रुपये में कमजोरी का दौर खत्म, अगले साल 2023 में डॉलर को देगा पूरी टक्कर
Dollar vs Rupee: इस साल डॉलर के मुकाबले रुपये में बड़ी गिरावट आई है लेकिन उम्मीद की जा रही है कि अगले साल गिरावट की मुद्रा यानी 2023 में इसमें तेजी लौट सकती है. भारतीय रिजर्व बैंक के विदेशी मुद्रा भंडार 563.5 अरब डॉलर पर है.
मौजूदा साल (2022) में रुपये की सबसे खराब हालत देखने को मिली. मंगलवार को रुपया 82.85 प्रति डॉलर पर था. इस साल रुपये में अब तक करीब 11.5% की गिरावट देखने को मिली है. 2013 के बाद से यह अभी तक की एक साल में सबसे बड़ी गिरावट है. हालांकि, इस बीच कुछ एक्सपर्ट्स ने इसकी स्थिति में सुधार होने की संभावना जताई है.
ट्रेजरी मार्केट के एक्सपर्ट्स का कहना है कि रुपये में 83 के स्तर तक गिरावट आ सकती है. लेकिन इसके बाद डॉलर के मुकाबले रुपये में सुधार भी देखने को मिलेगी. इससे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को अपने विदेशी मुद्रा भंडार (Forex reserves) को फिर से भरने का मौका मिल सकता है. उनका मानना है कि बढ़ोतरी का अंतर और भविष्य में बेहतर रिटर्न की संभावनाएं भारत में लोगों को निरंतर निवेश करने के लिए प्रेरित करेंगी. इसलिए रुपये में बहुत ज्यादा गिरावट आने की उम्मीद नहीं है.
भारत का फोरेक्स रिजर्व अक्टूबर गिरावट की मुद्रा में पिछले दो साल के सबसे निचले स्तर पर गिर गया था, लेकिन 16 दिसंबर तक यह बढ़कर 563.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. हालांकि, यह अभी भी पिछले साल सितंबर में छूए गए 642 बिलियन डॉलर के शिखर से काफी कम हैं.
मार्केट में तेजी से गिरती रुपये की वैल्यू और देश में बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए RBI ने फोरेक्स रिजर्व का इस्तेमाल किया, जो इसके घटने का प्रमुख कारण बना. आरबीआई द्वारा कुछ बिक्री के कारण भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है. लेकिन जानकारों का मानना है 2023 में डॉलर की सप्लाई गिरावट की मुद्रा में सुधार होने पर इसकी भरपाई की जा सकती है. खुद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि फॉरेक्स रिजर्व का इस्तेमाल मुश्किल समय में ही किया जाना है और आरबीआई ने जरूरत के हिसाब से इसका इस्तेमाल भी किया है.
अक्टूबर में रुपया डॉलर के मुकाबले 83.29 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया था और अभी भी यह हाल 83 के आसपास ही मंडरा रहा है. दरअसल, वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों पर रूस और यूक्रेन संघर्ष का असर पड़ा है. इसने भारत के आयात बिल को बढ़ा दिया, जिससे रुपया दवाब में आ गया है. इस दौरान महंगाई को कंट्रोल करने के लिए लगातार बढ़ाई जा रही ब्याज दरों ने इसकी स्थिति को और खराब कर दिया. महंगाई पर काबू पाने के लिए इस साल मई से अब तक पांच बैठकों में आरबीआई ने ब्याज दरों में कुल 225 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है.
जानकारों का कहना है कि भारत के फंडामेंटल अभी भी अन्य देशों की तुलना में काफी बेहतर हैं और उन्हें यह भी उम्मीद है कि अगले साल करेंसी पर दबाव कम होगा क्योंकि तेल की कीमतें स्थिर हो जाएंगी और डॉलर इंडेक्स 2023 में कमजोर रहेगा. पांडा को उम्मीद है कि अगले साल रुपया 81-84 के दायरे में कारोबार करेगा.
देश में विदेशी मुद्रा भंडार में इस हफ्ते फिर गिरावट जारी, जानिए क्या है गोल्ड रिजर्व का हाल
आरबीआई की ओर से शुक्रवार को जारी किए गए साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, 13 मई के खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में ये गिरावट मुख्य रूप से फॉरेन करेंसी एसेट यानी एफसीए (Foreign Currency Assets) में आई कमी की वजह से हुई, जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
विदेशी मुद्रा भंडार
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 21 मई 2022,
- (Updated 21 मई 2022, 11:17 AM IST)
1.302 अरब डॉलर घटा FCA
गोल्ड रिजर्व में भी आई गिरावट
देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves/Forex Reserves) में एक बार फिर से गिरावट आई है. बीते हफ्ते यह 2.676 अरब डॉलर घटकर 593.279 अरब डॉलर रह गया. शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई की ओर से जारी किए आंकड़ों में ये जानकारी दी गई है.
वहीं इससे पहले के सप्ताह में ये 1.774 अरब डॉलर घटकर 595.954 अरब डॉलर रह गया था. 29 अप्रैल को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.695 अरब डॉलर घटकर 597.73 अरब डॉलर रह गया था.
