NSE में 1600 से भी ज्यादा companies registered है। निफ्टी इन सभी कंपनियों को इंडेक्स नही करता। निफ्टी में इंडेक्स होने के लिए देश के 12 अलग-अलग सेक्टर की 50 सबसे बड़ी, आर्थिक रूप से मजबूत तथा सबसे ज्यादा मार्केट कैप वाली कंपनियों को चुना जाता है।
NSE Trading Interruption:क्या है इसका मतलब, निवेशकों पर क्या होता है इसका असर, जानिए सब कुछ
ट्रेड होने वाले कॉन्ट्रैक्टों की संख्या के आधार पर दुनियाा के सबसे बड़े डेरिवेटिव एक्सचेंज National Stock Exchange (NSE) में कल यानी 24 फरवरी को हमें एक बड़ी तकनीकी गड़बड़ी (technical glitch) की वजह से ट्रेडिंग में व्यवधान का सामना करना पड़ा और पूरे 4 घंटे कोई ट्रेडिंग नहीं हो सकी। यहां हम तकनीकी गड़बड़ी से संबंधित सभी सवालों और निवेशकों पर इससे प्रभाव से जुड़े सवालों के जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या है तकनीकी गड़बड़ी
सामान्य तौर पर देखें तो टेक्निकल ग्लिच का मतलब स्टॉक एक्सचेंज के कारोबार में उपयोग होने वाले हार्डवेयर सॉफ्टवेयर, यहां तक कि ब्रोकरों से संबंधित लिंक में किसी गड़बड़ी को तकनीकी गड़बड़ी कहा जाता है। जिससे एक्सचेंज का ब्रोकरों से संपर्क टूट जाता है। सामान्य ट्रेडिंग कारोबारी गतिविधियां बाधित हो जाती हैं। आज ट्रेडिंग का कारोबार पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक हो गया है। सेकेंडों में लाखों सौदे पड़ते हैं। ऐसी स्थिति में एक्सचेंज के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में गड़बड़ी लाखों निवेशकों को प्रभावित करती है और नुकसान अरबों में हो सकता है। इसके कई कारण होते हैं।
Stock Exchange Meaning In Hindi स्टॉक एक्सचेंज का सही मतलब क्या है
Stock Exchange को अंग्रेजी एवं हिंदी भाषा में कई अन्य नामों से जाना जाता है जो आपके लिए निम्नलिखित हैं. स्टॉक एक्सचेंज के पर्यायवाची शब्दों को नीचे लिखा गया है.
- Securities Exchange
- Bourse Market
- Share Market
- Stock Market
- प्रतिभूति विनिमय
- सराफा बाजार
- मुद्रा बाजार
- शेयर बाजार
- शेयर बाजार.
ऊपर लिखे गए सभी शब्दों के मीनिंग लगभग एक जैसे हैं. एक शब्द के जगह दूसरे शब्द का प्रयोग ज्यादातर लोग करते हैं. किंतु दैनिक प्रयोग में थोड़ी भिन्नताएं हैं. मेरे ख्याल से आपको इस टेक्निकल डिफरेंस को समझ लेना चाहिए.
स्टॉक एक्सचेंज का सही मतलब क्या होता है?
संक्षिप्त में आपको सबसे पहले शेयर और स्टॉक में थोड़ा सा अंतर समझा देता हूं. किसी भी कंपनी में हिस्सेदारी की सबसे छोटी से छोटी इकाई को शेयर कर सकते हैं. कुछ शेयरों की समूह को स्टॉक कहा जाता है.
क्या आप जानते हैं, भारत में स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है?
अब थोड़ा सा समझते हैं कि शेयर मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर होता है? शेयर मार्केट उस बाजार को कहा जाता है, जहां पर कोई भी रजिस्टर्ड कंपनी अपने शेयरों, बॉन्ड और डेरिवेटिव आदि को जारी कर सकता है. दूसरी तरफ एक निवेशक इन प्रोडक्ट को खरीद या बेच सकते हैं.
