India Forex Reserve: विदेशी मुद्रा भंडार में थमा गिरावट का रूझान, आरबीआई के साप्ताहिक आंकड़ों से खुलासा
India Forex Reserve: पिछले कुछ समय से देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) में गिरावट दिख रही थी लेकिन 28 अक्टूबर को समाप्त होने वाले सप्ताह में यह ट्रेंड बदला है
28 अक्टूबर को समाप्त होने वाले सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 656 करोड़ डॉलर बढ़कर 56.11 करोड़ रुपये पर एक विदेशी मुद्रा संकेत कैसा दिखता है? पहुंच गया।
India Forex Reserve: पिछले कुछ समय से देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) में गिरावट दिख रही थी लेकिन 28 अक्टूबर को समाप्त होने वाले सप्ताह में यह ट्रेंड बदला है। 28 अक्टूबर को समाप्त होने वाले सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 656 करोड़ डॉलर बढ़कर 56.11 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गया। ये आंकड़े भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) हर हफ्ते जारी करता है।
आज शुक्रवार 4 नवंबर को जारी आंकड़ों से विदेशी मुद्रा भंडार में उछाल की जानकारी मिली है। आईएमएफ के पास भी देश का भंडार मजबूत हुआ है और 28 अक्टूबर को समाप्त होने वाले सप्ताह में यह 4.8 करोड़ डॉलर उछलकर 484.7 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया।
इधर खींचो, उधर उघाड़
फिसलते रुपए को संभालने की रिजर्व बैंक की कोशिशों में विदेशी मुद्रा भंडार खाली हुआ जा रहा है
एम.जी. अरुण
- नई दिल्ली,
- 10 अक्टूबर एक विदेशी मुद्रा संकेत कैसा दिखता है? 2022,
- (अपडेटेड 10 अक्टूबर 2022, 6:00 PM IST)
इस साल जुलाई में भारतीय रुपए ने तब पहली बार प्रति डॉलर 80 का मनोवैज्ञानिक स्तर पार किया, जब महंगाई पर लगाम कसने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें कई बार बढ़ाईं, नतीजतन डॉलर मजबूत हुआ. कुछ दिन थमने के बाद रुपए ने 28 सितंबर को एक बार फिर प्रति डॉलर 80 का निशान पार कर लिया और 81.9 के नए निचले स्तर पर पहुंच गया. थोड़ा संभला पर 3 अक्तूबर को फिर 81.7 पर आ लगा.
भारत के लिए ज्यादा फिक्र की बात यह है कि रुपए की गिरावट को थामने की आरबीआइ की कोशिशें आंशिक तौर पर ही कामयाब रही हैं. इतना ही नहीं, रुपए को थामने के चक्कर में वह देश का विदेशी मुद्रा भंडार उलीच रहा है, जो पिछले साल 3 सितंबर को 642 अरब डॉलर (52.4 लाख करोड़ रुपए) से घटते-घटते 23 सितंबर को 537 अरब डॉलर (43.9 लाख करोड़ रुपए) पर आ गया. दरअसल, आरबीआइ की तरफ से सरकारी बैंक डॉलर की भारी खरीद का सहारा ले रहे हैं.
विशेषज्ञों को आने वाले हफ्तों में रुपए के और कमजोर होने का अंदेशा है क्योंकि निवेशक भारतीय वित्तीय बाजारों से लगातार रुखसत हो रहे हैं. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) ने 2022 में अब तक भारतीय शेयर बाजारों से 1.68 लाख करोड़ रुपए निकाले. अकेले सितंबर में ही 7,600 करोड़ रुपए निकाले गए. अगर आरबीआइ रुपए को टेका लगाने के लिए देश के विदेशी मुद्रा भंडार से रकम निकालता रहता है तो इसमें और ज्यादा कमी आ सकती है. फिलहाल देश के पास आठ माह के आयात के मूल्य के बराबर विदेशी मुद्रा भंडार है. चार महीने से कम के बराबर मूल्य को खतरे का निशान माना जाता है.
कुछ विशेषज्ञों की राय में, आरबीआइ को चाहिए कि रुपए को थामने के लिए देश के विदेशी मुद्रा भंडार में सेंध लगाने के बजाय वह इसे कमजोर पड़ने दे. भारतीय स्टेट बैंक के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौक्वय कांति घोष कहते हैं, ''रुपए के गिरने की वजह घरेलू वित्तीय स्थितियां नहीं, बल्कि डॉलर का मजबूत होना है. रुपए को थोड़ा गिरने देना बेहतर होगा. आर्थिक बोलचाल में हम इसे 'तेज हवा में तनकर खड़े रहना' कहते हैं न कि उसके खिलाफ जाना. अगले दो-एक महीनों में जैसे-जैसे दरें बढ़ाने की अमेरिकी केंद्रीय बैंक की रफ्तार धीमी पड़ेगी और भारत के महंगाई के आंकड़े नीचे आएंगे, हालात सुधरेंगे.''
