जब कोई गवाह किसी व्यक्ति विशेष को झूठे अपराध में सजा करवाने के लिए गवाही दे तो उसे इस धारा में सजा होती है या हो सकती है तो ऐसे गवाह को एस धारा में सजा दी जाती है। इस धारा में सजा की कोई सीमा नहीं है। अगर आप किसी व्यक्ति के खिलाफ ऐसी झूठी गवाही देते हैं कि उसे फांसी हो जाये तो झूठ पकड़े जाने पर आप को इस धारा के अनुसार फांसी की सजा ही सुनाई जाएगी।

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जानिए अदालत में गवाह के मुकरने पर क्या होता है?

अगर अदालत में गवाह गवाही देने से मुकर जाये या फिर गवाह झूठी गवाही दे तो इसका परिणाम क्या होगा ? क्या अदालत झूठी गवाही देने वाले को सजा दे सकती है? गवाह की परिभाषा क्या है? इन प्रश्नों पर लगभग दो वर्ष पूर्व हिंदी दैनिक देशबन्धु में प्रकाशित एक लेख में विस्तार से प्रकाश डाला गया था। हस्तक्षेप के पाठकों के लिए भी जनहित में उस लेख का प्रकाशन संपादित रूप में साभार –

Why eyewitnesses give false evidence – and how we can stop

गवाह की परिभाषा | eyewitness testimony in court | Meaning & Synonym of गवाह (gavaah, gawAh) in Hindi | Definition of witness in Hindi

जब भी कोई अपराध या कोई कार्य होता है तो उस के दो पक्ष होते है पहला अपराध करने वाला (दोषी पक्ष) और दूसरा अपराध को सहने वाला (शिकायतकर्ता पक्ष)। अगर कोई तीसरा व्यक्ति उस घटना को देख रहा हो, या जनता हो, तो वो गवाह कहलाता है। पुलिस केस में उस गवाह का स्टेटमेंट सीआरपीसी की धारा 161 में रिकॉर्ड करती है। इसमें पुलिस गवाह के बयानों को सुन कर स्वयं लिखती है इस स्टेटमेंट पर गवाही देने वाले गवाह के हस्ताक्षर लेने जरूरी नहीं होते हैं तथा इसकी कॉपी भी उस गवाह को देने का कोई नियम भी नहीं है।

झूठे गवाह के खिलाफ कार्यवाही | Proceedings against a false witness

झूठे गवाह के खिलाफ कार्यवाही के तीन चरण हैं (1) अगर कोर्ट को केस के किसी भी स्टेज पर ये लगे की गवाह शपथ लेकर झूठ बोल रहा है, तो वह उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कार्यवाही कर सकती है। ऐसे में अदालत सीआरपीसी की धारा 340 के अंतर्गत कार्यवाही करती है दूसरा (2) स्वयं शिकायतकर्ता को ये लगे कि उसका गवाह उसी के खिलाफ गवाही दे रहा है या फिर वो दोषी को बचाने के लिए कोई झूठ बोल रहा है तो वो शिकायतकर्ता कोर्ट और पुलिस दोनों की मदद से उस झूठे गवाह के खिलाफ कार्यवाही कर सकता है तीसरा (3) स्वयं दोषी भी गवाह के खिलाफ कार्यवाही कर सकता है अगर दोषी को लगे कि कोई गवाह उसे झूठा फंसाने के लिए या फिर शिकायतकर्ता की मदद करने के लिए उसके खिलाफ झूठी गवाही दे रहा है तो वो उस गवाह के खिलाफ कार्यवाही कर सकता है ऐसा वो सर कोर्ट में ही शिकायत दे कर ऐसा कर सकता कौन कर सकता है माइनिंग कौन कर सकता है माइनिंग है। लेकिन उस गवाह को झूठा साबित करने का बोझ शिकायत करने वाले के ऊपर ही होता है। असल में होता यह है कि अगर कोई गवाह पुलिस या मैजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान से मुकरे, तो उसे मुकरा हुआ गवाह माना जाता है। अगर कोई सरकारी गवाह मुकर जाए, तो सरकारी वकील उसके साथ जिरह करता है और सच्चाई निकालने की कोशिश करता है। लेकिन इस प्रक्रिया में अदालत यह देखती है कि कौन से ऐसे गवाह हैं, जिन्होंने जानबूझकर अदालत से सच्चाई छुपाई या फिर झूठ बोला। ऐसे गवाहों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा-340 के तहत अदालत शिकायत करती है। ऐसे गवाह के खिलाफ अदालत में झूठा बयान देने के मामले में आईपीसी की धारा-193 के कौन कर सकता है माइनिंग तहत मुकदमा चलाया जाता है।

