बैंकिंग क्षेत्र में ग्राहक संबंध प्रबंधन पर एक अध्ययन | Original Article Manish Dubey*, Vikash Kumar, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research
अर्जेंटीना में ईआरपी प्रदाता
जीकोस डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन एकीकृत प्रबंधन प्रणालियों को लागू करने और प्रबंधित करने में माहिर है, जिसमें एसईवीईएल, हॉस्पिटल ब्रिटानिको, फ्रिगोरिफिको लास पिएड्रास, सल्होन ऑर्गनाइजेशन और ओआरटी यूनिवर्सिटी जैसे शीर्ष स्तरीय ग्राहक शामिल हैं।
जीकोस का दृष्टिकोण प्रबंधन समाधान और प्रणालियों में एक बेंचमार्क होना है। इसका मिशन व्यावसायिक प्रक्रियाओं को डिजिटल रूप से बदलना है ताकि उन्हें अधिक कुशल, प्रभावी और लाभदायक बनाया जा सके।
ओडू ईआरपी
ओडू ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर है दुनिया में #1। ईआरपी, सीआरएम, एमआरपी, एचआर, ईकामर्स।
इसकी तकनीक अत्याधुनिक है: फुलवेब, मोबाइल, ओपन, सोशल, क्लाउड और उपयोग में बहुत आसान जो विभिन्न उद्योगों और आकारों की कंपनियों के अनुकूल है।
इसके अलावा, इसमें डेवलपर्स का एक अंतरराष्ट्रीय समुदाय है जो सिस्टम में लगातार सुधार कर रहा है।
सीमांत लागत क्या है ? सीमांत लागत विधि के अंतर्गत लाभ की गणना
किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उत्पादन करने से कुल लागत में जो अंतर आता है उसे सीमांत लागत लाभप्रदता की गणना के संबंध में महत्वपूर्ण बिंदु कहते हैं। इसे निम्नलिखित सूत्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है। मान लीजिए 5 वस्तुओं की कुल लागत 135 रुपये हैं तथा 6 वस्तुओं की कुल लागत 180 रुपये है। अतएव छठी वस्तु की सीमांत लागत इस प्रकार निकाली जा सकती है।
मैकोनल के अनुसार, ‘‘सीमांत लागत की परिभाषा वस्तु की एक अधिक इकाई का उत्पादन करने की अतिरिक्त लागत के रूप में की जा सकती है’’
फर्गुसन के अनुसार, ‘‘उत्पादन में एक इकाई की वृद्धि करने से कुल लागत में जो वृद्धि होती है उसे सीमांत लागत कहते हैं।’
सीमांत लागत क्या है?
वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई निर्मित करने की लागत सीमांत लागत है। सीमांत लागत से आशय परिवर्तनशील लागतों अर्थात्, मूल लागत तथा परिवर्तनशील उपरिव्ययों के योग से है। प्रति इकाई सीमांत लागत उत्पादन के किसी भी स्तर पर राशि में हुए परिवर्तन से है जिससे कुल लागत में परिवर्तन होता है, यदि उत्पादन मात्रा एक इकाई से बढ़ायी या घटाई जाती है।
सीमांत लागत विधि का अर्थ
इन्स्टीट्यूट ऑफ कास्ट एण्ड मैनेजमेंट एकाउन्टेन्ट्स, इंग्लैण्ड के अनुसार “सीमांत लागत विधि का आशय स्थायी लागत एवं परिवर्तशील लागत में अन्तर करके सीमांत लागत का निर्धारण करना तथा उत्पादन की मात्रा अथवा किस्म में परिवर्तन का लाभ पर प्रभाव ज्ञात करने से है।”
सीमांत लागत विधि के अंतर्गत लाभ की गणना
सीमांत लागत विधि के अंतर्गत लाभ ज्ञात करने के लिए कुल लागत को स्थिर लागत व लाभप्रदता की गणना के संबंध में महत्वपूर्ण बिंदु परिवर्तनशील लागत में विभाजित कर लिया जाता है। तत्पश्चात सीमांत लागत को विक्रय मूल्य में से घटा दिया जाता है। शेष राशि अंशदान (Contribution) कहलाती है। इस अंशदान में स्थिर लागतों को घटाकर लाभ ज्ञात कर लिया जाता है। निर्मित माल व चालू कार्य के स्कन्ध का मूल्यांकन सीमांत लागत पर ही किया जाता है जिसमें किसी भी प्रकार के स्थिर व्यय सम्मिलित नहीं होते है
सीमांत लागत विधि के लाभ
सीमांत लागत निर्धारण विधि व्यावसायिक प्रबन्ध के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण एवं उपयोगी तकनीक है। इसके प्रमुख लाभ, संक्षेप में हैं-
1. समझने में सरल - सीमांत लागत विधि समझने में सरल है। इसकी प्रक्रिया आसान है क्योंकि इसमें स्थायी लागतों को सम्मिलित नहीं किया जाता है, जिससे उनके अनुभाजन एवं अवशोषण की समस्या उत्पन्न नहीं होती। इसे प्रमाण लागत के साथ जोड़ा जा सकता है।
