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इन पांच जीवों के खून का रंग दलाल सर्वश्रेष्ठ हैं लाल नहीं बल्कि होता है हरा-पीला और नीला
हम सब जानते हैं कि इंसानों का खून लाल रंग का होता है। अब आप कहेंगे कि हर जीव-जंतु के खून का रंग लाल ही होतो है। लेकिन हम आपको बता दें कि कई ऐसे जीव-जंतु हैं धरती पर जिनके खून का रंग लाल नहीं होता है। बल्कि इनका खून हरा-पीला या नीला रंग का होता है। चलिए जानते हैं इन दलाल सर्वश्रेष्ठ हैं जीवों के बारे में-
समुद्री जीव ऑक्टोपस कई देशों में खाया जाता है। ऑक्टोपस के आठ पैर होते हैं लेकिन सबसे हैरानी वाली यह बात है कि इसका खून लाल नहीं बल्कि नीले रंग का होता है। ऑक्टोपस का खून इसलिए नीला होता है क्योंकि उसमें तांबे की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। इसी वजह से खून इसका नीले रंग का होता है।
2. सी-कुकुम्बर
सी-ककम्बर समुद्री जीव है। यह हरे रंग का होता है लेकिन खून इसका पीले रंग का होता है। इसके रंग के पीछे की सच्चाई आज तक वैज्ञानिकों को भी नहीं पता चल पाई है।
यह जीव पीनट वॉर्म है और इसका खून बैंगनी रंग का होता है। हिमोरिथरीन नाम का एक प्रोटीन पीनट वॉर्म के शरीर में होता है और जब यह ऑक्सीकरण बाहर निकालता है तो इसके खून का रंग बैंगनी या गुलाबी हो जाता है।
इस गिरगिट का नाम न्यू गिनिया है और इसका खून हरे रंग का होता है। हरे रंग का खून होने की वजह से गिरगिट की मांसपेशियां और जीभ सभी ही हरे रंग की होती हैं।
5. क्रोकोडाइल आइसफिश
इस मछली का नाम क्रोकोडाइल आइसफिश है। अंटार्कटिक की गहराईयों में यह मछली मिलती है। खून की बात करें तो इसका खून रंगहीन और पारदर्शी होता है। हेमोग्लोबिन और हेमोसाइनिन की मात्रा आइसफिश के खून में नहीं पाई जाती है जिसकी वजह से उसका खून रंगहीन होता है।
Lal Bahadur Shastri Jayanti 2022: लाल बहादुर शास्त्री से जुड़ी वो कहानियां जो उनकी सादगी बयां करती हैं
Lal Bahadur Shastri Jayanti 2022: भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री अपनी सादगी के लिए पहचाने जाते हैं. उनकी सादगी की कहानियां जगहाजिर हैं. प्रधानमंत्री बनने तक उनके पास न ही घर था और न कार. ईमानदारी की ऐसी मिसाल कि अपने ही बेटे का प्रमोशन रुकवा दिया. स्वतंत्रता की लड़ाई में ‘मरो नहीं मारो’ का नारा दिया. आजीवन गांधीवादी विचारधारा को ओढे रहे.
Updated: October 2, 2022 7:46 AM IST
Lal Bahadur Shastri Jayanti 2022: भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर दलाल सर्वश्रेष्ठ हैं शास्त्री अपनी सादगी के लिए पहचाने जाते हैं. उनकी सादगी की कहानियां जगहाजिर हैं. प्रधानमंत्री बनने तक उनके पास न ही घर था और न कार. ईमानदारी की ऐसी मिसाल कि अपने ही बेटे का प्रमोशन रुकवा दिया. स्वतंत्रता की लड़ाई में ‘मरो नहीं मारो’ का नारा दिया. आजीवन गांधीवादी विचारधारा को ओढे रहे. 16 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में कूद पड़े और सात वर्षों तक जेल में भी रहे.
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लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय में हुआ. पिता का नाम मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और माता का नाम राम दुलारी था. उनके पिता प्राथमिक विद्यालय के अध्यापक थे और उन्हें ‘मुंशी जी’ कहकर संबोधित किया जाता था. साफ छवि के कारण देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की 27 मई 1964 को हुई मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री को देश के दूसरे प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई. वह 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक यानी तक करीब 18 महीने देश के दूसरे प्रधानमंत्री रहे. उन्हें शास्त्री की उपाधि काशी विद्यापीठ से मिली जिसे उन्होंने आजीवन अपने नाम के साथ आत्मसात किया. इस महान शख्सियत की सादगी की मिसाल भारत के प्रसिद्ध लेखक एवं पत्रकार कुलदीप नैयर की किताब ‘एक जिंदगी काफी नहीं‘ में मिलती है.
