'रुपया कमजोर नहीं, डॉलर हो रहा मजबूत'
रुपये के लगातार कमजोर होने से जुड़े एक सवाल उन्होंने कहा कि डॉलर की मजबूती की वजह से ऐसा हो रहा है. सीतारमण ने कहा, ‘मजबूत होते डॉलर के सामने अन्य मुद्राओं का प्रदर्शन भी खराब रहा है लेकिन मेरा खयाल है कि अन्य उभरते बाजारों की मुद्राओं की तुलना में भारतीय रुपया ने बेहतर प्रदर्शन किया है.’ वित्त मंत्री ने बढ़ते व्यापार घाटे के मुद्दे पर कहा कि इसका मतलब है कि हम निर्यात की तुलना में ज्यादा आयात कर रहे हैं. हम यह भी देख रहे हैं कि यह अनुपातहीन वृद्धि क्या किसी एक देश के मामले में हो रही है.’

शुरूआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 24 पैसे मजबूत होकर 81.49 पर

मुंबई, 30 सितंबर (भाषा) अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया शुक्रवार को 24 पैसे मजबूत होकर 81.49 पर खुला। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले रुपये में मजबूती आई।

विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि डॉलर के उच्च स्तर से नीचे आने के साथ रुपये में मजबूती आई। हालांकि आज पेश होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले घरेलू मुद्रा में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 81.60 रुपये पर खुला और बाद में 24 पैसे चढ़कर 81.49 तक आ गया।

बृहस्पतिवार को रुपया 20 पैसे की बढ़त के साथ 81.73 डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है पर बंद हुआ था। इससे पहले, बुधवार को यह अबतक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था।

रुपये के कमजोर होने से भारतीय अर्थव्यवस्था को होने वाले फायदे और नुकसान

1 जनवरी 2018 को एक डॉलर का मूल्य 63.88 था. इसका मतलब है कि जनवरी 2018 से अक्टूबर 2018 तक डॉलर के मुकाबले भारतीय रूपये में लगभग 15% की गिरावट आ गयी है. इस लेख में हम यह बताने जा रहे हैं कि रुपये की इस गिरावट का भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.

Falling Indian Currency

भारत में इस समय सबसे अधिक चर्चा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारत के गिरते रुपये के मूल्य की हो रही है. अक्टूबर 12, 2018 को जब बाजार खुला तो भारत में एक डॉलर का मूल्य 73.64 रुपये हो गया था. ज्ञातव्य है कि 1 जनवरी 2018 को एक डॉलर का मूल्य 63.88 था. इसका मतलब है कि जनवरी 2018 से अक्टूबर 2018 तक डॉलर के मुकाबले भारतीय रूपये में लगभग 15% की गिरावट आ गयी है.

'रुपया नहीं गिर रहा, डॉलर मजबूत हो रहा है', अमेरिका में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिया तर्क

डीएनए हिंदी: भारतीय करेंसी रुपया (Rupee) लगातार गिरने का नया रिकॉर्ड बनाता जा रहा है. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ये 82.32 के स्तर पर पहुंच गया है. इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने लगातार गिरते रुपये पर अपनी बात रखी है. उन्होंने कहा कि रुपया गिर नहीं रहा है, बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है. वित मंत्री इन दिनों अमेरिका दौरे पर हैं. वाशिंगटन डीसी में मीडियो को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही. उन्होंने कहा कि अन्य देशों की करेंसी देखें तो रुपया डॉलर की तुलना में काफी अच्छा कर रहा है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद को मजबूत बताते हुए कहा है कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती के बावजूद भारतीय रुपया में स्थिरता बनी हुई है. दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में भारत में इन्फ्लेशन कम है और मौजूदा स्तर पर उससे निपटा जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद अच्छी है, व्यापक आर्थिक बुनियाद भी अच्छी है. विदेशी मुद्रा भंडार अच्छा है. मैं बार-बार कह रही हूं डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है कि इन्फ्लेशन भी इस स्तर पर है जहां उससे निपटना संभव है.’

आरबीआई अब इसका सहारा क्यों ले रहा है?

