चश्मे के उपर कलर फिल्टर पहनना या कलर्ड कांटेक्ट लेंसों का इस्तेमाल। लेकिन इनके इस्तेमाल से भी सभी रंगों को पहचानने की क्षमता नहीं सुधरती है।

वर्णांधता: रंग-बोध की अक्षमता (कलर ब्लाइंडनेस – Color Blindness in Hindi)

जबकि कोन्स कोशिकाएं, रंगों की पहचान करती हैं। जो कोन्स कोशिकाएं रंगों की पहचान करती हैं, वो तीन तरह की होती हैं; लाल, हरी और नीली। मस्तिष्क इन कोन्स कोशिकाओं से इनपुट्स लेकर हमारी रंगों की अवधारणा को निर्धारित करता है।

वर्णांधता, तब होती है, जब ये कोण कोशिकाएं उपस्थित नहीं होती हैं, या ठीक प्रकार से काम नहीं कर रही होती हैं या रंगों की पहचान सामान्य रूप से नहीं कर पाती हैं।

गंभीर वर्णांधता तब होती है, जब सभी तीनों कोन कोशिकाएं मौजूद नहीं होती हैं। मामूली वर्णांधता तब होती है जब तीनों कोन कोशिकाएं तो मौजूद होती हैं, लेकिन एक कोन कोशिका ठीक प्रकार से काम नहीं कर रही होती है। यह सामान्य रूप से रंग की पहचान नहीं कर पाती है।

कुछ बच्चे वर्णांधता के साथ जन्म लेते हैं। क्योंकि यह समस्या आमतौर पर माता-पिता से विरासत में मिले जींस के कारण होती है। ये कोई सही दलाल है कोई सही दलाल है जींस, कोन्स के लिए लाल, हरे और नीले रंग कैसे बनाए जाते हैं, उनके बारे में शरीर को सही निर्देश नहीं देते हैं, बिना पिग्मेंट्स के कोन्स रंगों को पहचान नहीं पाते हैं।

क्या हैं कारण

वर्णांधता दो तरह से होती है; एक तो विरासत में मिलती है और दूसरा जीवन के किसी भी स्तर पर विकसित हो सकती कोई सही दलाल है है।

अनुवांशिक कारण

वर्णांधता के अधिकतर मामले विरासत में मिलते हैं। जिनके परिवार के करीबी लोगों में यह समस्या होती है, उनमें इसके होने का खतरा अधिक होता है।

पुरूषों को महिलाओं की तुलना में वर्णांधता विरासत में मिलने की आशंका दस गुनी होती है।

कोई व्यक्ति जिसे वर्णांधता नहीं है, लेकिन वो अपने बच्चों में इसे पास करता है तो उसे ‘कैरियर’ कहते हैं।

बीमारियां

कुछ बीमारियां जैसे सीकल सेल एनीमिया, डायबिटीज, मैक्युलर डिजनरेशन, अल्जाइमर्स डिसीज, ग्लुकोमा, पर्किंसन्स डिसीज़, ल्युकेमिया, मोतियाबिंद, अनियंत्रित डायबिटीज़, मल्टीपल स्क्लेरोसिस आदि के कारण रेटिना या ऑप्टिक नर्व क्षतिग्रस्त हो सकती हैं, जिससे रंगों को पहचानने की क्षमता प्रभावित होती है।

लक्षण

वर्णांधता केवल रंगों को पहचानने से संबंधित है, इससे दृष्टिहानता या दृष्टि प्रभावित नहीं होती कोई सही दलाल है कोई सही दलाल है है। यह समस्या मामूली से लेकर गंभीर हो सकती है।

वैसे, अधिकतर लोगों को पता ही नहीं चलता है कि उन्हें वर्णांधता है, जब तक दूसरे नोटिस न करें।

1. लाल रंग को पहचानने में समस्या होना

लाल रंग को पहचानने में समस्या होने को प्रोटानोपिया कहते हैं, ऐसे लोगों को लाल रंगों के सभी शेड्स बहुत डल नज़र आते हैं।

