पूरी दुनिया में कौन सी मुद्रा स्वीकार की जाती है?
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दुनिया की 10 सबसे महंगी करेंसी, आठवें नंबर पर है डॉलर
Continental Currency Exchange
दोस्तो हमने ज्यादातर यह सुना है कि दुनिया में सबसे महंगी करेंसी डॉलर है और ऐसा हम मानते भी हैं लेकिन सच्चाई तो कुछ और ही है। यदि मैं आपसे कहूं कि अमेरिकन डॉलर के ऊपर भी 8 ऐसी करेंसीज हैं जिनकी कीमत डॉलर से भी कहीं ज्यादा है तो शायद आपको यह सुनने में थोड़ा सा अजीब लगेगा लेकिन यह बिल्कुल सच है। आज के इस आर्टिकल में भी मैं आपको ऐसी ही 10 करेंसी के बारे में बताने वाला हूं जो दुनिया की सबसे मजबूत करेंसी है।
Canadian dollar – दोस्तो अगर बात करें दुनिया की 10वीं सबसे मजबूत करंसी के बारे में तो उसका नाम है कैनेडियन डॉलर। जैसा कि इसके नाम से ही मालूम पड़ता है कि कैनेडियन डॉलर, कैनेडा देश की करेंसी है और इस देश की राजधानी है ओटावा। वैसे तो कैनेडा काफी सारी चीजों के लिए फेमस है लेकिन उनमें से कुछ खास है- वहां के एजुकेशन सिस्टम, शानदार झीलें, पेड़ की छाल से निकाले जाने वाले रस और भी बहुत कुछ। दोस्त अगर बात करें इस देश के करेंसी की तो एक कैनेडियन डॉलर करीब 55 भारतीय रुपयों के बराबर है।
US Dollar – दोस्तों इसी तरह से दुनिया की 9वीं सबसे मजबूत करेंसी है यूएस डॉलर। दरअसल यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका की यह करेंसी बहुत सारे देशों की करेंसी की वैल्यू को मापने के लिए इस्तेमाल की जाती है और पूरी दुनिया में यूएस डॉलर की सबसे ज्यादा स्वीकार की जाने वाली करेंसी है। दोस्तों हॉलीवुड, म्यूजिक और टेक इनोवेशंस जैसी बहुत सारी चीजों के लिए पहचानी जाने वाली इस देश की करेंसी यानि की अमेरिकन एक डॉलर भारत के करीब 76 रुपये के आसपास है। हालांकि दोस्तों यूएस करेंसी हो या फिर कोई और उसकी वैल्यू अर्थव्यवस्था के हिसाब से कम या फिर ज्यादा होती रहती है।
Swiss franc – इसी तरह से सबसे मजबूत करेंसी की लिस्ट में 8वें नंबर पर है स्विस फ्रैंक, जोकि सबसे अमीर देशों में से एक स्विट्जरलैंड की राष्ट्रीय मुद्रा है। इस देश की राजधानी है बर्न सिटी। अगर बात करें इस देश की पहचान की तो ये अपनी घड़ियों और चॉकलेट्स के लिए काफी फेमस है और अपनी बैंक सीक्रेसी के लिए तो यह पूरी दुनिया भर में जाना जाता है। हालांकि अगर बात करें यहां के करेंसी यानि की एक स्विस फ्रैंक की तो यह भारतीय 78 रुपये के आसपास है।
European Euro – दोस्तों दुनिया की सातवीं सबसे मजबूत करंसी की अगर हम बात करे तो वो है यूरोपियन यूरो। दरअसल यह मुद्रा दुनिया के सबसे बड़े महाद्वीपों में से एक यूरोप की करेंसी है और यूरोप की करंसी इतनी ताकतवर इसलिए भी है क्योंकि इस महाद्वीप के सभी देश एक ही मुद्रा का इस्तेमाल करते हैं। पूरी दुनिया में कौन सी मुद्रा स्वीकार की जाती है? अगर बात की जाए एक यूरोपियन यूरो की कीमत की तो यह भारतीय 82 रुपये के आसपास है।
