ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म नहीं लगा रहे ग्राहकों के नेगेटिव रिव्यू और रेटिंग, रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा

हर दो में से एक उपभोक्ता शिकायत करते हैं कि उनकी negative product rating और समीक्षा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म द्वारा प्रकाशित नहीं की जा रही है। एक नई रिपोर्ट ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? के अनुसार केवल 23 फीसदी उपभोक्ताओं ने कहा कि ई-कॉमर्स साइट्स पर उनकी नकारात्मक समीक्षा या रेटिंग प्रकाशित की गई थी।

नई दिल्ली,आईएएनएस। हर दो में से एक उपभोक्ता शिकायत करते हैं कि उनकी नकारात्मक उत्पाद रेटिंग (negative product rating) और समीक्षा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म द्वारा प्रकाशित नहीं की जा रही है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार केवल 23 फीसदी उपभोक्ताओं ने कहा कि ई-कॉमर्स साइटस पर उनकी नकारात्मक समीक्षा या रेटिंग प्रकाशित की गई थी। लगभग 65 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने ई-कॉमर्स साइट्स पर उत्पाद रेटिंग को सकारात्मक रूप से पक्षपाती पाया है। जो यह दर्शाता है कि विक्रेता (Seller) उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए अपने उत्पादों की रेटिंग को प्रभावित कर रहे हैं। और ये प्लेटफॉर्म ऐसी स्थितियों में सक्रिय रूप से काम नहीं कर रहे हैं। सामुदायिक (community) सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोकल सर्किल ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? के अनुसार सर्वेक्षण (survey) में शामिल लोगों में से लगभग 90 प्रतिशत ने कहा कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को कम रेटेड उत्पादों को विक्रेताओं (sellers) से दूसरे उत्पाद के रूप में फिर से सूचीबद्ध (listed) करने के लिए प्रतिबंधित करना चाहिए।

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इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कैसे विक्रेता स्वयं, मित्रों और परिवार नेटवर्क के माध्यम से और कुछ मामलों में जनसंपर्क (PR) और influencers के माध्यम से भी उत्पादों को अत्यधिक रेट और समीक्षा कर के खरीदारी को व्यवस्थित करते हैं ।

इस तरह सकारात्मक रेटिंग और समीक्षा से विक्रेता के उत्पादों को प्रारंभ में ही बढ़ावा मिल जाता है। हालाँकि वास्तव में यह उपभोक्ताओं को गुमराह करता है। ई-कॉमर्स रेटिंग और समीक्षाओं के साथ सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि एक वास्तविक (Genuine),सत्यापित (verified) उपभोक्ता की समीक्षा या रेटिंग को प्रकाशित करने से मना कर देती है। प्लेटफॉर्म इसके पीछे का कारण, रेटिंग और समीक्षाओं के लिए उनके मानदंडों को पूरा ना करना बताती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ताओं को गैर-वापसी या नकली उत्पाद मिलने पर केवल रेटिंग और समीक्षाएं होती हैं, जो उनके लिए उपलब्ध तंत्र (mechanism) के रूप में होती हैं। और उसी के माध्यम से वे अपना असंतोष व्यक्त करते हैं। समीक्षा और रेटिंग उपभोक्ताओं के लिए ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? ऑनलाइन खरीदारी करते समय एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गए। हाल ही में उपभोक्ता मामलों के विभाग ने भी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से नकली या पेड समीक्षाओं को अपने प्लेटफार्म से कम करने के लिए बातचीत शुरू की।

उपभोक्ताओं के अनुसार तीन प्रकार के परिवर्तन करने की आवश्यकता है।

1 Verified उपभोक्ताओं को किसी उत्पाद की समीक्षा करने की अनुमति देना।

2 नकारात्मक समीक्षा और रेटिंग की अनुमति देना परन्तु भाषा गैर-अपमानजनक हो।

3 विक्रेताओं को नकारात्मक रेटिंग और समीक्षा वाले उत्पादों को एक नई लाइन आइटम के रूप में फिर से सूचीबद्ध करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए ।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर कार्रवाई कर रही है और इन मुद्दों से तुरंत ईकॉमर्स रेटिंग और समीक्षाओं में उपभोक्ता का विश्वास बढ़ सकता है। इससे समीक्षाओं और रेटिंग की गुणवत्ता में वृद्धि हो सकती है।

क्या भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र में ONDC लाएगा क्रांति?