2. हरे रंग को पहचानने में समस्या होना

हरे रंग की गंभीर वर्णांधता को ड्युटेरानोपिया कहते हैं, उन्हें नारंगी, हरे, भूरे रंगों में अंतर करने में परेशानी होती है।

3. नीले रंग को पहचानने में समस्या होना

कुछ लोगों को नीले रंगों में भेद करने में परेशानी होती है। इस स्थिति को ट्रिटानोपिया कहते हैं।

4. लाल, हरे और नीले रंग को पहचानने में समस्या होना

जब लाल, हरे और नीले तीनों रंगों को पहचानने में परेशानी होती है तो उसे ट्रायक्रोमेसी कहते हैं।

टूथपेस्ट में बने इन लाल, नीले, हरे मार्क क्यों होते हैं? इस वजह से लगाए जाते हैं ये निशान

टूथपेस्ट में बने इन लाल, नीले, हरे मार्क क्यों होते हैं? इस वजह से लगाए जाते हैं ये निशान

हर रोज टूथपेस्ट से दांत साफ करना आपकी जिंदगी का अहम हिस्सा है. वैसे तो बहुत से लोग सिर्फ कंपनी के नाम से टूथपेस्ट खरीदते हैं और बहुत कम लोग इस पर लिखी कोई सही दलाल है जानकारी भी पढ़ते हैं. लेकिन, कभी आपने टूथपेस्ट की ट्यूब के नीचे बने इन लाल, हरे और नीलें रंग के मार्क पर ध्यान दिया है? आपने देखा होगा कि कुछ टूथपेस्ट पर तो यह लाल तो कुछ पर यह नीले रंग का होता है. मगर कभी सोचा है कि आखिर ये होता क्यों है और इस मार्क कोई सही दलाल है के पीछे की वजह क्या है?

कई लोगों को मानना होता है कि ये रंग टूथपेस्ट की क्वालिटी के बारे में बताते हैं, जबकि कुछ लोग इसे इग्नोर कर देते हैं. ऐसे में जानते हैं कि ये मार्क क्यों बने होते हैं और क्या सही में ये मार्क टूथपेस्ट की क्वालिटी के आधार पर बनाए जाते हैं. जानते हैं इन मार्क से जुड़ी हर एक बात….

क्या कहा जाता है?

इंटरनेट कोई सही दलाल है पर कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इस मार्क के जरिए टूथपेस्ट की क्वालिटी का पता किया जा सकता है. यह एक तरह से टूथपेस्ट की ग्रेड होती है, लाल अच्छा तो हरा कम अच्छा या फिर लाल बेकार तो हरा अच्छा. इन रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस मार्क के रंग से टूथपेस्ट में मिलाए गए तत्वों के बारे में पता चलता है.

अगर रंग के आधार पर कोई सही दलाल है देखें तो जिन टूथपेस्ट में ब्लैक मार्क होता है, वो पूरी तरह कैमिकल से कोई सही दलाल है बने होते हैं. साथ ही कहा जाता है कि लाल मार्क का मतलब है नैचुरल और कैमिकल से बना टूथपेस्ट, ब्लू कलर के मार्क का मतलब है नैचुरल और मेडिसिन से बना टूथपेस्ट और ग्रीन का मतलब है पूरी तरह से नैचुरल मार्क. कई लोग अब रंग को क्वालिटी चेक का मानक मानने लगे हैं.

क्या है सच्चाई?

लेकिन, इसकी सच्चाई कुछ और ही है. कोलगेट की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, इस मार्क का क्वालिटी से कोई लेना देना नहीं है. इंटरनेट पर जो दावे किए जा रहे हैं, जिसमें कहा जा रहा है कि रंग से कैमिकल या नैचुरल होने का पता चल जाता है. मगर ऐसा नहीं है. दरअसल, यह एक मार्क होता है, जिससे पता चलता है कि यहां से टूथपेस्ट की ट्यूब की कटिंग करनी है और ट्यूब को सील करना है. इसलिए यह ट्यूब बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और इसका क्वालिटी से कोई मतलब नहीं है.