2. लागत तुलना - इस विधि में स्कन्ध का मूल्यांकन सीमांत लागत पर किया जाता है। जिससे स्थायी लागतों का एक हिस्सा स्कन्ध के रूप् में अगली अवधि में नहीं ले जाया जाता। इसलिए लागत एवं लाभ निष्प्रभाव नहीं होते तथा लागतों में तुलना सार्थक हो जीती है।
3. परिवर्तनों का लागत पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन - उत्पादन अथवा विक्रय मात्रा या विक्रय मिश्रण तथा उत्पादन या विक्रय पद्धति में किये जाने वाले परिवर्तनों का लागतों एवं लाभों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इस विधि द्वारा अध्ययन किया जा सकता है। इससे प्रबन्ध को नीति-निर्धारण तथा निर्णय लेने में सहायता मिलती है।
4. लाभ नियोजन - इस विधि द्वारा लाभ तथा इसको प्रभावित करने वाले घटकों के मध्य आपसी सम्बन्ध का अध्ययन सम-विच्छेद बिन्दु, लाभ मात्रा अनुपात आदि तकनीकों द्वारा भली-भांति समझा जा सकता हैं इससे प्रबन्धकों को बजटिंग तथा लाभ नियोजन में सरलता रहती है। प्रबन्ध इस विधि के कारण भावी लाभ-योजनाएं बना सकते हैं तथा उनका मूल्यांकन किया जा सकता है।
5. लाभ नियंत्रण - अधिकतम लाभ अर्जित करने के लिए लागतों पर नियंत्रण किया जाना आवश्यक है। सीमांत लागत विधि में लागतों को स्थिर एवं परिवर्तनशील में वर्गीकृत करके उनके स्वभाव का सूक्ष्म विश्लेषण किया जाता है। लागतों के इस प्रकार विभाजन से लागत नियंत्रण के लिए उत्तरदायित्व निश्चित किया जा सकता है। विभिन्न प्रबन्धकों को केवल उन्हीं लागतों की सूचना दी जाती है जिनके लिए वे उत्तरदायी होते है।
सामान्यत: परिवर्तनशील लागतों के नियंत्रण का दायित्व प्रबन्ध के निम्न स्तर का होता है। जबकि स्थिर लागतों में नियंत्रण का दायित्व उच्च प्रबन्ध का होता है। इस तरह यह विधि उत्पादन एवं बिक्री की परिवर्तित परिस्थितियों में लागत व्यवहार का अध्ययन करके उनके नियंत्रण में सहयोग देती है।
अनुपात विश्लेषण क्या है इसके लाभ बताइए?
इसे सुनेंरोकेंअनुपात विश्लेषण वित्तीय विश्लेषण का व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला उपकरण है। इसे वित्तीय विवरणों की व्याख्या के लिए अनुपात के व्यवस्थित उपयोग के रूप में परिभाषित किया गया है ताकि एक फर्म की ताकत और कमजोरियों के साथ-साथ इसके ऐतिहासिक प्रदर्शन और वर्तमान वित्तीय स्थिति को निर्धारित किया जा सके।
लेखा अनुपात से क्या आशय है इसका महत्व?
इसे सुनेंरोकेंएक लेखा अनुपात क्या है? लेखांकन अनुपात वित्तीय अनुपातों का एक आवश्यक उप-सेट और मीट्रिक का एक समूह है जो लाभप्रदता को मापने में उपयोग किया जाता है औरदक्षता पर एक फर्म केआधार इसकी वित्तीय रिपोर्ट की। ये अनुपात एक डेटा बिंदु और दूसरे के बीच संबंध व्यक्त करने की एक विधि प्रदान करते हैं।
अनुपात विश्लेषण का क्या महत्व है?
इसे सुनेंरोकेंअनुपात विश्लेषण के उद्देश्य/महत्व/उपयोगिता अनुपातों के तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर व्यावसायिक कुशलता का मूल्यांकन किया जा सकता है। अनुपातों की सहायता से किसी व्यवसाय की प्रगति अथवा अलनति के संबंध मे अनेक महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकाले जा सकते है। इस प्रकार अनुपातों का प्रयोग व्यवसायिक कुशलता की माप के लिये किया जाता है।
अनुपात विश्लेषण क्या है इसके प्रकारों की व्याख्या करें?लाभप्रदता की गणना के संबंध में महत्वपूर्ण बिंदु
इसे सुनेंरोकेंअनुपात विश्लेषण समय के साथ अपनी प्रगति को समझने के लिए कंपनी के चिट्ठे में विभिन्न लाइन चीजों की तुलना में व्यावसायिक लेखांकन में व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला शब्द है। इसका उपयोग कंपनी की वित्तीय स्थिति लाभप्रदता की गणना के संबंध में महत्वपूर्ण बिंदु को समझने के लिए तरलता के विभिन्न पहलुओं, संचालन की दक्षता और लाभप्रदता का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है।
अनुपात विश्लेषण और उसके प्रकार क्या है?
