अतीत की वो छोटी घटना जिससे पैदा हुआ था Cotton Swab को बनाने का ख़्याल. जानिए इसका दिलचस्प इतिहास
History of Cotton Swab : इतिहास गवाह है कि बहुत-सी ज़रूरत की चीज़ों के आविष्कार के वक़्त ये नहीं सोचा गया था कि ये आगे चलकर बड़े-बड़े कामों में अहम भूमिका निभाएंगी. Cotton Swab के साथ भी कुछ ऐसा ही है, जो आज कोविड संक्रमण की जांच में सबसे अहम भूमिका निभा रहा है. वैसे क्या आप जानते हैं ये हमारे बीच कब से अस्तित्व में है? अगर नहीं, तो आइये इस लेख में आपको बताते हैं कि कब और कैसे Cotton Swab का आविष्कार हुआ था. साथ में और भी कई संबंधित बातें इस लेख में आपको बताई जाएंगी.
ज़िंदगी का एक हिस्सा बन चुका है
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Cotton Swab कोई नई चीज़ नहीं है कि बल्कि ये आधुनिक ज़िंदगी का एक हिस्सा बन चुका है. घर से लेकर अस्पतालों व मेडिकल लैब तक में इसका इस्तेमाल किया जाता है. घर में इसका इस्तेमाल अमूमन कान साफ़ करने व महिलाएं मेकअप के वक़्त करती हैं. वैसे बता दें कि कॉटन स्वाब से कान साफ़ नहीं करना चाहिए.
ख़ूनी को पकड़ने में भी अहम भूमिका
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मामूली-सा दिखने वाला कॉटन स्वाब ख़ूनी को पकड़ने में भी फ़ॉरेंसिक विशेषज्ञ की मदद करता है. दरअसल, इसके ज़रिए संदिग्ध व्यक्ति के DNA के सैंपल लिए जाते हैं ताकि क्राइम सीन पर मिले सैंपल से उसे मैच कराया जा सके. इसके बाद इसकी रिपोर्ट बनाई जाती है जो आरोपी को पकड़ने और उसे सज़ा देने में मदद करती है. बता दें कि फ़ॉरेंसिक विशेषज्ञ Moistened Cotton Swabs का इस्तेमाल DNA सैंपल के लिए करते हैं.
लकड़ी से प्लास्टिक तक का सफ़र
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पहले जो कॉटन स्वाब इस्तेमाल में लिए जाते थे वो लकड़ी के होते थे यानी सूईनुमा तीली पर रुई लगी होती थी. लेकिन, आज लड़की के साथ-साथ प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाने लगा है. इन्हें बनाने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है. वैसे आजकल सस्ते कॉटन स्वाब भी उपलब्ध हैं जिसकी गुणवत्ता सही नहीं होती और इन्हें इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए.
क्या है कॉटन स्वॉब का इतिहास?
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कॉटन स्वाब के आविष्कारक का नाम Leo Gerstenzang बताया जाता है. Leo Gerstenzang पोलैंड के रहने वाले थे जिन्होंने 1920 के दशक में पहला कॉटन स्वाब बनाया था. इसके स्वैप का लंबा रूप क्या है? आविष्कार का ख़्याल एक छोटी घटना से जुड़ा है. दरअसल, माना जाता है कि एक बार लियो ने अपनी पत्नी को तीली पर रुई लपेटकर बच्चे का कान साफ़ करते देखा था. ये दृश्य देखकर ही उन्हें कॉटन स्वाब बनाने का ख़्याल आया था.
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इसके बाद इन्होंने “Baby Gays” नाम से कॉटन स्वाब को एक उत्पाद के रूप में बनाया. इन्होंने अपनी एक कंपनी भी बना ली थी जिसका नाम था Leo Gerstenzang Infant Novelty Company. 1926 तक इसे “Baby Gays” कहा गया और बाद में इसका नाम Q-Tips कर दिया गया था. वहीं, 1948 तक इसकी मांग काफी बढ़ गई थी, जिससे बाद इसका बड़े स्तर पर निर्माण किया गया था. इसके बाद 1950 के दशक में ये मेकअप की दुनिया में प्रवेश कर गया था. इसके बाद इसका इस्तेमाल विभिन्न क्षेत्रों में किया जाने लगा और वर्तमान में ये एक महत्वपूर्ण टूल के रूप में जाना जाता है.
