महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 8 अक्टूबर 2016 को देश के पहले 'अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र' का शुभारंभ मुम्बई में किया.

केन्द्रीय बजट

आर्थिक समीक्षा 2011-12 जो वित्त मंत्रालय, भारत सरकार का फ्लैगशिप वार्षिक दस्ताकवेज है, विगत 12 महीनें में भारतीय अर्थव्यवस्था में घटनाक्रमों की समीक्षा करता है, प्रमुख विकास कार्यक्रमों के निष्पादन का सार प्रस्तुत करता है और सरकार की नीतिगत पहलों तथा अल्पावधि से मध्यावधि में अर्थव्यवस्था की संभावनाओं पर विधिवत प्रकाश डालता है। इस दस्तावेज को बजट सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है।

यह रिपोर्ट एवं क्षेत्रक अर्थव्योवस्था के सभी पहलुओं को शामिल करते हुए विस्तृसत आंकड़ों के साथ निम्नाकित मामलों का सिंहावलोकन करती है:

  1. भारतीय अर्थव्यवस्था की दशा
  2. चुनौतियां, नीतिपरक प्रतिक्रियाएं और मध्यावधिक दृष्टिीकोण
  3. राजकोषीय नीति एवं मौद्रिक प्रबंधन
  4. वित्तीय हस्तदक्षेप एवं बाजारों की भूमिका
  5. विदेशी सेक्टर, भुगतान संतुलन तथा व्यापार
  6. कृषि, औद्योगिक विकास एवं सेवा क्षेत्र
  7. ऊर्जा, अवसंरचना और संचार
  8. मानव विकास, जलवायु परिवर्तन और सार्वजनिक कार्यक्रम
  9. भारत एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था्

यह दस्तावेज नीति निर्धारकों, अर्थशास्त्रियों, नीति विश्लेाषकों, व्यवसायियों, सरकारी एजेंसियों, छात्रो, अनुसंधानकर्ताओं, मीडिया तथा भारतीय अर्थव्यृवस्था के विकास में रुचि रखने वालों के लिए उपयोगी होगा।

राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र द्वारा डिजाइन, होस्ट और विकसित, सूचना वित्त मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई है .

देश का पहला अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र मुम्बई में खुला

मुम्बई में अब अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र शुरू हो जाने से विश्व में व्यापारिक विवादों के समाधान के बारे में भारत की एक अलग पहचान बनेगी.

MUMBAI

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 8 अक्टूबर 2016 को देश के पहले 'अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र' का शुभारंभ मुम्बई में किया.

कंपनियों को अब मध्यस्थता के लिए सिंगापुर, हांगकांग और लंदन जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. मध्यस्थता के मामलों में यह केंद्र भारतीय कंपनियों के अलावा वैश्विक कंपनियों को मध्यस्थता व्यापारी भी आकर्षित करेगा.

मुम्बई में अब अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र शुरू हो जाने से विश्व में व्यापारिक विवादों के समाधान के बारे में भारत की एक अलग पहचान बनेगी.

देश में अब तक के सबसे पहले उन्नत अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र की स्थापना से विवाद समाधान व्यवस्था स्थापित करना एक महत्वपूर्ण कदम है.

मध्यस्थता केंद्र प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया अभियान के अनुरूप है. इसे राज्य सरकार के सहयोग से मिलकर बनाया गया है और इसका उद्देश्य लाभार्जन करना नहीं है.

मुम्बई जल्द ही अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय से जुड़े विवादों का समाधान करने का एक प्रमुख केंद्र बन जायेगा. कंपनियों के बीच आपसी लेन देन या कारोबारी शर्तो को लेकर मतभेद होने पर भारतीय कारोबारियों को सिंगापुर जाना पड़ता है.

भारतीय कारोबारियों की इस समस्या को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने मुम्बई में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र खोला है.

