वहीं दूसरी तरफ से आप ने जो शेयर ₹1000 की कीमत पर खरीदा था उसकी कीमत 1100 ₹ हो जाती है और अब आप उसे बेचना चाहते हैं जब उसकी लिक्विडिटी अधिक है तो आप उस शेयर को 1100 रुपए की कीमत पर बेच पाएंगे लेकिन अगर उसमें लिक्विडिटी कम लिक्विडिटी क्या है है तो जब आप उसे बेचने के लिए जाएंगे तो उसकी कीमत कम हो जाएगी और आप को उसे 1100 से लिक्विडिटी क्या है कम कीमत पर बेचना पड़ेगा इससे आपको नुकसान है !
RBI monetary policy: RBI के गवर्नर ने दी शेयर बाजार को चेतावनी, जानिए निवेशकों को किस चीज से दूर रहने की मिली है सलाह
देश की ओवरऑल मॉनीटरी और लिक्विडिटी स्थिति ऊंचे स्तरों पर नजर आ रही है। ऐसे में आरबीआई ने सिस्टम से लिक्विडिटी को कम करने पर फोकस बनाए रखा है
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने 7 दिसंबर को कहा कि बाजार लिक्विडिटी क्या है को सिस्टम में उपलब्ध सरप्लस लिक्विडी पर अपनी निर्भरता घटानी चाहिए। उन्होंने कहा"रिजर्व बैंक लिक्विडिटी में लचीलापन बनाए रखने और लिक्विडिटी ऑपरेशन को द्विपक्षीय बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन बाजार भागीदारों को भी अपने को लिक्वीडिटी सरप्लस के ओवरहैंग से दूर रखना चाहिए।" RBI गवर्नर ने आज ये बातें आरबीआई पॉलिसी का ऐलान करते समय कहीं। बता दें कि आज RBI ने ब्याज दरों (रेपो रेट) में 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। RBI ने रेपो रेट 0.35 फीसदी बढ़ाकर 6.25 कर दिया है। रेपो रेट 5.90 फीसदी से बढ़कर 6.25 फीसदी हुआ है। आरबीआई एमपीसी ने ग्रोथ को सपोर्ट करते हुए बढ़ती महंगाई से निपटने के लिए सिस्टम से अतिरिक्त लिक्विडिटी को निकालने के रुख को बरकरार रखा है।
क्या मुझे ETF में निवेश करना चाहिए?
ETF शेयर बाजार का अनुभव पाने के लिए लिक्विडिटी क्या है सबसे कम लागत का ज़रिया है। वे लिक्विडिटी और रियल टाइम सेटलमेंट देते हैं क्योंकि वे एक्सचेंज पर लिस्टेड( सूचीबद्ध) हैं और उनमें शेयरों की तरह कारोबार होता है। ETFs कम जोखिम वाले विकल्प हैं क्योंकि वे आपके कुछ पसंदीदा शेयरों में निवेश करने के बजाय स्टॉक इंडेक्स का अनुकरण करते हैं और उनमें डाइवर्सिफिकेशन होता है।
ETFs ट्रेड करने के आपके पसंदीदा तरीके में फ्लेक्सिबिलिटी देते हैं जैसे कीमत घटने पर बेचना या मार्जिन पर खरीदना। कमोडिटीज़ और अंतर्राष्ट्रीय सिक्युरिटीज़ में निवेश जैसे कई विकल्प ईटीएफ में भी उपलब्ध हैं। आप अपनी पोज़िशनकी हेजिंग(बचाने ) के लिए ऑपशन्स और फ़्यूचर्स का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जो म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर नहीं मिलता है।
हालाँकि, ETFs हर निवेशक के लिए सही नहीं होते हैं। नए निवेशकों के लिए इंडेक्स फंड्स बेहतर विकल्प हैं जो कम रिस्क वाले ऑप्शन को चुनकर लंबी-अवधि के लिए इक्विटी में निवेश करने का फायदा उठाना चाहते हैं। ETFs उन लोगों के लिए भी सही हैं जिनके पास एकमुश्त(लमसम) नगद पैसा है लेकिन अभी तक यह तय नहीं कर पाए हैं कि नकदी का निवेश कैसे किया जाए। वे कुछ समय के लिए ETF में निवेश कर सकते हैं और तब तक कुछ रिटर्न कमा सकते हैं जब तक कि नकदी सही जगह पर इस्तेमाल ना हो जाए। सही ETF का चुनने के लिए ज़्यादातर रिटेल निवेशकों के मुकाबले, वित्तीय बाज़ार की अच्छी समझ होना ज़्यादा ज़रूरी होता है। इसलिए, आपके ETF निवेश को संभालने के लिए निवेश में थोड़ी व्यावहारिक कुशलता की भी ज़रूरत होती है।
कैश में रिकॉर्ड स्तर पर कमी
उन्होंने कहा कि एक तरफ कर्ज की मांग एक दशक के उच्चस्तर पर है, जबकि कैश में रिकॉर्ड स्तर पर कमी हुई है. रिपोर्ट के अनुसार भले ही बैंकिंग सिस्टम में नेट एलएएफ घाटा देखा जा रहा है. हालांकि मार्केट सूत्रों का कहना है कि मुख्य डिपॉजिट की लागत के ऊपर लोन को लेकर जो रिस्क है, उसका ध्यान नहीं रखा गया है.
