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रियल्टी स्टॉक्स में दिलचस्पी है तो जान लीजिए Chris Wood को क्या पसंद है, फायदे में रहेंगे

Chris Wood Investment Plan: ग्रीड एंड फीयर के इंडिया लॉन्ग ओनली पोर्टफोलियो में बजाज फाइनेंस में किया गया निवेश 2 फीसदी घटाया गया है। जबकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में किया गया निवेश 2 फीसदी बढ़ाया गया है। इसी पोर्टफोलियो में माइक्रोटेक डेवलपर्स और DLF लिमिटेड में वेटेज बढ़ाया गया है। जबकि गोदरेज प्रॉपर्टीज और सेंचुरी टेक्सटाइल (Century Textiles) का वेटेज घटाया गया है

Real Estate Stocks: शेयर बाजार की मौजूदा तेजी के बीच अगर आप रियल्टी के शेयरों में निवेश करना चाहते हैं तो पहले क्रिस वुड (Christopher Wood) की रणनीति समझ लीजिए। जेफरीज (Jefferies) के ग्लोबल हेड-इक्विटी स्ट्रैटेजी क्रिस्टोफर वुड अभी भी भारत के प्रॉपर्टी मार्केट को लेकर बुलिश बने हुए हैं। लेकिन एशियन मार्केट की रणनीति में बदलाव किया है। इस एशियन मार्केट में जापान नहीं है। जापान को अलग करके एशियल-लॉन्ग ओनली पोर्टफोलिटो (Asia Long Only Portfolio) को देखें तो अब उनको गोदरेज प्रॉपर्टीज (Godrej Properties) पसंद नहीं है। इसकी जगह उन्होंने मैक्रोटेक डिवेलपर्स (Macrotech Developers) को 6% वेटेज के साथ ऐड किया है। वहीं अब बजाज फाइनेंस पर भी उनका भरोसा कम हुआ है। बजाज फाइनेंस ( Bajaj Finance) में 1% निवेश कम कर दिया है।

क्या है Godrej Properties का प्लान?

गोदरेज प्रॉपर्टीज ( Godrej Properties) इस समय लैंड प्रॉपर्टीज खरीदने पर जोर दे रही है। हाल ही में कंपनी ने मुंबई, पालघर, नोएडा और बेंगलुरु में जमीने खरीदी हैं। इस बीच माइक्रोटेक डेवलपर्स (Macrotech Developers) ने इस वित्त वर्ष के दूसरी छमाही में 17 नए प्रोजेक्ट लॉन्च करने की तैयारी में है। इन प्रोजेक्ट्स से 10300 करोड़ रुपये की बिक्री होने का अनुमान किया जा रहा है।

SHARE की विशेषता और फायदे

Zerodha

1. PERMANENT source of capital – shares कंपनी के लिए PERMANENT source of capitalहोता है, कंपनी को शेयर से मिलने वाला कैपिटल वापस नहीं करना होता , जब तक कंपनी चलती है तब तक कंपनी उस शेयर से मिलने वाली पूंजी का इस्तेमाल कर सकती है, इसलिए इसे PERMANENT source of capital कहा जाता है ,अगर कंपनी किसी भी अन्य तरीके से- जैसे -बैंक लोन या प्राइवेट फाइनेंस से पैसे लेती है, तो कंपनी को एक निश्चित समय बाद, फंड को वापस करना पड़ता है.

2. ब्याज का कोई बोझ नहीं – कंपनी को शेयर से मिलने वाले कैपिटल पर किसी तरह का कोई व्याज नहीं देना होता है, और इस तरह कंपनी के ऊपर व्याज का कोई अतिरिक्त बोझ नहीं रहता, जिससे कंपनी बिना व्याज चुकाए ज्यादा से ज्यादा लाभ कमा सकती है, अगर कंपनी किसी भी अन्य तरीके से जैसे बैंक या प्राइवेट फंड से पैसे लेती है तो, उसे उन पैसों पर ब्याज देना होता है, जिससे कंपनी के लाभ कमाने की क्षमता पर असर पड़ता है, जबकि शेयर से मिलने वाले पूंजी कंपनी जब तक चाहे इस्तेमाल कर सकती है,

