विदेशी मुद्रा का भाव एक दूसरे की तुलना में लगातार बदलता रहता है क्योंकि बैंक, कारोबार और व्यापारी उन्हें पूरी दुनिया में टाइमजोन के हिसाब से खरीदते और बेचते रहते हैं. यूएस डॉलर इंडेक्स यूरो, विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है? येन और दूसरी प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की कीमत आंकता है. यह सूचकांक इस साल 14 फीसदी से ज्यादा बड़ गया. निवेश के दूसरे माध्यमों की तुलना में यह ज्यादा आकर्षक दिख रहा है क्योंकि बाकियों के लिये तो यह साल अच्छा नहीं रहा. अमेरिकी शेयर बाजार 19 फीसदी नीचे है, बिटकॉइन ने अपनी आधी कीमत खो दी है और सोना 7 फीसदी नीचे गया है.
Dollar Vs Rupee: रुपये में लगातार पांचवें दिन गिरावट, 9 हफ्ते के निचले स्तर पर पहुंचा, कल 24 पैसे टूटा
By: ABP Live | Updated at : 15 Feb 2022 07:41 AM (IST)
Edited By: Meenakshi
डॉलर के मुकाबले रुपया टूटा (फाइल फोटो)
Rupee Vs Dollar: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट लगातार बढ़ती जा रही है. कल यानी सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर 24 पैसे टूटकर नौ हफ्तों के निचले स्तर 75.60 पर बंद हुई. शेयर बाजार में गिरावट के बीच यूक्रेन को लेकर जारी तनाव के विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है? बीच निवेशक सुरक्षित समझी जाने वाली संपत्तियों में निवेश को तरजीह दे रहे हैं, जिसका असर रुपये पर पड़ा.
20 दिसंबर के बाद सबसे निचला स्तर
विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, घरेलू शेयर बाजारों में नरम रुख विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है? और कच्चे तेल के दाम में तेजी का भी घरेलू मुद्रा पर प्रतिकूल असर पड़ा. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 75.53 पर खुला और कारोबार के दौरान ऊंचे में 75.37 और नीचे में 75.64 तक गया. अंत में यह पिछले सप्ताह शुक्रवार के बंद भाव के मुकाबले 24 पैसे टूटकर 75.60 पर बंद हुआ. 20 दिसंबर के बाद रुपये का यह निचला स्तर है.
विदेशी मुद्रा
Rates above are EOD average spot rate of previous day. In case of US Dollar to other currencies, values are quoted on basis of USD as base currency whereas in Indian Rupee to other currencies, values are quoted on basis of INR as quote currency.
आंकड़ों का स्रोत:: Mecklai Financial Services - 5 Minute delayed currency spot data, EOD currency forward and futures data, reports, deposit rates. Oanda – Currency Spot EOD data for Forex convertor, continent based currency data and historical performance. All times stamps are reflecting IST (Indian Standard Time). By using this site, you agree to the Terms of Service and Privacy Policy.
डॉलर इंडेक्स के इतिहास पर नजर
1973 में अमेरिका की सेंट्रल बैंक यूएस फेडरल रिज़र्व ने डॉलर इंडेक्स की शुरुआत की थी और उसका आधार (बेस) 100 रखा था। तब से लेकर आज तक डॉलर इंडेक्स में सिर्फ एक बार परिवर्तन किया गया है जब यूरोप के सभी देशों ने मिलकर एक साझा मुद्रा का चलन शुरू किया था। फ्रांसीसी फ्रैंक, जर्मन मार्क, इटालियन लीरा, डच गिल्डर और बेल्जियम फ्रैंक आदि के स्थान पर यूरोप की साझा मुद्रा यूरो को इंडेक्स में सम्मिलित किया गया था। शुरुआत के समय से ही विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है? लेकर अब तक डॉलर इंडेक्स 90 से 110 अंकों के बीच बना रहा है। इसका उच्चतम स्तर 1984 में 165 अंकों के साथ था। 2007 में मंदी के दौर में इसका न्यूनतम स्तर आया 70 अंकों का था।
पूरी दुनिया की नज़र जिस इंडेक्स पर बनी रहती है। इसका सबसे बड़ा कारण है अंतरराष्ट्रीय कारोबार अमेरिकी डॉलर में किया जाता है। यूएस फेड के जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 1999 से लेकर 2019 के बीच अमेरिकी महाद्वीप में 96% कारोबार डॉलर में हुआ था। यूएस फेड की मानें तो 2021 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों द्वारा घोषित किए गए कुल विदेशी मुद्रा भंडार का 60% भाग अमेरिकी डॉलर का है।
