यह सुनने में अच्छा लगता है कि रोबोट या कंपनी में काम करने वाले प्रोफेशनल्स आपके ट्रेडिंग प्रयासों में आपकी मदद करें। लेकिन, यह साफ तौर पर हितों का टकराव है – आप वहाँ पैसे कमाने गए हैं; लेकिन आप जब भी पैसे कमाएंगे ब्रोकर को घाटा होगा।

beware of binary trading, you will loose all your hard earned money in seconds

बाइनरी ऑप्शंस: लूट का खुला खेल, जानिए कैसे बचें ऐसे झांसों से

शिकारी आएगा जाल बिछाएगा, दाना डालेगा, लालच में आकर फंसना मत। मगर जब सामने घर बैठे करोड़ों कमाने का लालच हो तो आदमी फंस सकता है। यही सूत्र पकड़कर अब देश में बाइनरी ऑप्शंस ट्रेड की घुसपैठ हो रही है। मोबाइल ऐप्स के जरिए होने वाले बाइनरी ऑप्शंस के साथ डे ट्रेडिंग क्यों करते हैं इस गोरखधंधे में सपना तो दिखाया जाता है करोड़पति बनाने का, लेकिन इसमें फंसने वाला कभी फायदे में नहीं रह पाता।

घर बैठे मौज करिए और बीच-बीच में मोबाइल ऐप पर एक दो बटन प्रेस करते रहिए। और इस तरीके से घंटे दो घंटे में बना लीजिए 4-5 सौ डॉलर। अभी खाता खोलें, पाएं 1000 डॉलर का बोनस। ऐसी कुछ ललचाने वाली लाइनों के साथ शुरू होता है बाइनरी ऑप्शन का खेल कर रहे ऐप्स का विज्ञापन जैसे बाइनरी ऑप्शन्स कोई नोट छापने की मशीन हो।

बाइनरी ऑप्शंस ट्रेडिंग में आपको अनुमान लगाना होता है कि किसी खास समय में किसी खास चीज का भाव ऊपर जाएगा या बाइनरी ऑप्शंस के साथ डे ट्रेडिंग क्यों करते हैं नीचे। ये समय 30 सेकंड से लेकर कुछ घंटे या साल भी हो सकते हैं। आप सोना, चांदी, क्रूड, बिटकॉइन, करेंसी कोई भी ट्रेड चुन सकते हैं। बेट लगाने के लिए पहले आपको वर्चुअल खाता और उसमें कुछ डॉलर फ्री में दिए जाते हैं और आपका मन लग गया तो फिर आपको असली खाता बनाकर उसमें पैसे डालने को कहा जाता है।

करते हैं लाखों रुपये कमाने का वादा

कम निवेश में यह बाइनरी ट्रेडिंग एप लोगों को ज्यादा पैसा कमाने का वादा करते हैं। इन कंपनियों का कहना होता है कि लोग 10 डॉलर (700 रुपये) के छोटे से निवेश से एक माह बाद 10000 हजार डॉलर (7 लाख रुपये) तक कमा सकते हैं। हालांकि ऐसा हकीकत में कुछ भी नहीं होता है। यह एक तरह का छलावा है, जैसा हाल ही में क्लिक एंड लाइक, बाइक बोट, स्पीक एशिया ने लोगों के साथ किया था और लाखों लोगों के करोड़ों रुपये डूब गए थे।

बाइनरी ट्रेडिंग एप इसलिए भी खतरनाक हैं, क्योंकि इनको भारत में व्यापार करने के लिए किसी भी तरह की मान्यता सेबी, आरबीआई या सरकार से नहीं मिली है। वहीं अगर कोई व्यक्ति थोड़े बहुत पैसे भी इन बाइनरी एप से कमा लेता है, तो वो फेमा कानून के तहत फंस सकता है। दूसरी तरफ इन कंपनियों का रजिस्ट्रेशन टैक्स हैवेन देशों में हैं, जहां से आप किसी तरह की कोई मदद नहीं पा सकते हैं।

ऐसे काम होता है बाइनरी ट्रेडिंग में

बाइनरी ट्रेडिंग में विदेशी मुद्रा, क्रिप्टोकरेंसी और सोने-चांदी जैसी कमोडिटी में ट्रेडिंग करने का ऑप्शन दिया जाता है। यहां पर लोगों को अनुमान लगाना होता है कि फलां कमोडिटी कितना आगे या फिर नीचे जाएगी। मान लीजिए आपने डॉलर पर अनुमान लगाया कि वो अगले एक से पांच मिनट में नीचे जाएगा, और आपने 10 डॉलर के साथ स्ट्राइक लगाई। अब एक मिनट में जो डॉलर नीचे जा रहा था, वो एकदम से ऊपर चला जाएगा। इससे आपके वो 10 डॉलर भी डूब जाएंगे। आप जितना भी पैसा लगाएंगे वो डूबता ही चला जाएगा।