इसे सुनेंरोकेंअनुपात विश्लेषण के प्रकार विश्लेषणात्मक उद्देश्यों के लिए, वित्तीय विश्लेषक वित्तीय विवरण के भीतर विभिन्न घटकों के बीच तुलना करने के लिए विभिन्न अनुपात विश्लेषण की गणना करते हैं। तरलता अनुपात: कम्प्यूटिंग तरलता अनुपात एक कंपनी की शोधन क्षमता और वित्तीय ताकत निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
लेखांकन क्या है इसके उद्देश्य बताइए?
इसे सुनेंरोकेंलेखांकन के उद्देश्य : एक निश्चित अवधि का लाभ -हानि ज्ञात करना। लाभ- हानि को ज्ञात करने के लिए किस संस्था द्वारा व्यापार खाता(Trading Account), लाभ -हानिखाता (Profit & Loss Account) तथा आर्थिक चिट्ठा (Balance Sheet ) बनाया जाता हैं। कानूनी आवश्यकता – कानूनी आवश्यकता को पूरा करना एक लेखांकन का महत्वपूर्ण उद्देश्य है ।
विश्लेषण का क्या महत्व है?
इसे सुनेंरोकें➤ विश्लेषण विधि(Analysis method) के गुण तथा लाभ इस विधि में छात्रों को खोज करने का अवसर मिलता है। इस विधि को क्रियाशील विधि माना जाता है। इस विधि द्वारा प्राप्त होने वाले ज्ञान हमेशा स्थाई होता है। इस विधि में छात्र हमेशा क्रियाशील रहते हैं।
छोटे व्यवसाय को फ़्रेंचाइज़ करना चाहते है,तो नीचे पढ़े
यदि आपके पास एक छोटा व्यवसाय है जिसे आसानी से दोहराया जा सकता है, तो फ्रेंचाइज़िंग तेज गति से इसे विस्तारित करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक हो सकता है। और यदि आप इसे सही तरीके से करते हैं, तो आप निश्चित रूप से अपनी लाभप्रदता को बढ़ा सकते हैं।
इस भाग दौड़ वाली जिंदगी में हर कोई अपने व्यवसाय को बेहतर बनाना चाहते है चाहे वह छोटे व्यवसाय हो या बड़े लेकिन व्यवसाय से जुड़ी तमाम चीजें जैसे की पूँजी की व्यवस्था करने के बारे में, व्यापार के लिए सही लोकेश और बिज़नेस पार्टनर को ढूंढना आदि। इस तरह की मुश्किलें छोटे या फिर बड़े उद्यमियों के लिए एक समान रहती है।
छोटे व्यवसाय को चलाने की कुछ चुनौतियाँ हैं जो छोटे उद्यमियों को अपने व्यवसाय विस्तार मॉडल के रूप में फ्रैंचाइज़िंग के लिए जाने में मजबूर करती हैं।
फ्रेंचाइज़र बहुत से विकल्पों के साथ छोटे महत्वाकांक्षी उद्यमियों को न्यूनतम पूँजी निवेश के साथ विस्तार करने की अनुमति देते हैं और हर प्रकार की सहायता भी करता है।
यदि आप अपने छोटे व्यवसाय के लिए फ़्रेंचाइज़ करना चाहते हैं, लेकिन कोई सुराग नहीं है कि कैसे शुरू करें? तो आप नीचे दिए गए सुझाव को ज़रुर पढ़े ताकि आपको अपने प्रश्न का उत्तर मिल सके और आप अपने फ़्रेंचाइज़ व्यवसाय को शुरू करने के लिए सक्षम हो सके।
1. अपने व्यापार को जाँचना
आपके व्यवसाय का गहन मूल्यांकन आपको हर तरह की जानकारी देता है जो आप चाहते है और आपके कॉन्सेप्ट को क्लियर करता है, चाहे आपका व्यवसाय फ्रेंचाइज़िंग के लिए तैयार है या नहीं। हमेशा एक स्थिर चरण होता है जो हर व्यवसाय में आता है जब आपको लगता है कि सब कुछ संतुलित और शांत है, लेकिन फ़्रेंचाइज़ में इन सभी चीज़ो को लाना उतना ही संभव नहीं है।
भले ही आपके पास कुछ पूँजी की कमी हो, अगर आपके व्यवसाय में स्थिर बिक्री, उच्च मांग और पुनरावृत्ति जैसे लक्षण हैं, तो यह व्यवसाय के लिए एक हरा संकेत है। वास्तव में फ्रैंचाइज़िंग की शुरुआत करने से पहले अपने व्यापार के इन तीन प्रमुख बिंदुओं का विश्लेषण करें।