कर्म बंधन क्या हैं?

कर्म क्या है? कर्म बंधन कैसे होता है? कर्म बंधन करता भाव कौन कर सकता है माइनिंग से होता हैं| अधिक कर्म का विज्ञान जानने के लिए देखिये यह विडियो|

  • हमारे ‘कर्मों’ के कारण ही हम लगातार कौन कर सकता है माइनिंग जन्मोंजन्म के चक्कर में आते हैं।
  • हमारे सभी सुख और दुःख के अनुभव हमारे पूर्व जन्मों में चार्ज या इकट्ठे किए गए कर्मों का परिणाम हैं।
  • कभी भी एक नकारात्मक क्रिया अन्य सकारात्मक क्रिया द्वारा मिटाई नहीं जा सकती| हमें इन दोनों के अलग-अलग परिणाम भुगतने पड़ते हैं।
  • आत्मानुभव प्राप्त करने के बाद भी आप अभी की तरह ही अपना सारा व्यवहार करते हुए आनंद से रह सकते हैं| ज्ञान प्राप्त करने के बाद किसी भी प्रकार का कर्म बंधन नहीं होता और आगे चलकर केवलज्ञान की प्राप्ति होती है।
  • सब कर्मों के समाप्त हो जाने पर अंतिम मोक्ष की प्राप्ति होती है।

परम पूज्य दादाश्री ने बेहद सरल भाषा में हमें कर्म के विज्ञान को समझने की सभी चाबियाँ दी हैं।

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  • कर्म का फल कोई सज़ा या इनाम नहीं है, लेकिन सामान्य तौर पर वह हमारे भीतर के ही अभिप्रायों का फल है।
  • जो कर्मबीज पिछले जन्म में बोये थे, उन कर्मों के फल इस जन्म में आते हैं। तो यह फल कौन देता होगा? भगवान? नहीं, जब उपयुक्त परिस्थितियाँ परिपक्व होती हैं तब प्राकृतिक रूप से हमें कर्मफल का अनुभव होता है। इसे दादाश्री ‘सायंटिफिक सरकमस्टेंशियल एविडेंस’ (व्यवस्थित शक्ति) कहते हैं।
  • किसी भी प्रकार की क्रिया या कर्मफल को भोगते समय हमारे भाव और खुद के स्वरूप की अज्ञानता ही हमारे नए कर्म चार्ज होने का मूल कारण है।

हम अपने खुद के ही कर्म की प्रतिकृति हैं।

हर वह चीज़ जिसका हम अनुभव करते हैं, हमारी ही रचना है और इसके लिए कोई भी जिम्मेदार नहीं है। हमारे अनंत जन्मों के लिए हम खुद ही पूर्ण रूप से ज़िम्मेदार हैं।

बहुत से लोगों का मानना है कि जीवन में वे जो कुछ भी अनुभव करते हैं, वह सब उनका ही किया हुआ है। इसलिए वे उसे बदलने की कोशिश करते हैं, लेकिन उसमें असफल होते हैं, क्योंकि उसे बदलना उनके हाथ में नहीं हैं। फल को बदलने के बारे में सोचना सही है, लेकिन क्या इसके लिए वे स्वतंत्र रूप से सक्षम हैं?

