कैसे ले सकते हैं आप ये लोन (How to apply for Mudra Loan)
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार पांचवें सप्ताह इजाफा, पर गोल्ड रिजर्व में 29.6 करोड़ डॉलर की गिरावट
LagatarDesk : भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार पांचवें सप्ताह इजाफा हुआ है. 9 दिसंबर को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.91 अरब डॉलर बढ़कर 564.07 अरब डॉलर पहुंच गया. पांच सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 34.08 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है. वहीं साल की शुरूआत में विदेशी मुद्रा भंडार 632.7 अरब डॉलर पर था. इस तरह एक साल में देश का भंडार 68.63 अरब डॉलर घटा है. वहीं फॉरेन करेंसी एसेट्स (एफसीए), इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी आईएमएफ (IMF) में मिला देश का एसडीआर यानी स्पेशल ड्राइंग राइट और आईएमएफ में रखा आरक्षित मुद्रा भंडार में भी इजाफा हुआ है. हालांकि बीते सप्ताह गोल्ड रिजर्व में गिरावट दर्ज की गयी. आरबीआई ने शुक्रवार को आंकड़ा जारी कर इस बात की जानकारी दी. (पढ़ें, आईजीएल ने फिर बढ़ाये सीएनजी के दाम, 10 माह में 23.55 रुपये प्रति किलो महंगी हुई गैस)
रिपोर्टिंग वीक में एफसीए 3.141 अरब डॉलर बढ़कर 500.125 अरब डॉलर पहुंचा
रिपोर्टिंग वीक में फॉरेन करेंसी एसेट्स (एफसीए) 3.141 अरब डॉलर बढ़कर 500.125 अरब डॉलर हो गयी. इससे पहले 2 दिसबंर को एफसीए 9.694 अरब डॉलर के उछाल के साथ 496.984 विदेशी मुद्रा व्यापार योजना अरब डॉलर पर जा पहुंचा था. वहीं 25 नवंबर को खत्म हुए सप्ताह में एफसीए 3 अरब डॉलर बढ़कर 487.29 अरब डॉलर पर पहुंचा गया था. जबकि 18 नवंबर को खत्म हुए सप्ताह में एफसीए 1.76 बिलियन डॉलर उछलकर 484.288 बिलियन डॉलर हो गया था. बता दें कि विदेशी मुद्रा भंडार में फॉरेन करेंसी एसेट्स का अहम हिस्सा होता है. इसके बढ़ने और घटने से देश के भंडार पर सीधा असर पड़ता है. फॉरेन करेंसी एसेट्स में डॉलर के अलावा यूरो, पाउंड और येन जैसी मुद्राओं को भी शामिल किया जाता है.
आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में गोल्ड रिजर्व विदेशी मुद्रा व्यापार योजना में गिरावट दर्ज की गयी है. 9 दिसंबर को खत्म हुए सप्ताह में स्वर्ण भंडार 29.6 करोड़ डॉलर घटकर 40.729 अरब डॉलर रह गया. इससे पहले यह 1.086 अरब डॉलर बढ़कर 41.025 अरब डॉलर पर जा पहुंचा था. हालांकि इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी आईएमएफ (IMF) में मिला देश का एसडीआर यानी स्पेशल ड्राइंग राइट 6.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.106 अरब डॉलर हो गया. जो पिछले सप्ताह 16.4 करोड़ डॉलर घटकर 18.04 अरब डॉलर पर आ गया था. जबकि आईएमएफ में विदेशी मुद्रा व्यापार योजना रखा आरक्षित मुद्रा भंडार 20 लाख डॉलर बढ़कर 5.11 अरब डॉलर हो गया. बीते सप्ताह आरक्षित मुद्रा भंडार 7.5 करोड़ डॉलर घटकर 5.108 अरब डॉलर रह गया था.
भारत के कोष में रिकॉर्ड 14.72 अरब डॉलर का आया था उछाल
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, इससे पहले 2 दिसंबर को समाप्त हुए सप्ताह में यह 11.विदेशी मुद्रा व्यापार योजना 02 अरब डॉलर बढ़कर 561.16 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. इससे पहले 25 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.89 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा व्यापार योजना उछाल के साथ 550.14 अरब डॉलर पर आ गया. 18 नवंबर को खत्म हुए सप्ताह में भारत का कोष 2.54 अरब डॉलर बढ़कर 547.25 अरब डॉलर पहुंच गया. 1 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में भारत का भंडार 14.72 अरब डॉलर के जबरदस्त उछाल के साथ 544.715 अरब डॉलर पर जा पहुंचा था. जो अगस्त 2021 के बाद सबसे अधिक इजाफा था.
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 4 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.99 अरब डॉलर रह गया था. वहीं 28 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह में यह 6.56 अरब डॉलर बढ़कर 561.08 अरब डॉलर पर पंहुच गया था. जबकि इससे पहले देश का कोष लगातार घट रहा था. 21 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 3.85 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर पर आ गया था. 14 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 4.50 अरब डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर पर आ गया था. 7 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 20.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 532.868 अरब डॉलर पर पंहुच गया था. वहीं 30 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में यह 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.66 अरब डॉलर पर पहुंच गया. जबकि 3 सितंबर 2021 को विदेशी मुद्रा भंडार 642.45 बिलियन डॉलर के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था.