2. फ्रैंचाइज़िंग से पहले अपने व्यवसाय को ऑर्गेनाइज्ड करें
ऐसा हो सकता है कि एक संभावित फ्रैंचाइज़ी को आपके व्यापार करने के तौर तरीकों के बारे में पता न हो लेकिन उनके पास आपके जैसे व्यवसाय को बेहतर बनाने के लिए प्रासंगिक स्किल्स होते है। इस प्रकार, आपके लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप खुद के व्यवसाय के सिस्टम के बारे में सोचें ताकि आप किसी अन्य व्यक्ति को प्रशिक्षित कर सकें और इसके लिए, आपके व्यवसाय के कार्य करने के तरीके की एक प्रक्रिया होनी चाहिए।
फ्रेंचाइज़ को अपने व्यवसायों को चलाने के लिए निश्चित रूप से विवरण और दिशा निर्देशों की आवश्यकता होगी।
अपनी कार्य प्रक्रिया को यथासंभव विस्तृत बनाएँ - मार्केटिंग और साइनेज से लेकर बिज़नेस कार्ड और कर्मचारियों के प्रशिक्षण तक - सब कुछ सुचारु रूप से किया जाना चाहिए ताकि आप अपने फ्रेंचाइज़ी के अनुसरण के लिए एक रूपरेखा तैयार कर सकें।
3. लीगल डॉक्यूमेंटेशन
कुछ हद तक, फ्रैंचाइज़िंग एक कानूनी बंधन की तरह है जिसका पालन पोषण दोनों पक्षों को करना होता है जो मौजूदा शांतिपूर्वक कानूनी नियमों का पालन करते हैं। इस तरह, एक शांतिपूर्ण संबंध रखने के लिए, लीगल डॉक्यूमेंटेशन महत्वपूर्ण है।
फ्रैंचाइज़ डिस्क्लोजर डॉक्यूमेंट एक आधिकारिक दस्तावेज़ है जो फ्रेंचाइज़ी और फ्रेंचाइज़र दोनों की भूमिकाओं और शक्तियों को तय करता है। इसे बनाने के लिए आपको मूल्य निर्धारण करना, फ़्रेंचाइज़ एग्रीमेंट, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी प्रोटेक्शन करना चाहिए आदि। एक वकील से प्रोफेशनल काउंसिल प्राप्त करना तब सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है जब आप फ्रैंचाइज़िंग के क्षेत्र में शुरुआत करते हैं।
4. फ़्रेंचाइज़ी का चयन करते समय हमें सलेक्टिव होना चाहिए:
एक फ्रैंचाइज़ का चयन करना आपके जीवन-साथी को चुनने के समान है।वे ऐसे व्यक्ति होंगे जो आपके स्व-निर्मित साम्राज्य का प्रतिनिधित्व करेंगे। एक फ्रैंचाइज़ी का चयन पृष्ठभूमि विश्लेषण और साक्षात्कार - विश्लेषण की एक प्रक्रिया होनी चाहिए।
5. सही स्थानों का चयन:
अध्ययनों से पता चला कि 80 प्रतिशत व्यवसाय एक डेढ़ साल के भीतर अव्यवहारिक स्थान के कारण विफल हो जाते हैं। जाहिर है, व्यवसाय विस्तार में स्थान एक प्रमुख हिस्सा है।
एक स्थान जो आपके व्यवसाय को सबसे अच्छा सूट करता है - जहां से आपका लक्ष्य ग्राहक आपकी सेवाओं तक आसानी से पहुंच सकता है, और जहां प्रतिस्पर्धा कम है - यह सब की संपूर्णता मिलकर लाभप्रदता की गणना के संबंध में महत्वपूर्ण बिंदु आपके फ़्रेंचाइज़ व्यवसाय उद्यम को शुरू करने के लिए एक आदर्श स्थान बनाती है।
लाभप्रदता की गणना के संबंध में महत्वपूर्ण बिंदु
Year: Jul, 2021
Volume: 18 / Issue: 4
Pages: 796 - 801 (6)
Publisher: Ignited Minds Journals
Source:
E-ISSN: 2230-7540
DOI:
Published URL: http://ipublisher.in/I/a/306316
Published On: Jul, 2021
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बैंकिंग क्षेत्र में ग्राहक संबंध प्रबंधन पर एक अध्ययन | Original Article
Manish Dubey*, Vikash Kumar, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research
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