हाँ हैं, लेकिन कुछ हद तक। उसका अधिकतर नियंत्रण उनके हाथ में नहीं है। सिर्फ आत्मज्ञान प्राप्ति के बाद ही ऐसा संभव हैं, तब तक यह संभव नहीं है।

  • क्या मैं इस ज्ञान का उपयोग अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कर सकता हूँ?
  • मेरे कर्मों की कोई नकारात्मक असर होने से कौन कर सकता है माइनिंग पहले ही क्या मैं उनसे मुक्त हो सकता हूँ?
  • क्या ऐसा हो सकता है कि मैं सामान्य रूप से अपना जीवन जीते हुए भी कर्म न बांधूं और अपनी आत्मानन्द की अवस्था का अनुभव कर सकूँ?
  • क्या मैं अपने अनंत जन्मों के कर्मबंधनों से मुक्त हो सकता हूँ?

Railway Waiting List: वेटिंग लिस्ट में PQWL, RLWL आदि का क्या होता है मतलब, जानें कितनी होती है इनके कंफर्म होने की संभावना

वेटिंग लिस्ट में PQWL, RLWL आदि का होता है मतलब, जानें कितनी होती है इनके कंफर्म होने की संभावना

वेटिंग लिस्ट में PQWL, RLWL आदि का कौन कर सकता है माइनिंग कौन कर सकता है माइनिंग होता है मतलब, जानें कितनी होती है इनके कंफर्म होने की संभावना

gnttv.com

  • नई दिल्ली,
  • 30 जनवरी 2022,
  • (Updated 30 जनवरी 2022, 4:46 PM IST)

RQWL में कम होती है टिकट कंफर्म होने की संभावना

जब कभी भी हम लंबी दूरी का ट्रेन का सफर करते हैं तो हमें कुछ दिनों पहले से ही रिजर्वेशन कराना पड़ता है. टिकटों की मारामारी के बीच टिकट कंफर्म होना बड़ी मुश्किल हो जाती है. हालांकि यात्रियों को इस परेशानी बचाने के लिए रेलवे आए दिन कोई ना कोई कदम उठाता रहता है. लेकिन इसके बाद बहुत से टिकट वेटिंग में रह जाते हैं. हम वेटिंग टिकट को एक जैसा समझते हैं, लेकिन आपको बता दें कि वेटिंग टिकट कई तरह की होती है. कई तरह के वेटिंग स्टेटस होते हैं. तो चलिए आज आपको वेटिंग स्टेटस और उसके कन्फर्म होने की संभावना के बारे में बताते हैं.

GNWL- GNWL का मतलब जनरल वेटिंग लिस्ट होता है. जब कोई यात्री ट्रेन के रूट के प्रारंभिक स्टेशन से यात्रा करता है और उसकी टिकट कन्फर्म नहीं होती है तो ऐसी कौन कर सकता है माइनिंग स्थिति में टिकट जनरल वेटिंग लिस्ट में चला जाता है. टिकट वेटिंग लिस्ट में ये सबसे सामान्य है. इस स्थिति में टिकट के कंफर्म होने की संभावना सबसे ज्यादा रहती है.

क्या आपको पता है ऑडिट क्या होता है? audit कौन कर सकता है माइनिंग meaning in hindi

ऑडिट क्या होता है इसका हिंदी अर्थ क्या होता है. अगर आप अपना खुद का बिज़नेस चलाते है तो आप के लिए जानना जरुरी है. की ऑडिट क्या होता है. दरअसल ऑडिट का आशय वित्तीय लेखा-जोखे की जांच से है. वित्तीय लेखा-जोखे की जांच आपके वित्तीय लेख को सत्यापित करने के लिए किया जाता है.

अगर हम सरल शब्दों में समझे तो किसी कम्पनी या वित्तीय संसथान के लिए ऑडिट वह प्रक्रिया है जिसमे कम्पनी अपने खातो की जाँच करवा कर मूल्यांकन करती है की उसे विगत वर्ष में लाभ हुआ है या हानि. और साथ ही अगर खातो में किसी भी प्रकार की त्रुटी हुई है उसकी भी जाँच हो जती है.

कोई भी कंपनी या संस्था ऑडिट, या तो खुद के द्वारा नियुक्त किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट के द्वारा करवाती है या फिर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट भी साल में एक बार आप की संस्था का ऑडिट कर सकता है। ऑडिट हर वित्तीय वर्ष यानी हर साल में एक बार तो किया ही जाता है.