US Dollar Index Explained (USDX / DXY)
Importance of Dollar Index: जब भी अंतरराष्ट्रीय कारोबार की चर्चा होती है तो डॉलर इंडेक्स का आकलन जरूर होता है। फिर चाहे उसमें यूरोपीय यूरो या पाउंड के चढ़ने-उतरने की बात हो, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद बाजार में मंदी की बात हो, चीन और रूस की आर्थिक स्थिति की बात हो या फिर अन्य विदेशी मुद्राओं के फिसलने और उछलने की बात हो जब भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाजार में मुद्रा (करेंसी) के बारे में कोई भी चर्चा हो। आइए जानते हैं कि अमेरिकी मुद्रा या डॉलर इंडेक्स सभी कारोबारियों के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
डॉलर इंडेक्स सिर्फ अमेरिकी मुद्रा ही नहीं बल्कि दुनिया की 6 प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती आर कमजोरी के विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है? आकलन का इंडेक्स है। इन 6 अलग-अलग करेंसियों में उन देशों की मुद्राएँ सम्मिलित हैं जो अमेरिका कारोबार में भागीदार हैं। इन 6 मुद्राओं में, यूरो, ब्रिटिश पाउंड, स्वीडिश क्रोना, स्विस फ्रैंक आदि यूरोपीय मुद्राएँ शामिल हैं, साथ ही जापानी येन और कनाडाई डॉलर भी सम्मिलित हैं।
सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे?
जो निवेशक अपने पैसे से ज्यादा कमाई करना चाहते हैं उनका ध्यान लुभावने अमेरिकी बॉन्ड की तरफ गया है. दुनिया भर विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है? के निवेशक उनकी ओर जा रहे हैं. फेडरल बैंक की तुलना में दूसरे देशों के केंद्रीय बैंक इस विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है? समय निवेश आकर्षित करने में ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्थाओं का हाल अच्छा नहीं है. यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने अपने प्रमुख दर में अब तक की सबसे ज्यादा 0.75 फीसदी की बढ़ोत्तरी की है. दूसरी तरफ फेडरल रिजर्व अपनी दर इस साल इसी मात्रा में दो बार बढ़ा चुका है और अगले हफ्ते इसे एक बार और बढ़ाने की उम्मीद की जा रही है. कुछ लोगों को तो उम्मीद है कि मंगलवार को महंगाई के बारे में जो रिपोर्ट आई है उसे देखने के बाद पूरे एक प्रतिशत की भी बढ़ोत्तरी हो सकती है.
यूरोप और दुनिया के दूसरे हिस्सों में 10 सालों के सरकारी प्रतिभूतियों पर अमेरिका की तुलना में कम राजस्व हासिल हुआ है. मसल जर्मनी में 1.75 फीसदी तो जापान में केवल 0.25 फीसदी.
मजबूत मुद्रा से अमेरिकी सैलानियों को फायदा
टोक्यो में रात के विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है? खाने पर आज अगर कोई अमेरिकी सैलानी 10,000 येन खर्च करता है तो वह उसी खाने के लिये एक साल पहले की तुलना में 23 फीसदी कम डॉलर दे रहा है. मिस्र के पाउंड से लेकर अर्जेंटीना के पेसो और दक्षिण कोरिया के वॉन तक के मुकाबले इस साल डॉलर की कीमत जिस तेजी से बढ़ रही है वह कई और देशों में अमेरिकी सैलानियों का फायदा करायेगी.
तो क्या मजबूत विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है? डॉलर से सिर्फ उन अमीर अमेरिकी लोगों का ही फायदा होगा जो दूसरे देशों की सैर करने जाते हैं? नहीं ऐसा नहीं है मजबूत डॉलर अमेरिका के आम लोगों को भी फायदा पहुंचायेगा क्योंकि इससे आयात की जाने वाली चीजों की कीमतें घटेंगी और महंगाई की दर नीचे जायेगी. उदाहरण के लिये जब यूरो के मुकाबले डॉलर की कीमत बढ़ती है तो यूरोपीय कंपनियों को हर डॉलर की बिक्री से ज्यादा यूरो मिलते विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है? हैं. ऐसे में वो अपने सामान की डॉलर में कीमत घटा कर भी उसी मात्रा में यूरो हासिल कर सकते हैं. वो चाहें तो डॉलर में कीमत वही रख कर ज्यादा यूरो अपनी जेब में डाल सकते हैं या फिर वो इन दोनों के बीच में एक संतुलन बनाने की भी कोशिश कर सकते हैं.