आम कॉटन स्वाब से कितना अलग है कोविड की जांच वाला स्वाब
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ज़रूरत के हिसाब से विभिन्न कामों के लिए कॉटन स्वाब को अलग-अलग तरीक़े से बनाया गया है. वहीं, कोविड की जांच में इस्तेमाल होने स्वैप का लंबा रूप क्या है? वाला और कान साफ़ करने व मेकअप में इस्तेमाल होने वाला स्वाव काफी अलग होता है. दरअसल, कोविड संक्रमण की जांच के सैंपल के लिए Nasopharyngeal Swab का इस्तेमाल किया जाता है. इस जांच में जो स्वाब इस्तेमाल होते हैं वो लंबे होते हैं ताकि नाक के ज़रिए नाक और गले के पीछे से सैंपल लिया जा सके.
इस जांच के लिए CDC और WHO ने Synthetic Fiber Swabs के लिए कहा है. वहीं, कोविड के बढ़ते मामले और जांच की वजह से Synthetic Fiber Swabs की कमी को पूरा करने के लिए Cotton-tipped plastic swabs भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं, जिन्हें लगभग सिथेंटिक फ़ाइबर स्वॉब के बराबर माना गया है.
चीन को भारत की दो टूक: हमारी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें
UNGA में सामान्य बहस के दौरान चीनी विदेश मंत्री ने कश्मीर मुद्दा उठाते हुए कहा था कि इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर, सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझौते के अनुसार शांतिपूर्वक सुलझाना चाहिए.
PoK से गुजरते 3,000 किलोमीटर लंबे आर्थिक गलियारे का निर्माण कर रहा है चीन
खास बातें
- UNGA में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने उठाया चीनी मुद्दा
- चीन को भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए
- PoK की यथास्थिति को बदलने का प्रयास कर रहा है चीन
संयुक्त राष्ट्र महासभा सभागार (UNGA) में चीनी विदेश मंत्री वांग यी द्वारा जम्मू-कश्मीर का मुद्दे उठाने पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. भारत ने चीन से कहा है कि उसे भारत की संप्रभुरता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए. भारत की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'चीन को भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए क्योंकि जम्मू और कश्मीर पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है.' इसके साथ ही भारत ने चीन पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह पाकिस्तान में बन रहे आर्थिक गलियारे के जरिये पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) की यथास्थिति को बदलने का प्रयास कर रहा है. बता दें कि चीन अपने पश्चिमी शहर काश्गर को PoK से होते हुए ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने के लिए 3,000 किलोमीटर लंबे आर्थिक गलियारे का निर्माण कर रहा है. इस गलियारे की कीमत 50 अरब डॉलर बताई जा रही है.
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UNGA में सामान्य बहस के दौरान चीनी विदेश मंत्री ने कश्मीर मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर, सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझौते के अनुसार शांतिपूर्वक सुलझाना चाहिए. इसके आगे चीनी विदेश मंत्री यांग ने कहा था, 'एकतरफा रूप से की गई कोई भी कार्रवाई यथास्थिति को नहीं बदलेगी.' चीनी मंत्री के बयान के जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'चीन को अच्छी तरह पता है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग है. साथ ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना हमारा पूरी तरह से आंतरिक मामला है.' उन्होंने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि अन्य देश भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे. इसके साथ ही PoK तथाकथित आर्थिक गलियारे के माध्यम से यथास्थिति बदलने के प्रयासों से बचेंगे.'
5 अगस्त को केंद्र ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था. हालांकि विशेष राज्य का दर्जा हटाने से पहले केंद्र सरकार ने घाटी में बड़ी तादाद में सैनिक भेजे थे और वहां संचार की सभी सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके साथ ही उन्होंने हजारों कश्मीरी नौजवानों और पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी नजरबंद कर दिया था. वहीं हाल के दिनों में भारतीय सेना पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों की बढ़ती घुसपैठ की कोशिशों के बीच हाई अलर्ट पर है. पिछले दिनों सीमा पार से ड्रोन द्वारा हथियार भेजने खबरें भी आई थी, जिसके तहत भारतीय सेना ने पंजाब में हथियारों से भरे दो ड्रोन पकड़ने का दावा किया था.
