एनपीएस एक लंबी अवधि की योजना है और इसका फायदा किस एसेट क्लास में निवेश? किस एसेट क्लास में निवेश? लंबे समय के बाद ही मिलना शुरू होता है। इस खबर किस एसेट क्लास में निवेश? में हम आपको एनपीएस में निवेश करने का तरीका बता रहे है, जिससे आपके रिटायरमेंट में अच्छी पेंशन बन सके।
किस एसेट क्लास में निवेश?
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Mutual Fund: संभलकर करें निवेश, नहीं तो हो सकता है भारी नुकसान!
डीएनए हिंदी: म्यूचुअल फंड में एसआईपी (SIP) के जरिए निवेश होता है, इसके बारे में तो हम सभी बखूबी जानते हैं. अगर यह कहा जाए कि एसआईपी अब म्यूचुअल फंड का पर्यायवाची बन गया है तो कहना गलत नही होगा. हालांकि बहुत कम लोगों को पता है कि एसआईपी के अलावा भी बहुत से तरीके हैं जिनसे आप म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश कर सकते हैं. बता दें कि म्यूचुअल फंड कई तरह के निवेश के विकल्पों की सुविधा देते हैं. इनमें अलग अलग एसेट क्लास (Asset Class) और टैक्स बेनिफिट (Tax Benefit) होते हैं.
Mutual Fund: क्या करें जब स्टार फंड मैनेजर छोड़ जाएं, स्कीम में रहें या निकल जाएं
जब स्टार फंड मैनेजर फंड हाउस छोड़कर चला जाता है. स्वाभाविक तौर पर निवेशक चिंतित हो जाते हैं कि उनके निवेश का आगे क्या होगा.
म्यूचुअल फंड में फंड मैनेजर्स की भूमिका अहम होती है. निवेशक के तौर पर हम अपने स्टार फंड मैनेजर पर पूरी तरह निर्भर रहते हैं. हमारा पूरा ध्यान होता है कि कैसे वास्तव में वे निवेशकों के पैसों को मैनेज कर रहे हैं.
जब फंड मैनेजर फंड हाउस छोड़ दे
सच तो किस एसेट क्लास में निवेश? यह है कि ज्यादातर निवेशक स्कीम मैनेज कर रहे फंड मैनेजर को देखकर ही अपने पोर्टफोलियो में फंड्स सेलेक्ट करते हैं. समस्या तब आती है जब स्टार फंड मैनेजर फंड हाउस छोड़कर चला जाता है. स्वाभाविक तौर पर निवेशक चिंतित हो जाते हैं कि उनके निवेश का आगे क्या होगा. वे क्या करें. फंड के साथ बने रहें या निकल जाएं.
हर फंड हाउस की अपनी एक प्रक्रिया और व्यवस्था होती है. स्कीम का प्रबंधन करते समय वह इसे लागू करता है. पूरे स्ट्रक्चर में कई विश्लेषकों के साथ-साथ रिसर्च टीम और दूसरे फंड मैनेजर होते हैं. पोर्टफोलियो के संपूर्ण प्रबंधन में इनके इनपुट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. ऐसी व्यवस्था में किसी फंड मैनेजर के जॉब छोड़कर चले जाने के बाद भी निवेशक का जोखिम कम होता है. निवेशक को पूरा विश्वास होता है कि फंड हाउस अपना काम जारी रखेगा.
स्कीम में होते हैं एक से ज्यादा फंड मैनेजर
कई बार फंड हाउस किसी खास स्कीम के लिए एक से ज्यादा फंड मैनेजर रखते हैं. ऐसा एसेट बेस को देखकर किया जाता है. यह नुस्खा निवेशक में यह विश्वास पैदा करने किस एसेट क्लास में निवेश? के लिए आजमाया जाता है कि खास स्कीम के प्रबंधन की प्रक्रिया सतत जारी रहने वाली है. यह आश्वस्त किया जाता है कि यहां साझा दायित्व है और यहां लिए जाने वाले फैसलों में एक से ज्यादा लोग शामिल हैं. ऐसे में एक फंड मैनेजर चला भी जाता है तो उसका दायित्व संभालने के लिए दूसरा है और इस तरह यह व्यवस्था भरोसा पैदा करती है कि बिना बाधा के ट्रांजैक्शन जारी रहेंगे.