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विश्लेषण : मध्यस्थता पर सिंगापुर सम्मेलन

मध्यस्थता पर सिंगापुर कन्वेंशन हाल ही में लागू हुआ, यह भारत एवं विश्व के अन्य देशों जो इस अभिसमय पर हस्ताक्षरकर्त्ता देश हैं, में व्यवसायों से जुड़े कॉर्पोरेट विवादों की मध्यस्थता करने हेतु एक अधिक प्रभावी तरीका प्रदान करेगाl

  • यह संधि मध्यस्थता के परिणामस्वरूप होने वाले अंतर्राष्ट्रीय समाधान समझौतों को लागू करने के लिये एक समान और कुशल तंत्र उपलब्ध कराती है।
  • यह मध्यस्थता से उत्पन्न अंतर्राष्ट्रीय निपटान समझौतों पर लागू होता है, जो एक वाणिज्यिक विवाद को हल करने के लिए पार्टियों द्वारा संपन्न होता है।
  • यह विवादित दलों को सीमाओं पर आसानी से लागू करने और समझौता करने के लिए विवादित दलों को सक्षम करके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वाणिज्य की सुविधा प्रदान करेगा।
  • इसे मध्यस्थता से अंतरराष्ट्रीय निपटान समझौते पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के रूप में जाना जाता है।
  • यह सिंगापुर के नाम पर होने वाली संयुक्त राष्ट्र की पहली संधि भी है।
  • भारत ने जुलाई 2019 में कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दी।

भारत के लिए मध्यस्थता पर सिंगापुर सम्मेलन का महत्व:मध्यस्थता व्यापारी -

सांसद की मध्यस्थता से रेलवे की जमीन के किरायेदार व्यापारी उजडने से बचे

सांसद की मध्यस्थता से रेलवे की जमीन के किरायेदार व्यापारी उजडने से बचे

बागपत | नब्बे वर्षों से रेलवे के किरायेदारों को बेदखल कर उजाड़ने की मंशा पर लगा विराम | सांसद ने त्रिस्तरीय वार्ता में जहाँ रेलवे की तरफ से आए अधिकारियों को रोजगार देने की नीति को सरकार की प्राथमिकता बताया वहीं व्यापारियों किराया जमा करने व एलाटमेंट से अधिक भूमि को तुरंत खाली करने की बात कही |

अग्रवाल धर्मशाला टटीरी में लाला लाजपत राय मार्केट के रेलवे के किरायेदारों एवं रेलवे के सहायक अभियंता वीरेंद्र सिंह, थान सिंह व राज रतन के मध्य वार्ता कराने हेतु आए भाजपा सांसद डॉ सत्यपाल सिंह ने अधिकारियों से कहा कि , आप लोग भारत सरकार की रोजगार प्रदान करने की नीति को सार्थक करते हुए किसी भी दुकानदार को उजाड़ने मध्यस्थता व्यापारी का कार्य न करें | वहीं दुकानदारों से भी सांसद ने कहा कि, अलॉटमेंट से ज्यादा भूमि तुरंत खाली कर दें और अधिकारियों द्वारा पूर्व का बाकी किराया स्टीमेट बनाने पर 10 दिन के अंदर ड्राफ्ट द्वारा जमा करा दें |

त्रिस्तरीय वार्ता के दौरान व्यापारी संघ के अध्यक्ष मध्यस्थता व्यापारी अभिमन्यु गुप्ता ने सांसद डॉ सत्यपाल सिंह को बताया कि, लगभग 90 वर्षों से एसएस लाइट रेलवे ने यह भूमि 136 किरायेदारों को किराए पर दी थी | 1970 में नॉर्दन रेलवे ने पुनः अलॉट कर दी थी ,जिस पर उनके लगभग 200 परिवार रोजी-रोटी से अपने परिवार का लालन पालन कर रहे हैं | बताया कि,अधिकांश परिवारों के पास रोजगार का अन्य कोई साधन नहीं है |

डॉ सतपाल सिंह के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए रेलवे शामिल के सहायक अभियंता वीरेंद्र सिंह ने कहा कि, हम वरिष्ठ अधिकारियों के माध्यम से क्षेत्रफल के हिसाब से किराया अवगत करा देंगे ,उसके बाद व्यापारी जमा कर दें | इस पर सांसद डॉ सत्यपाल सिंह ने जोर देते हुए कहा कि, किराया पुरानी दर से ही लिया जाए और भविष्य के लिए नई दरें तय कर दी जाएं |

इस दौरान डॉ सतपाल सिंह के साथ उनकी धर्मपत्नी श्रीमती अलका, सांसद प्रतिनिधि प्रदीप ठाकुर ,भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष वेदपाल उपाध्याय, जिला उपाध्यक्ष रविंद्र राठी , नगर पंचायत अग्रवाल मंडी टटीरी के चैयरमेन विनोद कुमार व वरिष्ठ भाजपा नेता तथा समाजसेवी भी उपस्थित रहे |