मान लीजिए बेंगलुरु में एक छोटी सी बेकरी है, जो स्वादिष्ट कुकीज बेचती है। मालिक अपने व्यवसाय को ऑनलाइन करना चाहता है, लेकिन उसे लगता है कि यह उसके लिए बेहद मुश्किल होगा। उसे ऑनलाइन स्टोर बनाने, इन्वेंट्री मैनेजमेंट और ऑर्डर की पूर्ति के लिए एक बड़ा निवेश करने की आवश्यकता होगी। इस सब के बाद भी, ग्राहकों को ऑनलाइन लाना एक कठिन प्रक्रिया है। साथ ही उन्हें विज्ञापनों के लिए एक मोटी रकम खर्च करनी होगी और उनका मानना है कि यह समय और प्रयास का कुछ भी वर्थ नहीं है।

ज़रूर, वह अपने प्रोडक्ट्स को अमेज़न (Amazon) और वॉलमार्ट के ओनरशिप वाले फ्लिपकार्ट (Flipkart) जैसे बड़े प्लेटफार्मों पर लिस्ट कर सकता था। हालांकि, ये ग्लोबल कारपोरेशन ई-कॉमर्स बाजार के 60% से अधिक को नियंत्रित करते हैं और टॉप विक्रेताओं को अच्छी ट्रीटमेंट देते हैं।

तो बेकरी मालिक अपने प्रोडक्ट्स को ऑनलाइन कैसे बेच सकता है?

खैर, वह ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (Open Network for Digital Commerce - ONDC) पर गौर कर सकते हैं! और हां, यह एक अलग ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म या ऐप नहीं है। आइए इस लेख में हम समझते हैं कि ONDC क्या है!

क्या है ONDC?

ONDC हमारे सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (Department for Promotion of Industry & Internal Trade) द्वारा स्थापित एक नॉन-प्रॉफिट कंपनी है। यह एक ऐसा नेटवर्क है, जो किसी भी विक्रेता को अपने प्रोडक्ट्स और सेवाओं को इसमें रजिस्टर्ड सभी ऐप के सर्च रिजल्ट में प्रदर्शित करने/दिखाने की अनुमति देगा। ONDC के पास वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान में शामिल मूवमेंट्स की पूरी श्रृंखला के लिए खुले प्रोटोकॉल और नियम होंगे (भारत में पेमेंट के लिए यूज़ किये जाने वाले Unified Payments Interface या UPI के समान)। इस प्रकार, खरीदार और विक्रेता वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार कर सकते हैं, चाहे वे किसी भी एप्लिकेशन का उपयोग करें

उदाहरण के लिए, छोटे और मध्यम आकार के व्यवसाय अब ONDC के टेक्नोलॉजी पार्टनर की मदद से एक साधारण सरल वेबसाइट स्थापित कर सकते हैं और उस पर अपने प्रोडक्ट्स और सेवाओं को लिस्ट कर सकते हैं। और एक बार जब वे ONDC के साथ जुड़ेंगे, तो उनके प्रोडक्ट्स अलग़ -अलग़ ऐप और प्लेटफॉर्म पर कंस्यूमर्स को आसानी से दिखाई देंगे! ONDC छोटे रिटेल विक्रेताओं के लिए टाइम-बेस प्रायसिंग (time-based pricing), इन्वेंट्री और ऑर्डर मैनेजमेंट, डिस्ट्रीब्यूशन और डिजिटल कैटलॉगिंग जैसे कार्यों को स्टैंडर्डाइस करेगा।

ONDC नेटवर्क को होलसेल, मोबिलिटी, फ़ूड डिलीवरी, लोजिस्टिक्स और ट्रेवल सर्विसेस सहित वस्तुओं या सेवाओं के लिए खरीदार और विक्रेता के बीच किसी भी डिजिटल लेनदेन की सुविधा के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें बिजनेस-टू-बिजनेस (B2B) ट्रांजेक्शन भी शामिल होंगे।