ऑडिट का हिंदी मतलब क्या होता है (audit meaning in hindi)

अगर हम ऑडिट के हिंदी अर्थ या मतलब (audit meaning in hindi) का बात करे तो ऑडिट को हिंदी कौन कर सकता है माइनिंग में अंकेक्षण होता है अर्थात अंक का परिक्षण. सरल शब्दों में जो कम्पनी के अकाउंटेंट द्वारा साल भर लेन देन की एंट्री की जाती है जो की सामन्यतः आज कल टैली सॉफ्टवेर पर की जाती है उनकी जाँच. उनकी जाँच करके हम जान सकते है की कम्पनी द्वारा कहा कहा खर्चा किया गया और उसे किन जगहों से इनकम प्राप्त हुई.

साथ ही अगर खातो में किसी भी प्रकार की त्रुटी हो तो उसकी भी जाँच हो जाती है जिससे कंपनी को प्राप्त होंने वाली लाभ या हानि का शुद्ध अकड़ा प्राप्त किया जा सकता है.

क्यों जरुरी है ऑडिट (Why audit is necessary)

ऑडिट करने का उद्देश्य आपके बिज़नेस के खातों का लेखा (Account) सही है, या नहीं इसका पता लगाना है. बिज़नेस के खातों का लेख (Account) का अध्यन करना इसलिए भी जरुरी है क्यों की इससे आपको पता चलेगा की आप की कंपनी या बिज़नेस संस्थान ने साल भर में किस्ता खर्च किया और कितना कमाया जिससे आप अपने लाभ का पता लगा सकते है.

साथ ही आज इसका महत्व GST लागू होने के बाद और भी बाद गया है क्यों की कम्पनी को हर महीने सरकार को अपनी क्रय बिक्री का ब्यौरा देना होता है साथ ही GST भी अब हर महा देना होता है. जिससे कंपनियों को अपने खाते को अपडेट रखना होता है क्यों की कोई भी कंपनी अपने लाभ और हानि के अनुसार ही अपना इनकम टैक्स रिटर्न देती है। अगर आप अपने लेखो (account) के अनुसार इनकम टैक्स जमा नहीं करते तो आप पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की कार्यवाही हो सकती है।

इसको को सही ढंग से क्रियान्वित करवाने के लिए अलग अलग लोगो से कम्पनी, अपनी कंपनी का कौन कर सकता है माइनिंग ऑडिट करवाती है जिससे उसमे कुछ छूटे ना। ऑडिट किसी भी विभाग के किसी प्रमुख कर्मचारियों द्वारा या फिर किसी बाह्य व्यक्ति जैसे किसी अन्य कम्पनी के चार्ट्रेड अकॉउंटेट द्वारा भी किया जा सकते है। ऑडिट अकाउंट वेरिफाई करने और चेक करने के उद्देश्‍य से मुख्‍यत: किया जाता है। ऑडिट धोखाधड़ी और गलत कैल्‍कुलेशन से भी बचाता है।

क्रॉस्ड चेक: मतलब और प्रकार | Crossed Cheque: Meaning and Types | Hindi | Banking

Read this article in Hindi to learn about the meaning and types of crossed cheque.

जब किसी चैक पर बांई ओर के ऊपरी हिस्से में दो आडी रेखाएं खींच दी जाती हैं तो उसे रेखांकित चैक कहते है । रेखांकित चैक की यह विशेषता है कि उसका भुगतान नकद में नहीं दिया जाता है बल्कि चैक में लिखी हुई रकम आदाता (Payee) के या आदाता के आदेश प्राप्त व्यक्ति के खाते में जमा कर दी जाती है ।

आदाता बाद में अपने खाते से रकम निकाल सकता है । अतः रेखांकित कर देने से चैक क्षत सुरक्षित हो जाता है । यदि कोई व्यक्ति धोखे से उस चैक का रुपया प्राप्त कर लेता है तो यह आसानी से मालूम किया जा सका कि रुपया किसे दिया गया था ।

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