कुछ ताकतें मुंबई जैसे हमले दोबारा करना चाहती हैं: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
SWP: म्यूचुअल फंड्स से हर महीने होगी फिक्स इनकम, मिलेगा शानदार रिटर्न; क्या है तरीका
Systematic Withdrawal Plan: SWP के जरिए निवेशक एक तय रकम म्यूचुअल फंड स्कीम से वापस पाते हैं. आपको पैसा कितने समय में कितना पैसा निकालना है, यह ऑप्शन स्वैप का लंबा रूप क्या है? निवेशक खुद ही चुनते हैं.
Systematic Withdrawal Plan: म्यूचुअल फंड आज के समय में पॉपुलर निवेश का ऑप्शन है. म्यूचुअल फंड (Mutual fund) में एकमुश्त और SIP के जरिए निवेश का तरीका चुन सकते हैं. सीधे इक्विटी में निवेश की बजाय म्यूचुअल फंड स्कीम्स में निवेश पर जोखिम कर रहता है. म्यूचुअल फंड्स में जिस तरह SIP के जरिए किस्तों में रेग्युलर निवेश कर सकते हैं, उसी तरह किस्तों में पैसे निकालने का भी ऑप्शन मिलता है. इसे SWP यानी सिस्टमैटिक विद्ड्रॉल प्लान कहते हैं. SWP के जरिए निवेशक एक तय रकम म्यूचुअल फंड स्कीम से वापस पाते हैं. आपको पैसा कितने समय में कितना पैसा निकालना है, यह ऑप्शन निवेशक खुद ही चुनते हैं. यह विद्ड्रॉल डेली, वीकली, मंथली, तिमाही, 6 महीने पर या सालाना आधार पर किया जा सकता है.
SWP: जान लें टैक्स का कैलकुलेशन
वैल्थ मैनेजमेंट कंपनी फिनटू के सीईओ मनीष पी. हिंगर का कहना है कि निवेशक चाहें तो केवल एक निश्चित रकम निकालें या फिर चाहें तो वे निवेश पर कैपिटल गेंस को निकाल सकते हैं. लेकिन, SWP के जरिए विद्ड्रॉल पर टैक्स लगता है. जैसे अगर कोई लंबे समय से निवेश कर रहा है और वह जब विद्ड्रॉल करता है, तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) देना होगा. SWP से निवेशकों को मार्केट की अस्थिरता से एक हद तक प्रोटेक्शन मिलता है.
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SWP: रिटायरमेंट के बाद की इनकम का अच्छा तरीका
मनीष हिंगर कहते हैं, SWP हाई मार्केट में प्रॉफिट बुक करने की एक अच्छी स्ट्रैटजी है. प्रॉफिट तब तक प्रॉफिट नहीं है, जबतक कि वह समझ में न आए. कभी भी छोटे-मोटे प्रॉफिट से खुश नहीं होना चाहिए. रेग्युलर इंटरवल पर प्रॉफिट बुक करना चाहिए. हिंगर का कहना है
SWP रिटायरमेंट के बाद की इनकम के लिए एक बेहतर टूल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसे इस तरह समझिये. जब आपको रिटायरमेंट के समय एकमुश्त फंड मिलता है तो उन्हे बैलेंस्ड, डेट या इक्विटी फंड में अपनी रिस्क क्षमता के मुताबिक निवेश करें. उसके बाद हर महीने निश्चित इनकम के लिए SWP का ऑप्शन चुने. इक्विटी के लिए 7-8 फीसदी सालाना का SWP एक आइडियन विद्ड्रॉल अमाउंट है.
SWP: कब चुने यह ऑप्शन
मनीष हिंगर का कहना है कि अमूमन यह रिटायर्ड लोगों के लिए बेहतर है, जिन्हें एक निश्चित इनकम की जरूरत रहती है. इसलिए एकमुश्त या एडहॉक निकासी की बजाय बेहतर तरीका यही है कि म्यूचुअल फंड स्कीम्स से SWP के जरिए निकासी करें. आप हर महीने म्यूचुअल फंड से एक विद्ड्रॉल के लिए अपने फंड हाउस को कह सकते हैं और वह अमाउंट आपके बैंक अकाउंट में जमा हो जाएगी. यह न केवल रिटायरमेंट के लिए बल्कि रेगुलर इंटरवल पर बच्चों की पढ़ाई के लिए होने वाले खर्चों के लिए भी इस ऑप्शन को चुन सकते हैं.
