Market Outlook This Week: तिमाही नतीजों, ग्लोबल फैक्टर्स से तय होगी बाजार चाल, किन कंपनियों जानिए क्या स्टॉक रेटिंग का मतलब के आएंगे तिमाही नतीजे? एक्सपर्ट्स की राय
Stock Rating: जानिए क्या स्टॉक रेटिंग का मतलब, समझें ब्रोकरेज फर्मों की डिक्शनरी
ब्रोकरेज एंड रिसर्च फर्म समय-समय पर स्टॉक को लेकर सुझाव देती हैं. इसके तहत वे बताती हैं कि किस स्टॉक में खरीदारी करनी चाहिए और किस स्टॉक में अपनी पोजिशन को स्क्वायर ऑफ करना चाहिए. (Image- Pixabay)
Stock Rating: ब्रोकरेज एंड रिसर्च फर्म समय-समय पर स्टॉक को लेकर सुझाव देती हैं. इसके तहत वे बताती हैं कि किस स्टॉक में खरीदारी जानिए क्या स्टॉक रेटिंग का मतलब करनी चाहिए और किस स्टॉक में अपनी पोजिशन को स्क्वायर ऑफ करना चाहिए. पोजिशन को स्क्वायर ऑफ करने का मतलब है कि अपनी पोजिशन को सेल कर देना. ब्रोकरेज फर्म स्टॉक को चार्ट पैटर्न पर विभिन्न इंडिकेटर और उसे प्रभावित करने वाली खबरों को मिलाकर उसे रेटिंग देती है. हर प्रकार की रेटिंग के अपने खास मतलब होते हैं जिन्हें शेयर मार्केट में निवेश करने से पहले जानना बहुत जरूरी है ताकि अपना पोर्टफोलियो मजबूत बना सकें.
Stock Rating के ये होते हैं मतलब
- Buy: किसी स्टॉक को यह रेटिंग दी गयी है तो इसका मतलब शेयर अगले 12 महीने में निवेश पर 15 फीसदी से अधिक रिटर्न दे सकता है यानी निवेशकों को यह स्टॉक खरीदने की सलाह दी जाती है.
- Add: इस रेटिंग के तहत निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में मौजूद अपने किसी कंपनी के शेयरों को बढ़ाने की सलाह दी जानिए क्या स्टॉक रेटिंग का मतलब जाती है. ब्रोकरेज फर्म यह रेटिंग उन स्टॉक्स को देती है जो अगले 12 महीनों में 5-15 फीसदी तक का रिटर्न दे सकती हैं.
- Reduce: ब्रोकरेज फर्म यह रेटिंग ऐसे स्टॉक को देती है, जिसके भाव अगले 12 महीनों में 5 फीसदी तक ही बढ़ सकते हैं या उनमें 5 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है.
- Sell: जिन स्टॉक के भाव में अगले 12 महीने में 5 फीसदी या इससे अधिक की गिरावट की आशंका रहती है, उन्हें ब्रोकरेज फर्म ‘सेल’ रेटिंग देती हैं.
- Not Rated (NR): यह रेटिंग उन स्टॉक्स को दिया जाता है जिसके लिए ब्रोकरेज फर्म कोई रेटिंग या प्राइस टारगेट नहीं देती हैं और रिपोर्ट सिर्फ जानकारी के लिए तैयार की जाती है.
- RS (Rating Suspended): इसका मतलब रहता है कि स्टॉक को लेकर रेटिंग व प्राइस टारगेट सस्पेंड कर दिया गया है और जो रेटिंग व प्राइस टारगेट पहले दिया गया है, वह अब प्रभावी नहीं है. प्रयाप्त फंडामेंटल आधार के अभाव या किसी कानूनी, नियामकीय, नीतिगत वजहों से रेटिंग या प्राइस टारगेट देना संभव जानिए क्या स्टॉक रेटिंग का मतलब नहीं हो पाता है तो यह रेटिंग दी जाती है.
(इनपुट: कोटक सिक्योरिटीज)
(नोट: यहां लेख महज जानकारी के लिए है.)
इक्विटी में निवेश का है प्लान; कौन सा शेयर re-rating को है तैयार? ऐसे करें पहचान
Re-Rating of Stocks: शेयर में री-रेटिंग का मतलब है कि निवेशक उन शेयरों की अधिक कीमत चुकाने को तैयार हैं, जिनसे भविष्य में अधिक कमाई की उम्मीद है.