3. सम्पति बंधक का बोझ नहीं – कंपनी अगर प्राइवेट फाइनेंस या बैंक से लोन लेती है, तो उसे अपनी कुछ प्रॉपर्टी को मोरगेज के रूप में बैंक के पास गिरवी रखना पड़ता है, और इस तरह कंपनी के प्रॉपर्टी पर बैंक या प्राइवेट फाइनेंस का का एक दबाव रहता रहता है, जबकि शेयर से जो पूंजी मिलती हैं, तो कंपनी को किसी तरह का कोई मोरगेज नहीं रखना पड़ता है,

आशा है, आप समझ पाए होंगे, BENEFITS OF SHARE और शेयर की विसेश्ताओ के बारे में .

शेयर मार्केट के फायदे: जाने शेयर बाजार में निवेश करने के फायदे

शेयर मार्केट के फायदे

शेयर मार्केट में उचित कंपनियों में निवेश एवं उचित वित्तीय साधनों के विविधीकरण द्वारा निवेशक उचित लाभ अर्जित कर सकते हैं। शेयर मार्केट में अनुशासन, संयम एवं योजना के साथ किया गया निवेश, निवेशकों के लिए अत्यंत फायदेमंद सिद्ध होता है।

मैं व्यक्तिगत रूप से आपको डिजिटल गोल्ड में निवेश करने के लिए निम्नलिखित प्लेटफार्मों में खाता खोलने की सलाह देता हूं:

ऐसा नहीं है कि बाजार में निवेश करने से फायदा ही हो आप शेयर मार्केट के नुकसान के बारे में जरूर पढ़ें।

शेयर बाजार: बायबैक और डिविडेंड से शेयर निवेशकों को मिलता है ज्यादा फायदा, कंपनियां समय-समय पर देती हैं इसका लाभ

कुछ कंपनियां अपने शेयरधारकों को समय-समय पर अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा देती रहती हैं। मुनाफे का यह हिस्सा डिविडेंड के रूप में देती हैं - Dainik Bhaskar

अगर आप किसी शेयर में निवेश करते हैं और इसके Stock Market में निवेश करने के फायदे बाद अगर उसमें ग्रोथ होती है तो उसका फायदा आपको मिलता है। लेकिन क्या ऐसा हो सकता है कि एक ही जगह निवेश करें और उस पर 3 तरह से आपको मुनाफा हो। शेयर मार्केट में सिर्फ शेयर की कीमत बढ़ने से ही निवेशकों को फायदा नहीं होता। इसके अलावा बायबैक और डिविडेंड से भी आपको समय-समय पर फायदा होता रहता है। आज हम आपको बायबैक और डिविडेंड के बारे में बता रहे हैं।

बायबैक क्या होता है
बायबैक का मतलब जब कोई कंपनी अपने शेयरों को बाजार से वापस खरीदती है।

बायबैक कब और क्यों किया जाता है
बायबैक अमूमन तब किया जाता है जब किसी कंपनी के पास कैश पैसा हो। यानी वह इस पैसे से बाजार में अपने शेयरों को वापस खरीदती है। इसका कोई समय या नियम नहीं है कि कब करना चाहिए या क्यों करना चाहिए। कंपनी के ऊपर है कि उसे जब लगे कि उसके पास कैश है, वह कर सकती है। बायबैक इसलिए किया जाता है क्योंकि इससे कंपनी में प्रमोटर की होल्डिंग बढ़ जाती है।

क्या बायबैक नहीं करने से कोई जोखिम भी होता है
हां, यह तब होता है जब मान लीजिए कंपनी में प्रमोटर की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे हो। ऐसी स्थिति में अगर खुले बाजार से किसी ने ज्यादा Stock Market में निवेश करने के फायदे शेयर खरीद लिया यानी प्रमोटर से ज्यादा हिस्सेदारी उसकी हो गई तो कंपनी पर नियंत्रण में प्रमोटर्स को दिक्कत हो सकती है।