SWP: रेग्युलर इनकम का बेहतर ऑप्शन
बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि रेग्युलर इनकम का ऑप्शन तलाश रहे लोगों के लिए यह एक अच्छा ऑप्शन है. इसमें पूरा कंट्रोल निवेशक के हाथ में होता है. SWP रेगुलर विद्ड्रॉल है. इसके जरिये स्कीम से यूनिटों को भुनाया जाता है. वहीं अगर तय समय बाद सरप्लस पैसा होता है तो वह आपको मिल जाता है. जहां तक टैक्स की बात है, इसमें वैसे ही टैक्स लगेगा जैसा इक्विटी और डेट फंड के मामले में लगता है. जहां होल्डिंग की अवधि 12 महीने से ज्यादा नहीं है, वहां निवेशकों को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना होगा. अगर किसी स्कीम में निवेश कर रहे हैं तो आप उसमें SWP ऑप्शन को एक्टिवेट कर सकते हैं.
अपनी बास्केटबॉल खिलाड़ी चाहिए तो हमारा 'मौत का सौदागर' वापस दे दो, रूस की डिमांड सुन भड़का अमेरिका
सर्गेई रयाबकोव स्वैप का लंबा रूप क्या है? ने सजायाफ्ता हथियार डीलर विक्टर बाउट को अमेरिका से छोड़ने को कहा है। उन्होंने कहा कि बास्केटबॉल खिलाड़ी ब्रिटनी ग्राइनर के बदले में अमेरिका को विक्टर बाउट को छोड़ना होगा।
यूक्रेन में चल रहे युद्ध के बीच अमेरिका और रूस एक समझौते पर बात कर रहे हैं। यह समझौता कैदियों की अदला-बदली को लेकर हो रहा है। दरअसल अमेरिका की एक फेमस बास्केटबॉल खिलाड़ी ब्रिटनी ग्राइनर इस समय रूस की जेल में बंद हैं। अमेरिका ब्रिटनी ग्राइनर को रूस की जेल से छुड़ाने के लिए रूस के कुछ कैदियों को छोड़ने की योजना बना रहा है। ग्राइनर को ड्रग के आरोप में दोषी ठहराया गया है और रूसी जेल में कैद हैं।
हाल ही में रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने दावा किया था कि अमेरिकी बास्केटबॉल खिलाड़ी ब्रिटनी ग्राइनर को रूसी जेल से मुक्त करने और उसे घर लाने के लिए नए सिरे से "गतिविधि" शुरू की गई है। अमेरिका ने रूस के उप विदेश मंत्री के दावों का खंडन किया है।
रूस ने रखी विक्टर बाउट को छोड़ने की मांग
रूसी मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, सर्गेई रयाबकोव ने सजायाफ्ता हथियार डीलर विक्टर बाउट को अमेरिका से छोड़ने को कहा है। उन्होंने कहा कि बास्केटबॉल खिलाड़ी ब्रिटनी ग्राइनर के बदले में अमेरिका को विक्टर बाउट को छोड़ना होगा। विक्टर बाउट को 'मौत का सौदागर' कहा जाता है। वह एक रूसी नागरिक है और अमेरिका में 25 साल जेल की सजा काट रहा है।
रयाबकोव ने कथित तौर पर कहा, "हम में अभी तक आम सहमति नहीं बनी है, लेकिन निस्संदेह, विक्टर बाउट उन लोगों में से है जिन पर चर्चा की जा रही है और जाहिर तौर पर हम सकारात्मक परिणाम की उम्मीद कर रहे हैं। अमेरिकी कुछ दिलचस्पी दिखा रहे हैं और हम उचित चैनलों के माध्यम से इस पर काम कर रहे हैं।"
रूस के इन दावों पर अमेरिका भड़का नजर आ रहा है। अमेरिका का कहना है कि रूस पहले के प्रस्ताव पर नेक नियत नहीं दिखा रहे हैं। जवाब में, अमेरिकी सरकार ने कहा, "हम किसी भी प्रस्ताव की बारीकियों पर टिप्पणी नहीं करेंगे। हम इतना जरूर कहेंगे कि हमने रूस को एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव दिया है लेकिन रूसी संघ नेक नीयत से बातचीत करने में लगातार विफल रहा है।"
कौन है मौत का सौदागर विक्टर बाउट?