  • सिस्टम में अधिशेष तरलता 7.5 लाख करोड़ रुपए आँकी गई है, जिसे मुद्रास्फीति को संतुलित रखने के लिये रोकने की ज़रूरत है।
  • आमतौर पर केंद्रीय बैंक रेपो रेट बढ़ाने या नकद आरक्षित अनुपात (CRR) बढ़ाने जैसे पारंपरिक साधनों का सहारा लेता है लेकिन इसका अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
    • यह नकारात्मक प्रभाव मौद्रिक नीति के अधूरे रूप में देखा जा सकता है।
    • इसलिये आरबीआई द्वारा पिछले वर्ष एक अलग टूलकिट- वेरिएबल रेट रिवर्स रेपो ऑक्शन ( Variable Rate Reverse Repo Auction - VRRR ) का इस्तेमाल किया गया।
    • तरलता को कम करना: प्रमुख रूप से तरलता प्रभावित होगी जो वर्तमान में औसतन लगभग 7.6 लाख करोड़ रुपए घटेगी।
    • भारतीय रुपए के मूल्यह्रास की जाँच: बाज़ार में डॉलर के प्रवाह से रुपए को मज़बूती मिलेगी जो पहले ही अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 77 के स्तर पर पहुँच चुका है।
    • मुद्रास्फीति पर नियंत्रण: जब मुद्रास्फीति में वृद्धि का खतरा होता है तो आरबीआई आमतौर पर सिस्टम में तरलता को कम कर देता है। निम्नलिखित कारकों के कारण मुद्रास्फीति बढ़ना तय है:
      • तेल की कीमतों में वृद्धि:रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनज़र कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से आने वाले दिनों में मुद्रास्फीति बढ़ना तय है।
      • संस्थागत निवेश का बहिर्वाह: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारत से धन निकाल रहे हैं। उन्होंने मार्च 2022 में अब तक भारतीय शेयरों से 34,000 करोड़ रुपए निकाल लिये हैं, जिसका रुपए पर गंभीर दबाव पड़ा है।

      चलनिधि प्रबंधन पहल क्या है?

      • केंद्रीय बैंक की ‘तरलता प्रबंधन’ पहल को कुछ विशिष्ट फ्रेमवर्क, उपकरणों के समूह और विशेष रूप से उन नियमों के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसे केंद्रीय बैंक द्वारा बैंक रिज़र्व की मात्रा को नियंत्रित कर कीमतों (यानी अल्पकालिक ब्याज दरों) को नियंत्रित करने हेतु किया जाता है, जिसका अल्पकालिक उद्देश्य मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करना होता है।
        • बैंक रिज़र्व का आशय उस न्यूनतम राशि से हैं, जो वित्तीय संस्थानों के पास होनी अनिवार्य है।
        • इस फ्रेमवर्क के तहत विभिन्न उपकरण हैं:

        प्रश्न: यदि भारतीय रिज़र्व बैंक एक विस्तारवादी मौद्रिक नीति अपनाने का डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा? (2020)

        1. वैधानिक तरलता अनुपात में कटौती और अनुकूलन
        2. सीमांत स्थायी सुविधा दर में बढ़ोतरी
        3. बैंक रेट और रेपो रेट में कटौती

        कांग्रेस ने 80 रुपये के मुकाबले 1 अमेरिकी डॉलर के होने पर कहा, 'मोदी जी तो रुपये के लिए भी हानिकारक हो गये हैं'

        Congress said on reaching US dollar against 80 rupees, 'Modi ji has become harmful for rupee too' | कांग्रेस ने 80 रुपये के मुकाबले 1 अमेरिकी डॉलर के होने पर कहा, 'मोदी जी तो रुपये के लिए भी हानिकारक हो गये हैं'

        Highlights रुपये के मुकाबले डॉलर का भाव 80 रुपये छूने पर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी पर बोला हमला केंद्र मुद्रा की गिरावट पर इसलिए चुप्पी साधे हुए है क्योंकि इससे सभी भारतीय बुरी तरह से प्रभावित हैं केंद्र की मौजूदा मोदी सरकार हमेशा की तरह अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर दिशाहीन लग रही है

        दिल्ली:कांग्रेस ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरवाट पर चिंता जताते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर तगड़ा हमला बोला। रुपये के मुकाबले डॉलर का भाव 80 रुपये छूने पर कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार मुद्रा के मुक्त गिरावट पर इसलिए चुप्पी साधे हुए है क्योंकि इससे सभी भारतीय बुरी तरह से प्रभावित हैं।

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