Written By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: July 29, 2022 18:56 IST

Power Breakfast: अमेरिकी बाजार लगातार 5वें दिन गिरे, Dow Jones 330 अंक गिरा, चीन का Yuan 14 साल के निचले स्तर पर पहुंचा

सोमवार को लगातार पांचवें दिन अमेरिकी बाजार गिरे. Dow Jones 330 अंक, Nasdaq 0.6%, Russell 2000 1.4% लुढ़के. चीन का युआन 14 साल के निचले स्तर पर भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश पहुंचा. UK पाउंड भी रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया. सोना 2.5 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया.

अमेरिकी शेयर बाजार में कैसे करें निवेश, क्या ये सही समय है?

एक वित्तीय वर्ष में 2,50,000 डॉलर यानी करीब 1 करोड़ 80 लाख रुपये भारतीय सीमा के बाहर निवेश कर सकते हैं.

अमेरिकी शेयर बाजार में कैसे करें निवेश, क्या ये सही समय है?

जबरदस्त रिटर्न के लिए अच्छी और मुनाफा बनाने वाली कंपनी की तलाश हर निवेशक को होती है. हो सकता है ऐसे में आपका मन टेस्ला, अमेजन या नेटफ्लिक्स जैसी कंपनी पर आया हो जो भारतीय बाजार नहीं बल्कि US के बाजार में निवेश के लिए मौजूद है. आइए ऐसे में समझते हैं एक भारतीय निवेशक के लिए अमेरिकी बाजार में निवेश से जुड़े विभिन्न पहलुओं को-

अमेरिका में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर पैकेज के ऐलान के बाद S&P 500 इंडेक्स अप्रैल में पहली बार 4,000 का स्तर पार कर गया.

कितना बड़ा है US स्टॉक मार्केट?

अमेरिकी शेयर बाजार दुनिया का सबसे बड़ा इक्विटी मार्केट है. US के दो बड़े स्टॉक एक्सचेंज, न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज और नैस्डैक में अमेजन, टेस्ला, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, इत्यादि विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों के शेयर लिस्टेड हैं. अमेरिकी बाजार से जुड़े विभिन्न इंडेक्स जैसे S&P 500 इंडेक्स, भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज और नैस्डैक कंपोजिट इंडेक्सों का इस्तेमाल निवेशकों की दृष्टि से US और विश्व की अर्थव्यस्था को समझने के लिए किया जाता है. साथ ही दुनिया के दूसरे बाजारों पर भी इनकी दिशा का बड़ा असर होता है. दूसरे देशों की कंपनियां भी विभिन्न वजहों से अपनी लिस्टिंग US बाजार में करवाती है.

निवेश के क्या हो सकते हैं फायदे?

निवेशक हमेशा रिस्क को कम करने के लिए अपने पोर्टफोलियो में विभिन्न सेक्टर और अलग अलग तरह के स्टॉक्स रखना चाहते हैं. इस दृष्टि से किसी भी बाहरी बाजार में निवेश नए विकल्पों को खोल देता है. US बाजार में कई दूसरे देशों की कंपनियों भी खुद को लिस्ट करवाती है.

बीते वर्षों में अमेरिकी बाजार में भारतीय बाजार की तुलना में कम वोलैटिलिटी देखी गई है. काफी बार रिटर्न के मामले में भी US के बाजार का प्रदर्शन भारतीय बाजार से बेहतर रहा है. रुपये के डॉलर की तुलना में कमजोर होने का भी निवेशकों को फायदा मिल सकता है.

स्टार्टअप हब होने के कारण US में अच्छी क्षमता वाली कंपनियों में शुरुआत में निवेश का मौका होता है. इसी तरह भारत या अन्य बाजारों में कई बड़ी कंपनियों की सब्सिडियरी लिस्ट होती है जबकि US बाजार में सीधे निवेश से ज्यादातर ऐसी कंपनियों में आसानी से निवेश कर सकते हैं.

कैसे कर सकते हैं निवेश शुरु?

US बाजार में निवेश के दो रास्ते हैं.

पहला तरीका सीधे निवेश का है. इसमें निवेशक भारतीय बाजार की तरह ही ब्रोकर के साथ रजिस्ट्रेशन कर स्टॉक्स में खरीद बिक्री कर सकता है. आजकल भारतीय ब्रोकरेज कंपनियां भी अमेरिकी ब्रोकरेज हाउस के साथ करार कर निवेशकों को आसान निवेश की सुविधा देती हैं. निवेशक जरूरी पैन कार्ड, घर के पते को सत्यापित करने वाले ID के साथ सीधे अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी के साथ भी बाजार में व्यापार के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं.