स्टॉक एक्सचेंज उस प्लेटफार्म को कहते हैं, जहां पर शेयर मार्केट का कारोबार होता है. क्या आपको पता है ज्ञान की कमी होने के कारण शेयर मार्केट में पैसा पूरी तरह डूब भी जाता है.
भारत में कुल कितने स्टॉक एक्सचेंज हैं?
- बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई), मुंबई.
- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनएसई), मुंबई.
- कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज, कोलकाता
- इंडिया इंटरनेशनल एक्सचेंज (इंडिया आईएनएक्स), गिफ्ट सिटी.
- मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एमएसई), मुंबई.
- एनएसई आईएफएससी लिमिटेड (एनएसई इंटरनेशनल एक्सचेंज), दिल्ली.
1 – आपके शहर में शॉपिंग एरिया कहां पर है?
उत्तर – दलाल स्ट्रीट.
2 – दलाल स्ट्रीट में शॉपिंग करने के लिए क्या है?
उत्तर – वहां पर बड़े बड़े मॉल हैं.
3 – उन बड़े मॉल का क्या नाम है?
उत्तर – उस मॉल का नाम रिलायंस मॉल है.
ऊपर के 3 प्रश्नों के उत्तर को शेयर मार्केट की दुनिया के अनुसार देखते हैं.
1 – आपके देश स्टॉक एक्सचेंज का सही मतलब क्या होता है? में शेयरों की खरीद-फरोख्त कहां पर होता है
Nifty in Hindi: निफ्टी क्या है? – इसकी गणना कैसे होती है
निफ्टी क्या है?- इसकी गणना कैसे होती है? यदि आप इस सवाल का जवाब खोजते हुए, यहाँ आये है, तो आप बिल्कुल सही जगह आये है। इस article में हम सबने Nifty50 और National Stock Exchange से संबंधित सभी जानकारियों को समाहित किया है।
What is Nifty in Hindi?
निफ्टी क्या है?
NSE का full form National Stock Exchange of India है। निफ्टी में 50 कंपनियां शामिल होती है। इसकी शुरुआत नवंबर 1994 को हुयी थी। Nifty शब्द- स्टॉक एक्सचेंज का सही मतलब क्या होता है? National और Fifty से मिलकर बना है। यहाँ Fifty नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में शामिल 50 कंपनियों के लिए है।
निफ्टी, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक है
निफ्टी(Nifty) के बारें में जानने के पहले आपको शेयर बाजार क्या है तथा इसमें निवेश कैसे करते है, इस बात की जानकारी होनी चाहिए।
संक्षेप में :
Stock Market(शेयर बाजार) :- शेयर बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री होती है।
Equity(शेयर) :- शेयर का अर्थ होता है हिस्सा, किसी कंपनी में लगने वाले पूंजी(capital) का हिस्सा।
भारत में दो सूचकांक है
निफ्टी की जानकारी?
Nifty नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध 50 प्रमुख कंपनियों के शेयरों का सूचकांक है। यह National Stock Exchange में शामिल कंपनियों को Index करता है।
निफ्टी की गणना कैसे होती है?
How Nifty is calculated in Hindi
निफ्टी की गणना(Calculation of Nifty) सेंसेक्स के तरह ही Free-float Market Capitalisation के आधार पर की जाती है। Nifty की गणना करते वक्त सेंसेक्स की गणना में उपयोग किये जानेवाले पद्धति का ही इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कुछ टर्म निफ्टी में बदल जाते है।
जो इस प्रकार है स्टॉक एक्सचेंज का सही मतलब क्या होता है? स्टॉक एक्सचेंज का सही मतलब क्या होता है? –
- Nifty की गणना करते वक्त आधार वर्ष(base year) 1995 और आधार वैल्यू(base value) 1000 का उपयोग किया जाता है।
- Nifty की गणना में देश के 12 अलग-अलग सेक्टर की 50 सबसे ज्यादा मार्केट कैप वाली कंपनियों को चुना जाता है।
Market capitalisation तथा Free-float Market capitalisation क्या है
इन दोनों बातों को जानना आपके लिए अत्यंत आवश्यक है। इससे संबंधित बातों को हमने पिछले आर्टिकल सेंसेक्स क्या है – आसानी से समझे में काफी अच्छे से बताया है, आप वहां इसके बारे में ज्यादा जानकारी हासिल कर सकते है।
Stock Exchange: जाने, शेयर बाजार में क्या है अपर सर्किट और लोअर सर्किट?
