मैं म्यूचुअल फंड्स में सीधे निवेश कैसे कर सकता हूँ?
अगर आपका KYC पूरा हो चुका है तो आप म्यूचुअल फंड में सीधे ऑफलाइन या ऑनलाइन निवेश कर सकते हैं। अगर आप ऑनलाइन ट्रांज़ैक्शन करने में असहज महसूस करते हैं, तो आप नज़दीकी शाखा में जाकर फंड में निवेश कर सकते हैं।
ऑनलाइन म्यूचुअल फंड की स्कीमों में सीधे निवेश करने का सबसे आसान तरीका है और आपको कमीशन भी नहीं देना पड़ता। आप फंड की वेबसाइट या उसके RTA की साइट या फिर फिनटेक प्लेटफॉर्म से ऑनलाइन निवेश कर सकते हैं। फंड की वेबसाइट पर सीधे निवेश करने पर आपको कई लॉगिन मैनेज करने पड़ते हैं।
डायरेक्ट प्लान में निवेश करने का मतलब है कि आप फिनांशियल प्लान बनाने, अपने गोल के लिए सबसे सही फंड्स को चुनने, अपने पोर्टफोलियो को नियमित तौर पर मैनेज करने और ज़रूरत पड़ने पर उसमें फेरबदल करने की ज़िम्मेदारी लेते हैं। हर किसी को म्यूचुअल फंड में सही फंड चुनना और पोर्टफोलियो को मैनेज करना नहीं आता है। इसलिए डायरेक्ट प्लान उन निवेशकों के लिए है जो इसे आसानी से कर सकते हैं। अन्यथा, म्युचुअल फंड के बारे में कम जानकार लोगों को डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा निवेश करने की सलाह दी जाती है।
डीमैट अकाउंट की शुरुवात
Depository क्या होता है ? Depository का क्या कार्य होते है ?
- Post last modified: July 26, 2020
- Post author: Yogesh Singh
- Post category: Share Market
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हैलो दोस्तों Investmantra में आपका स्वागत है | दोस्तों अगर आप स्टॉक मार्किट से जुड़े हुए है या स्टॉक मार्किट के बारे में पढ़ते है तो आपने depository नाम जरूर सुना होगा तो आज की हमारी यह पोस्ट में आप जानेंगे की स्टॉक मार्किट में depository किसको कहा जाता है Depository meaning in Hindi और उसके क्या कार्य होते है , आइये विस्तार में जानते है –
Depository क्या होता है ? Depository Meaning in Hindi?
जैसे की हम सब जानते है Depository एक ऐसी जगह होती है जहाँ पर हम अपना कुछ सामान जमा करके रख सकते है |
इसी प्रकार स्टॉक मार्किट में Depository एक ऐसी संस्था है जहाँ पर निवेशकों का डीमैट अकाउंट खोला जाता है | जरूर देखिये डीमैट अकाउंट क्या होता है ?
Depository अपने पास shareholders का लेखा जोखा संभाल कर रखती है | जहाँ पर शेयर्स और वित्तीय सिक्योरिटीज डी-मैटेरियलाइज्ड फॉर्म में रखी जाती है ओर जब भी कोई कंपनी dividend देने का ऐलान करती तब dividend सीधा निवेशक के खाते में डीमैट अकाउंट की शुरुवात आ जाता है इसके लिए Depositories निवेशक की bank details कंपनी को मुहैया करवाती है |
Depositories के मुख्य कार्य क्या है ?
- Depository डीमैट अकाउंट खोलने की सुविधा के साथ साथ शेयरों की इलेक्ट्रॉनिक transactions की सुविधा भी मुहैया करवाती है
- कंपनी के डिपॉजिटरी की सदस्य बनते ही डिपॉजिटरी, कंपनी के शेयर और डेब्ट सिक्योरिटीज का लेखा जोखा रखना शुरू कर देती है
- इनके जिम्मेदारी के अंतर्गत ownership रिकॉर्ड maintenance और shares पर ट्रेडिंग सुविधा उपलब्ध करवाना भी है
- देश में अभी केवल दो डिपॉजिटरी है NSDL और CDSL और बहुत से डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट इनसे जुड़े है
भारत में कितनी Depositories है ?