भारत की संसद द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम ( FEMA ) कब पारित किया गया था?
प्रमुख बिंदु
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम ( FEMA )
- यह विनियमों का एक समूह है जो भारतीय रिजर्व बैंक को विनियम पारित करने का अधिकार विदेशी मुद्रा व्यापार योजना देता है और भारत सरकार को भारत की विदेश व्यापार नीति के संबंध में विदेशी मुद्रा से संबंधित नियमों को पारित करने में सक्षम बनाता है।
- 1973 के विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (FERA) की जगह विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) भारत सरकार द्वारा 1999 में पेश किया गया था।
- इसे 29 दिसंबर 1999 को पारित किया गया था।
- FEMA 1 जून 2000 को एक अधिनियम बन गया।
- FEMA ने विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (FERA) नामक एक अधिनियम को प्रतिस्थापित किया। FERA (विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम) कानून 1973 में पारित किया गया था।
- मुख्य उद्देश्य जिसके लिए FEMA पेश किया गया था, वह बाहरी व्यापार और भुगतान की सुविधा प्रदान करना था।
- यह केंद्र सरकार को देश के बाहर स्थित किसी व्यक्ति को भुगतान के प्रवाह को विनियमित करने की शक्ति देता है।
- यह अधिनियम विश्व व्यापार संगठन (विश्व व्यापार संगठन) के ढांचे के अनुरूप है।
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के अनुमोदन के बिना विदेशी प्रतिभूतियों या विनिमय से संबंधित कोई भी वित्तीय लेनदेन नहीं किया जा सकता है।
- फेमा को भारतीय विदेशी मुद्रा बाजार के व्यवस्थित विकास और रखरखाव में सहायता के लिए भी तैयार किया गया था ।
- FEMA अधिनियम के तहत, भुगतान संतुलन विभिन्न देशों के नागरिकों के बीच वस्तुओं, सेवाओं और परिसंपत्तियों के लेन-देन का रिकॉर्ड है।
- इसे मुख्य रूप से दो कैटेगरी में बांटा गया है, यानी पूंजी खाता और चालू खाता।
बेहतर होती भारतीय अर्थव्यवस्था
हमें देश की नई लॉजिस्टिक नीति 2022 और गति शक्ति योजना की अभूतपूर्व रणनीतियों से भारत को आर्थिक प्रतिस्पर्धी देश के रूप में तेजी से आगे बढ़ाकर देश की अर्थव्यवस्था को निर्यात प्रधान अर्थव्यवस्था बनाना होगा। हम उम्मीद करें कि इस समय जब आगामी वर्ष 2023 के लिए भारत के हाथों में जी-20 की कमान है, तब जी-20 की अध्यक्षता से भारत के आर्थिक विकास का नया अध्याय लिखा जाएगा। हम उम्मीद करें कि वर्ष 2023 में कई देशों के साथ भारत के एफटीए का विस्तार होगा। देश मैन्युफैक्चरिंग हब व मेक फॉर दि ग्लोबल की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगा। देश में विदेशी निवेश बढ़ेंगे। देश से निर्यात बढेंगे। हम उम्मीद करें कि प्रसिद्ध वैश्विक निवेश बैंक मॉरगन स्टेनली की रिपोर्ट में वर्ष 2027 तक भारतीय अर्थव्यवस्था के दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की जो प्रबल संभावना बताई गई है, उस संभावना को साकार करने में भारत के लिए जी-20 की अध्यक्षता मील का पत्थर सिद्ध होगी…
बेहतर होती भारतीय अर्थव्यवस्था
हमें देश की नई लॉजिस्टिक नीति 2022 और गति शक्ति योजना की अभूतपूर्व रणनीतियों से भारत को आर्थिक प्रतिस्पर्धी देश के रूप में तेजी से आगे बढ़ाकर देश की अर्थव्यवस्था को निर्यात प्रधान अर्थव्यवस्था बनाना होगा। हम उम्मीद करें कि इस समय जब आगामी वर्ष 2023 के लिए भारत के हाथों में जी-20 की कमान है, तब जी-20 की अध्यक्षता से भारत के आर्थिक विकास का नया अध्याय लिखा जाएगा। हम उम्मीद करें कि वर्ष 2023 में कई देशों के साथ भारत के एफटीए का विस्तार होगा। देश मैन्युफैक्चरिंग हब व मेक फॉर दि ग्लोबल की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगा। देश में विदेशी निवेश बढ़ेंगे। देश से निर्यात बढेंगे। हम उम्मीद करें कि प्रसिद्ध वैश्विक निवेश बैंक मॉरगन स्टेनली की रिपोर्ट में वर्ष 2027 तक भारतीय अर्थव्यवस्था के दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की जो प्रबल संभावना बताई गई है, उस संभावना को साकार करने में भारत के लिए जी-20 की अध्यक्षता मील का पत्थर सिद्ध होगी…
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