शेयर बाजार में क्या है अपर सर्किट
- भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार को कुछ सरकारी बैंकों के शेयरों में भारी तेजी दिखी
- इस दिन कुछ सरकारी बैंकों के शेयरों में भारी तेजी देखी गई
- कुछ बैंकों के कारोबार पर सर्किट ब्रेकर भी लगा
- आपको मालूम है कि क्या होता है सर्किट ब्रेकर
- क्यों घटता-बढ़ता है शेयर का मूल्य?
सामान्य निवेशक इस बात को लेकर कभी कभी बहुत हैरान रहते हैं कि शेयर का मूल्य किस हिसाब से बढ़ता और घटता रहता है। शेयर का मूल्य दो कारणों से बढ़ता या घटता रहता है। पहला कारण शेयर की सप्लाई और डिमांड और दूसरा कारण कंपनी द्वारा मुनाफा कमाना या कंपनी का घाटा। लेकिन, अगर हम स्टॉक ट्रेडिंग में देखें तो शेयर की सप्लाई और डिमांड की वजह से अधिकतर शेयर का मूल्य घटता बढ़ता रहता है। जब भी शेयर की डिमांड बढ़ती है यानी ज्यादा लोग खरीदते हैं तो उसका दाम बढ़ जाता है। और, जब लोग शेयर को बेचना स्टार्ट कर देते हैं तब शेयर का मूल्य घटने लगता है यह इस तरह से काम करता है। - क्या है लोअर सर्किट?
मान लीजिए आपके पास किसी कंपनी का शेयर हैं। किसी वर्ष के दौरान उस कंपनी को किसी कारणवश घाटा लगना शुरू हो जाता है। ऐसे में आप उस कंपनी का शेयर बेचने लगेंगे। ऐसे ही बहुत से लोग जो उस कंपनी के शेयर को लिए होंगे वह भी बेचना शुरू कर देंगे। जब सब बेचना शुरू कर देंगे तो एक ही दिन में उस कंपनी का शेयर शून्य तक पहुंच सकता है। ऐसी स्थिति में शेयर का मूल्य एक निश्चित सीमा तक गिरे इसके लिए NSE तथा BSE स्टॉक एक्सचेंज ने कुछ नियम बनाए हैं। जिनके अंतर्गत जब किसी कंपनी में अचानक सब लोग शेयर बेचना शुरू कर दें तो एक निश्चित सीमा तक ही उस शेयर का मूल्य घटेगा। उसके बाद उस शेयर की ट्रेडिंग बंद हो जाएगी। यह जो मूल्य घटने की सीमा है, उसे ही लोअर सर्किट कहते हैं। - लोअर सर्किट का इस्तेमाल कब होता है?
लोअर सर्किट के तीन चरण होते हैं। यह 10 फीसदी, 15 फीसदी और 20 फीसदी की गिरावट पर लगता है। यदि 10 फीसदी की गिरावट दिन में 1 बजे से स्टॉक एक्सचेंज का सही मतलब क्या होता है? पहले आती है, तो बाजार में एक घंटे के लिए कारोबार रोक दिया जाता है। इसमें शुरुआती 45 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है। यदि 10 फीसदी का सर्किट दोपहर 1 बजे के बाद लगता है, तो कारोबार 30 मिनट के लिए रुक जाता है। इसमें शुरुआती 15 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन स्टॉक एक्सचेंज का सही मतलब क्या होता है? होता है। यदि 2.30 बजे के बाद 10 फीसदी का लोअर सर्किट लगता है, तो कारोबार सत्र के अंत तक यानी 03.30 बजे तक जारी रहता है। - क्या है 15 फीसदी का सर्किट नियम?