व्यापारियों में प्रमुख रूप से संदीप गोयल अतुल जिंदल किशन कश्यप पवन शर्मा पूर्व सभासद गुलाब सिंह सलीम अहमद बिल्लू सेन प्रमोद जैन राकेश गोयल देवेंद्र मित्तल मेहरदीन टेलर रविंद्र जैन मनोज आर्य सुरेश जिंदल हेमकांत आर्य ,हमीद एवं अनिल गांधी सहित सैकड़ों व्यापारी उपस्थित रहे |सभी ने सर्वसम्मति से लिए गए निर्णयों पर खुशी जाहिर की और सांसद का आभार जताया |

53 देशों में लागू हुई सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता संधि, भारत का नाम भी है शामिल

भारतीय राजनयिक विदिशा मैत्रा संयुक्त राष्ट्र समिति में चुनी गईं

भारत (India) समेत 53 देशों में शनिवार को संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की सिंगापुर कन्वेंशन ऑन मिडिएशन संधि लागू कर . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 13, 2020, 21:11 IST

सिंगापुर. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादों को आसानी से हल करने में मददगार सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता संधि (Singapore International Arbitration Treaty) शनिवार से लागू हो गई है. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की सिंगापुर कन्वेंशन ऑन मिडिएशन के नाम से जानी जाने वाली यह संधि भारत और अन्य देशों में आपसी व्यावसायिक और बड़े कॉरपोरेट विवादों को निपटाने में मध्यस्थता का प्रभावी तरीका प्रदान करती है. बयान के अनुसार, शनिवार को लागू हुआ कन्वेंशन, भारत की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देगा. एक सितंबर, 2020 तक भारत, अमेरिका, चीन और दक्षिण कोरिया समेत करीब 53 देश इस संधि पर हस्ताक्षर कर चुके थे. सिंगापुर, फिजी, कतर, सउदी अरब और बेलारूस ने भी इसमें शामिल हो गए हैं. इक्वाडोर ने भी हाल ही में इसका समर्थन किया है. इससे भारत और दुनियाभर के व्यापारियों में सीमा पार व्यापारिक विवादों को हल करने में प्रभावी मध्यस्थता के माध्यम से अब अधिक निश्चितता होगी.

बता दें कि सिंगापुर के नाम पर होने वाली यह संयुक्त राष्ट्र की पहली संधि भी है. सिंगापुर के कानून मंत्रालय द्वारा शनिवार को जारी बयान में कहा गया कि विवादों के निपटान के लिए प्रत्येक देश की एक घरेलू और खर्चीली प्रक्रिया होती है. इनसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई महत्वपूर्ण व्यावसायिक मुद्दे लंबे समय तक विवादों में उलझे रहते हैं. कन्वेंशन के लागू होने के साथ, सीमा पार व्यवसाय से जुड़े विवादों के समाधान के लिए सदस्य देशों द्वारा सीधे आवेदन किए जा सकेंगे. संधि के तहत सामंजस्य आधारित और सरल एवं प्रभावी ढांचे से विवाद समाधान में समय और कानूनी लागत की बचत भी होगी, जो कोविड​​-19 महामारी के दौरान अनिश्चितता के समय में व्यवसायों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.

कन्वेंशन का लागू होना एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर
अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून पर संयुक्त राष्ट्र आयोग के सचिव जुबिन-ब्रेट ने कहा कि कन्वेंशन सफलतापूर्वक लागू होने के साथ, हम इसे मध्यस्थता पर अंतरराष्ट्रीय ढांचे में निश्चितता और स्थिरता लाने के लिए तत्पर हैं, और सतत विकास लक्ष्यों में योगदान दे रहे हैं. वहीं, सिंगापुर के गृह और कानून मामलों के मंत्री के शनमुगम ने कहा कि कन्वेंशन का लागू होना एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय विवाद समाधान के प्रभावी ढांचे को और मजबूत करता है. कन्वेंशन के लिए सिंगापुर ने संयुक्त राष्ट्र के कमीशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड लॉ और अन्य संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों और गैर-सरकारी संगठनों के साथ लंबे समय से काम किया था. बता दें कि सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक विवाद समाधान सेवाओं का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है. बीते वर्षों में यहां विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की स्थापना की गई है. इनमें सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर, सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र और सिंगापुर इंटरनेशनल कमर्शियल कोर्ट आदि प्रमुख हैं.

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