शुरुआत में यह कंपनियां रजिस्ट्रेशन करने के बाद 10 हजार डॉलर का वर्चुअल पैसा डालती हैं, जिससे लोग इसके बारे में पूरी तरह से ज्ञान ले लें। लोग वर्चुअल में जब खेलकर थोड़ा भी ज्ञान ले लेते हैं, तब इसमें पैसा निवेश करते हैं।

कम से कम 3000 डॉलर का निवेश

अगर आपने यहां से थोड़ा सा भी पैसा कमा लिया तो वो आप निकाल नहीं पाएंगे। इन ट्रेडिंग एप पर आपको कम से कम तीन हजार डॉलर (करीब 2,10,000 रुपये) का निवेश करना होगा, तभी वो व्यक्ति इन खातों से जीता हुआ पैसा निकाल सकेगा। अगर उसने इतना पैसा नहीं निवेश किया तो उसको खाते से पैसा निकालने के लिए अनुमति नहीं मिलेगी।

हालांकि लोगों को निवेश करने के लिए अपने डेबिट या फिर क्रेडिट कार्ड (वीजा या मास्टरकार्ड) से पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं। एक बार जहां आपने अपने कार्ड की डिटेल्स दे दी, तो समझ लीजिए कि आपका खाता हैक होने में देर नहीं लगेगी।

केवल नाम और ईमेल आईडी से सेकंडों में बनेगा खाता

लोगों को इन ट्रेडिंग एप पर केवल अपना नाम और ईमेल आईडी देनी होती है, जिसके तुरंत बाद ही खाता बन जाता है। यह कंपनियां किसी भी तरह का पासवर्ड या एप को इंस्टॉल करने के बाद लॉगआउट का ऑप्शन भी नहीं देती हैं।

आजकल सोशल मीडिया वेबसाइट्स पर बाइनरी ट्रेडिंग कराने वाले एप का प्रचार जोर शोर से हो रहा है। यह मोबाइल एप लोगों को जल्द से जल्द पैसा कमाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, लेकिन वास्तविकता में इनमें अगर आप निवेश करते हैं, तो फिर पैसा बढ़ने के बजाए डूबेगा।

बाइनरी ऑप्शंस ट्रेडिंग में धोखाधड़ी से कैसे बचें

बाइनरी ऑप्शन

लेकिन, जब वे पहली बार जनता के लिए उपलब्ध हुए वे विनियमित नहीं थे और निगरानी नहीं राखी जा रही थी, परिणामस्वरूप बहुत से धोखेबाज़ ब्रोकर भी आ गए।

अब भी, जब बाइनरी ऑप्शन ट्रेडिंग अधिक से अधिक विनियमित होती जा रही है और स्कैम वेबसाइट्स को बंद किया जा बाइनरी ऑप्शंस के साथ डे ट्रेडिंग क्यों करते हैं रहा है, फिर भी सब कुछ परफेक्ट नहीं है। बहुत से विश्वसनीय और भरोसेमंद ब्रोकर उपलब्ध हैं लेकिन उनके बीच कुछ ऐसे भी हैं जो स्कैम हैं।

इस गाइड में, हम आपको बताएँगे कि स्कैम ब्रोकरों का कैसे पता लगाना है और विश्वसनीय और भरोसेमंद ब्रोकर का चुनाव कैसे करना है।

    • 3. असपष्ट नियम और शर्तें
    • 4. बोनस नीति
    • 5. धन निकासी अनुरोध पर कार्यवाही न करना

    Alert! हाई रिटर्न का लालच पड़ेगा भारी, जानें- NSE ने कहां निवेश न करने की दी सलाह

    कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस ऐसे कॉन्ट्रैक्ट हैं, जिसमे अंडरलाइंग की वैल्यू निवेशक के लिए मायने नहीं रखती है. कॉन्ट्रैक्ट शुरू होने और बंद होने के बीच कीमत बाइनरी ऑप्शंस के साथ डे ट्रेडिंग क्यों करते हैं के अंतर के आधार पर कमाई होती है.

    NSE का कहना है कि निवेशक कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस/बाइनरी ऑप्शंस जैसे डेरिवेटिव प्रोडक्ट में हाई रिटनर्न के लालच से बचें. (reuters)

    नेशनल बाइनरी ऑप्शंस के साथ डे ट्रेडिंग क्यों करते हैं स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने निवेशकों को अनरेगुलेटेड डेरिवेटिव प्रोडक्ट को लेकर आगाह किया है. NSE का कहना है कि निवेशक हाई रिटर्न के झांसे वाले अनरेगुलेटेड डेरिवेटिव प्रोडक्ट के लालच में न फंसे. इससे वे बड़े नुकसान में पड़ सकते हैं. NSE का कहना है कि निवेशक कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस/बाइनरी ऑप्शंस जैसे डेरिवेटिव प्रोडक्ट में निवेश न करें. कुछ स्टार्टअप प्लेटफार्म पर कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस/बाइनरी ऑप्शंस के कॉन्ट्रैक्ट चल रहे हैं.