यदि 15 फीसदी की गिरावट 1 बजे से पहले आती है, तो बाजार में दो घंटे के लिए कारोबार रोक दिया जाता है। इसमें शुरुआती 1 घंटा और 45 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है। यदि 15 फीसदी का सर्किट दोपहर 1 बजे के बाद लगता है, तो कारोबार एक घंटे के लिए रुक जाता है. इसमें शुरुआती 45 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है। यदि 2.30 बजे के बाद 15 फीसदी का लोअर सर्किट लगता है, तो कारोबार के अंत तक यह लगा रहता है। - क्या है अपर सर्किट
अपर सर्किट को एक उदाहरण के जरिए समझते हैं। मान लीजिए कि आपके पास किसी कंपनी के शेयर हैं। उस कंपनी को खूब मुनाफा होता है या किसी कारणवश उस कंपनी में निवेशकों की रूचि बढ़ जाती है। ऐसे में उस कंपनी के शेयर का दाम खूब चढ़ने लगता स्टॉक एक्सचेंज का सही मतलब क्या होता है? है। ऐसे में किसी कंपनी के शेयर का मूल्य एक ही दिन में आसमान में पहुंच जाएगा। इसी हालत से बचने के लिए शेयर बाजार में अपर सर्किट का प्रावधान है। उस निश्चित मूल्य सीमा तक उस कंपनी के शेयर का दाम पहुंचते ही उसमें अपर सर्किट लग जाएगा और उसकी ट्रेडिंग बंद हो जाएगी। जिस तरह से लोअर सर्किट पर 10, 15 और 20 फीसदी का नियम लागू होता है, वही नियम अपर सर्किट पर भी लागू होता है। - कारोबार रुकने के बाद कब और कैसे शुरू होता है?
सर्किट लगने पर कारोबार रुक जाता है। जब बाजार दोबारा खुलता है तो पहले 15 मिनट का प्री-ओपन सत्र होता है। इसके बाद सामान्य कारोबार शुरू होता है और यह अगला सर्किट लगने या सत्र के अंत (जो भी पहले हो) तक जारी रहता है। - सर्किट का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?
सर्किट के स्तर स्टॉक एक्सचेंज द्वारा तय किए जाते हैं। इन्हें निवेशकों और ब्रोकरों के हितों को ध्यान में रख कर लगाया जाता है ताकि उन्हें बाजार के बड़े झटकों से बचाया जा सके। बाजार के उतार-चढ़ाव के दौरान कारोबारियों को करारा झटका लगता है। ऐसी स्थिति में बाजार पर दबाव बढ़ जाता है। - भारतीय शेयर बाजार में कब से हुआ सर्किट का प्रावधान?