भारत में केवल दो ही Depositories है –
(1) NSDL: National Securities Depositories Ltd
NSDL भारत की एक depository है जिसका पूरा नाम National Securities Depositories Ltd है ,यह भारत की सबसे पुरानी depository है जिसकी शुरुवात 8 november 1996 में हुई थी |
(2) CDSL: Central Depositories Services Ltd
CDSL की सुरुवात फ़रवरी 1999 में हुई थी ,इसका पूरा नाम Central Depositories Services Ltd है। CDSL Bombay Stock Exchange के अंतर्गत आता है और यह भारत का दूसरा Security Depository है।
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NSDL और CDSL में क्या अंतर है ?
NSDL और CDSL दोनों भारत की ही डिपाजिटरी है ,जिनका काम लगभग एक जैसा ही है ,सिर्फ फर्क इतना ही है की यह दो अलग अलग संस्था है ,जब भी हम बाजार में निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट खुलवाते है तब हमारा broker इनमे से किसी एक संस्था में हमारा demat account खोलता है किस संस्था में हमारा डीमैट अकाउंट खोलना यह हमारा ब्रोकर तय करता है।
Conclusion
उम्मीद करते है आपको हमारा आजका यह पोस्ट आपको अच्छा लगा होगा तो दोस्तों आज हमने सीखा की स्टॉक मार्किट में Depository क्या होता है और उसके क्या कार्य होते है ? दोस्तों यदि आपका हमारी पोस्ट से संब्धित कोई भी सवाल या सुझाव हो तो हमे कमेन्ट करके जरूर बताये हम जल्द से जल्द आपके सवालों के जवाब और सुझावों पर अमल करने की कोशिश करेंगे |
नॉलेज: 4 तरह के होते हैं म्यूचुअल फंड, 500 रुपए से कर सकते हैं निवेश की शुरुआत
अच्छे रिटर्न के लिए म्युचुअल फंड में निवेश करना सही विकल्प हो सकता है। लेकिन अभी भी काफी लोगों को यह नहीं पता है कि म्युचुअल फंड स्कीम क्या हैं? और इनमें निवेश कैसे किया जाता है? म्यूचुअल फंड कंपनियां निवेशकों से पैसे जुटाती हैं। इस पैसे को वे शेयरों में निवेश करती हैं। इसके बदले म्युचुअल फंड निवेशकों से चार्ज भी लेती हैं। जो लोग शेयर बाजार में निवेश के बारे में बहुत नहीं जानते, उनके लिए म्यूचुअल फंड निवेश का अच्छा विकल्प है। हम आपको म्यूचुअल फंड के बारे में बता रहे हैं।
इक्विटी म्यूचुअल फंड
ये स्कीम निवेशकों की रकम को सीधे शेयरों में निवेश करती है। छोटी अवधि में ये स्कीम जोखिम भरी हो सकती हैं, लेकिन लंबी अवधि में इसे आपको बेहतरीन रिटर्न देने वाला माना जाता है। इस तरह की स्कीम में निवेश से आपका रिटर्न इस बात पर निर्भर करता है कि शेयर का प्रदर्शन कैसा है। जिन निवेशकों डीमैट अकाउंट की शुरुवात का वित्तीय लक्ष्य 10 साल बाद पूरा होना है, वे इस तरह की म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश कर सकते हैं।
डेट डीमैट अकाउंट की शुरुवात म्यूचुअल फंड
ये म्यूचुअल फंड स्कीम डेट सिक्योरिटीज में निवेश करती हैं. छोटी अवधि के वित्तीय लक्ष्य पूरे करने के लिए निवेशक इनमें निवेश कर सकते हैं। 5 साल से कम अवधि के लिए इनमें निवेश करना ठीक है। ये म्यूचुअल फंड स्कीम शेयरों की तुलना में कम जोखिम वाली होती हैं और बैंक के फिक्स्ड डिपाजिट की तुलना में बेहतर रिटर्न देती हैं।
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड स्कीम
ये म्यूचुअल फंड स्कीम इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करती हैं। इन स्कीम को चुनते वक्त भी निवेशकों को अपने जोखिम उठाने की क्षमता का ध्यान रखना जरूरी है। हाइब्रिड म्यूचुअल फंड स्कीम को छह कैटेगरी में बांटा गया है।
