कंज्यूमर ड्यूरेबल्स का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 132.3 रहा।
बम्बई शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक,निफ्टी गिरावट के साथ बंद हुआ - Latest Tweet by आकाशवाणी समाचार
बम्बई शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक,निफ्टी गिरावट के साथ बंद हुआ https://t.co/3HtWOf5hgr— आकाशवाणी समाचार (@AIRNewsHindi) December 22, 2022
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Dollar vs Rupee: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 7 पैसे टूटकर 82.86 पर बंद
Dollar vs Rupee Rate Today: आज कारोबार के दौरान रुपया 82.77 के उच्चस्तर और 82.88 के निचले स्तर पर पहुंच गया था.
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर (US Dollar) के मुकाबले भारतीय रुपया (Indian Rupee) सात पैसे की तेजी के साथ 82.86 प्रति डॉलर पर बंद हुआ है. ब्याज दरों में वृद्धि की चिंताओं के बीच कच्चे तेल की कीमतों में मजबूती और घरेलू शेयर बाजार में भारी गिरावट से रुपये के मूल्य में कमजोरी आई है. इसको लेकर बाजार के सूत्रों ने कहा कि वैश्विक बाजारों में डॉलर (Dollar) के कमजोर होने से रुपये (Rupees) की गिरावट पर ब्रेक लगा है.
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अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया (Dollar vs Rupee) 82.81 के सपाट स्तर पर खुला. यह कारोबार के अंत में सात पैसे के नुकसान के साथ 82.86 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. आज कारोबार के दौरान रुपया 82.77 के उच्चस्तर और 82.88 के निचले स्तर पर पहुंच गया था.
बाजार विश्लेषकों ने कहा कि अमेरिकी के मजबूत आर्थिक आंकड़ों की वजह से निवेशकों को यह चिंता सता रही है कि फेडरल रिजर्व मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दर में एक बार फिर बढ़ोतरी करने का फैसला ले सकता है.
दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की कमजोरी या मजबूती की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) 0.14 प्रतिशत घटकर 104.33 हो गया है. इस बीच, वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स दो प्रतिशत बढ़कर 82.61 डॉलर प्रति बैरल हो गया है.
आज बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स (BSE Sensex) 980.93 अंक टूटकर 59,845.29 के लेवल पर बंद हुआ है.एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है संस्थागत निवेशक (FPI) गुरुवार के कारोबारी सत्र में पूंजी बाजार में खरीदार बने विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है रहे. इस दौरान उन्होंने 928.63 करोड़ रुपये मूल्य के भारतीय शेयरों की खरीदारी की है.
उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए घटता विदेशी मुद्रा भंडार एक बड़ा जोखिम, भारत के पास है इससे निपटने का ब्लूप्रिंट
ब्लूमबर्ग द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार थाईलैंड में जीडीपी के मुकाबले विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई है। इसके बाद मलेशिया और भारत का स्थान है। लेकिन भारतीय रुपया अब धीरे-धीरे स्थिरता की तरफ बढ़ रहा है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। उभरती एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के सामने इन दिनों एक बड़ी मुश्किल खड़ी होती जा रही है। इन अर्थव्यवस्थाओं के विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से कमी आ रही है, जो चिंता का विषय विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है।
ज्यादातर एशियाई अर्थव्यवस्थाएं इन दिनों डॉलर की मजबूती का शिकार हैं। बहुत से केंद्रीय बैंक अपनी मुद्राओं में होने वाली गिरावट को रोकने के लिए बाजार में हस्तक्षेप कर विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है रहे हैं। वे करेंसी मार्केट में अपने विदेशी मुद्रा कोष से डॉलर की बिक्री कर रहे हैं। लेकिन इससे हो यह रहा है कि उनका खजाना दिनों-दिन खाली होता जा रहा है। अगर यह स्थिति कुछ दिन और बनी रही तो जल्द ही एशियाई देशों के केंद्रीय बैंकों को करेंसी मार्केट में हस्तक्षेप करना विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है बंद करना होगा।
क्या है वास्तविक स्थिति
एक देश अपनी विदेशी मुद्रा होल्डिंग्स के साथ कितने महीने का आयात अफोर्ड कर सकता है, इस हिसाब से देखें तो चीन को छोड़कर बाकी उभरती हुई एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के लिए विदेशी मुद्रा भंडार लगभग सात महीने के आयात तक गिर गया है। 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से यह सबसे खराब आंकड़ा है। इस साल की शुरुआत में इन देशों का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 10 महीने के आयात के बराबर था। अगस्त 2020 में यह 16 महीने के उच्चतम स्तर पर था।