दूसरा तरीका म्यूचुअल फंड के रास्ते निवेश का हो सकता है. भारत में अनेकों म्यूचुअल फंड US बाजार आधारित फंड चलाते हैं. ऐसे फंड या तो सीधा अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड शेयरों में निवेश करते हैं या ऐसे बाजारों से जुड़े दूसरे म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं. इस प्रक्रिया में किसी अलग तरह के रजिस्ट्रेशन और बाजार के गहरी समझ की जरूरत नहीं है.

पैसों के लेनदेन की क्या है प्रक्रिया?

अमेरिकी बाजार में निवेश के लिए भारतीय करेंसी को US डॉलर में बदलना होता है. फॉरेन एक्सचेंज संबंधी गतिविधि होने के कारण यहां RBI के लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के नियमों का पालन जरूरी है. नियमों के तहत एक व्यक्ति बिना विशेष अनुमति के एक वित्तीय वर्ष में 2,50,000 डॉलर यानी करीब 1 करोड़ 80 लाख रूपये भारतीय सीमा के बाहर निवेश कर सकता है.

किसी भी बाजार में निवेश से बनाए पैसे पर भारत सरकार टैक्स लगाती है. नियमों के अनुसार अवधि के मुताबिक शार्ट या लांग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगाया जा सकता है. हालांकि डिविडेंड पर टैक्स US गवर्नमेंट लगाती है.

निवेश से पहले किन बातों को समझना जरूरी?

US या अन्य विदेशी बाजारों में निवेश से पहले इन्वेस्टमेंट से जुड़े विभिन्न तरह की फीस और चार्ज को समझना काफी जरूरी है. रुपये को डॉलर में भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश कन्वर्ट करने की प्रक्रिया से लेकर म्यूचुअल फंड द्वारा चार्ज की जाने वाली एक्स्ट्रा फीस कमाई पर असर डाल सकती है. ब्रोकरेज कंपनियां भी स्पेशल दरों पर ब्रोकरेज चार्ज करती है. ऐसे में बेहतर है कि शार्ट टर्म के लिए और ज्यादा समझ के बिना निवेश ना करें. लंबे समय के निवेश ज्यादा रिटर्न दिला सकता है. ज्यादा रिस्क से बचने के लिए इंटरनेशनल म्यूचुअल फंड में निवेश बेहतर हो सकता है.

बाइडेन ने कर दी नोटों की बौछार, क्या करेंगे हमारे शेयर बाजार?

बाइडेन ने कर दी नोटों की बौछार, क्या करेंगे हमारे शेयर बाजार?

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Share market outlook: मोटा मुनाफा कमाने के लिए निवेशक हो जाएं तैयार, दिसंबर तक 19 हजारी हो सकता है निफ्टी

Share market outlook: बैंक ऑफ अमेरिकी सिक्यॉरिटीज का मानना है कि तमाम फैक्टर्स भारतीय बाजार के लिए सकारात्मक हैं. ऐसे में दिसंबर तक निफ्टी 19 हजार के पार पहुंच सकता है. वर्तमान स्तर से यह 8-10 फीसदी की तेजी है.

Share market investment: अगर आप शेयर बाजार के निवेशक हैं तो आने वाले कुछ महीनों में बंपर कमाई के मौके हैं. अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म बैंक ऑफ अमेरिका सिक्यॉरिटीज (Bank of America) का मानना है कि दिसंबर के अंत तक निफ्टी 19500 के स्तर तक पहुंच सकता है. उसने भारतीय बाजार के अपने अनुमान में संशोधन किया है. बोफा का अनुमान है कि दिसंबर अंत तक निफ्टी 18500 से 19500 अंक के दायरे में रहेगा. अभी निफ्टी 17650 के स्तर पर है. वर्तमान स्तर के मुकाबले यह तेजी 8-10 फीसदी की है.

FPI इस महीने अब तक 50 हजार निवेश कर चुका है

ब्रोकरेज का कहना है कि विदेशी निवेशकों (Foreign Investors) की वापसी हो चुकी है. NSDL की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, अगस्त में एफपीआई (Foreign Portfolio Investors) ने अब तक करीब 50 हजार करोड़ का निवेश किया है. सरकार की वित्तीय स्थिति में सुधार हो रहा है. टैक्स कलेक्शन रिकॉर्ड स्तर पर है. CBDT के चेयरमैन नितिन गुप्ता ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अब तक टैक्स कलेक्शन 4.75 लाख करोड़ का है. सालाना आधार पर इसमें 33 फीसदी की तेजी देखी जा रही है. चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने 14.20 लाख करोड़ के टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य रखा है.