सॉल्यूशन ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड स्कीम
सॉल्यूशन ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड स्कीम किसी खास लक्ष्य या समाधान के हिसाब से बनी होती हैं। इनमें रिटायरमेंट स्कीम या बच्चे की शिक्षा जैसे लक्ष्य हो सकते हैं। इन स्कीम में आपको कम से कम 5 डीमैट अकाउंट की शुरुवात डीमैट अकाउंट की शुरुवात साल के लिए निवेश करना जरूरी होता है। इसमें निवेश करके आप अच्छा रिटर्न पा सकते हैं।
म्युचुअल फंड में तीन तरह से निवेश किया जा सकता है। इसमें पूरी तरह से ऑनलाइन से लेकर फार्म भरकर निवेश किया जा सकता है। म्युचुअल फंड में लगाया गया पैसा शेयर बाजार में लगाया जाता है। इसलिए कई लोगों को लगता है कि इसके लिए डीमैट अकाउंट जरूरी है, हालांकि ऐसा नहीं है। म्युचुअल फंड में निवेश बिना DEMAT अकाउंट के भी निवेश किया जा सकता है।
पहला तरीका
यह तरीका काफी आम है। इसमें किसी एजेंट के माध्यम से निवेश करना होता है। अगर एजेंट को खोजने में डीमैट अकाउंट की शुरुवात दिक्कत हो तो जिस कंपनी में निवेश करना चाहते हैं उस कंपनी की वेबसाइट से टोल फ्री नम्बर लेकर बात कर सकते हैं। कंपनी आपके इलाके में जो एजेंट हैं उससे संपर्क करा देगी। फिर इस एजेंट की मदद से आप निवेश कर सकते हैं।
दूसरा तरीका
ब्रोकर या किसी म्युचुअल फंड बेचने वाली वेबसाइट के माध्यम से भी निवेश किया जा सकता है। कई लोग शेयर बाजार में निवेश करते हैं वह अपने ब्रोकर अकाउंट के माध्यम से भी म्युचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा देश में एक दर्जन से ज्यादा वेबसाइट हैं जो म्युचुअल फंड बेचती हैं। लोग इन वेबसाइट डीमैट अकाउंट की शुरुवात पर अपना रजिस्ट्रेशन कराने के बाद म्युचुअल फंड खरीद सकते हैं। अगर जरूरत हो तो यह वेबसाइट अपने एजेंट भी निवेशक के पास मदद के लिए भेजती है।
तीसरा तरीका
डायरेक्ट प्लान में निवेश। सेबी के आदेश के बाद सभी म्युचुअल फंड कंपनियां अपनी सभी स्कीम्स में डायरेक्ट प्लान का ऑप्शन देती हैं। इनमें निवेश पूरी तरह से ऑनलाइन होता है। आप म्युचुअल फंड कंपनी की वेबसाइट पर जाकर सीधे स्कीम चुनते हैं और कुछ स्टेप में निवेश की प्रक्रिया पूरी करते हैं। यहां पर पेमेंट भी ऑनलाइन करना होता है।
चौथा तरीका
अब पेटीएम मनी ऐप (PayTm Money App) की मदद से आप किसी भी म्युचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। पेटीएम मनी ऐप की मदद से आप निवेश करने के साथ-साथ अपने पोर्टफलियो को भी आसानी से चेक कर सकते हैं। इसके लिए आपको अलग से कोई कमीशन या फीस नहीं देनी होगी।
शेयर बाजार से जुड़े रिस्क
म्युचुअल फंड अपनी इक्विटी स्कीम में जुटाए पैसों का निवेश शेयर बाजार में करते हैं। स्टॉक मार्केट के बारे में कुछ भी भविष्यवाणी करना कठिन होता है। इसी कारण इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश रिस्की माना जाता है। हालांकि जानकारों का कहना है कि थोड़ा-थोड़ा पैसा लम्बे समय तक लगाया जाए तो अच्छा रिटर्न पाया जा सकता है।
सवाल: क्या आप किसी डीमैट अकाउंट की शुरुवात म्यूचुअल फंड में अपना सारा पैसा खो सकते हैं?
जवाब: बाज़ार से जुड़े होने के कारण, म्यूचुअल फंड में जोखिम बना रहता है, इसलिए निवेश की गई मूल राशि का नुकसान हो सकता है। हालांकि, म्यूचुअल फण्ड के प्रदर्शन को देखते हुए कहा जा सकता है कि आपके सभी पैसे खोने की संभावना कम है।
सवाल: किसी म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू करने के लिए आपको कितना धन चाहिए?