हम सभी ने UPI को भारत में पेमेंट सिस्टम में क्रांतिकारी बदलाव करते देखा है। इसी तरह, ONDC का उद्देश्य ई-कॉमर्स का लोकतंत्रीकरण करना और छोटे व्यापारियों या परिवार के ओनरशिप वाले दुकान को अमेज़ॅन (Amazon) और फ्लिपकार्ट (Flipkart) जैसे विशाल ई-टेलर्स द्वारा उपयोग की जाने वाली प्रणालियों और टेक्नोलॉजी तक पहुंच प्रदान करना है। ONDC से ई-कॉमर्स उद्योग में प्रतिस्पर्धा बढ़ने और स्टार्टअप इनोवेशन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

यह कैसे काम करता है?

  • ONDC खरीदारों और विक्रेताओं की मेजबानी करने वाले इंटरफेस के रूप में स्थित है।
  • विक्रेताओं के पास अपने प्रोडक्ट को बिक्री के लिए रखने और ऑर्डर स्वीकार करने के लिए ऐप्स होंगे।
  • कंस्यूमर्स के रूप में, हम प्रोडक्ट्स को ब्राउज़ करने और खरीदने के लिए ONDC नेटवर्क पर रजिस्टर्ड किसी भी ऐप का उपयोग कर सकते हैं।
  • ONDC नेटवर्क में ऐसे ऐप भी होंगे, जो ONDC रजिस्ट्री में लिस्टेड बायर-साइड (buyer-side) ऐप से सेलर-साइड (seller-side) ऐप पर आये सर्च रिक्वेस्ट को दिखाएंगे।
  • नेटवर्क को लॉजिस्टिक्स फर्मों (डिलीवरी की सुविधा के लिए) और ई-कॉमर्स स्टोर होस्टिंग सेवा प्रोवाइडर द्वारा समर्थित किया जाएगा।

उदाहरण के लिए, जब आप Paytm पर लैपटॉप की खोज कर रहे हैं -> ऐप ONDC नेटवर्क से कनेक्ट होगा -> ONDC इसे सेलर-साइड (seller-side) ऐप से कनेक्ट करेगा, जो सभी फर्मों को लिस्टेड करता है जहां से आप अपना पसंदीदा लैपटॉप खरीद सकते हैं।

आप अपनी पसंद का कोई भी ONDC ऐप (UPI के समान) डाउनलोड करने में सक्षम होंगे और इसका उपयोग विक्रेताओं से प्रोडक्ट ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? और सेवाओं को खरीदने के लिए कर सकते हैं, जो उन्हें पेश करते हैं।

प्रमुख चुनौतियां

  • ONDC लागू करने के लिए एक कॉम्प्लेक्स इको-सिस्टम है। ई-कॉमर्स में प्रोडक्ट्स की क्वालिटी, पेमेंट, रिटर्न, ग्राहकों की शिकायतों आदि सहित बहुत सारे मुद्दे शामिल हैं।
  • ब्रांड जो भ्रामक या घटिया प्रोडक्ट्स बनाते हैं और खराब बिक्री के बाद सपोर्ट प्रोवाइड करते हैं, उन्हें नेटवर्क के माध्यम से ग़लत एक्सपोजर मिल सकता है। इसके चलते यूजर को ONDC के साथ इंटेग्रटे होने वाले नए ब्रांड या प्लेटफॉर्म पर भरोसा करना थोड़ा मुश्किल होगा।
  • लाखों मौजूदा किराना स्टोरों को ONDC नेटवर्क में शामिल करने के लिए बड़े पैमाने पर, अच्छी तरह से फंड अडॉप्शन लेने के अभियान की आवश्यकता होगी।