Cayman Islands dollar – इसी तरह से आज की हमारी लिस्ट में दुनिया की छठी सबसे मजबूत करेंसी है केमैन आइलैंड डॉलर। दरअसल केमैन आइलैंड डॉलर ब्रिटिश ओवरसीज टेरिटरी केमैन आइलैंड्स की करंसी है। यह आईलैंड अपने समुद्री तट, रिजॉर्ट और स्कूबा डाइविंग जैसी चीजों के लिए जाना जाता है और बहुत सारे लोगों को लगता है कि यह दुनिया का सबसे मजबूत करेंसी है। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि यह सबसे मजबूत करेंसी में छठे नंबर पर आती है। अगर हम बात करें एक केमैन आइलैंड डॉलर की तो भारतीय करेंसी में वह करीब 91 रुपये के बराबर है।
Pound sterling – दुनिया की पांचवीं सबसे मजबूत करेंसी ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग है। दरअसल यह मुद्रा यूनाइटेड किंगडम सहित जर्सी, आइल ऑफ मैन, जिब्राल्टर और साउथ जॉर्जिया की तरह ही कई सारे ब्रिटिश ओवरसीज टेरिटरी की करेंसी है। पर अगर बात करेंसी की वैल्यू की तो एक ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग 94 भारतीय रुपयों के आसपास है और कुछ इसी तरह से दुनिया की चौथी सबसे मजबूत करेंसी है।
Dinar – दरअसल वेस्टर्न एशिया में बसे इस अरब कंट्री की करंसी एक जॉर्डन दीनार 106 भारतीय रुपयों के बराबर है और दोस्तों इस देश का ज्यादातर हिस्सा रेगिस्तान से घिरा हुआ है। हालांकि उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में जॉर्डन नदी से पानी मिल जाता है।
Omani rial – दोस्तों दुनिया की तीसरी सबसे मजबूत करेंसी है ओमानी रियाल। दरअसल यह करेंसी सबसे अमीर और विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों में से एक ओमान की राष्ट्रीय मुद्रा है। 75 लाख की आबादी वाला यह देश खासकर के उस्मानी मिठाई और उस्मानी रोटी के लिए जानी जाती है। अगर बात करें इस देश के करेंसी यानि की एक ओमानी रियाल की तो यहां भारत के 190 से 200 रुपए के बराबर होती हैं।
Bahraini dinar – इसी तरह पूरी दुनिया में कौन सी मुद्रा स्वीकार की जाती है? से अगर हम दुनिया की दूसरी सबसे मजबूत करेंसी के बारे में बात करें उसका नाम है बहरीन दीनार। दरअसल यह मुद्रा बहरीन देश की राष्ट्रीय मुद्रा है। इसकी राजधानी है मनामा। अगर बात करें इस देश की विशेषता के बारे में तो, इनमें सबसे ज्यादा वहां के आइलैंड्स फेमस हैं और इस देश की कमाई का मुख्य जरिया काले सोने को एक्सपोर्ट करना है। वहीं अगर हम बात करें बहरीन दीनार के वैल्यू तो एक बहरीन दीनार 195 से लेकर दो सौ पाँच भारतीय रुपयों के आसपास रहते हैं।
Kuwaiti dinar – अब हम बात करने जा रहे हैं दुनिया के सबसे मजबूत करेंसी के बारे में और उसका नाम है कुवैती दीनार। दरअसल कुवैती दीनार की मजबूती इस वजह से है क्योंकि यहां देश पूरी दुनिया में ही तेल की सप्लाई करता है और इस देश की कमाई का मुख्य जरिया तेल की सप्लाई करना ही है जो कि सभी अर्निंग सोर्स का 80% के आसपास है। दोस्तों मनी वैल्यू के साथ साथ यह देश दुनिया के सबसे अमीर देशों में भी गिना जाता है। अगर बात करें इस देश के करेंसी के वैल्यू के बारे में तो एक कुवैती दीनार की कीमत भारतीय रुपयों में 240 से 250 रुपये के बीच में रहती है। दोस्तो यह थी दुनिया की 10 सबसे मजबूत करेंसी। उम्मीद करते हैं कि इस आर्टिकल में दी गई जानकारी आपको जरूर ही पसंद आई होगी। आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
घर के पूजा स्थल पर न रखें देवी-देवताओं की इस रूप में मूर्ति,अन्यथा.