चीन में तेज रिकवरी का होगा नकारात्मक असर

बोफा के विश्लेषकों ने कहा कि सकारात्मक और नकारात्मक जोखिम के बीच हम उम्मीद करते हैं कि निफ्टी 17000 से 19500 अंक के दायरे में कारोबार करेगा. दिसंबर के लिए हमारा मूल-लक्ष्य 18500 अंक का है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बाजार के सामने प्रमुख चुनौतियों की बात करें तो ग्लोबल मैक्रो इकोनॉमिक डेटा कमजोर है. चीन में इकोनॉमिक रिकवरी की रफ्तार उम्मीद से बेहतर से जिससे भारत में आने वाले विदेशी निवेश (FII) पर असर दिख सकता है. इसके अलावा ग्लोबल पॉलिटिक्स में जो कुछ चल रहा है वह नकारात्मक है. अगर ग्लोबल पॉलिटिकल टेंशन बढ़ती है तो बाजार पर दबाव बढ़ेगा. इस परिस्थिति में निफ्टी 17000 की तरफ बढ़ेगा.

चुनाव नहीं होने से खुलकर फैसला लेगी सरकार

बोफा ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि नवंबर 2023 तक केवल दो बड़े राज्य- कर्नाटक और गुजरात में चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में सरकार रिफॉर्म को लेकर खुलकर फैसला से सकती है. इमर्जिंग मार्केट में भारत की हालत बेहतर है. महंगाई का दबाव कम है. इमर्जिंग मार्केट की करेंसी के मुकाबले रुपए का प्रदर्शन भी बेहतर है. क्रूड और कमोडिटी की कीमत में गिरावट जारी है जिससे महंगाई को कम करने में मदद मिल रही है. इन तमाम फैक्टर्स का बाजार पर सकारात्मक असर होगा.

बहुत जल्द 62 हजारी होगा सेंसेक्स

IIFL सिक्यॉरिटीज के अनुज गुप्ता का भी कहना है कि बहुत जल्द निफ्टी 18 हजार के स्तर को पार करेगा और 18200 की तरफ बढ़ेगा. बैंक निफ्टी 40500 के स्तर तक पहुंचेगा. सेंसेक्स में 62000 तक का स्तर भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश बहुत जल्द देखने को मिल सकता है. उन्होंने कहा कि बाजार के लिए ज्यादातर फैक्टर्स पॉजिटिव हैं.

Investment Tips: शेयर मार्केट से करोड़पति कैसे बनें? आपका भी है यही सवाल? ये 7 जवाब

अमित कुमार दुबे

पैसा कमाना हर किसी को अच्छा लगता है. कहा जाता है कि शेयर बाजार में बहुत पैसा है. कुछ लोगों को उदाहरण दिया जाता है कि इन्होंने महज 5000 रुपये से निवेश की शुरुआत की थी, और आज शेयर बाजार से करोड़ों रुपये बना रहे हैं. आखिर उनकी सफलता का राज क्या है, आज हम आपको बताएंगे? (Photo: Getty Images)

How can I earn 1 crore easily

दरअसल, आप भी कुछ आसान टिप्स को फॉलो कर शेयर बाजार से पैसे बना सकते हैं. शेयर बाजार में कुछ बातों का ध्यान रखकर आप लखपति से करोड़पति बन सकते हैं. लेकिन अक्सर लोग पैसे बनाने की होड़ में नियम और रिस्क को भूल जाते हैं, या फिर कहें जानबूझकर नजरअंदाज कर देते हैं. और फिर उनकी उनकी शिकायत होती है कि शेयर बाजार से बड़ा नुकसान हो गया. (Photo: Getty Images)

Major Reasons Retail Investors Lose Money in the Stock

यह भी एक कड़वी सच्चाई है कि शेयर बाजार से 90 फीसदी से ज्यादा रिटेलर पैसा नहीं बना पाते हैं, हर रिटेल निवेशक को शेयर बाजार में कदम रखने से पहले इसे आंकड़े को ध्यान में रखना चाहिए. लेकिन एक इसमें एक अच्छी बात यह है कि 10 फीसदी रिटेल निवेशक पैसे बनाने में सफल रहते हैं. क्योंकि वे नियमों को फॉलो करते भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश हैं. (Photo: Getty Images)

शुरुआत कैसे करें:

अब आइए आपको बताते हैं कि शेयर बाजार के आप कैसे करोड़पति बन सकते हैं.