कोलंबिया यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अरविंद पनगढ़िया की भी यही राय है. उनके मुताबिक, रुपए पर दबाव देश में महंगाई की ऊंची दर के कारण नहीं बल्कि वित्तीय पूंजी की अंतरराष्ट्रीय आवाजाही के बीच अमेरिकी ब्याज दरों में बढ़ोतरी है. हाल ही में एक लेख में उन्होंने लिखा, ''इन ऊंची ब्याज दरों की तरफ आकर्षित भारत की वित्तीय पूंजी अमेरिका की ओर जाने की कोशिश कर रही है और रुपए को नीचे एक विदेशी मुद्रा संकेत कैसा दिखता है? धकेलने का दबाव पैदा कर रही है.'' उनका कहना था कि आरबीआइ ने पूंजी के बाहर जाने की बराबरी करने के लिए मौजूदा विनिमय दर पर अपने विदेशी मुद्रा भंडार से रकम निकालने के विकल्प पर ज्यादा भरोसा किया है, जिससे हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई.
ऐसी भी खबरें हैं कि आरबीआइ रुपए की गिरावट रोकने की खातिर तेल आयातकों के लिए विशेष खिड़की खोलने और विदेशी मुद्रा जमाकर्ताओं के लिए लागत की सीमा कम करने सरीखे कई दूसरे उपायों पर विचार कर रहा है. वह डॉलर को सुरक्षित रखने के लिए सोना सरीखी ''गैर-अनिवार्य'' चीजों के आयात पर रोक भी लगा सकता है. रिपोर्ट कहती हैं कि रुपए में इनवाइस बनाने या रुपए के खाते के जरिए दोतरफा व्यापार से डॉलर में खरीद-फरोख्त से बचने में मदद मिल सकती है, जिससे इसकी मांग सीमित होगी. दरअसल भारत और रूस के बीच रुपए-रुबल के विचार पर पहले से ही काम चल रहा है, हालांकि प्रगति धीमी रही है.
क्रिसिल के चीफ इकोनॉमिस्ट डी.के. जोशी ने इंडिया टुडे से कहा, ''आप व्यवस्थित ढंग से रुपए की गिरावट चाहते हैं पर अगर आप ज्यादा दखल देंगेे तो विदेशी मुद्रा भंडार भी फूंकेंगे. भंडार बीमा हैं, इनका इस्तेमाल अस्थिरता कम करने के लिए करना चाहिए. वे रुपए को संभालने का अकेला औजार नहीं हो सकते. केवल भंडारों के बल पर वित्तीय बाजारों से लड़ना मुश्किल है.'' गिरावट के हर दौर के बाद चढ़ने का दौर आएगा. आरबीआइ के गवर्नर शक्तिकांत दास की राय है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अपने जैसी ज्यादातर अर्थव्यस्थाओं के मुकाबले बेहतर स्थिति में है.
दरअसल, अमेरिकी डॉलर की कीमत बढ़ना कई देशों के लिए चिंता की वजह रहा है क्योंकि विदेशी फंड कई बाजारों से तेजी से धन निकाल रहे हैं. डॉलर में बढ़ोतरी के साथ दूसरी वैश्विक मुद्राएं गिर रही हैं. विशेषज्ञ आगाह कर रहे हैं कि रुपया निकट भविष्य में 82 प्रति डॉलर पर आ सकता है. इस गिरावट के मद्देनजर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को सुरक्षित रखने पर एक विदेशी मुद्रा संकेत कैसा दिखता है? खासा दबाव रहेगा और ऐसे में आरबीआइ का काम और मुश्किल हो गया है.
एक साल में पहली बार 400 अरब डॉलर से नीचे आया विदेशी मुद्रा भंडार
यह लगातार दूसरा सप्ताह है जब विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट आयी है.
Published: September 14, 2018 7:29 PM IST
मुंबई। लगातार गिरते रुपये से देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम हो रहा है. सात सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 81.95 करोड़ डॉलर कम होकर 399.282 अरब डॉलर पर आ गया. यह पिछले एक साल में पहला मौका है जब विदेशी मुद्रा भंडार 400 अरब डॉलर से नीचे आया है.
