क्रिप्टो पर टैक्स लगेगा, कारोबारी बोले खबर अच्छी है

भारत सरकार जल्दी ही अपनी डिजिटल करंसी लाने जा रही है. दुनियाभर में तेजी से बढ़ते क्रिप्टो बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत करंसी बाजार को झटका देते हुए मंगलवार को आम बजट में यह ऐलान किया गया.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट में जो घोषणाएं की बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत हैं उनमें सरकार समर्थित डिजिटल रुपये की शुरुआत और क्रिप्टो करंसी के कारोबार से हुए मुनाफे पर 30 प्रतिशत कर के ऐलान ने भारत ही नहीं, बाकी दुनिया के क्रिप्टो व्यापारियों को हैरान-परेशान कर दिया.

वैसे तो भारत में अब तक क्रिप्टोकरंसी को लेकर नियम नहीं बने हैं लेकिन स्थानीय बाजार काफी बड़ा हो चुका है और करोड़ों लोग क्रिप्टोकरंसी में कारोबार कर रहे हैं. इसके पीछे बड़ी-बड़ी हस्तियों का समर्थन और बड़ी संख्या में उबर आए क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लैटफॉर्म की भी बड़ी भूमिका रही है.

इसी वजह से पिछले सितंबर में जब सरकार ने क्रिप्टोकरंसी के लेन-देन को प्रतिबंधित कर दिया था, उसके बाद भी बाजार का बढ़ना थमा नहीं और भारत चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जहां क्रिप्टोकरंसी में कारोबार का आकर्षण सबसे ज्यादा है.

बड़ा होता क्रिप्टो बाजार

मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस वृद्धि को नियमित किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "वर्चुअल डिजिटल करंसी में लेनदेन में बेतहाशा वृद्धि देखने को मिली है और इसलिए इसके उचित कराधान की जरूरत है.”

सीतारमण ने ऐलान किया कि क्रिप्टोकरंसी और अन्य डिजिटल संपत्तियों के कारोबार से कमाए गए मुनाफे पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा लेकिन इसमें हुए नुकसान से किसी तरह का कर-लाभ नहीं होगा. सभी तरह के डिजिटल लेन-देन पर एक प्रतिशत टैक्स शुरुआत में ही काटा जाएगा. वित्त मंत्री ने कहा कि इससे सरकार को हर लेन-देन की जानकारी रहेगी.

इसके अलावा सीतारमण ने अगले साल मार्च से पहले डिजिटल रुपया शुरू करने की भी बात कही. उन्होंने कहा कि यह ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होगा. वित्त मंत्री ने कहा, "केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल करंसी की शुरुआत से डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा. इससे ज्यादा सक्षम और सस्ती करंसी प्रबंधन व्यवस्था भी संभव हो पाएगी.”

भारत की झिझक

क्रिप्टोकरंसी भारत में करीब दस साल पहले आ गई थी और तभी से सरकार की इस नई मुद्रा व्यवस्था पर टेढ़ी नजरें रही हैं. 2018 में तो केंद्रीय बैंक ने क्रिप्टोकरंसी को बैन ही कर दिया था. दो साल पहले देश के सुप्रीम कोर्ट ने यह बैन हटा दिया था और तब से भारत में क्रिप्टोकरंसी का बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत बाजार तेजी से बढ़ा है. शोध संस्था चेनालिसिस के मुताबिक जून 2021 तक एक साल में ही भारत का क्रिप्टोकरंसी बाजार 650 फीसदी बढ़ चुका था जो वियतनाम के बाद दूसरी सबसे ज्यादा वृद्धि थी.

क्रिप्टोकरंसी को लेकर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यदा-कदा बोलते रहे हैं. पिछले साल दावोस की वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम को संबोधन में उन्होंने चेतावनी दी थी कि यह युवा पीढ़ी के लिए खतरनाक है. उन्होंने कहा था कि अगर क्रिप्टोकरंसी गलत हाथों में पड़ गई तो हमारी युवा पीढ़ी को बर्बाद कर सकती है.

पिछले साल भारत सरकार ने सभी तरह की निजी क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पेश किया था लेकिन बाद में उसे लागू नहीं किया गया. भारत के सबसे पुराने क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लैटफॉर्म में गिने जाने वाले ऊनोकॉइन के सहसंस्थापक सात्विक विश्वनाथ कहते हैं, "कर व्यवस्था पर आखिरकार कुछ स्पष्टता मिली है, जो कि अच्छी बात है. अब हम मान सकते हैं कि वे टैक्स लगा रहे हैं मतलब वे जानते हैं कि बैन तो नहीं लगाएंगे.”