1. शुरुआत कैसे करें: शेयर बाजार में निवेश से पहले ये भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश जानने की कोशिश करें कि शेयर बाजार क्या है? शेयर बाजार कैसे काम करता है? लोगों को शेयर बाजार से कैसे कमाई होती है? क्योंकि शेयर बाजार कोई पैसे बनाने की मशीन नहीं है. डिजिटल के इस दौर में आप घर बैठे ऑनलाइन इस बारे में जानकारी जुटा सकते हैं. इसके अलावा आप इस मामले में वित्तीय सलाहकार की मदद ले सकते हैं. जो आपको शुरुआत में सही दिशा बताएंगे.

छोटी रकम से करें निवेश की शुरुआत


2. छोटी रकम से करें निवेश की शुरुआत: ये जरूरी नहीं है कि शेयर बाजार में निवेश के लिए बड़ी रकम होनी चाहिए. अधिकतर लोग यही भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश गलती करते हैं. अपनी पूरी जमापूंजी शेयर बाजार में लगा देते हैं. फिर बाजार में उतार-चढ़ाव को झेल नहीं पाते हैं. आप छोटी रकम यानी महज 5 रुपये से भी निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. (Photo: Getty Images)

टॉप कंपनियों को चुनें

3. टॉप कंपनियों को चुनें: शुरुआत में बहुत ज्यादा रिटर्न पर फोकस करने से बचें. क्योंकि बहुत ज्यादा रिटर्न के चक्कर में लोग उन कंपनियों स्टॉक्स में पैसे लगा देते हैं, जो फंडामेंटली मजबूत नहीं होते हैं, और फिर फंस जाते हैं. इसलिए निवेश की शुरुआत अक्सर लार्ज कैप कंपनियों से करें. जो फंडामेंटली मजबूत हो. जब भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश आपको कुछ साल का अनुभव हो जाएगा तो फिर थोड़ा रिस्क ले सकते हैं.

 निवेशित रहने की जरूरत

4. निवेशित रहने की जरूरत: जब आप छोटी रकम से निवेश की शुरुआत करेंगे, तो फिर हर महीने निवेश को बढ़ाते रहें. अपने पोर्टफोलियो को संतुलित बनाकर रखें. जब आप लगातार कुछ साल तक बाजार में निवेशित रहेंगे तो फिर आप लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं. अक्सर बाजार में लंबे समय के निवेशित रहने वालों का फायदा होता है. (Photo: Getty Images)

पैनी स्टॉक्स से रहें दूर

5. पैनी स्टॉक्स से रहें दूर: रिटेल निवेशक अक्सर सस्ते स्टॉक्स पर फोकस करते हैं. 10-15 रुपये वाले स्टॉक्स को अपने पोर्टफोलियो में शामिल कर लेते हैं और फिर गिरावट में घबरा जाते हैं. उन्हें लगता है कि सस्ते शेयर में कम निवेश कर ज्यादा कमाया जा सकता है. लेकिन ये सोच गलत है. स्टॉक्स का चयन हमेशा कंपनी की ग्रोथ को देखकर करें. उसी कंपनी में निवेश करें, जिसका बिजनेस अच्छा हो और उस बिजनेस को चलाने वाला मैनेजमेंट अच्छा हो.

 गिरावट में घबराएं नहीं

6. गिरावट भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश में घबराएं नहीं: शेयर बाजार में जब भी गिरावट आए, तो अपने निवेश को बढ़ाने बढ़ाएं. अक्सर रिटेल निवेशक को जब तक कमाई होती है, तब तक वो निवेश में बने रहते हैं. लेकिन जैसे से बाजार में गिरावट का दौर चलता है, रिटेल निवेशक घबराने लगते हैं, और फिर बड़े नुकसान के डर से शेयर सस्ते में बेच देते हैं. जबकि बड़े निवेशकर खरीदारी के लिए गिरावट का इंतजार करते हैं. (Photo: Getty Images)

 कमाई का कुछ हिस्सा करें सुरक्षित निवेश


7. कमाई का कुछ हिस्सा करें सुरक्षित निवेश: शेयर बाजार से होने वाली कमाई के कुछ हिस्से को सुरक्षित निवेश के तौर पर दूसरे जगह पर भी लगाएं. इसके अलावा अपने मुनाफे को बीच-बीच में कैश करते हैं. सबसे अहम और हर रिटेल निवेशक के जरूरी बात यह है कि वे बिना जानकारी शेयर बाजार से दूर रहें, और निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें. देश के बड़े निवेशकों को फॉलो करें, उनकी बातों को गंभीरता से लें. (Photo: Getty Images)

US Fed Rate Hike: अमेरिका की 'छींक' न कर दे भारत को 'बीमार'! जानिए US Fed की ब्याज दरों में वृद्धि का भारत पर पड़ेगा क्या असर?

