भारतीय रेल से कंटेनरीकृत कार्गो परिवहन की रणनीतिक पहल ने मल्टीमोडल मानचित्र पर भारत को पहली बार 1966 में स्थापित किया जब भारतीय रेल ने विशेष भारतीय मानक कंटेनरों से डोर टू डोर डोमेस्टिक कार्गो के बाजार में पदार्पण किया।
यद्यपि कॉनकॉर की स्थापना मार्च 1988 में हो गई थी जिसमें डोमेस्टिक कार्गो के परिवहन हेतु आईएसओ मानक के कंटेनर प्रयोग किए गए। 1993 से 1996 के बीच डोमेस्टिक बिजनेस ही मुख्य रहा। कॉनकॉर के कुल व्यवसाय में आधी हिस्सेदारी 1995-96 में डोमेस्टिक बिजनेस की थी। हालांकि यह व्यवसाय बड़े स्तर पर सीमेंट के चेसिज टू चेसिज परिवहन पर निर्भर था जिसमें पारंपरिक रेल वैगनों की कमी कॉनकॉर के मार्ग में दिखाई दी।
1997 तक यह स्पष्ट हो चुका था कि डोमेस्टिक ट्रैफिक में काफी संभावनाएं है जिन्हें प्राप्त किया जा सकता है लेकिन यह तभी संभव है जब सड़क मार्ग का परिवहन थोक में रेल मार्ग पर लाए जाने का दृष्टिकोण रखा जाए। अत: दिसंबर 1997 में अलग से डोमेस्टिक डिवीजन बनाया गया।
जो माल सड़क मार्ग से परिवहन हो रहा था उसे रेल मार्ग पर लाना ही इस डिवीजन का मुख्य उद्देश्य था। इस डिवीजन का मुख्य लक्ष्य कंटेनरीकृत पीसमील कार्गो का परिवहन करना तथा डोर टू डोर इंटरमोडल की सेवाएं ऑफर करना इसका व्यापक रूप से उद्देश्य था। ग्राहक केंद्रित सेवाएं इस खंड की ताकत है। प्रत्येक सेवा संबंधित ग्राहकों की आवश्यकताओं के अनुरूप है।
टर्मिनलों/हबों के नेटवर्क के माध्यम से डोमेस्टिक डिवीजन कार्य करता है। वर्तमान में 17 टर्मिनल विशेष तौर पर डोमेस्टिक है। कॉनकॉर के अन्य 37 टर्मिनल डोमेस्टिक सेवाएं दे रहे हैं। इसके अतिरिक्त कॉनकॉर सीआरटी तथा प्राइवेट साइडिंग से सेवा प्रदान कर रहा है। कॉनकॉर की पॉलिसी के अनुसार नए टर्मिनलों में से अधिकतर टर्मिनल डोमेस्टिक/अंतरराष्ट्रीय टर्मिनल के रूप में कार्य करने की योजना बनाई जा रही है। कॉनकॉर टर्मिनलों के नेटवर्क की नवीनतम सूची कॉनकॉर की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
डोमेस्टिक कार्गो का परिवहन मुख्यत: मानक 20 फीट कंटेनर पर किया जा रहा है। डोमेस्टिक सर्विस के लिए कॉनकॉर के पास वर्तमान में लगभग 20000 टीईयू का बेड़ा है1 इनमें से अधिकतर कंटेनर स्वयं के व्यापार के लिए स्वतंत्र और अतिरिक्त उपकरण हैं तथा कुछ अल्पाअवधि/दीर्घावधि की लीज पर मांग के अनुसार लिए गए हैं। लीज के अतिरिक्त खाली मूवमेंट के लिए विशेष व्यापार के लिए स्वतंत्र और अतिरिक्त उपकरण कैबोटेज दरों पर पारंपरिक आईएसओ कंटेनरों का प्रयोग कॉनकॉर द्वारा किया जा रहा है। इस तरह से जो कंटेनर आंतरिक कार्गो परिवहन में चलाए जाते हैं, चाहे वे खाली हो, ऐसे कंटेनर कम समय के लिए उधार/लीज पर लिए जाते हैं, (सामान्यत: एक तरफ के लिए)। इस तरह से डोमेस्टिक कार्गो की वहन क्षमता में समग्र वृद्धि होती है। आज देश के निर्यात एवं आयात के अंतर को संतुलित करने के लिए कॉनकॉर शिपिंग लाइनों के खाली कंटेनरों के व्यापक मूवमेंट का कार्य करता है। कैबोटेजिंग के माध्यम से कॉनकॉर शिपिंग लाइनों तथा संभावित डोमेस्टिक ग्राहकों को पर्याप्त छूट भी दे सकती है।
विशेष प्रकार के कार्गो जैसे बल्क, पेरिशेबल, फल एवं सब्जियों हेतु विशेष प्रकार के कंटेनर जैसे ऑपन टॉप, साइड डोर, टैंक, वैंटिलेटिड, रीफर तथा 22 फीट/हाईक्यूब कंटेनर उपलब्ध हैं।