Stock Re-Rating: अगर आपका शेयर बाजार को लेकर इंटरेस्ट है तो शेयर की री-रेटिंग टर्म के बारे में बारे में अक्सर सुना होगा. कई बार एनालिस्ट भी यह कहते हैं यह शेयर री-रेटिंग के लिए तैयार है या इन शेयर की री-रेटिंग हो सकती है. शेयर बाजार की रिपोर्ट पढ़ते हुए भी आपने यह शब्द कहीं न कहीं पढ़ा होगा. निवेशक आमतौर पर जानिए क्या स्टॉक रेटिंग का मतलब पूरी तरह से यह नहीं समझ पाते हैं कि इसका मतलब क्या है और इसका क्या महत्व है. आइए इस बात पर चर्चा करें कि री-रेटिंग का क्या मतलब है. वहीं निवेशकों को उच्च रिटर्न हासिल करने के लिए अपने पोर्टफोलियो को किस तरह से व्यवस्थित करना चाहिए.
क्या है re-rating
शेयर बाजार में री-रेटिंग का मतलब है कि निवेशक उन शेयरों की अधिक कीमत चुकाने को तैयार हैं, जिनसे भविष्य में अधिक कमाई की उम्मीद है. इस तरह का पूर्व अनुमान निवेशक के सेंटीमेंट और कंपनी की भविष्य को लेकर संभावना की वजह से होता है. इसे एक आसान उदाहरण से ऐसे समझ सकते हैं कि किसी कंपनी का शेयर 10 गुना अर्निंग प्रति शेयर (EPS) के साथ 100 रुपये प्रति शेयर के भाव पर कारोबार कर रहे हैं. इसका मतलब है कि प्राइस टु अर्निंग रेश्यो (P/E) 10 है.
जब शेयर की कीमत 200 रुपये तक बढ़ जाती है और ईपीएस भी 15 हो जाता है, तो नया P/E 13.3 होगा, जो पिछली अवधि में 10 से अधिक है. अगर बाजार कंपनी के शेयरों के लिए आय की तुलना में अधिक कीमत देने को तैयार है, तो उसे बाजार द्वारा ‘शेयरों की पुनः रेटिंग’ के रूप में जाना जाता है. मूल रूप से, कंपनी की कमाई के लिए दीर्घकालिक संभावनाओं की वजह से निवेशक के सेंटीमेंट में बदलाव से शेयर की रेटिंग फिर से हो जाती है.
कई वजह से होती है re-rating
इस उदाहरण से यह साफ है कि जब कंपनी को जानिए क्या स्टॉक रेटिंग का मतलब फिर से रेट किया जाता है, तो इसका P/E फंडामेंटल में एक महत्वपूर्ण सुधार के साथ एक्सपैंड करता है. निवेशकों द्वारा देखा जाने वाला प्रमुख प्वॉइंट यह है कि हालांकि आय में सुधार होता है, P/E वृद्धि अकेले निवेशकों के लिए दौलत बनाती है. P/E में बढ़ोत्तरी के कई कारण हैं.
सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब री-रेटिंग होती है, तो आमतौर पर संस्थागत निवेशक कंपनी की संभावनाओं से उत्साहित होते हैं और शेयर खरीदना शुरू करते हैं. कभी-कभी, उस योयर या उससे जुड़े सेक्टर को फिर से रेट किया जा सकता है, जिससे सेंटीमेंट बेहतर होते हैं. उदाहरण के लिए, बैंकिंग और पीएसयू जैसे सेक्टर में री रेटिंग की वजह से फ्रेश बॉइंग दिख रही है.
ग्रोथ से जुडी होती है री-रेटिंग
आम तौर पर, जब कोई कंपनी लगातार ग्रोथ दिखाती है, तो फिर से रेटिंग होती है. साथ ही, अगर बिजनेस की संभावनाओं के बारे में अनिश्चितता होती है, तो डी-रेटिंग होती है. री-रेटिंग से पहले शेयर की पहचान करना कोई आसान काम नहीं है, हालांकि, कोई कम P/E अनुपात वाली कंपनी की पहचान कर सकता है. उन शेयरों की री रेटिंग नहीं होती जो हाई मल्टीपल पर ट्रेड कर रहे होते हैं. जिन कंपनियों ने लंबी अवधि के लिए अनुमान की तुलना में बेहतर प्रदर्शन जानिए क्या स्टॉक रेटिंग का मतलब किया है, वे फिर से रेटिंग दर्ज कर सकते हैं.
उन कंपनियों का मूल्यांकन करने के लिए जिनमें सबसे अधिक संभावना है कि वे फिर से रेटेड हो सकते हैं, किसी को मूल्यांकन की पूरी समझ होनी चाहिए. इसके अलावा उस कंपनी के महत्वपूर्ण सफल फैक्टर्स की पहचान करने की क्षमता होनी चाहिए.