बता दें कि यह मार्क लगाने से ट्यूब बनाने की फैक्ट्री में लगी मशीनों में काम आसानी हो जाता है और ये मार्क सिर्फ कटिंग पॉइंट के लिए ही होता है. इसका रंग से कोई भी लेना देना नहीं होता है. यह किसी भी रंग का हो सकता है. दरअसल, ट्यूब बनाने वाली मशीन के लाइट सेंसर इस मार्क को पहचान लेते हैं और उसके हिसाब से ट्यूब बनाई जाती है. ऐसे में रंगों के मार्क का क्वालिटी से कनेक्शन नहीं है, बल्कि यह मशीन में ट्यूब बनाने के लिए इस्तेमाल होता है. ऐसे में यह तक तरीके का फैक्ट चेक है और जिसमें पता चलता है कि टूथपेस्ट पर लगे इन मार्क के रंगों को क्वालिटी से कोई कनेक्शन नहीं है, यह सिर्फ पैकिंग के लिए है.

उज्ज्वल, उज्जवल और उज्वल, सही क्या है और क्यों?

जब मैंने उज्वल, उज्ज्वल और उज्जवल पर पोल करने का फ़ैसला किया तो मुझे डर लगा कि कहीं सही विकल्प के पक्ष में 100% वोट न पड़ जाएँ। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। क़रीब 20% ने ग़लत विकल्प चुने जिनमें से 4% ने उज्वल और 16% ने कोई सही दलाल है उज्जवल को सही बताया। लेकिन जिन 80% ने उज्ज्वल को सही माना है, उनको भी यह जानने में रुचि हो सकती है कि उज्ज्वल क्यों सही है।

सही शब्द उज्ज्वल (उत्+ज्वल) है। इसी उज्ज्वल से उज्वल और उज्जवल जैसे वैकल्पिक शब्द निकले। एक वाक्य में कहें तो कुछ लोग बोलने के क्रम ने अगला ज् खा गए जिससे उज्वल बना तो कुछ और लोगों ने अगले ज् पर बल दे दिया जिससे उज्जवल बन गया।

टीचर ही लाल पेन का इस्तेमाल सिर्फ क्यों कहते हैं, जाने इसका अजब गजब रीजन

Why does the teacher only say to use red pen, know its amazing reason

दोस्तों आप स्कूल होंगे या पास कर चुके होंगे तो हर कोई हमे लाल पेन से लिखने को मन करता था। ये हम नही जानते क्यों मना करते थे. लाल पेन का इस्तेमाल सिर्फ टीचर ही कर सकते है. इसलये हम मानते थे। इसका प्रयोग हम नही कर सकते हैं। पर ये बात नही है.

टीचर लाल पेन का इस्तेमाल अधिकतर चिन्ह निशान या मार्क्स देने में काम करते हैं। पर यह माना जाता है कि लाल रंग से किसी का नाम लिखने पर उसकी मौत हो जाती है। इस अन्धविश्वास के कारण लाल पेन का यूज़ कोई भी नही करता लाल स्याही से लिखना अशुभ है। भी माना जाता हैं.

Sarkari School Solutions

एक बीकर के आधे भाग तक जल भरते हैं और उसमें फिटकरी डालते हैं तथा चम्मच की सहायता से उसे तब तक हिलाते जब तक फिटकरी पानी में पूरा घुल न जाये। थोड़ी फिटकरी और मिलाते हैं और लगातार हिलाते हैं। ऐसा तब तक करते रहेंगे जब तक और फिटकरी पानी में घुलनी बंद न हो जाये। अब मिश्रण को कुछ समय के लिए छोड़ देंगे। जैसे-जैसे पानी भाप बनकर उड़ता जाएगा वैसे-वैसे बीकर के तल में क्रिस्टल्स बनते जाएँगे।

6. आप यह कैसे दिखायेंगे कि दही का जमना एक रासायनिक परिवर्तन है।

उत्तर

दूध से दही का जमना एक रासायनिक परिवर्तन है क्योंकि हम दही से दूध पुनः प्राप्त नहीं कर सकते है तथा यह एक स्थायी परिवर्तन है।

7. कॉपर सल्फेट के क्रिस्टल कैसे बनाते हैं? इसका वर्णन कीजिए।

उत्तर

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