भारत में भी आएगी डिजिटल मुद्रा, नाम होगा ‘डिजिटल रुपया’

नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा) क्रिप्टो या डिजिटल मुद्राओं को लेकर दुनियाभर में दीवानगी है और भारत में भी एक अप्रैल से शुरू होने वाले अगले वित्त वर्ष में इसका देशी संस्करण पेश किया जाएगा, जो भौतिक रूप बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत से प्रचलित मुद्रा के डिजिटल रूप को प्रतिबिंबित करेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार को संसद में पेश आम बजट के मुताबिक 'डिजिटल रुपया' नामक यह मुद्रा, रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल रूप में जारी किया जाएगा और इसे भौतिक मुद्रा के साथ बदला जा सकेगा। इस केंद्रीय बैंक की डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) को नियंत्रित करने वाले विनियमन को अंतिम रूप दिया

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार को संसद में पेश आम बजट के मुताबिक 'डिजिटल रुपया' नामक यह मुद्रा, रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल रूप में जारी किया जाएगा और इसे भौतिक मुद्रा के साथ बदला जा सकेगा।

इस केंद्रीय बैंक की डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) को नियंत्रित करने वाले विनियमन को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।

सीबीडीसी एक डिजिटल या आभासी मुद्रा है, लेकिन इसकी तुलना निजी आभासी मुद्राओं या क्रिप्टो करेंसी से नहीं की जा सकती है, जिनका चलन पिछले एक दशक में तेजी से बढ़ा है। निजी डिजिटल मुद्राएं किसी भी व्यक्ति की देनदारियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं, क्योंकि उनका कोई जारीकर्ता नहीं है। वे निश्चित रूप से मुद्रा नहीं हैं।

आरबीआई निजी क्रिप्टो करेंसी का कड़ा विरोध कर रहा है, क्योंकि वे राष्ट्रीय सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव डाल सकते हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि सीबीडीसी की शुरुआत से डिजिटल अर्थव्यवस्था को बड़ा बढ़ावा मिलेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘डिजिटल करेंसी से एक अधिक दक्ष तथा सस् ती करेंसी प्रबंधन व् यवस् था वजूद में आएगी। डिजिटल करेंसी ब् लॉक चेन तथा अन् य प्रौद्योगिकियों का उपयोग करेगी।’’

क्रिप्टोकरंसी को लेकर सतर्क आरबीआई अगले साल की शुरुआत में डिजिटल करेंसी जारी करने पर कर रहा काम

आरबीआई थोक और खुदरा खंड में केंद्रीय बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत बैंक डिजिटल मुद्रा के चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वयन की दिशा में काम कर रहा है। देश की आधिकारिक डिजिटल मुद्रा 2023 की शुरुआत में पेश किये जाने की संभावना है।

क्रिप्टोकरंसी को लेकर सतर्क आरबीआई अगले साल की शुरुआत में डिजिटल करेंसी जारी करने पर कर रहा काम

भारतीय रिजर्व बैंक थोक और खुदरा क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) के क्रियान्वयन को लेकर काम कर रहा है। केंद्रीय बैंक के कार्यकारी निदेशक (वित्तीय प्रौद्योगिकी) अजय कुमार चौधरी ने बुधवार को यह जानकारी दी।

उद्योग मंडल फिक्की के फिनटेक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, आरबीआई थोक और खुदरा खंड में केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा के चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वयन की दिशा में काम कर रहा है। देश की आधिकारिक डिजिटल बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत मुद्रा 2023 की शुरुआत में पेश किये जाने की संभावना है।

डिजिटल भुगतान क्षेत्र में वित्तीय प्रौद्योगिकी की भूमिका पर अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने नवोन्मेष को बढ़ावा दिया है और फिनटेक के नए-नए उत्पादों और सेवाओं से जुड़े लाभ और जोखिम पर कड़ी नजर है।

वित्त मंत्री ने बजट में की थी इसकी घोषणा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में सीबीडीसी पेश किए जाने की घोषणा की थी। इसके लिए वित्त विधेयक पारित होने के साथ आरबीआई कानून, 1934 में संबंधित धारा में जरूरी संशोधन किए गए।