जवाब: आपके द्वारा निवेश किए जाने वाले फंड के आधार पर न्यूनतम निवेश राशि भिन्न हो सकती है। हालाँकि, आप न्यूनतम 500 रु. निवेश कर सकते हैं।
सवाल: क्या मैं म्यूचुअल फंड कभी भी बेच सकता हूं?
जवाब: अधिकांश म्यूचुअल फंड ओपन एंडेड होते हैं, मतलब आप उन्हें कभी भी बेच सकते हैं। आमतौर पर क्लोज एंड स्कीम की 3-4 वर्ष की लॉक-इन अवधि होती है। एक दूसरे तरीके की स्कीम है जिसमें, म्यूचुअल फन कुछ समय के लिए लॉक-इन हो जाते हैं, लेकिन इसके बाद ओपन एंडेड हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, टैक्स सेविंग या ELSS की लॉक-इन अवधि 3 साल है। इस अवधि के बाद, आप ये फंड किसी भी समय बेच सकते हैं।
सवाल: क्या म्यूचुअल फंड में निवेश करना टैक्स-फ्री है?
जवाब: नहीं, म्यूचुअल फंड शोर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (डीमैट अकाउंट की शुरुवात STCG) और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) नियम के अधीन हैं। अलग-अलग म्यूचुअल फंड जैसें, इक्विटी और डेट पर कई तरह का टैक्स लगता है। म्यूचुअल फंड लाभांश के मामले में डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) लागू हो जाता है और फंड के अनुसार स्रोत पर टैक्स कटौती की जाती है।
शेयरों में निवेश शुरू करना चाहते हैं? जानिए कैसे खोलें डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट
अब आप फिजिकल डॉक्यूमेंट जमा किए बगैर ऑनलाइन ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं. शेयरों में निवेश के लिए इन्हें खुलवाना जरूरी है.
डिजिटल फॉर्म भरें
पहले ब्रोकर की वेबसाइट पर जाएं. फिर अकाउंट खोलने का फॉर्म भरें. इसमें आपको नाम, पता, पैन और उस बैंक अकाउंट की डीटेल्स भरनी होंगी जिन्हें डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट से जोड़ना है. साथ ही सबसे उपयुक्त ब्रोकरेज प्लान को सेलेक्ट करने की जरूरत होती है.
डॉक्यूमेंट अपलोड करें
आधार, पैन, कैंसिल्ड चेक जैसे डॉक्यूमेंट की स्कैन कॉपी अपलोड करने की जरूरत पड़ती है. निवेशक की तस्वीर के साथ स्कैन किए हुए सिग्नेचर की भी जरूरत हो सकती है.
इन-पर्सन वेरिफिकेशन
इन-पर्सन वेरिफिकेशन ब्रोकर करते हैं. इसे डिजिटल कॉल या व्यक्ति की वीडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से किया जाता है. इसके लिए निवेशकों को स्क्रीन पर दिए जाने वाले निर्देशों का पालन करने के लिए कहा जाता है.
आधार ई-वेरिफिकेशन
व्यक्ति अब दोबारा फॉर्म चेक करके उसे जमा कर सकता है. इस फॉर्म को ओटीपी के जरिये आधार ऑथेंटिकेशन प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हुए इलेक्ट्रॉनिक तरीके से साइन किया जा सकता है. एक बार जमा की गई जानकारी, स्कैंन्ड दस्तावेज और आईपीवी हो जाने पर डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खुल जाता है. आप ट्रेडिंग अकाउंट में फंड ट्रांसफर कर सकते हैं और किसी अन्य डीमैट अकाउंट में रखी गई प्रतिभूतियों को नए अकाउंट में ला सकते हैं.
किन बातों का रखें ध्यान
- ब्रोकरेज फर्मों के अलग-अलग डीमैट अकाउंट की शुरुवात प्लानों का अध्ययन करें और तुलना करें कि कौन सबसे अच्छे रेट और सर्विस ऑफर कर रहा है.
- डिस्काउंट ब्रोकर्स के ब्रोकरेज चार्ज फुल सर्विस ब्रोकरों के मुकाबले कम होते हैं. फुल सर्विस ब्रोकर्स तमाम तरह की ऐड-ऑन सर्विस भी देते हैं. इनमें एडवाइजरी, ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म इत्यादि शामिल हैं.
इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.
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