आंतरिक परिचालनों का जोर प्वाइंट से प्वाइंट की समयबद्ध ट्रेन की एक श्रृंखला चलाने में है। इन कॉनट्रैक सेवाओं से ‘विस्तृत हब-स्पोक नीति’ का निर्माण होता है। सड़क मार्ग और रेल मार्ग के माध्यम से बड़े हब टर्मिनल पर कार्गो का समेकन होता है जहॉं से ऐसी कॉनट्रैक सर्विस ऑपरेट होती है।
डोमेस्टिक बिजनेस की वृद्धि हेतु कॉनकॉर की व्यावसायिक रणनीति का संक्षेप रूप निम्नलिखित है -
मेक इन इंडिया
भारतीय अर्थव्यवस्था देश में मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के संकेत के साथ आशावादी रुप से बढ़ रही है । सरकार के नये प्रयासों एवं पहलों की मदद से निर्माण क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है । निर्माण को बढ़ावा देने एवं संवर्धन के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितम्बर 2014 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत की जिससे भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में बदला जा सके।
'मेक इन इंडिया' मुख्यत: निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।
'मेक इन इंडिया' पहल के संबंध में देश एवं विदेशों से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। अभियान के शुरु होने के समय से इसकी वेबसाईट पर बारह हजार से अधिक सवाल इनवेस्ट इंडिया के निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ द्वारा प्राप्त किया गया है। जापान, चीन, फ्रांस व्यापार के लिए स्वतंत्र और अतिरिक्त उपकरण और दक्षिण कोरिया जैसे देशों नें विभिन्न औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारत में निवेश करने हेतु अपना समर्थन दिखाया है। 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत निम्नलिखित पचीस क्षेत्रों - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है की पहचान की गई है:
सरकार ने भारत में व्यवसाय करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाये हैं। कई नियमों एवं प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है एवं कई वस्तुओं को लाइसेंस की जरुरतों से हटाया गया है।
सरकार का लक्ष्य देश में संस्थाओं के साथ-साथ अपेक्षित सुविधाओं के विकास द्वारा व्यापार के लिए मजबूत बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना है। सरकार व्यापार संस्थाओं के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए औद्योगिक गलियारों और स्मार्ट सिटी का विकास करना चाहती है। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है के माध्यम से कुशल मानव शक्ति प्रदान करने के प्रयास किये जा रहे हैं। पेटेंट एवं ट्रेडमार्क पंजीकरण प्रक्रिया के बेहतर प्रबंधन के माध्यम से अभिनव प्रयोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
कुछ प्रमुख क्षेत्रों को अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोल दिया गया है। रक्षा क्षेत्र में नीति को उदार बनाया गया है और एफडीआई की सीमा को 26% से 49% तक बढ़ाया गया है। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई को अनुमति दी गई है। रेल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निर्माण, संचालन और रखरखाव में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई की अनुमति दी गई है। बीमा और चिकित्सा उपकरणों के लिए उदारीकरण मानदंडों को भी मंजूरी दी गई है।