क्रिप्टोकरंसी को लेकर केंद्रीय बैंक है सतर्क

आरबीआई ने क्रिप्टो में निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए सीबीडीसी लाने की कवायद तेज की है। हालांकि, शुरुआत में यह आम लोगों के लिए नहीं होगी। इसे बाजार में हर मानकों पर परखने के बाद आम लोगों के लिए जारी करने पर भी विचार हो सकता है।

क्या है सीबीडीसी

सीबीडीसी डिजिटल मुद्रा है। यह वर्तमान में उपलब्ध निजी कंपनी द्वारा संचालित इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट की तरह होगी। सीबीडीसी सरकार समर्थित डिजिटल मुद्रा होगी। हालांकि, इसकी निजी डिजिटल मुद्रा या क्रिप्टोकरेंसी से तुलना नहीं की जा सकती, जो पिछले एक दशक में तेजी से बढ़ी है। निजी डिजिटल मुद्रा का कोई जारीकर्ता नहीं है और किसी व्यक्ति के ऋण या देनदारियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती है।

क्या है RBI का ‘डिजिटल रुपया', बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से कैसे है अलग

क्या है RBI का ‘डिजिटल रुपया', बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से कैसे है अलग

देश की डिजिटल मुद्रा- ‘डिजिटल रुपया’ (e₹) का पहला पायलट परीक्षण 1 नवंबर से शुरू हो गया. केंद्रीय बैंक (RBI) ने अभी होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया जारी किया है. इस परीक्षण में बैंक, सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities) में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन के लिए इस डिजिटल मुद्रा का इस्तेमाल करेंगे. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा शुरू ‘डिजिटल रुपये’ के पहले पायलट परीक्षण में ICICI बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा समेत कई बैंकों ने मंगलवार को सरकारी प्रतिभूतियों में लेनदेन के लिए हिस्सा लिया.

न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि आईसीआईसीआई बैंक ने ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ (सीबीडीसी) का इस्तेमाल करते हुए आईडीएफसी फर्स्ट बैंक को जीएस 2027 प्रतिभूतियां बेचीं. डिजिटल रुपये के साथ कुल मिलाकर 275 करोड़ रुपये के 48 सौदे हुए. भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और कोटक महिंद्रा बैंक ने भी डिजिटल रुपये (थोक खंड) (e₹-W) के पहले पायलट परीक्षण में भाग लिया.

आखिर क्या है डिजिटल रुपया उर्फ CBDC

डिजिटल करेंसी का पूरा नाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency or CBDC) है. सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की थी. 30 मार्च 2022 को सीबीडीसी जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित किया था. सीबीडीसी किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से जारी होने वाले मौद्रिक नोटों का डिजिटल स्वरूप है. इससे यूजर्स को मौजूदा भुगतान प्रणालियों के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे. डिजिटल रुपया, डिजिटल रूप में नकद रुपए-पैसे की ही तरह है. इसका उपयोग संपत्ति जमा करने के साधन के बजाय लेनदेन की मुद्रा के रूप में किया जाएगा. CBDC को फिजिकल तौर पर नष्ट, जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है.

जिस देश का केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी को जारी करता है, उस देश की सरकार की मान्यता इसे हासिल होती है. यह उस देश की केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट में भी शामिल होती है. इसकी खासियत यह है कि इसे देश की सॉवरेन करेंसी में बदला जा सकता है.

लीगल टेंडर है डिजिटल रुपया

भारतीय रिजर्व बैंक का CBDC एक लीगल टेंडर है. CBDC के पीछे भारत के केंद्रीय बैंक RBI का बैकअप रहेगा. यह आम मुद्रा यानी फिएट मुद्रा की तरह ही होगा, लेकिन डिजिटल फॉर्मेट में होगा. फिएट मुद्रा, सरकार द्वारा जारी की जाने वाली करेंसी को कहा जाता है. इसलिए एक प्रकार से कह सकते हैं कि डिजिटल रुपया, सरकारी गारंटी वाला डिजिटल वॉलेट होगा. डिजिटल मुद्रा के रूप में जारी इकाइयों को चलन में मौजूद मुद्रा में शामिल किया जाएगा. जैसे लोग सामान या सेवाओं के बदले करेंसी देते हैं, उसी तरह CBDC से भी आप लेनदेन कर सकेंगे. सरल शब्दों में डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल हम अपने सामान्य रुपये-पैसे के रूप में कर सकेंगे, बस रुपये-पैसे डिजिटल फॉर्म में होंगे.