सनातन धर्म में हर रोज देवी-देवताओं की पूजा का विधान है। ऐसे में घर और मंदिर दोनों स्थानों पर देवी-देवताओं की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करने के बाद ही पूजा की जाती है। हमारे धार्मिक ग्रंथों में 33 कोटि देवी-देवता माने गए हैं। लेकिन प्रमुख देवों में केवल आदि पंचदेव आते हैं, जबकि त्रिदेवों में केवल जीन दव ही आते है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देवों सहित देवियों के कुछ रूपों की घर के पूजा घर में न तो पूजा की जाती है और न ही तस्वीर तक रखी जाती है। तो चलिए आज जानते हैं कि देवी-देवताओं की वह कौन सी मुद्रा है जिन्हें घर के पूजा घर में रखना तक वर्जित माना गया है।
मोदी राज की मेहरबानी- अमीरों के 3 लाख करोड़ लोन माफ़ हुए, मंत्री ने ट्वीट तक नहीं किया
मोदी राज के चार साल में 21 सरकारी बैंको ने 3 लाख 16 हज़ार करोड़ रुपये के लोन माफ कर दिए हैं. क्या वित्त मंत्री ने आपको बताया कि उनके राज में यानी अप्रैल 2014 से अप्रैल 2018 के बीच तीन लाख करोड़ रुपये के लोन माफ किए गए हैं?
यही नहीं इस दौरान बैंकों को डूबने से बचाने के लिए पूरी दुनिया में कौन सी मुद्रा स्वीकार की जाती है? सरकार ने अपनी तरफ से हज़ारों करोड़ रुपये बैंकों में डाले हैं, जिस पैसे का इस्तेमाल नौकरी देने में खर्च होता, शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा देने में खर्च होता वो पैसा चंद उद्योगपतियों पर लुटा दिया गया.
इंडियन एक्सप्रेस में अनिल ससी की यह ख़बर पहली ख़बर के रूप में छापी गई है. भारत का स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा का जो कुल बजट है उसका दोगुना लोन बैंकों ने माफ कर दिया.
2018-19 में इन तीनों मद के लिए बजट में 1 लाख 38 हज़ार करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है. अगर लोन वसूल कर ये पैसा स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा पर ख़र्च होता तो समाज पहले से कितना बेहतर होता.
अप्रैल 2014 से अप्रैल 2018 के बीच बैंकों ने मात्र 44,900 करोड़ रुपये की वसूली की है. बाकी सब माफ. इसे अंग्रेज़ी में राइट ऑफ कहते हैं. ये आंकड़ा भारतीय रिज़र्व बैंक का है.
जबकि भाजपा ने अप्रैल महीने में ट्वीट किया था कि 2016 में इन्सॉलवेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के कारण 4 लाख करोड़ रुपये लोन की वसूली की गई है. रिज़र्व बैंक का डेटा कहता है कि 44,900 करोड़ रुपये की वसूली हुई है.
उस वक्त भी पत्रकार सन्नी वर्मा ने अपनी रिपोर्ट में इस बोगस दावे का पर्दाफाश किया था. जबकि हकीकत यह है कि मोदी राज में जितनी वसूली हुई है उसका सात गुना तो माफ कर दिया गया.
गनीमत है कि इस तरह की खबरें हिन्दी के अखबारों में नहीं छापी जाती हैं इसलिए जनता का एक बड़ा हिस्सा इन अखबारों के ज़रिए बेवकूफ बन रहा है.
तभी मैं कहता हूं कि हिन्दी के अखबार हिन्दी पाठकों की हत्या कर रहे हैं. उनके यहां बेहतरीन पत्रकारों की फौज है मगर ऐसी ख़बरें होती ही नहीं जिनमें सरकार की पोल खोली जाती हो.
मोदी सरकार के मंत्री एनपीए के सवाल पर विस्तार से नहीं बताते हैं. बस इस पर ज़ोर देकर निकल जाते हैं कि ये लोन यूपीए के समय के हैं. जबकि वो भी साफ-साफ नहीं बताते कि 7 लाख करोड़ के एनपीए में से यूपीए के समय का कितना हिस्सा है और मोदी राज के समय का कितना हिस्सा है.
भक्तों की टोली भी झुंड की तरह टूट पड़ती है कि एनपीए तो यूपीए की देन है. क्या हमारा आपका लोन माफ होता है? फिर इन उद्योगपतियों का लोन कैसे माफ हो जाता है?