    ऐसे प्लेटफार्म SEBI में रजिस्टर्ड नहीं

    नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का कहना है कि देश में कुछ इंटरनेट बेस्ड अवैध प्लेटफार्म पर इस तरह के ऑफर निवेशकों को दिए जा रहे हैं. ऐसे प्लेटफार्म मार्केट रेगुलेटर सेबी में रजिस्टर्ड नहीं हैं और प्रोडक्ट को भी मंजूरी नहीं मिली है. इन प्लेटफॉर्म पर निवेशकों को इस तरह के प्रोडक्ट में हाई रिटर्न का लालच दिया जा रहा है. निवेशकों को इनसे बचकर रहने की सलाह दी जा रही है.

    NSE के अनुसार एक्सचेंज ने यह नोटिस किया कि कुछ अनरेगुलेटेड प्लेटफॉर्म या वेबसाइट कुछ अनरेगुलेटेड डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स में ट्रेडिंग बाइनरी ऑप्शंस के साथ डे ट्रेडिंग क्यों करते हैं ऑफर कर रही हैं, जिन्हें कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस (CFD) या बाइनरी ऑप्शंस कहा जाता है. जिसके बाद NSE ने यह चेतावनी जारी की है.

    क्या होते हैं कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस

    ऐसे कॉन्ट्रैक्ट जिसमे अंडरलाइंग की वैल्यू निवेशक के लिए मायने नहीं रखती है. कॉन्ट्रैक्ट शुरू होने और बंद होने के बीच कीमत के अंतर के आधार पर कमाई होती है. बाजार की भाषा में कह सकते हैं कि CFD एक खरीदार और एक विक्रेता के बीच एक कांट्रैक्ट है, जो यह निर्धारित करता है कि खरीदार, विक्रेता को एक एसेट की मौजूदा वैल्यू और ​कांट्रैक्ट टाइम पर उसके वैल्यू के बीच अंतर का भुगतान करेगा. US और भारत जैसे मार्केट में ऐसे कॉन्ट्रैक्ट की मंजूरी नहीं है. UK, स्पेन, हॉन्ग कॉन्ग और सिंगापुर जैसे मार्केट में सीमित छूट के साथ इसकी मंजूरी है.

    बाइनरी ऑप्शन एक निश्चित भुगतान के साथ एक तरह का विकल्प है, जिसमें एक निवेशक दो संभावित रिजल्ट से आउटकम का अनुमान लगाता है. अगर अनुमान सही है, तो निवेशक को मुनाफा होता है. अगर अनुमान सही नहीं होता है तो निवेशक शुरूआती हिस्सेदारी खो देता है. इसे 'बाइनरी' कहा जाता है क्योंकि इसके केवल 2 परिणाम हो सकते हैं- जीत या हार.

    क्या होते हैं कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस

    ऐसे कॉन्ट्रैक्ट जिसमे अंडरलाइंग की वैल्यू निवेशक के लिए मायने नहीं रखती है. कॉन्ट्रैक्ट शुरू होने और बंद होने के बीच कीमत के अंतर के आधार पर कमाई होती है. बाजार की भाषा में कह सकते हैं कि CFD एक खरीदार और एक विक्रेता के बीच एक कांट्रैक्ट है, जो यह निर्धारित करता है कि खरीदार, विक्रेता को एक एसेट की मौजूदा वैल्यू और ​कांट्रैक्ट टाइम पर उसके वैल्यू के बीच अंतर का भुगतान करेगा. US और भारत जैसे मार्केट में ऐसे कॉन्ट्रैक्ट की मंजूरी नहीं है. UK, स्पेन, हॉन्ग कॉन्ग और सिंगापुर जैसे मार्केट में सीमित छूट के साथ इसकी मंजूरी है.

    बाइनरी ऑप्शन एक निश्चित भुगतान के साथ एक तरह का विकल्प है, जिसमें एक निवेशक दो संभावित रिजल्ट से आउटकम का अनुमान लगाता है. अगर अनुमान सही है, तो निवेशक को मुनाफा होता है. अगर अनुमान सही नहीं होता है तो निवेशक शुरूआती हिस्सेदारी खो देता है. इसे 'बाइनरी' कहा जाता है क्योंकि इसके केवल 2 परिणाम हो सकते हैं- जीत या हार.

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