सिंगापुर में स्टैंडर्ड चार्टर्ड में आसियान और दक्षिण एशिया एफएक्स अनुसंधान के प्रमुख दिव्या देवेश ने कहा कि गिरावट विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है से संकेत मिलता है कि अपनी करेंसी को सपोर्ट करने के लिए केंद्रीय विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है बैंको का हस्तक्षेप घटता जाएगा।
किस देश के पास कितना फॉरेन रिजर्व
ब्लूमबर्ग द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, थाईलैंड ने सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ी गिरावट देखी, इसके बाद मलेशिया और भारत का स्थान रहा। स्टैंडर्ड चार्टर्ड का अनुमान है कि भारत के पास लगभग नौ महीने, इंडोनेशिया विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है के लिए छह, फिलीपींस के पास आठ और दक्षिण कोरिया के पास सात महीने के आयात को कवर करने के लिए विदेशी मुद्रा बची है।
इस स्थिति को देखते हुए मंदी का कोई भी संकेत एशियाई मुद्राओं के लिए नुकसान को विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है बढ़ा सकता है। हाल के दिनों में कई एशियाई मुद्राएं ऐसी रही हैं, जिन्होंने डॉलर के मुकाबले सबसे बड़ी गिरावट देखी है। बहुत संभव है कि कुछ देशों के केंद्रीय बैंक डॉलर की बिक्री करने के बजाय उसकी खरीद में लग विदेशी मुद्रा संकेतक क्या है जाएं। उनका ध्यान आयातित मुद्रास्फीति से निर्यात को बढ़ावा देने की तरफ भी जा सकता है।
भारत कैसे निपटेगा इस स्थिति से
भारत की स्थिति अन्य देशों के मुकाबले काफी बेहतर है। जीडीपी के आंकड़ों को देखें तो भारत की विकास दर इस समय सबसे अधिक है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि रुपए के अवमूल्यन का संकट नहीं आएगा। आरबीआई ने कुछ दिन पहले कहा था कि वह रुपये में किसी भी तेज गिरावट को रोकने की पूरी कोशिश करेगा। आरबीआई की इन कोशिशों का असर दिखने भी लगा है और रुपया अब धीरे-धीरे स्थिर हो रहा है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने मंगलवार को कहा कि भारत, रुपये को सहारा देने की कोशिश नहीं कर रहा है और रुपया मुद्रा बाजार की चुनौतियों से निपटने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है कि रुपये की गति धीरे-धीरे बाजार के रुझान के अनुरूप हो।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया मंगलवार को 36 पैसे की तेजी के साथ 79.17 के एक महीने के उच्च स्तर पर बंद हुआ।
जरुरी जानकारी | राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड शहद के लिए जीआई का दर्जा को हितधारकों का समर्थन करेगा
नयी दिल्ली, 22 दिसंबर राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) मधुमक्खी पालक समुदाय के उत्थान और मूल्यवर्धन को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रकार के शहद के लिए भौगोलिक संकेतक (जीआई) का दर्जा पाने में हितधारकों का समर्थन करेगा। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह बात कही।
जीआई का दर्जा विशिष्ट भौगोलिक पहचान वाले उत्पादों को दिया जाता है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए जीआई महत्वपूर्ण है।
कृषि मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अभिलक्ष लिखी ने शहद के जीआई के आवेदन और उपयोग पर एक बैठक की अगुवाई करते हुए कहा, ‘‘जीआई के दर्जे से मधुमक्खी पालक समुदाय के उत्थान में काफी मदद मिलेगी। यह दर्जा मिलने के बाद मधुमक्खी पालक शहद और मधुमक्खियों से मिलने वाले अन्य उत्पादों के मूल्यवर्धन के लिए आगे बढ़ सकते हैं।
पटरी पर आने का नाम नहीं ले रही 'औद्योगिक उत्पादन' की रफ्तार
राज एक्सप्रेस। भारत में एक तरफ कोरोना के आंकड़ों का स्तर लगातार बढ़ रहा है। वहीं, दूसरी तरफ बीते महीनों से भारत लागू रहे लॉकडाउन का असर भारत के विभिन्न सेक्टरों पर नजर आ रहा है। देश के औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार अभी भी पटरी पर आने का नाम नहीं ले रही है। इस बात का अंदाजा सरकार द्वारा जारी किए गए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) से लगाया जा सकता है। हालांकि, अभी सरकार द्वारा मई में लगातार दूसरे महीने औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) के पूरे आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक :
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