दो तरह की CBDC

रिटेल (CBDC-R): रिटेल CBDC संभवतः सभी को इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी

होलसेल (CBDC-W): इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए डिजाइन किया गया है.

पिछले दिनों RBI ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) का उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा रूपों को बदलने के बजाय डिजिटल मुद्रा को उनका पूरक बनाना और यूजर्स को भुगतान के लिए एक अतिरिक्त विकल्प देना है. इसका मकसद किसी भी तरह से मौजूदा भुगतान प्रणालियों को बदलना नहीं है.

RBI को सीबीडीसी की शुरुआत से कई तरह के लाभ मिलने की उम्मीद है, जैसे कि नकदी पर निर्भरता कम होना, मुद्रा प्रबंधन की कम लागत और निपटान जोखिम में कमी. यह आम जनता और व्यवसायों को सुरक्षा और लिक्विडिटी के साथ केंद्रीय बैंक के पैसे का एक सुविधाजनक, इलेक्ट्रॉनिक रूप प्रदान कर सकता है और उद्यमियों को नए उत्पाद और सेवाएं बनाने के लिए एक मंच प्रदान कर सकता है.

क्रिप्टोकरेंसी से कैसे अलग

डिजिटल करेंसी (Digital Currency) और क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में काफी अंतर है. इसलिए दोनों में कन्फ्यूज न हों. सबसे बड़ा अंतर यह है कि डिजिटल करेंसी को उस देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है, जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है. डिजिटल रुपये को केंद्रीय बैंक द्वारा विनियमित किया जाता है. इसलिए इसमें जोखिम नहीं होता है. वहीं क्रिप्टोकरेंसी एक मुक्त डिजिटल एसेट या वर्चुअल एसेट है. यह किसी देश या क्षेत्र की सरकार के अधिकार क्षेत्र या कंट्रोल बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत में नहीं है. बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी डिसेंट्रलाइज्ड है और किसी सरकार या सरकारी संस्था से संबंध नहीं है.

कब होगा रिटेल सेगमेंट का ट्रायल

RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि डिजिटल रुपये (खुदरा खंड) (e₹-R) का पहला पायलट परीक्षण नवंबर माह के आखिर में शुरू करने की योजना है. आरबीआई की डिजिटल मुद्रा में सौदों का निपटान करने से निपटान लागत में कमी आने की संभावना है. डिजिटल रुपये (थोक खंड) के पहले पायलट परीक्षण में हिस्सा लेने के लिए SBI, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC बैंक, ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC को चुना गया है.

Budget 2022: Crypto Currency पर सरकार का बड़ा ऐलान, क्रिप्टो को रेगुलेट करने का पहला कदम!!

Budget 2022: क्रिप्टोकरेंसी (big announcement on Crypto Currency) पर सरकार ने बड़ा ऐलान किया है. अब इससे हुई कमाई पर 30% टैक्स लगेगा. इसके अलावा वर्चुअल करेंसी (Virtual currency) पर 1% TDS भी लगेगा. इसे बड़ी गुड न्यूज की तरह देखा जा रह है, क्योंकि टैक्स उन्हीं पर लगता है, जो सरकारी तौर पर मान्य होता है.

alt

7

alt

6

alt

6

alt

7

Budget 2022: Crypto Currency पर सरकार का बड़ा ऐलान, क्रिप्टो को रेगुलेट करने का पहला कदम!!

Budget 2022: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए केंद्रीय बजट पेश किया. इस दौरान उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई को बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत बजट (tax on Earnings from Crypto Currency) के दायरे में लाने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि अब क्रिप्टोकरेंसी या किसी भी वर्चुअल एसेट्स के ट्रांसफर पर होने वाली आय पर 30 फीसदी का टैक्स लगेगा. वहीं एक निश्चित सीमा से अधिक के ट्रांजैक्शन पर टीडीएस (TDS) भी लगाने का ऐलान किया.