(लेखक: P Saravanan, professor of finance & accounting, IIM Tiruchirappalli
ONGC पर 'ओवरवेट' रेटिंग, PSU शेयर में आगे 38% मिल सकता है रिटर्न; चेक करें टारगेट
Buy call on ONGC: शेयर बाजार में बीते कुछ दिनों से उतार-चढ़ाव का दौर बना हुआ है. सेंसेक्स 59 हजार के नीचे और निफ्टी 18 हजार के नीचे ट्रेड कर रहा है. इस बीच, ऑयल एंड जानिए क्या स्टॉक रेटिंग का मतलब गैस सेक्टर की PSU कंपनी ONGC के शेयर निवेश के लिहाज से अच्छी वैल्युएशन पर हैं. ब्रोकरेज फर्म जेपी मॉर्गन (JP Morgan) ने ओएनजीसी के आगे बेहतर अर्निंग की उम्मीद को देखते हुए निवेश की सलाह दी है. जेपी मॉर्गन ने ONGC स्टॉक पर 'ओवरवेट' रेटिंग बरकरार रखी है. इसके लिए टारगेट प्राइस 212 रुपये रखा है. ONGC के स्टॉक्स में निवेशकों को बीते एक जानिए क्या स्टॉक रेटिंग का मतलब साल में 100 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न मिल चुका है.
ONGC: 38% मिल सकता है रिटर्न
JP Morgan ओएनजीसी के लिए 212 रुपये (ONGC Overweight) का टारगेट दिया है. 25 नवंबर जानिए क्या स्टॉक रेटिंग का मतलब को कंपनी का शेयर भाव 153 रुपये पर ट्रेड कर रहा. इस तरह, करंट प्राइस से इस शेयर में निवेशकों को 38 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न मिल सकता है. एक साल में इस शेयर में निवेशकों का पैसा डबल हो गया. बीते एक साल में शेयर का प्राइस 80 रुपये से बढ़कर 168 रुपये के लेवल तक पहुंचा है.
ब्रोकरेज फर्म जेपी मॉर्गन का कहना है कि साल 2022 और 2023 में ब्रेंट क्रूड के 80 डॉलर से उपर बने रहने की उम्मीद है. ब्रोकरेज फर्म को ओएनजीसी के लिए लॉर्ज अर्निंग अपसाइड रिस्क दिखाई दे रहा है. इसका मतलब कि आगे कंपनी की अर्निंग में अनिश्चित तेजी की संभावना है.
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ONGC: सितंबर तिमाही में 565% बढ़ा प्रॉफिट
ऑयल एंड गैस सेक्टर की सरकारी कंपनी ओएनजीसी का जुलाई-सितंबर 2021 तिमाही नतीजे अच्छे रहे. ओएनजीसी को सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर नेट प्रॉफिट 565 फीसदी से ज्यादा बढ़ा था. कंपनी ने 18,347 करोड़ का मुनाफ कमाया. इसी अवधि में कंपनी का रेवेन्यू 44 फीसदी उछलकर 24,353.6 करोड़ रुपये रहा. कंपनी का प्रॉफिट और रेवेन्यू दोनों ही बाजार की उम्मीद से बेहतर रहा.
2020-21 से नए कॉरपोरेट टैक्स रेट (22 फीसदी) पर स्विच होने के चलते कंपनी का टैक्स खर्च कम हुआ है. इससे डेफर्ड टैक्स (आस्थगित कर) में 8,541 करोड़ रुपये की कमी और मौजूदा टैक्स में में 1,304 करोड़ रुपये की कमी आई है. सितंबर तिमाही में कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन बढ़कर 48.17 फीसदी हो गया, जो कि एक साल पहले इसी अवधि में 32.78 फीसदी था. कंपनी ने 5.5 रुपये अंतरिम डिविडेंड देने का एलान किया था.
बॉन्ड की रेटिंग घटने से निवेशकों पर पड़ता है क्या असर?
2. ट्रिपल ए (AAA)सबसे अच्छी क्रेडिट रेटिंग होती है . यह दिखाती है कि इस प्रतिभूति के साथ डिफॉल्ट का जोखिम बेहद कम है. इसके बाद AA, A, BBB, BB, B, C और D का नंबर आता है. डी सबसे निचली रेटिंग है. इनके साथ डिफॉल्ट का खतरा रहता है.
3. रेटिंग घटने का मतलब यह है कि जिस कंपनी ने बॉन्ड/डेट इंस्ट्रूमेंट जारी किया है, उसके लिए कारोबारी स्थितियां बिगड़ गई हैं. इनमें इस हद तक दिक्कतें पैदा हो गई हैं कि कंपनी के लिए समय से ब्याज और निवेशकों से जुटाई गई रकम का भुगतान करना मुश्किल होगा.
4. रेटिंग घटने का निवेशकों को भारी नुकसान होता है. कारण है इन स्थितियों में डेट इंस्ट्रूमेंट की कीमतों में गिरावट आती है.
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