मौत के सौदागर विक्टर बाउट के बारे में कहा जाता है कि वह अपने हथियारों की आपूर्ति के साथ दुनिया भर में हिंसा को बढ़ावा देता था। कुख्यात, विक्टर बाउट को लंबे समय तक अवैध हथियारों की तस्करी की छायादार दुनिया में एक प्रमुख व्यक्ति माना जाता था।
2008 में उसकी गिरफ्तारी से पहले, बाउट का कामकाजी नेटवर्क अफगानिस्तान, पाकिस्तान, इराक, सूडान, अंगोला, कांगो, लाइबेरिया, फिलीपींस, रवांडा और सिएरा लियोन तक फैला हुआ था। उसके कारनामों ने उसे 'मौत का सौदागर' बनाया, और यहां तक कि हॉलीवुड फिल्म 'लॉर्ड ऑफ वॉर' में अभिनेता निकोलस केज द्वारा निभाया गया कैरेक्टर उसी से प्रेरित था।
बाउट कथित सैन्य खुफिया पृष्ठभूमि वाला एक पूर्व सोवियत वायु सेना अधिकारी है। बाउट ने पुराने लेकिन अत्यधिक मजबूत एंटोनोव, इल्युशिन और याकोवलेव कार्गो विमानों के एक निजी बेड़े को खरीदा था जो सोवियत संघ के पतन के बाद कबाड़ में जाने वाले थे। एक रिपोर्ट के अनुसार, उसका नया स्टार्ट-अप रूसी सैन्य खुफिया सेवा जीआरयू की मदद से शुरू हुआ, जिससे उसने पहले तीन विमान खरीदे।
उसका एयर फ्रेट ऑपरेशन जल्द ही हथियारों की दुनिया का सबसे खतरनाक व्यवसाय बन गया। वह खुद को लाइमलाइट से दूर रखता था और यही वजह है कि 9/11 से पहले बड़े पैमाने पर दुनिया उसकी गतिविधियों से बेखबर रही। 2007 में 'मर्चेंट ऑफ डेथ' शीर्षक से उस पर एक किताब लिखी गई।
ICICI बैंक के ग्राहक सावधान! न करें ये गलती, एक झटके में खाली हो सकता है अकाउंट
ICICI Bank Alert- सिम के पीछे लिखा हुआ 20 अंकों वाला सिम नंबर किसी के भी साथ शेयर न करें. ध्यान रखें कंपनी कभी सिम नंबर नहीं पूछेगी.
- शुभम् शुक्ला
- Publish Date - April 9, 2021 / 08:39 PM IST
ICICI Bank Alert: आईसीआईसीआई बैंक ने अपने करोड़ों ग्राहकों को सिम स्वैप फ्रॉड (Sim Swap Fraud) को लेकर अलर्ट किया है. अगर अलर्ट पर ध्यान नहीं दिया तो बैंक अकाउंट डिटेल्स हैकर्स के हाथ लग सकती हैं. ICICI बैंक ने कहा है कि कभी भी अपने कॉन्टैक्ट डिटेल्स को सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा न करें. सिम स्वैप के जरिए चंद मिनटों में खाता खाली किया जा सकता है. पिछले कुछ समय से हैकर्स अकाउंट को हैक नहीं कर रहे हैं. बल्कि लोगों का अकाउंट हैक करने के वह एक नई तकनीक का सहारा ले रहे हैं. बैंक के मुताबिक, SIM स्वैप फ्रॉड से लोगों के अकाउंट खाली किए जा रहे हैं. ICICI बैंक ने अपने ग्राहकों को इससे बचने के टिप्स भी जारी किए हैं.