पांच साल से उद्योगपति चुप हैं. वे कुछ नहीं बोलते हैं. नोटबंदी के समय पूरी दुनिया में कौन सी मुद्रा स्वीकार की जाती है? भी नहीं बोले. उद्योगपति चुप इसलिए कि उनके हज़ारों लाखों करोड़ के लोन माफ हुए हैं? तभी वे जब भी बोलते हैं, मोदी सरकार की तारीफ़ करते हैं.
कायदे से मोदी राज में तो लोन वसूली ज्यादा होनी चाहिए थी. वो तो सख़्त और ईमानदार होने का दावा करती है. मगर हुआ उल्टा. एक तरफ एनपीए बढ़ता गया और दूसरी तरफ लोन वसूली घटती गई.
21 सरकारी बैंकों ने संसद की स्थायी समिति को जो डेटा सौंपा है उसके अनुसार इनकी लोन रिकवरी रेट बहुत कम है, जितना लोन दिया है उसका मात्र 14.2 प्रतिशत लोन ही रिकवर यानी वसूल हो पाता है.
अब आप देखिए. मोदी राज में एनपीए कैसे बढ़ रहा है. किस तेज़ी से बढ़ रहा है. 2014-15 में एनपीए 4.62 प्रतिशत था जो 2015-16 में बढ़कर 7.79 प्रतिशत हो गया.
दिसंबर 2017 में एनपीए 10.41 प्रतिशत हो गया. यानी 7 लाख 70 हज़ार करोड़ रुपये.
इस राशि का मात्र 1.75 लाख करोड़ रुपये नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में गया है. यह जून 2017 तक का हिसाब है. उसके बाद 90,000 करोड़ रुपये का एनपीए भी इस पंचाट में गया. यहां पूरी दुनिया में कौन सी मुद्रा स्वीकार की जाती है? का खेल भी हम और आप साधारण लोग नहीं समझ पाएंगे.
इस ख़बर में बैंक के किसी अधिकारी ने कहा है कि पूरी दुनिया में कौन सी मुद्रा स्वीकार की जाती है? लोन को माफ करने का फैसला बिजनेस के तहत लिया गया होता है. भाई तो यही फैसला किसानों के लोन के बारे में क्यों नहीं करते हैं?
जिनकी नौकरी जाती है, उनके हाउस लोन माफ करने के लिए क्यों नहीं करते हो? ज़ाहिर है लोन माफ करने में सरकारी बैंक यह चुनाव ख़ुद से तो नहीं करते होंगे.
एनपीए का यह खेल समझना होगा. निजीकरण की वकालत करने वाली ये प्राइवेट कंपनियां प्राइवेट बैंकों से लोन क्यों नहीं लेती हैं? सरकारी बैंकों को क्या लूट का खजाना समझती हैं?
क्या आप जानते हैं कि करीब 8 लाख करोड़ रुपये का एनपीए कितने उद्योगपतियों या बिजनेस घरानों का है? गिनती के सौ भी नहीं होंगे. तो इतने कम लोगों के हाथ में 3 लाख करोड़ रुपये जब जाएगा तो अमीर और अमीर होंगे कि नहीं.
जनता का पैसा अगर जनता में बंटता तो जनता अमीर होती. मगर जनता को हिंदू-मुस्लिम और पाकिस्तान दे दो और अपने यार बिजनेसमैन को हज़ारों करोड़.
यह खेल आप तब तक नहीं समझ पाएंगे जब तक खुद को भक्त मुद्रा में रखेंगे. मोदी राज के चार साल में 3 लाख 16 हज़ार करोड़ रुपये का लोन माफ हुआ है. यह लोन माफी जनता की नहीं हुई है.
एनपीए के मामले में मोदी सरकार बनाम यूपीए सरकार खेलने से पहले एक बात और सोच लीजिएगा. इस खेल में आप उन्हें तो नहीं बचा रहे हैं जिन्हें 3 लाख करोड़ रुपये मिला है? ये समझ लेंगे तो गेम समझ लेंगे.
(यह लेख मूल रूप से रवीश कुमार के ब्लॉग कस्बा पर प्रकाशित हुआ है.)
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