्व बैंक ने क्रिप्टो कारोबार को अवैध घोषित करने के लिए 2018 में सर्कुलर जारी किया था। इसे सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2020 में निरस्त कर दिया। इससे क्रिप्टो पर लगा प्रतिबंध हट गया। कई निवेशक अब इससे होने वाली कमाई इस टैक्स दे रहे हैं, इसलिए यह गैरकानूनी भी नहीं है। लेकिन, इसे वैध बनाने के लिए केंद्र सरकार ने अभी तक कोई कानून नहीं बनाया है। यही वजह है कि इसमें होने वाली अनियमितताओं पर कार्रवाई होनी लगभग नामुमकिन हो सकती है।

निवेश के प्रमुख विकल्पों में कितनी खतरनाक है क्रिप्टाे

2019 में क्रिप्टो बैन की अनुशंसा करने वाले पूर्व केंद्रीय वित्त सचिव सुभाषचंद्र गर्ग ने कहा-

अब बहुत देरी हो चुकी, बैन लगाया तो कोहराम मच जाएगा

‘इतना जोखिम होने के बावजूद क्रिप्टो पर कानून बनाने में देरी हो चुकी है, इससे बात अब बिगड़ चुकी है। निवेशकों के अरबों रुपए लग चुके हंै। अब बैन लगाया तो कोहराम मच जाएगा। 2019 में जब मैंने क्रिप्टाे बैन करने की अनुशंसा की थी, तब भारतीयों का निवेश बहुत कम था। वह शुरुआती चरण था, अब स्थिति अलग है। अब बैन करना वैसा ही होगा जैसे कि बाथटब के पानी को बच्चे सहित फेंक देना। सरकार को अब बहुत ज्यादा गहराई से काम करना होगा। आरबीआई को अपनी एक डिजिटल करेंसी बनानी चाहिए। इसके अलावा, कुछ स्थिर क्रिप्टो करेंसी को सिर्फ इंटरनेशनल रिमेटेंस के लिए अनुमति दे सकते हैं। सरकार को रास्ता निकालना होगा कि स्वीकृत क्रिप्टो का प्लेटफॉर्म्स पर इस्तेमाल हो सके। अन्य सभी मामलों में क्रिप्टाे बैन कर देनी चाहिए।’

देश की प्रमुख क्रिप्टाे एक्सचेंज कॉइनडीसीएक्स के को-फाउंडर सुमित गुप्ता से सीधी बात

क्रिप्टो का नियामक कौन है?
क्रिप्टो इंडस्ट्री सेल्फ रेगुलेटेड है। हम क्रिप्टो बिल के इंतजार में हैं। बिल आ जाता है तो और स्पष्टता आ जाएगी।

क्रिप्टो एक्सचेंज स्थापित करने के लिए क्या-क्या लगता है?
एक मजबूत प्रौद्योगिकी ढांचे के अलावा एक हाई फ्रिक्वेंसी वाले ट्रेडिंग इंजन की आवश्यकता होती है। अच्छी सिक्युरिटी और कम्पलायंस लागू करना होता है।

यदि कोई क्रिप्टो एक्सचेंज अचानक बंद हो जाती है, तो निवेशक के पास अपना पैसा वापस लेने के लिए क्या विकल्प होंगे?
निवेशकों को किसी भी नई या उभरती हुई टोकन परियोजनाओं में निवेश करने से पहले सतर्क रहने की जरूरत है। स्क्विड टोकन का मामला ही लें, जिसे चतुराई से नेटफ्लिक्स वेब शो स्क्विड गेम्स के नाम का फायदा उठाने के लिए बनाया गया था। कई निवेशकों ने इसमें अपनी पूंजी खो दी। दुनियाभर में टियर-1 एक्सचेंज गैर-जिम्मेदाराना तरीके से टोकन को सूचीबद्ध नहीं करती हैं। निवेशकों के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि वे निवेश करने से पहले अपना उचित परिश्रम करें और टोकन परियोजनाओं को अच्छी तरह से समझ लें।

(सुमित गुप्ता ने नुकसान होने पर निवेशक की भरपाई को लेकर जवाब नहीं दिया।)

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