बायबैक से कंपनी और निवेशक को क्या फायदा या नुकसान होता है
कंपनी को तो कोई नुकसान नहीं होता है। बल्कि कंपनी के लिए यह उसके नियंत्रण के रूप में और मजबूत होता है। निवेशकों के लिए भी यह ज्यादातर मामलों में फायदा वाला होता है। लेकिन कभी-कभी कंपनियां जान बूझकर इस तरह के Stock Market में निवेश करने के फायदे भाव पर बायबैक करती हैं जिसमें निवेशकों को घाटा भी होता है।

क्या है डिविडेंड?
कुछ कंपनियां अपने शेयरधारकों को समय-समय पर अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा देती रहती हैं। मुनाफे का यह हिस्सा वे शेयरधारकों को डिविडेंड के Stock Market में निवेश करने के फायदे रूप में देती हैं। इन कंपनियों के शेयर खरीदते हैं तो इसमें 2 तरह से फायदा होता है।

डिविडेंड 2 तरह से देता है फायदा
एक तो फायदा यह होगा कि कंपनी होने वाले मुनाफे का कुछ हिस्सा आपको देगी। वहीं दूसरी ओर शेयर में तेजी आने से भी आपको मुनाफा होगा। मान लीजिए आपने किसी कंपनी के शेयर में 1 हजार रुपए निवेश किए हैं और एक साल में शेयर की कीमत 25 फीसदी चढ़ती है तो आपका निवेश एक साल में बढ़कर 1250 रुपए हो जाएगा। इसके अलावा कम्पनी भी अपने लाभ में से कुछ हिस्सा शेयरधारकों को देती हैं। ऐसे में आपको डबल फायदा हो सकता है।

डिविडेंड कब मिलता है

डिविडेंड​​​​​​​ तब दिया जाता है जब कंपनियों को फायदा होता है और वो अपने निवेशकों अपना मुनाफा बांटना चाहती है। इसका कोई समय या नियम नहीं है कि कब और कितना दिया जाएगा। ये कंपनी के ऊपर है कि वो अपने शेयरधारकों को कब और कितना फायदा देती है।

डिविडेंड का कैलकुलेशन
इस बात को खास ध्यान रखे कि डिविडेंड हमेशा शेयर के फेस वैल्यू पर दिया जाता है, और इसका कैलकुलेशन भी फेस वैल्यू पर ही किया जाता है। मान लीजिए किसी स्टॉक का करंट मार्केट प्राइज 100 है लेकिन उस स्टॉक का फेस वैल्यू अगर 10 रुपए है, और कम्पनी 100 फीसदी डिविडेंड देने का फैसला करती है, तो इसका मतलब है शेयर का फेस वैल्यू है 10 रुपए, तो 100 फीसदी डिविडेंड का मतलब है प्रति शेयर 10 रुपए का डिविडेंड मिलेगा।

मुनाफे वाली कंपनियां देती हैं डिविडेंड
आमतौर पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां (पीएसयू) डिविडेंड के लिहाज से अच्छी मानी जाती हैं। अगर कोई कंपनी डिविडेंड दे रही है तो इसका मतलब साफ है कि उस कंपनी को मुनाफा आ रहा है और उसके पास कैश की कमी नहीं है। डिविडेंड देने के ऐलान से शेयर को लेकर भी सेंटीमेंट अच्छा होता है और उसमें तेजी आती है।

Multibagger Stock: 20 रुपये वाला शेयर 3300 तक पहुंचा, बुलेट की रफ्तार से ज्यादा कंपनी के Stock भागे!

आज तक लोगो

आज तक 3 दिन पहले aajtak.in

© आज तक द्वारा प्रदत्त Multibagger Stock: 20 रुपये वाला शेयर 3300 तक पहुंचा, बुलेट की रफ्तार से ज्यादा कंपनी के Stock भागे!