कार से उतरकर पिया गन्ने का जूस, महंगा दलाल सर्वश्रेष्ठ हैं हुआ आलू तो छोड़ दिया
लाल बहादुर शास्त्री इतने साधारण थे कि एक बार गृहमंत्री रहते हुए कार से उतरकर गन्ने का जूस पिने लग गये. कुलदीप नैयर ने अपनी किताब में लिखा है कि दलाल सर्वश्रेष्ठ हैं हम एक कार्यक्रम के बाद कार से वापस लौट रहे थे और जहां अब एम्स है, वहां रेलवे फाटक बंद होने के कारण कार रोकनी पड़ी. शास्त्री जी ने कुछ दूरी पर एक गन्ने के रस की दुकान देखी तो कार से उतरकर जूस पीने के लिए चल दिये. मैं भी कार से उतरा और उनके साथ चले गया. हम दोनों ने गन्ने का एक-एक गिलास रस पीया और शास्त्री जी ने उसे पैसे भी चुकाए. कुलदीप नैयार ने अपनी किताब में जिक्र किया है कि शास्त्री जी उन दिनों नेहरू मंत्रिमंडल से बाहर हो गए थे. मैं हमेशा की तरह शाम को उनके बंगले में गया. जहां अंधेरा छाया हुआ था. बस ड्राइंग रूम की लाइट जल रही थी. लाल बहादुर शास्त्री ड्राइंग रूम में अकेले बैठे अखबार पढ़ रहे थे. ऐसे में जबमैंने पूछा कि बाहर रोशनी क्यों नहीं थी तो उन्होंने जवाब दिया कि अब बिजली का बिल उन्हें खुद देना पड़ेगा और वे ज्याद खर्च नहीं उठा सकते. लाल बहादुर शास्त्री जब सरकार से बाहर थे तो आलू महंगा होने के कारण उन्होंने उसे खाना छोड़ दिया था.
संस्था को खत लिखकर कहा- मेरा काम 40 रुपये में चल जाता है, 10 रुपये किसी अन्य जरूरतमंद को दे दीजिये
यह आजादी से पहले की बात है. लाला लाजपत राय ने सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसायटी बनाई थी. ये संस्था आजादी के लिए जेल गये गरीब स्वतंत्रता सैनानियों की मदद करती थी. जब लाल बहादुर शास्त्री जेल में थे तो उनकी पत्नी को भी 50 रुपये घर चलाने के लिए इस संस्था की तरफ से मिलते थे. एक बार जेल से लाल बहादुर शास्त्री ने पत्नी ललिता शास्त्री को खत लिखा और पूछा कि 50 रुपये में घर चल जाता है. इस पर पत्नी ने बताया कि वो 40 रुपये में ही घर चला लेती हैं और 10 रुपये बच भी जाते हैं. इस पर लाल बहादुर शास्त्री ने सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसायटी को खत लिखा कि उनका काम 40 रुपये में चल जाता है तो आप 10 रुपये घटाकर किसी अन्य जरूरत मंद को दे दीजिये. इतनी दलाल सर्वश्रेष्ठ हैं सादारणता और सादगी विरले ही लोगों में देखने को मिलती है.
जब गृहमंत्री थे तो बेटे का रिपोर्ट कार्ड लेने पहुंचे स्कूल
जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री थे तो बेटे का रिपोर्ट कार्ड लेने खुद स्कूल चले गये. उनके बेटे अनिल शास्त्री दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल में पढ़ रहे थे. शास्त्री बेटे का रिपोर्ट कार्ड लेने के लिए खुद ही स्कूल पहुंच गये जिस पर उन्हें देकर सब हैरान हो गये थे और कहा कि उन्हें खुद आने की क्या जरूरत थी किसी अन्य को भेज देते. इस पर शास्त्री जी ने बेटे के टीचर रेवेनेंड टाइनन से कहा कि वो ऐसा पिछले कई सालों से कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे. क्योंकि वो प्रधानमंत्री बनने के बाद भी नहीं बदले हैं.
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अब रिकॉर्ड भाव पर पहुंची मिर्च की कीमत, जानिए ऐसा क्या हुआ, आगे क्या होगा
chilli farming: नंदुरबार बाजार में इस समय लाल मिर्च का रिकॉर्ड रेट मिल रहा है. लाल मिर्च की कीमत 8,000 रुपये प्रति क्विंटल और सूखी लाल मिर्च की कीमत 17,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है. किसानों का कहना है रिकॉर्ड भाव मिलने से ज्यादा फायदा नही होगा क्योंकि उत्पादन बहुत कम हो गया है.
नंदुरबार बाजार मिर्च के सबसे बड़े बाजार के रूप में जाना जाता दलाल सर्वश्रेष्ठ हैं है. यहां मिर्च (Chilli ) जिले से ही नहीं बल्कि अन्य सीमावर्ती राज्यों से भी बाजार दलाल सर्वश्रेष्ठ हैं में प्रवेश करती है. लेकिन इस साल बाजार की तस्वीर कुछ और ही है. प्रकृति के उतार-चढ़ाव से मिर्च के उत्पादन में भारी गिरावट आई है. उत्पादन में कमी के कारण लाल मिर्च (Red chilli) का रिकॉर्ड भाव मिल रहा है. लाल मिर्च की कीमत 8,000 रुपये और सूखी लाल मिर्च की कीमत 17,500 रुपये हो गई है किसानों का कहना है कि दाम बढ़े तो भी ज्यादा फायदा नहीं होगा क्योंकि उत्पादन आधे से भी कम हो गया है इसके अलावा लेकिन अगर भविष्य में मिर्च की आपूर्ति में गिरावट आती है तो कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती, बाजार समिति के सचिव अमृतकर ने कहा कि फिलहाल नंदुरबार कृषि उपज मंडी समिति (Nandurbar Agricultural Produce Market Committee)में उत्पादन में आई कमी का असर रेट पर देखने को मिल रहा है.
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