आरबीआई के मई बुलेटिन में ‘स्टेट ऑफ इकोनॉमी’ पर प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, 6 मई को देश का विदेशी मुद्रा भंडार 596 अरब डॉलर था, जो कि वर्ष 2022-23 के लगभग 10 महीने के प्रोजेक्टेड इंपोर्ट के गिरावट की मुद्रा बराबर था.
1.302 अरब डॉलर घटा FCA
आरबीआई की ओर से शुक्रवार को जारी किए गए साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, 13 मई के खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में ये गिरावट मुख्य रूप से फॉरेन करेंसी एसेट यानी एफसीए (Foreign Currency Assets) में आई कमी की वजह से हुई, जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. रिजर्व बैंक के मुताबिक रिपोर्टिंग वीक में भारत की एफसीए (FCA) 1.302 अरब डॉलर घटकर 529.554 अरब डॉलर हो गई. गौरतलब है कि डॉलर में बताई जाने वाली एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखी यूरो, पाउंड और येन जैसी दूसरी विदेशी मुद्राओं के मूल्य में वृद्धि या कमी का प्रभाव भी शामिल होता है.
गोल्ड रिजर्व में भी आई गिरावट
रिजर्व बैंक के आंकड़ों की मानें तो रिपोर्टिंग वीक में गोल्ड रिजर्व का मूल्य भी 1.169 अरब डॉलर बढ़कर 40.57 अरब डॉलर रह गया. रिपोर्टिंग वीक में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी एमआईएफ (IMF) में देश का एसडीआर यानी स्पेशल ड्राइंग राइट 16.50 करोड़ डॉलर घटकर 18.204 अरब डॉलर रह गया. वहीं IMF में रखा देश का मुद्रा भंडार 3.9 करोड़ डॉलर 4.951 अरब डॉलर रह गया.
वैश्विक मुद्रा बाजार में उथल-पुथल: ईरान की मुद्रा भारी गिरावट के साथ नए निचले स्तर पर पहुंची, एक डॉलर के मुकाबले 2,62,000 रियाल बिके
ईरान की मुद्रा में शनिवार को भारी गिरावट दर्ज की गई और इसने डॉलर के मुकाबले ऐतिहासिक निचला स्तर छू लिया। जून के बाद से डॉलर के मुकाबले ईरान की मुद्रा में 30 फीसदी गिरावट दर्ज की जा चुकी है। मुद्रा विनिमय करने वाले दुकानों ने शनिवार को प्रत्येक डॉलर के बदले 2,62,000 ईरानी रियाल का एक्सचेंज किया।
गुरुवार को एक डॉलर के बदले 2,56,000 रियाल की ट्रेडिंग हो रही थी। शुक्रवार को साप्ताहांत के कारण ईरान के बाजार बंद थे। जून के आखिरी दिनों में एक डॉलर के मुकाबले 2,00,000 रियाल ट्रेड कर रहे थे।
परमाणु समझौते से अमेरिका के हटने पर रियाल में आई भारी गिरावट
ईरान ने 2015 में जब दुनिया के शक्तिशाली देशों के साथ परमाणु समझौता किया था, तब प्रत्येक डॉलर के मुकाबले 32,000 रियाल ट्रेड कर रहे थे। दो साल से कुछ ज्यादा पहले जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग कर ईरान पर कई व्यापारिक प्रतिबंध लगा दिए उसके बाद ईरान की मुद्रा में कुछ समय तक भारी गिरावट देखी गई। इन पाबंदियों के कारण ईरान के तेल निर्यात में भारी गिरावट आई है।
मुद्रा को संभालने के लिए हर संभव कोशिश कर रही ईरान की सरकार
शुक्रवार को ईरान के केंद्रीय बैंक के प्रमुख अब्दुलनासिर हिम्मती ने कहा कि सरकार मुद्रा बाजार की स्थिति को संभालने की हर संभव कोशिश कर रही है। ईरान के अधिकारी कई महीनों से निर्यातकों को चेतावनी दे रहे हैं कि वे विदेश में रखी गई अपनी आय को ईरान लाएं, वरना उनका निर्यात लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। केंद्रीय बैंक ने चेतावनी दी है कि वह आदेश का पालन नहीं करने वालों के नाम सार्वजनिक करेगा।
आधी कमाई विदेश में ही छोड़ देते हैं ईरान के निर्यातक
जून में केंद्रीय बैंक ने कहा था कि ईरानी कंपनियों हर साल 40 अरब डॉलर मूल्य के गैर-तेल उत्पादों का निर्यात करती हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस निर्यात से होने वाली आय का करीब आधा हिस्सा विदेश में ही रह जाता है।
विदेशी मुद्रा भंडार में आई 2 बिलियन डॉलर की गिरावट, RBI ने रुपये को बचाने के लिए बेचे डॉलर
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 12 अगस्त को समाप्त सप्ताह में घटकर गिरावट की मुद्रा गिरावट की मुद्रा 570.74 बिलियन डॉलर हो गया, जो पिछले सप्ताह के 572.978 बिलियन डॉलर से 2.238 बिलियन डॉलर कम गिरावट की मुद्रा था।
विदेशी मुद्रा भंडार में आई 2 बिलियन डॉलर की गिरावट, RBI ने रुपये को बचाने के लिए बेचे डॉलर