क्रिप्टोकरेंसी रेगुलेट करने के लिए बिल
बजट में साल 2022-23 से देश में डिजिटल रुपये की शुरुआत किए जाने का एलान किया. 'डिजिटल रुपये' की शुरुआत करने से देश में करेंसी मैनेजमेंट में सुधार की उम्मीद की जा रही है. सरकार लंबे समय से क्रिप्टोकरेंसी रेगुलेट करने के लिए बिल लाने पर विचार कर रही बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत है, जिसे 'क्रिप्टो बिल' के नाम से जाना जाता है. अब सरकार ने इस पर टैक्स लगाकर क्रिप्टो को रेगुलेट करने की दिशा में पहला कदम रखा है, जिसे बड़ी गुड न्यूज की तरह देखा जा रहा है. पहले समझिए क्या है क्रिप्टोकरेंसी

क्या है डिजिटल या क्रिप्टोकरेंसी?
Crypto Currency भारतीय रुपये और अमेरिकी डॉलर की ही तरह वित्तीय लेन-देन का एक जरिया है. अंतर सिर्फ इतना है कि ये डिजिटल है, दिखाई नहीं देती, न ही आप इसे छू सकते हैं. क्रिप्टोकरेंसी पिछले काफी समय से सबसे गर्म मुद्दा बना हुआ है. दुनिया भर के साथ भारत में इसमें निवेश करने वालों की संख्या तेजी बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत से बढ़ी है. भारत सरकार और आरबीआई ने निजी डिजिटल करेंसी पर नकेल कसने के लिए चालू शीतकालीन सत्र में बिल पेश करना की तैयारी की है.

क्यों कहते हैं अनियमित बाजार
क्रिप्टोकरेंसी का पूरा कारोबार ऑनलाइन माध्यम से होता है. हमेशा करेंसी के लेन-देन के बीच में सरकार की मध्यस्थ होता है, जैसे भारत में केंद्रीय बैंक, लेकिन क्रिप्टो के कारोबार में कोई मध्यस्थ नहीं है. इसे ऑनलाइन संचालित किया जाता है, जिसके चलते इसे अनियमित बाजार के तौर पर जाना जाता है. इस समय दुनिया में सबसे अधिक लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी बिटक्वाइन है. Cryptocurrency दो शब्दों से मिलकर बना है. Crypto जोकि लैटिन भाषा का शब्द है जो cryptography से बना है और जिसका मतलब होता है, छुपा हुआ/हुई. जबकि Currency भी लैटिन के currentia से आया है, जो कि रुपये-पैसे के लिए इस्तेमाल होता है. तो क्रिप्टोकरेंसी का मतलब हुआ छुपा हुआ पैसा, यानि डिजिटल रुपया. .

इस तरह खरीदी जाती है क्रिप्टो करेंसी
क्रिप्टो करेंसी खरीदने के दो जरिए हैं. एक तो इन्हें क्रिप्टो एक्सचेंज के जरिए खरीदते हैं. दुनिया भर में सैकड़ों क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज काम कर रहे हैं. भारत में काम कर रहे वजीरएक्स, जेबपे, क्वाइनस्विच कुबेर, क्वाइन डीसीएक्स गो समेत कई एक्सचेंज चल रहे हैं. इसके अलावा क्वाइनबेस और बिनान्से जैसे अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म भी हैं, जहां से बिटक्वाइन, इथेरियम, टेथर और डॉजक्वाइन सहित दुनिया की सभी डिजिटल मुद्राएं खरीदी जा सकती हैं.

कैसे काम करती है Cryptocurrency?
देश में क्रिप्टोकरेंसी मुद्राओं की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है. इन्हें ब्लॉकचेन सॉफ़्टवेयर के ज़रिए इस्तेमाल किया जाता है. ये डिजिटल मुद्रा इनक्रिप्टेड यानी कोडेड होती हैं. इसे एक डिसेंट्रेलाइज्ड सिस्टम से मैनेज किया जाता है. इसमें प्रत्येक लेन-देन का डिजिटल सिग्नेचर द्वारा वेरिफिकेशन होता है. क्रिप्टोग्राफी की मदद से इसका रिकॉर्ड रखा जाता है. इसके जरिए खरीदी को क्रिप्टो माइनिंग कहा जाता है क्योंकि हर जानकारी का डिजिटल रूप से डेटाबेस तैयार होता है. जिनके द्वारा यह माइनिंग की जाती है, उन्हें माइनर्स कहा जाता है.

रेटिंग: 4.75
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 833