29 दिसंबर 2014 को आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद उद्योग से संबंधित मंत्रालय प्रत्येक क्षेत्र के विशिष्ट लक्ष्यों पर काम कर रहे हैं। इस पहल के तहत प्रत्येक मंत्रालय ने अगले एक एवं तीन साल के लिए व्यापार के लिए स्वतंत्र और अतिरिक्त उपकरण कार्यवाही योजना की पहचान की है।
कार्यक्रम 'मेक इन इंडिया' निवेशकों और उनकी उम्मीदों से संबंधित भारत में एक व्यवहारगत बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। 'इनवेस्ट इंडिया' में एक निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। नये निवेशकों को सहायता प्रदान करने के लिए एक अनुभवी दल भी निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ में उपलब्ध है।
निर्माण को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्य
- मध्यम अवधि में निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर में प्रति वर्ष 12-14% वृद्धि करने का उद्देश्य
- 2022 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी में 16% से 25% की वृद्धि
- विनिर्माण क्षेत्र में वर्ष 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा करना
- समावेशी विकास के लिए ग्रामीण प्रवासियों और शहरी गरीबों के बीच उचित कौशल का निर्माण
- घरेलू मूल्य संवर्धन और निर्माण में तकनीकी गहराई में वृद्धि
- भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाना
- विशेष रूप से पर्यावरण के संबंध में विकास की स्थिरता सुनिश्चित करना
- भारत ने अपनी उपस्थिति दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप दर्ज करायी है
- 2020 तक इसे दुनिया की शीर्ष तीन विकास अर्थव्यवस्थाओं और शीर्ष तीन निर्माण स्थलों में गिने जाने की उम्मीद है
- अगले 2-3 दशकों के लिए अनुकूल जनसांख्यिकीय लाभांश। गुणवत्तापूर्ण कर्मचारियों की निरंतर उपलब्धता।
- जनशक्ति की लागत अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है
- विश्वसनीयता और व्यावसायिकता के साथ संचालित जिम्मेदार व्यावसायिक घराने
- घरेलू बाजार में मजबूत उपभोक्तावाद
- शीर्ष वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों द्वारा समर्थित मजबूत तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षमतायें
- विदेशी निवेशकों के लिए खुले अच्छी तरह विनियमित और स्थिर वित्तीय बाजार
भारत में परेशानी मुक्त व्यापार
'मेक इन इंडिया' इंडिया' एक क्रांतिकारी विचार है जिसने निवेश एवं नवाचार को बढ़ावा देने, बौद्धिक संपदा की रक्षा करने और देश में विश्व स्तरीय विनिर्माण बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए प्रमुख नई पहलों की शुरूआत की है। इस पहल नें भारत में कारोबार करने की पूरी प्रक्रिया को आसान बना दिया है। नयी डी-लाइसेंसिंग और ढील के उपायों से जटिलता को कम करने और समग्र प्रक्रिया में गति और पारदर्शिता काफी बढ़ी हैं।
अब जब व्यापार करने की बात आती है तो भारत काफी कुछ प्रदान करता है। अब यह ऐसे सभी निवेशकों के लिए आसान और पारदर्शी प्रणाली प्रदान करता है जो स्थिर अर्थव्यवस्था और आकर्षक व्यवसाय के अवसरों की तलाश कर रहे हैं। भारत में निवेश करने के लिए यह सही समय है जब यह देश सभी को विकास और समृद्धि के मामले में बहुत कुछ प्रदान कर रहा है।
एक्सचेंज पेशकश - नियम और शर्तें
एक्सचेंज पेशकश कार्यक्रम के भाग के रूप में की गयी खरीद कार्यक्रम के नियमों और शर्तों के अधीन होगी.