तो क्या मजबूत डॉलर से सिर्फ फायदा ही फायदा है?
बिल्कुल नहीं. अमेरिकी कंपनियां जो दूसरे देशों को बेचती हैं उनका मुनाफा घटता है. मैकडॉनल्ड की कमाई एक साल पहले की गर्मियों की तुलना में इस बार 3 फीसदी घट गई. अगर डॉलर की कीमत दूसरी मुद्राओं की तुलना में वही रहती तो उसकी कमाई 3 फीसदी बढ़ी होती. इसी तरह विदेशी मुद्रा की कीमतों में बदलाव के कारण माइक्रोसॉफ्ट के पिछली तिमाही के राजस्व में में 59.5 करोड़ डॉलर की कमी आई.
कई कंपनियों के राजस्व को लेकर इस तरह की चेतावनियां दी जा रही हैं. डॉलर की कीमत बढ़ने का असर उनके मुनाफे पर और ज्यादा दबाव बनायेगा. एसएंडपी 500 इंडेक्स में शामिल कंपनियां मोटे तौर पर 40 फीसदी से ज्यादा कमाई अमेरिका के बाहर के देशों में करती हैं.
बहुत सी कंपनियां और उभरती अर्थव्यवस्था वाली सरकारें अपनी मुद्रा की बजाय अमेरिकी डॉलर के रूप में कर्ज लेती हैं. जब उनकी अपनी मुद्रा से कम डॉलर मिल रहे हों तो फिर उन पर दबाव बढ़ जाता है.
विदेशी मुद्रा भंडार में फिर से आई गिरावट, जानिए अब खजाने में कितना रह गया है?
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार तीन जून को समाप्त सप्ताह में 30.6 करोड़ डॉलर घटकर 601.057 अरब डॉलर पर आ गया. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के आंकड़ों के अनुसार इससे पिछले सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार 3.854 अरब डॉलर बढ़कर 601.363 अरब डॉलर हो गया था. 20 मई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) 4.23 अरब डॉलर बढ़कर 597.509 अरब डॉलर रहा था. समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों में आई गिरावट है जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण घटक है. आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 20.8 करोड़ डॉलर घटकर 536.779 अरब डॉलर रह गयी. डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि अथवा मूल्यह्रास के प्रभावों को शामिल किया जाता है.
रुपए का सेंटिमेंट कमजोर हुआ है
इधर विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया (Dollar vs Rupees) 19 पैसे की भारी गिरावट के साथ 77.93 रुपए प्रति डॉलर पर बंद हुआ. यह रुपए का अबतक का सबसे निचला स्तर है. कच्चे तेल की कीमतों में तेजी तथा विदेशी संस्थागत निवेशकों (Foreign Institutional Investors) की बाजार से पूंजी की निरंतर निकासी से यह गिरावट आई है. बाजार सूत्रों ने कहा कि शेयर बाजार में भारी बिकवाली तथा विदेशों में डॉलर के मजबूत होने से भी रुपए की धारणा प्रभावित हुई.
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 77.81 पर खुला. दिन के कारोबार में यह 77.79 के उच्च स्तर और नीचे में 77.93 तक गया. कारोबार के अंत में रुपया अपने पिछले बंद भाव 77.74 रुपए के मुकाबले 19 पैसे की गिरावट के साथ 77.93 प्रति डॉलर पर बंद हुआ जो अबतक का सबसे निचला स्तर है.
डॉलर इंडेक्स में मजबूती से रिकॉर्ड लो पर रुपया
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक, दिलीप परमार ने कहा, जोखिम से बचने की भावना, कमजोर वृहद आर्थिक आंकड़े और मजबूत डॉलर सूचकांक के बीच भारतीय रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया….बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 1,016.84 अंक की गिरावट के साथ 54,303.44 अंक पर बंद हुआ.
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर की स्थिति को बताने विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है? वाला डॉलर सूचकांक 1 फीसदी बढ़कर 104.235 के स्तर पर बंद हुआ. ब्रेंट क्रूड 1.06 फीसदी की गिरावट के साथ 122 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ. शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शुक्रवार को पूंजी बाजार से शुद्ध रूप से 3,973.95 करोड़ रुपए के शेयर बेचे.
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