भारत में जैसे केंद्रीय बैंक 'रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है(Reserve Bank Of India)' वैसे ही अमेरिका के केंद्रीय बैंक का नाम फेडरल रिजर्व(Federal Reserve) है। अमेरिका इस समय महगांई की मार झेल रहा है। वहां खुदरा महंगाई 42 साल के शीर्ष स्तर पर जा चुकी है।

Vikash Tiwary

Written By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: July 29, 2022 18:56 IST

Inflation- India TV Hindi

Photo:INDIAN GOV Inflation

Highlights

  • अमेरिका में सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व(Federal Reserve) ने ब्याज दर में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी की
  • अमेरिका में महंगाई 42 साल के शीर्ष स्तर पर
  • जुन में अमेरिका की खुदरा महंगाई दर 9.1% रही, जबकी भारत में 7.01%

भारत(India) के बिजनेस जगत में एक कहावत काफी फेमस है कि अमेरिका(America) को छींक भी आती है तो भारत को बुखार आ जाता है। दरअसल, अमेरिका में सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व(Federal Reserve) ने ब्याज दर में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी की है। अमेरिका में बढ़ती महगांई पर लगाम लगाने के लिए ऐसा किया गया है। आज हम ये समझने की कोशिश करेंगे कि अमेरिका ब्याज दरें क्यों बढ़ा रहा है? और उससे भारत को कितना नुकसान होगा? क्या इससे भारतीय रुपये में भी कमजोरी देखने को मिलगी? और भारत इस बुखार से भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश निपटने के लिए कितना तैयार है?

अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से घरेलू शेयर बाजार में शुरुआती गिरावट, सेंसेक्स 50 अंक लुढ़का

शेयर बाजार की बढ़त के साथ हुई शुरुआत, सेंसेक्स 70 अंक उछला, निफ्टी के 50 में से 38 शेयरों में खरीदारी

सीमित दायरे में कारोबार करने के बाद सेंसेक्स 19 अंक गिरकर 31056 पर बंद, अबन ऑफश्योर समेत ये शेयर 10% तक उछले

भारतीय समय अनुसार रात 2 बजे फेड का फैसला आएगा, 30 मिनट बाद जेरोम पॉवेल की प्रेस कॉन्फ्रेंस

अमेरिका में महंगाई 42 साल के शीर्ष स्तर पर

भारत में जैसे केंद्रीय बैंक 'रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया(Reserve Bank Of India)' है वैसे ही अमेरिका के केंद्रीय बैंक का नाम फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) है। अमेरिका इस समय महगांई की मार झेल रहा है। वहां खुदरा महंगाई 42 साल के शीर्ष स्तर पर जा चुकी है। इस पर काबू पाने के लिए Fed लगातार ब्याज दरें बढ़ाने में लगा हुआ है। इससे पहले हुई बैठक में फेड रिजर्व ने 0.50% की बढ़ोतरी की थी, लेकिन उससे महंगाई पर काबू पाने के बजाय और तेजी आती दिखी। जब महंगाई बढ़ने लगती है तब इसका असर सीधा सप्लाई चेन पर पड़ता है। और रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते ग्लोबल सप्लाई चेन पर असर पड़ा है। एक्सपर्ट पहले ही ये अनुमान लगा रहे थे कि फेड ब्याज दर में 0.75 फीसदी की और बढ़ोतरी कर सकता है।

भारत को इससे कितना नुकसान?