आगे का रास्ता

2020 से, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India) अमेज़न(Amazon) और फ्लिपकार्ट (Flipkart) की कथित प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं की जाँच कर रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, दोनों फर्म विशेष व्यवस्थाओं के आधार पर विशिष्ट विक्रेताओं को बढ़ावा देती हैं और उन्हें भारी छूट प्रदान करती हैं। ई-कॉमर्स दिग्गज भी कथित तौर पर अपने विक्रेता "भागीदारों" के प्रोडक्ट्स को लॉन्च करने में मदद करने के लिए ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? कंस्यूमर के ख़रीदारी पैटर्न से मिले डेटा का उपयोग करते हैं।

कुछ टॉप खिलाड़ियों के बीच शक्ति केंद्रित करने के बजाय, ONDC कंज्यूमर और विक्रेताओं को यह चुनने की अनुमति देगा कि वे सिंगल नेटवर्क तक पहुंचने के लिए किन ऐप्स का उपयोग करना चाहते हैं। ONDC नेटवर्क के साथ, इन बड़े ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को छोटे स्टोर्स, वेबसाइटों और ब्रांड के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी! ONDC को अगले दो वर्षों में भारत में ई-कॉमर्स की पैठ 8% से बढ़ाकर 25% करने की उम्मीद है। यह पांच साल के भीतर 90 करोड़ खरीदारों और 12 लाख विक्रेताओं को नेटवर्क से जोड़ने की भी योजना बना रहा है!

ONDC ने भारत के प्रमुख शहरों में चुनिंदा खरीदारों और विक्रेताओं के साथ टेस्टिंग भी शुरू की है। हमने पिछले कुछ महीनों में कई कंपनियों को ONDC के साथ इंटीग्रेटेड होते देखा है। माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft), पेटीएम (Paytm), स्नैपडील (Snapdeal), डंजो (Dunzo), ई-समुदाय (eSamuday) , फोनपे (PhonePe), SBI, HDFC बैंक, आईटीसी स्टोर (ITC Store) और इंडिया पोस्ट (India Post) ने ONDC में शामिल होने में रुचि दिखाई है। यहां तक ​​​​कि फ्लिपकार्ट (Flipkart), रिलायंस रिटेल(Reliance Retail) और अमेज़ॅन (Amazon) भी नेटवर्क में शामिल होने के लिए बातचीत कर रहे हैं! हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि इसे अब कितनी अच्छी तरह लागू किया जाता है।

ONDC पर आपके क्या विचार हैं? हमें मार्केटफीड ऐप के कमेंट सेक्शन में बताएं।

ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म कैरोसेल ने 110 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला

नई दिल्ली (आईएएनएस)| कंज्यूमर-टू-कंज्यूमर (सी2सी) ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म कैरोसेल ने लागत कम करने के प्रयास में लगभग 110 कर्मचारियों, या अपने कुल कर्मचारियों के 10 प्रतिशत को निकाल दिया है। कैरोसेल के सह-संस्थापक और सीईओ सिउ रुई ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? क्यूक ने कहा कि वह उन 'निर्णयों की जिम्मेदारी लेते हैं जो हमें यहां ले आए हैं।'

सिंगापुर मुख्यालय वाली कंपनी मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, कंबोडिया, ताइवान, हांगकांग, मकाऊ, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा में काम करती है।

उन्होंने एक बयान में कहा, "प्रभावित व्यावसायिक इकाइयों में सभी को ईमेल भेजे जाएंगे, यह स्पष्ट करते हुए कि क्या आपकी भूमिका प्रभावित हुई है।"

सीईओ ने कहा, "साथियों के साथ बिदाई करना, जिनके हम इस मिशन में शामिल होने के लिए आभारी हैं, एक बहुत ही कठिन निर्णय है। हम सुनिश्चित करेंगे कि ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? हम सभी प्रभावित लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करें और जितना संभव हो उतना समर्थन दें।"

कंपनी प्रत्येक प्रभावित कर्मचारी को सेवा के प्रत्येक वर्ष के लिए 1 महीने का वेतन प्रदान करेगी, जो निकटतम छमाही तक होगा।

क्यूक ने कहा, "हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हर प्रभावित साथी के पास कम से कम 3 महीने का मुआवजा होगा, जहां आवश्यक हो, अंतर को टॉप-अप करना होगा।"