ICICI के ग्राहक मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं. अपने मोबाइल फोन में वित्तीय लेनदेन के लिए आवश्यक खाता-संबंधी अलर्ट, वन टाइम पासवर्ड (OTP), यूनिक रजिस्ट्रेशन नंबर (URN), 3D सिक्योर कोड हासिल कर सकते हैं. इसके जरिए फाइनेंशियल पूछताछ भी करते हैं. बैंक ने कहा अगर आपका नंबर अचानक काम करना बंद कर दे तो तुरंत अपने ऑपरेटर से इसकी पूछताछ करें. सिम के पीछे लिखा हुआ 20 अंकों वाला सिम नंबर किसी के भी साथ शेयर न करें. ध्यान रखें कंपनी कभी सिम नंबर नहीं पूछेगी. इस मोबाइल नंबर से आपके बैंक खाते लिंक हैं, उसे कभी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर डिस्प्ले न करें.
क्या है SIM स्वैप?
सिम कार्ड में यूजर का डाटा स्टोर्ड होता है. सिम यूजर की ऑथेंटिकेशन के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यही वजह है कि आप बिना सिम के किसी दूसरे नेटवर्क से नहीं जुड़ते. सिम स्वैप फ्रॉड में सिम का इस्तेमाल होता है. सीधे तौर पर कहा जाए तो, आपके पास जो भी सिम (मोबाइल नंबर) है, वह अचानक बंद हो जाता है. असल में होता यह है कि आपके नाम से जो भी सिम है, उस सिम को हैकर स्वैप कर लेते हैं. फिर स्वैप किए गए सिम को क्लोन करके उसका नकली सिम (डुप्लीकेट) बना लिया जाता है. अब वही नंबर के सिम को हैकर अपने नाम से शुरू कर लेता है. फिर हैकर आपके सभी बैंकों के OTP को जेनरेट करके उसका गलत फायदा उठता है. OTP की मदद से अकाउंट से चंद मिनटों में पैसे निकाले जाते हैं
कैसे होती है धोखाधड़ी?
सिम स्वैप फ्रॉड का सबसे आसान तरीका है. यह एक कॉल के जरिए शुरु होता है. आपके नंबर पर एक कॉल आएगी, जिसमें टेलीकॉम कंपनी का एग्जीक्यूटिव बनकर हैकर आपको कॉल करेगा. इस कॉल पर आपको नेटवर्क बेहतर बनाने के लिए फोन नंबर ऑथेंटिकेट करने के लिए कहा जाएगा. कॉलर आपसे नेटवर्क सुधारने के लिए आपसे सिम के पीछे प्रिंट 20 डिजिट वाला नंबर पूछ सकता है. हैंकर्स को जैसे ही आप 20 डिजिट वाला नंबर बताएंगे तो आपसे 1 दबाने को कहेगा. यह सिम स्वैप करने की सहमति के लिए होता है. टेलीकॉम कंपनी आपकी इस रिक्वेस्ट को स्वीकार कर लेगी. इस तरह आपका सिम कार्ड ब्लॉक हो जाएगा और दूसरा यानी स्वैप किया गया सिम एक्टिवेट हो जाएगा.
OTP जेनरेट के लिए इस्तेमाल
सिम स्वैप करने वाले हैकर के पास आपके बैंक अकाउंट की डिटेल्स होती हैं या फिर आपका डेबिट कार्ड का नंबर होता है. बस जरूरत होती है तो ओटीपी की, सिम स्वैपिंग की मदद से उसे ओटीपी भी मिल जाएगा.
ICICI बैंक ने दिए टिप्स
अगर आपके फोन में लंबे समय से नेटवर्क नहीं आ रहा है और आपको कोई कॉल रिसीव नहीं हो रहा है तो तुरंत अपने मोबाइल ऑपरेटर से संपर्क करें.
अपने मोबाइल नंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर शेयर न करें.
अगर आपको SIM स्वैप का अंदेशा होता है तो तुरंत अपने मोबाइल ऑपरेटर से कॉन्टैक्ट करें.
अगर आपको बार-बार अननोन कॉल्स आ रही हैं तो अपने फोन को स्विच ऑफ न करें. ऐसा हो सकता है कि धोखाधड़ी करने वाले चाहते हों कि आप फोन स्विच ऑफ करें और वे अपना काम कर लें.
अपने सभी ट्रांजेक्शन के बारे में व अन्य अपडेट्स पाने के लिए SMS और e-mail दोनों ही अलर्ट को ऑन करवाएं.
समय-समय पर अपने बैंक स्टेटमेंट्स और ऑनलाइन बैंकिंग ट्रांजेक्शन हिस्ट्री को लगातार चेक करते रहें.
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