भारत को इंटरनेशनल लेवल पर बिजनेस करने के लिए डॉलर की जरूरत होती है। कुछ देश को छोड़ दिया जाए तो विश्व के लगभग सभी देश भारत से डॉलर में ही सामान का आयात-निर्यात करते हैं। इसलिए भारत को डॉलर में व्यापार करने के लिए उसके मुद्रा भंडार में डॉलर का होना बेहद जरूरी हो जाता है। भारत के पास डॉलर या तो विदेशी निवेशक जब निवेश कर भारत में व्यापार करते हैं तब आता है जिसे (Foreign direct investment) FDI कहा जाता है या कोई भारतीय नागरिक विदेश से डॉलर कमा कर घर पैसा भेजता है। या जब कोई विदेशी निवेशक शेयर बाजार या बांड बाजार में निवेश करता है। उसे एफआईआई(Foreign Institutional investment) कहते हैं। अगर कोई इन्वेस्टर FII के जरिए पैसा लगाता है तो उसे आसानी से निकाल सकता है, और विदेशी बाजार में निवेश कर मोटा मुनाफा कमा सकता है। क्योंकि शेयर मार्केट में लगाया पैसा आदमी जब चाहे तब आसानी से निकाल सकता है। और भारत से सबसे ज्यादा जो निवेशक पैसा निकाल रहे हैं। उन्होनें भारत में एफआईआई के जरिए निवेश किया हुआ है। इसका सीधा असर भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ेगा।

अब चूंकि अमेरिका ब्याज दर बढ़ा रहा है तो निवेशक को अमेरिका में पैसे कमाने के रास्ते दिखने लगे हैं। उनके लिए वहां पैसा लगाना आसान भी है क्योंकि अमेरिका की करेंसी भी डॉलर है। यानि आप डॉलर में इंवेस्ट कीजिए और डॉलर में ही मुनाफा कमाइए। वहीं अगर वे भारत में पैसा निवेश करते हैं तो उन्हें डॉलर से रुपये में करेंसी को बदलना होगा। फिर वो रुपये में यहां कारोबार कर सकेंगे। एक तरफ रुपये की वैल्यू भी गिर रही है, इसलिए उन्हें अमेरिका में सभावनाएं ज्यादा दिखती नजर आ रही है। ब्याज दर बढ़ने से अमेरिका में कर्ज महंगे होंगे, और बड़े निवेशकों को इससे मोटा मुनाफा कमाने को मिलेगा।

अमेरिकी Fed के फैसले के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की आगामी तीन से पांच अगस्त को होने वाली मौद्रिक नीति भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश समीक्षा में रेपो रेट बढ़ने की आशंका है। अगर भारत में भी रेपो रेट बढ़ा दिया जाता है तो इससे देश में कर्ज महंगे हो जाएंगे। नागरिकों को EMI ज्यादा देना पड़ेगा।

क्या भारत में बैठ कर कीजिए अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश भारतीय रुपया इससे कमजोर होगा?

भारतीय रूपये की मजबुती उसके मुद्रा भंडार में जमा डॉलर और बाजार तय करते हैं। अमेरिका ने जब से ब्याज दर बढ़ाई है। विदेशी निवेशक जिनका भारतीय शेयर बाजार में पैसा लगा है। वह पैसा निकालकर अमेरिका ले जा रहे हैं, क्योंकि उन्हें वहां ज्यादा रिटर्न मिलेगा। इसका सीधा असर आने वाले समय में भारतीय रूपया पर देखने को मिलेगा। इससे शेयर बाजार में भी काफी गिरावट दिखेगी। भारत कच्चा तेल का 80% इंपोर्ट करता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक बैरल कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर से अधिक चल रही है। यानि हमें तेल खरीदने के लिए ज्यादा डॉलर चुकाना पड़ रहा है। यह डॉलर तेल कंपनियों को बाजार से खरीदना पड़ता है। एक तरफ विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से पैसा निकालना और दूसरी तरफ बढ़ती डॉलर की मांग रूपये को कमजोर करने में बड़ी भूमिका निभा रही है।

भारत इससे निपटने के लिए तैयार है?

जुन में अमेरिका की खुदरा महंगाई दर 9.1% है, जबकी भारत में 7.01% है। जो पिछले महीने यानि मई से 0.03% कम है, जबकी अमेरिका में मई महीने में 8.6 फीसदी महंगाई दर थी। जो कि जुन में और बढ़ गई। अमेरिका की तुलना में देखा जाए तो भारत में महंगाई दर कम है लेकिन भारत की करेंसी अमेरिका की डॉलर से काफी कमजोर है। भारत अगर अपनी निर्भरता डॉलर से कम करना शुरू कर दे तो रुपये में हो रही गिरावट और बढ़ रही महंगाई पर कुछ हद तक लगाम लगाया जा सकता है। लेकिन निकट भविष्य में ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

रेटिंग: 4.26
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 598