उदाहरण के लिये एक वर्ष से कम अवधि का कार्यशील पूंजी कर्ज 6% से कम दर पर दिया जा रहा है और यह एक महीने व तीन महीने के ट्रजरी बिल की दर से जुड़ा है, जबकि 10 और 15 वर्ष के कर्ज की लागत 7% से कम है. यहां पर 10 साल की अवधि वाली सरकारी प्रतिभूतियां करीब 7.46% के आसपास की दर पर कारोबार रही हैं. वहीं 91 दिन की अवधि वाले ट्रेजरी बिल 6.44% की दर पर कारोबार कर रहे हैं, जबकि 364 दिन के ट्रेजरी बिल की लागत 6.97% प्रतिशत है.
डिपॉजिट जुटाने की औसत लागत करीब 6.2%
बैंकों में मुख्य डिपॉजिट जुटाने की औसत लागत करीब 6.2% है, जबकि रिवर्स रेपो दर 5.65% है. ऐसे में हैरानी की बात नहीं है कि बैंक वर्तमान में ज्यादा डिपॉजिट जुटाने के लिये ब्याज दर बढ़ाने की होड़ में हैं. चुनिंदा मैच्योरिटी अवधि की डिपॉजिट्स पर ब्याज दर 7.75% तक कर दी गई है. इसके साथ ही बैंक अब 390 दिनों के लिये जमा प्रमाणपत्र यानी सीडी 7.97% की दर पर जुटा रहे हैं, जबकि कुछ बैंक 92 दिनों के लिये सीडी 7.15% पर जुटा रहे हैं.
एसबीआई की चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्या कांति घोष ने कहा कि बैंक ब्याज दरों को बढ़ाकर लिक्विडटी की कमी लिक्विडिटी क्या है को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. कुल सीडी 21 अक्टूबर के समय 2.41 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की इस अवधि में 57 हजार करोड़ रुपये था. घोष ने रिपोर्ट में कहा गया है कि बॉन्ड प्रतिफल भी अप्रैल 2022 के बाद 2.55 प्रतिशत बढ़ा है और अक्टूबर 2022 में 6.92 प्रतिशत रहा. रिपोर्ट के अनुसार पॉजिटिव बात ये है कि डिपॉजिट जुटाने और कर्ज देने को लेकर जो होड़ है, वह ‘एएए’ दर्जे वाले कर्जदारों तक सीमित है.
Technical Analysis मे Liquidity का महत्व
शेयर मार्केट में टेक्निकल एनालिसिस में लिक्विडिटी का भी बहुत अधिक महत्व है जब हम किसी कंपनी का टेक्निकल एनालिसिस करते हैं तो अगर उसमें लिक्विडिटी जितनी अधिक होती है उतना ही हमारी एनालिसिस से भी होने की संभावना रहती है इसका कारण यह है कि अगर हम कम लिक्विड स्टॉक में एनालिसिस करते हैं तो वह भी आसानी से Manipulat की जा सकती है जबकि जिस में लिक्विडिटी अधिक होती है उन्हें कर पाना मुश्किल होता है !
इसके अलावा हम Technical Analysis में हम लोग जो Trade कर रहे है उसी का अध्ययन करते है, और लोगो का शेयर के प्रति जितना अधिक Trade करेंगे हमारा Analysis उतना ही अधिक होने कि संभावना होगी !
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