फंड की प्रकृति भी तय करती है कि फंड मैनेजर के उठाए गये कदमों में जोखिम कितना है. अगर लार्ज कैप फंड है तो पूरी तरह यूनीक पोर्टफोलियो तैयार होने के बाद खास फंड मैनेजर की भूमिका भी सीमित रहती है. इसी तरह किसी वैल्यू फंड या कॉन्ट्रा फंड के लिए भी खास रणनीतियां होती हैं जिस बारे में फंड फीचर में ध्यान दिलाया जाता है. यह बिल्कुल संभव है कि किसी मिड कैप या स्मॉल कैप के बजाए ऐसे फंड को मैनेज करने वाले फंड मैनेजर का बहुत बड़ा प्रभाव ना हो क्योंकि यहां स्टॉक चुनने का विकल्प ज्यादा जरूरी होती है.
छात्रों ने कृषि में ड्रोन प्रणाली के महत्व पर की परिचर्चा
किशन प्यारी शुक्ला कॉलेज मुंडेसी में बीएससी कृषि के छात्रों ने संस्थान के निकटस्थ गांव ऊमरी में जाकर किस एसेट क्लास में निवेश? किसानों से ड्रोन प्रणाली के प्रयोग का महत्व विषय पर परिचर्चा की। इसमें बीकेसी एग्रीगेटर कम्पनी के सीईओ डा. बीके सिंह ने परिचर्चा में भाग लिया तथा किसानों से रुबरु होकर ड्रोन प्रणाली के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किये। साथ ही ड्रोन को उड़ा कर किसानों को दिखाया तथा यह भी बताया कि ड्रोन से कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर सकते हैं।
आईआईटी रुड़की के वरिष्ट वैज्ञानिक प्रो. धर्मेद्र सिंह ने छात्रों एवं किसानों को ड्रोन उड़ा कर दिखाते हुए दवा एवं रसायनों का छिड़काव को प्रैक्टिकल रुप में दिखाया एवं ड्रोन को उड़ाते समय किन-किन सावधानियों को रखना है इस पर जानकारी प्रस्तुत की। कृषि विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. राजेश कुमार चाहर ने किस एसेट क्लास में निवेश? कम्पनी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं आईआईटी रुड़की के वरिष्ट वैज्ञानिको से कृषि के लिए किये जा रहे अनुसंधान एवं ड्रोन प्रणाली से खेती तकनिकी में अपने विद्यार्थियों को सामिल करने का आग्रह किया। केपीएस कॉलेज के विद्यार्थी अभिषेक पाठक, ललित कुमार, नरेश जसावत, गजेन्द्र सिंह एवं अभिषेक चाहर को भी अपनी टीम में शामिल किया है।
NPS Scheme: कम जोखिम वाली है ये स्कीम
एनपीएस निवेश का एक जरिया है। इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि रिटायरमेंट के बाद भी लोग अपना खर्च उठा सकें। इसमें इक्विटी से कम जोखिम है और पीपीएफ (PPF) या फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) से ज्यादा रिटर्न है। एनपीएस में चार एसेट क्लास हैं- इक्विटी, कॉरपोरेट डेट, गवर्नमेंट बॉन्ड्स और ऑल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड्स।
इनवेस्टर के पास एनपीएस में निवेश करने के दो विकल्प हैं- एक्टिव और ऑटो चॉइस। सब्सक्राइबर मैच्योरिटी पर सारा कॉर्पस नहीं निकाल सकता है। उसे कुल एनपीएस कॉर्पस का 40 फीसदी किस एसेट क्लास में निवेश? हिस्सा किसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से एन्युटी प्लान खरीदने में निवेश करना होगा।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 610