Highlights कुल 2.238 बिलियन डॉलर कम हुआ विदेशी मुद्रा भंडार दुनिया की सभी मुद्राओं पर भारी पड़ा है अमेरिकी डॉलर भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 80 रुपये प्रति डॉलर के स्तर तक पहुंची
नई दिल्ली: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2 बिलियन डॉलर घट गया है। रुपये की गिरती कीमत को बचाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार गिरावट की मुद्रा में डॉलर बेचे हैं। जिसकी वजह से देश का विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ है। आरबीआई रुपये की कीमत अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 80 रुपये प्रति डॉलर के नीचे रखना चाहता है। रुपये की स्थिरता को बनाए रखने के लिए यह एक ऐसा प्रयास है जिसे भारतीय केंद्रीय बैंक ने आवश्यक बताया है।
2.238 बिलियन डॉलर कम हुआ विदेशी मुद्रा भंडार
आरबीआई के साप्ताहिक सांख्यिकीय पूरक डेटा से पता चलता है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार 12 अगस्त को समाप्त सप्ताह में घटकर 570.74 बिलियन डॉलर हो गया, जो पिछले सप्ताह के 572.978 बिलियन डॉलर से 2.238 बिलियन डॉलर कम था। गौरतलब है कि जब से रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया है, तब से लगातार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार गिर रहा है। इस अवधि में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार कुल 25 में से 19 गिरावट की मुद्रा सप्ताह के लिए 61 बिलियन डॉलर के करीब गिरा है।
दुनिया की सभी मुद्राओं पर भारी पड़ा अमेरिकी डॉलर
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे बड़ा है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने नवीनतम दर-निर्धारण बैठक के बाद कहा जब केंद्रीय बैंक ने लगातार तीसरी बार दरों में बढ़ोतरी की। डॉलर-मूल्यवर्ग की परिसंपत्तियों में व्यापक पूंजी पलायन के अनुरूप, रुपया यूक्रेन संकट से पहले लगभग 74 से गिरकर 80 प्रति डॉलर पर आ गया है। दुनिया की आरक्षित मुद्रा, डॉलर, ने लगभग सभी प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले महत्वपूर्ण बढ़त हासिल की है।
भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 80 रुपये प्रति डॉलर के स्तर तक पहुंची
वहीं रुपया ने डॉलर के मुकाबले अपने सर्वकालिक कमजोर 80 के स्तर को कम कर दिया, आरबीआई ने हाजिर और वायदा बाजारों में डॉलर बेचकर भारतीय मुद्रा को उस स्तर से नीचे रखने में मदद की है। लेकिन आरबीआई के हस्तक्षेप के कारण मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव की अवधि के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार की कमी समय के साथ कम हो गई है।
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विदेशी मुद्रा-डॉलर में एक सप्ताह के लंबे उछाल के बाद गिरावट
विश्वभर में बढ़ती मुद्रास्फीति के प्रभाव और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बारे में चिंताओं के कारण पूरे बाजारों में निवेशकों द्वारा डॉलर को मजबूत किया गया है। इस बीच, डॉलर सूचकांक, पिछले 14 हफ्तों में से दो को छोड़कर शुक्रवार को 1.5 प्रतिशत साप्ताहिक गिरावट के लिए निश्चित रूप से था।
डॉलर इंडेक्स आम तौर पर दिन में 102.92 पर स्थिर रहा। यह शुक्रवार को 105.01 के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो जनवरी 2003 के बाद से सबसे अधिक है। "हालांकि दरारें बन रही हैं, हम इस बात से आश्वस्त नहीं हैं कि बुनियादी सिद्धांत इस स्तर पर अमेरिकी डॉलर के लिए और अधिक लंबी गिरावट के पक्ष में तर्क देते हैं," मुद्रा विशेषज्ञ MUFG ने एक नोट में लिखा है।
इस सप्ताह डॉलर के मुकाबले स्विस फ्रैंक के 3% से अधिक बढ़ने की उम्मीद थी, जबकि जापानी येन के लगभग 1% बढ़ने की उम्मीद थी। स्विस फ़्रैंक पिछली बार 0.97350 फ़्रैंक पर कारोबार कर रहा था, जबकि येन 0.2 प्रतिशत नीचे 128.गिरावट की मुद्रा 205 येन पर कारोबार कर रहा था।
डॉलर की गिरावट से यूरो को भी फायदा हुआ है, और इस सप्ताह 1.5 प्रतिशत की बढ़त की ओर था। USD 1.05755 पर, यह उस दिन 0.1 प्रतिशत नीचे था। स्टर्लिंग उस दिन $1.24805 पर स्थिर रहा, जो दिसंबर 2020 के बाद से अपनी सबसे बड़ी साप्ताहिक वृद्धि की राह पर है।
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