शेयर बाजार (Share Market) बड़ा उतार-चढ़ाव भरा कारोबार है. इसमें निवेश करने वाले कब फर्श से अर्श पर पहुंच जाएं कहा नहीं जा सकता. कोई एक शेयर भी लोगों की किस्मत बदल सकता है. कुछ ऐसा ही कमाल किया है आयशर मोटर्स (Eicher Motors) के स्टॉक ने, जिसने लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट (Long Term Investment) करने वाले निवेशकों को करोड़पति बना दिया. जी हां, 14 साल पहले जिन निवेशकों ने कंपनी के शेयरों में करीब 60,000 रुपये का निवेश किया था, वो आज करोड़पति बन गए होंगे. इस अवधि में कंपनी के शेयर ने बंपर 16,145 फीसदी का रिटर्न दिया है.

2008 में इतनी थी शेयर की कीमत

Eicher Motors Limited Stock Market में निवेश करने के फायदे एक ऑटोमोटिव कंपनी है, जो मोटरसाइकिल और वाणिज्यिक वाहन निर्माण से जुड़ी हुई है. आयशर मिडलवेट मोटरसाइकिल बनाने वाली कंपनी रॉयल एनफील्ड (Royal Enfield) की मूल कंपनी भी है. इस कंपनी के शेयरों पर लॉन्ग टर्म निवेश के लिए भरोसा जताने वाले इन्वेस्टर्स के लिए ये किस्मत खोलने वाला साबित हुआ है. लंबी अवधि में कंपनी के शेयरों में आए उछाल पर गौर करें तो आयशर मोटर्स के शेयर 5 दिसंबर 2008 को सिर्फ 20.51 रुपये के भाव पर बिके थे. लेकिन, करीब 14 साल बाद अब इनकी कीमत बढ़कर 3331.80 रुपये पर पहुंच गई है.

1 नवंबर को छुआ था ऑल टाइम हाई

बीते नवंबर महीने की शुरुआत में आयशर मोटर्स के शेयर (Eicher Motors Share) अपने रिकॉर्ड हाई पर पहुंचे थे. हालांकि, इसके बाद इसमें गिरावट शुरू हुई और ये महीनेभर में ही लगभग 14 फीसदी तक टूट गए. बीते एक नवंबर 2022 को कंपनी के शेयर का भाव 3,886 रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया था. पिछले सप्ताह के आखिरी कारोबारी Stock Market में निवेश करने के फायदे दिन शुक्रवार को Eicher Motors के शेयर 3,331 रुपये के स्तर पर बंद हुए थे. हालांकि, हालिया गिरावट के बावजूद एक्पर्ट्स का इस शेयर पर भरोसा बरकरार है.

पांच साल में ऐसी बढ़ी कीमत

इस साल 2022 में आयशर मोटर्स के शेयरों की कीमत (Eicher Motors Stock Price) में आए उतार-चढ़ाव और रिटर्न पर नजर डालें तो बीते 7 जनवरी को इसका भाव 2,840.80 रुपये था, जो 24 जून को 2,878 Stock Market में निवेश करने के फायदे रुपये के स्तर पर पहुंच गया. वहीं 22 जुलाई को इसकी कीमत 3,148 रुपये, 19 अगस्त को 3,424.10 रुपये, 30 सितंबर को 3,672 रुपये और 28 अक्टूबर को 3,746 रुपये पर पहुंच गया था. जबकि 1 नवंबर को इस कंपनी के शेयर का भाव अपने ऑल टाइम हाई 3.886 रुपये पर पहुंच गया.

ब्रोकरेज ने कायम रखी Buy रेटिंग

बाजार विशेषज्ञों ने ऑटोमोटिव कंपनी के इस शेयर पर अपना भरोसा कायम रखा है. उन्होंने इस शेयर के लिए नया टारगेट प्राइस 4,109 रुपये सेट किया है. बीते एक महीने में आयशर मोटर्स के शेयरों में गिरावट के बावजूद भी घरेलू ब्रोकरेज फर्मों ने इस शेयर की Buy रेटिंग को बरकरार रखा है. एक्सपर्ट के अनुमानों को देखें तो ये शेयर अभी भी फायदे का सौदा साबित हो सकता है.

(नोट: शेयर बाजार में निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें)

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