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विदेशी मुद्रा में भारी गिरावट
रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार यह लगातार दूसरा सप्ताह है जब विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट आयी है. इससे संकेत मिलता है रुपये को संभालने के लिए रिजर्व बैंक डॉलर बेच रहा है. इससे पिछले सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार 1.191 अरब डॉलर गिरा था.
आलोच्य सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा परिसम्पत्तियां 88.74 करोड़ डॉलर गिरकर 375.099 अरब डॉलर पर आ गई. कई सालों तक स्थिर रहने के बाद स्वर्ण भंडार 7.19 करोड़ डॉलर बढ़कर 20.234 अरब डॉलर पर पहुंच गया.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से निकासी का विशेष अधिकार 15 लाख डॉलर कम होकर 1.476 अरब डॉलर रह गया. आईएमएफ में देश का भंडार भी 25 लाख डॉलर घटकर 2.474 अरब डॉलर पर आ गया.
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विदेशी मुद्रा भंडार 3.39 अरब डॉलर घटा
देश का विदेशी मुद्रा का सकल भंडार चार जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह में तीन अरब 3रोड़ 30 लाख डॉलर की भारी गिरावट से 308 अरब 3रोड़ 70 लाख डॉलर रह गया। विश्लेषकों का मानना है कि तेल कंपनियों को आयात.
देश का विदेशी मुद्रा का सकल भंडार चार जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह में तीन अरब 3रोड़ 30 लाख डॉलर की भारी गिरावट से 308 अरब 3रोड़ 70 लाख डॉलर एक विदेशी मुद्रा संकेत कैसा दिखता है? रह गया। विश्लेषकों का मानना है कि तेल कंपनियों को आयात भुगतान की मांग पूरा करने के लिए डॉलर मुहैया कराए जाने के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है। इस वर्ष मई के अंतिम सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 316 अरब 17 करोड़ 10 लाख डॉलर के शिखर पर पहुंचा था। इस वर्ष सत्ताईस जून को समाप्त सप्ताह में भंडार में 311 अरब 7रोड़ डॉलर के बराबर विदेशी मुद्रा थी। पिछले वर्ष छह जुलाई को यह 214 अरब 83 करोड़ 50 लाख डॉलर था।
Foreign Exchange Reserve: विदेशी मुद्रा भंडार के मोर्चे पर मिली अच्छी खबर, एक साल में सबसे तेज गति से बढ़ा
नवभारत टाइम्स 19-11-2022
नई दिल्ली
: विदेशी मुद्रा भंडार के मोर्चे पर अच्छी खबर मिली है। बीते 11 नवंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के विदेशी मुद्रा भंडार में एक साल से ज्यादा की सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है। इसके साथ ही अपना विदेशी मुद्रा भंडार 544 अरब डॉलर के पार चला गया।
भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 11 नवंबर 2022 को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 14.73 अरब डॅालर की वृद्धि रही है। इसके साथ ही अब देश का विदेशी मुद्रा भंडार 544.72 अरब डॅालर पर पहुंच गया है। विदेशी मुद्रा भंडार में अगस्त 2021 के बाद यह सबसे ज्यादा वृद्धि रही है। बीते चार नवंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 529.99 अरब डॅालर था। 2022 की शुरुआत में देश का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 630 अरब डॅालर था। तब से रुपये में गिरावट का माहौल है।
इस साल की शुरूआत में अपना विदेशी मुद्रा भंडार संतोषजनक स्तर पर था। लेकिन इसी साल रुपये के मूल्य में गिरावट भी देखने को मिली। इसी गिरावट को रोकने के लिए रिजर्व बैंक को डॉलर खुले बाजार में बेचना पड़ रहा है। इसका असर दिखा और बीते सितंबर के मध्य के बाद रुपया पहली बार डॅालर के मुकाबले 80 के स्तर के करीब पहुंचा।
रिजर्व बैंक के अनुसार, आलोच्य सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा आस्तियों (FCA) में 11.8 अरब डॅालर की वृद्धि हुई है। अब यह 482.53 अरब डॅालर पर पहुंच गई हैं। विदेशी मुद्रा भंडार में एफसीए की सबसे बड़ी हिस्सेदारी होती है।
आरबीआई के मुताबिक बीते 11 नवंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के स्वर्ण भंडार में भी बढ़ोतरी हुई। इस सप्ताह यह 2.64 अरब डॅालर बढ़कर 39.70 अरब डॅालर पर पहुंच गया। दरअसल, विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक में रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, ताकि आवश्यकता पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सकें। विदेशी मुद्रा भंडार को एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखा जाता है। अधिकांशत: डॉलर और बहुत बा यूरो में विदेशी मुद्रा भंडार रखा जाता है।
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