सीईओ ने कहा कि जब हम ग्रुप के प्रमुख बाजारों में 2021 के कोविड लॉकडाउन से उभरे, "हम रिकवरी के बारे में आशावादी थे और अपने मुख्य क्लासीफाइड व्यवसाय में विकास को फिर से शुरू करने के लिए उत्सुक थे।"

ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर प्रोडक्ट्स और सर्विस की फेक रिव्यू नहीं कर सकेंगे पोस्ट! सरकार कर रही ये तैयारी

केन्द्र सरकार ने शनिवार को कहा कि ग्राहकों की सुरक्षा लिए वह ऑनलाइन बिक्री प्लेटफॉर्म्स पर प्रोडक्ट्स एवं सर्विसेज की फेक रिव्यू पोस्ट करने पर रोक लगाने के लिए एक प्रारूप विकसित करेगी।

ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर प्रोडक्ट्स और सर्विस की फेक रिव्यू नहीं कर सकेंगे पोस्ट! सरकार कर रही ये तैयारी

केंद्र सरकार ने ग्राहकों की सुरक्षा के हितों को ध्यान में रखते हुए एक खास कदम उठाने जा रही है। सरकार ने शनिवार को कहा कि ग्राहकों की सुरक्षा लिए वह ऑनलाइन बिक्री प्लेटफॉर्म्स पर प्रोडक्ट्स एवं सर्विसेज की फेक रिव्यू पोस्ट करने पर रोक लगाने के लिए एक प्रारूप विकसित करेगी। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने शुक्रवार को भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) के साथ एक वर्चुअल बैठक का आयोजन किया था जिसमें फेक रिव्यू से संभावित ग्राहकों को गुमराह करने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के मुद्दे पर चर्चा की गई। इस बैठक में ई-कॉमर्स कंपनियों एवं अन्य संबंधित पक्षों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।

मंत्रालय एक प्रारूप लेकर आएगा
मंत्रालय की तरफ से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि बैठक में फर्जी समीक्षाओं पर रोक लगाने से जुड़े एहतियाती कदमों के स्वरूप पर भी गौर किया गया। फर्जी समीक्षाओं पर रोक से जुड़ी मौजूदा व्यवस्थाओं का अध्ययन करने के बाद मंत्रालय एक प्रारूप लेकर आएगा। इस बैठक में मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, ई-कॉमर्स कंपनियों, उपभोक्ता संगठन और विधि कंपनियों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। दरअसल, भौतिक रूप में उत्पादों को नहीं देख पाने से संभावित ग्राहक ई-कॉमर्स मंचों पर खरीदारी करने के पहले उस उत्पाद के बारे में पोस्ट की गई समीक्षाओं के जरिये निर्णय करते हैं। इस स्थिति में फर्जी समीक्षाएं इन ग्राहकों को गलत खरीदारी के लिए प्रेरित कर देती हैं।

क्या कहा मंत्रालय के सचिव ने
मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा, ‘‘ई-कॉमर्स मंचों पर उत्पादों एवं सेवाओं के बारे में अपनी समीक्षाएं पोस्ट करने वाले ग्राहकों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करना और इस बारे में मंच की जवाबदेही तय करना इस मुद्दे के दो अहम पहलू हैं। इसके साथ ही ई-कॉमर्स कंपनियों को यह बताना होगा कि वे 'सर्वाधिक प्रासंगिक समीक्षा' का चयन किस तरह निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से करते हैं।’’ बैठक में शामिल हुए सभी पक्षों से इस बारे में सलाह देने को कहा गया है। उसके आधार पर मंत्रालय उपभोक्ता हितों को सुरक्षित रखने के लिए एक कानूनी प्रारूप तैयार करेगा। देश में विज्ञापनों पर नजर रखने वाली संस्था एएससीआई की मुख्य कार्यकारी मनीषा कपूर ने ई-कॉमर्स मंचों पर फर्जी एवं भ्रामक समीक्षाओं से उपभोक्ता हितों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों का जिक्र किया।

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