भारतीय शेयर बाजार में अपर सर्किट और लोअर सर्किट का इतिहास 28 जून 2001 से शुरू होता है। उसी दिन बाजार नियामक सेबी ने सर्किट ब्रेकर की व्यवस्था की थी। यह व्यवस्था लागू होने के बाद इसका पहली बार इस्तेमाल 17 मई 2004 को हुआ था।
Share खरीदना क्या है:-
जैसे कि उदाहरण के तौर पर BSE में लिस्टेड कंपनी ने अपने कुल 5 लाख शेयर बाजार में जारी किए और आप उस कंपनी के 10000 शेयर खरीदे लेते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि आपको उस कंपनी के 10000 शेयर का मालिकाना मिल गया है।
आपका जब भी मन करे कभी भी और किसी भी समय (कामकाजी दिन) खरीदे गए शेयर के कुछ शेयर या सारे शेयर को बेच भी सकते हो। इन शेयर को खरीदने व बेचने में आपको broker से सहायता लेनी पड़ेगी। Broker अपने सर्विस का कमीशन चार्ज करते हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि BSE/NSE में किसी भी कंपनी के शेयर या स्टॉक के मूल दर्ज होते हैं कंपनी के शेयर का दाम घटना या बढ़ाना उसके क्षमता पर निर्भर करता है
बाजार में नियंत्रण बनाना Security Exchange Board Of India का काम होता है SEBI के परमिशन के बिना कोई भी कंपनी अपना IPO ( Initial Public Offer) जारी नहीं कर सकती है. सबसे पहले सेबी से उस कंपनी को परमिशन लेनी पड़ेगी तभी आईपीओ जारी कर सकती है।
Stock Market में कंपनी कैसे लिस्ट होती है? How to Company listed in Stock Market
सबसे पहले कंपनी को लिस्ट होने के लिए शेयर बाजार से लिखित में कई समझौते करने पड़ेंगे। इसके बाद कंपनी को अपने जरूरी दस्तावेजों को सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया(Security Exchange Board Of India) में जमा करना पड़ता है इसके बाद कंपनी के द्वारा दी गई सारी जानकारियों को सेबी मूल्यांकन करता है सही होने पर कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट हो जाती है।
Over The Counter Exchange of India ( OTCEI):-
दोस्तो OTCEI में small और medium company trade करती है जो stock exchange में लिस्टेड नहीं होती है। OTCEI एक national stock exchange है।
Share Market में नुकसान और शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव कैसे आता है
इतना सब जानने के बाद आप के मन में एक सवाल स्टॉक एक्सचेंज का सही मतलब क्या होता है? जरूर आया होगा कि क्या शेयर बाजार में नुकसान नहीं होता है और अगर नुकसान होता है तो क्यों शेयर के भाव में उतार-चढ़ाव क्यों चलिए आपको इसका भी जवाब दे देते हैं।
आपको बता दें कि शेयर बाजार में अगर आप किसी अच्छी कंपनी के शेयर को खरीदते हैं तो ज्यादा चांस यह हो जाता है कि मार्केट में share के प्राइस बढ़ेंगे।
लेकिन आप जब भी गलत कंपनी के शेयर को खरीद लेते हैं तो आपके पैसे को डूबने के चांस ज्यादा हो जाते हैं। इसीलिए जब भी किसी कंपनी के शेयर खरीदे तो उस कंपनी के बारे में अच्छे से जानकारियां जरूर हासिल कर ले।
Share Bazar (शेयर मार्केट) में निवेश कैसे करें -
1) सबसे पहले आपको शेयर खरीदने के लिए ब्रोकर का सिलेक्शन करना होगा और ब्रोकर को appoint करना जरूरी है क्योंकि SEBI ने इसे जरूरी कर दिया है।
सेबी ने कहा है कि स्टॉक एक्सचेंज में trade करने के लिए जो पहले से मेंबर स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर्ड हैं उनके द्वारा ही आप trade कर सकते हैं।
2) दूसरे स्टेप में आपको ब्रोकर के द्वारा Demat account खुलवाना होगा और अपने बैंक से लिंक कराना होगा।
3) बैंक अकाउंट से Demat account में फंड को ट्रांसफर करें और broker की मदद से आप शेयर खरीद लीजिए।
आप चाहे तो ब्रोकर की वेबसाइट से खुद login करके भी खरीद सकते हैं लेकिन मेरी सलाह यही है कि आप ब्रोकर की मदद से ही पहले शेयर खरीदे।
जब आप ऊपर के steps को सही से फॉलो करेंगे तो खरीदे हुए share आपके Demat account में आ जाएंगे आप जब भी चाहे कामकाजी दिन में broker की मदद से अपने शेयर बेच सकते हैं।
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