एक्सचेंज पेशकश - नियम और शर्तें
एक्सचेंज पेशकश के अंतर्गत Amazon.in पर की गयी किसी भी खरीद को इन नियमों और शर्तों के अधीन रखा जाएगा:
बिक्री के लिए चेक गणराज्य में विदेशी मुद्रा दलाल लाइसेंस
प्रस्तावित बाजार के मुख्य लाभों में से एक नेशनल बैंक ऑफ चेक रिपब्लिक द्वारा संचालित विनियमन और निगरानी है। यह एक सम्मानजनक बैंक संगठन और राज्य संस्था है जो बाजार नियमों के लिए जिम्मेदार है और निवासियों और विदेशी कंपनियों के लिए समान नियमों और रवैये की गारंटी देता है।
अन्य लाभ विकसित यूरोपीय देशों और उनके बाजारों में प्रवेश करने में आसानी के साथ पड़ोस हैं। चेक गणराज्य में विदेशी मुद्रा लाइसेंस प्राप्त करने के मामले में अन्य यूरोपीय संघ-देशों में एक समान लाइसेंस प्राप्त करने के लिए एक तेज़ प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया को भरने के लिए अतिरिक्त दस्तावेजों की आवश्यकता नहीं है और शुल्क कम है।
गतिविधियों के प्रकार लाइसेंस के तहत
चेक गणराज्य में प्राप्त लाइसेंस 2 प्रकार की सेवाएं प्रदान करने की अनुमति देता है:
- मुख्य निवेश सेवाएं: व्यापार आदेश प्राप्त करना, स्थानांतरित करना और निष्पादित करना, निवेश उपकरणों के साथ व्यापार करना, निवेश उपकरणों का उत्सर्जन, संपत्ति प्रबंधन।
- अतिरिक्त निवेश सेवाएं: निवेश साधन प्रबंधन, इन उपकरणों का भंडारण, निवेश उपकरणों की खरीद के लिए ऋण, परामर्श।
आवेदन करने के लिए आवश्यकताएँ
- सबसे पहले, आपको चेक गणराज्य में एक कानूनी इकाई पंजीकृत करना होगा। यदि आपके पास यहां स्थानीय कंपनी नहीं है तो लाइसेंस के लिए आवेदन करना मना है। कंपनी को एलएलसी या जॉइंट-स्टॉक कंपनी के रूप में पंजीकृत किया जा सकता है।
- इसके अलावा, आपको अपनी विश्वसनीयता का एक प्रमाण तैयार करना होगा: एक दस्तावेज, जिसमें कहा गया है कि कंपनी के मालिकों और भागीदारों के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया गया था।
- कंपनी में कम से कम दो मालिक। उन्हें फॉरेक्स मार्केट में पिछला अनुभव होना चाहिए।
- आपको कुछ दस्तावेजों का व्यापार के लिए स्वतंत्र और अतिरिक्त उपकरण मसौदा तैयार करने की आवश्यकता है: एक वास्तविक लक्ष्य के साथ एक व्यवसाय योजना, ग्राहकों के साथ एक ब्रोकर इंटरैक्शन के नियम, सेवा की शर्तें।
- आपको एक शेयर पूंजी बनानी होगी।
चेक गणराज्य में लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया यूरोपीय संघ के अन्य देशों में प्रक्रिया से भिन्न नहीं है। चेक गणराज्य में लाइसेंस प्राप्त करने के लाभों में से एक कंपनी प्रबंधकों की राष्ट्रीयता के बारे में किसी भी आवश्यकता का अभाव है। यह योग्य कर्मचारियों को उनके निवास की परवाह किए बिना काम पर रखने की अनुमति देता है।
चेक गणराज्य की अधिकृत राजधानी
विदेशी मुद्रा लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाली कंपनी की अधिकृत पूंजी कम से कम 125 हजार यूरो होनी चाहिए। लेकिन सटीक राशि भविष्य की कंपनी की सेवाओं पर निर्भर करती है।
- 125 हजार यूरो की पूंजी के साथ, कंपनी को एक चेक लाइसेंस (STP) प्रदान किया जाता है और उसे कई प्रकार की सेवाएं प्रदान करने की अनुमति होती है। उदाहरण के लिए, प्रतिभूतियों का भंडारण और प्रबंधन या प्रतिभूतियों का मुद्दा।
- 730 हजार यूरो की पंजीकृत पूंजी के साथ, कंपनी को एक चेक लाइसेंस (मार्केट मेकर) प्रदान किया जाता है और मुख्य और द्वितीयक विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए स्वतंत्र और अतिरिक्त उपकरण गतिविधियों को प्रदान करने की अनुमति दी जाती है। इनमें: प्रतिभूतियों का निर्गम और बिक्री, गारंटी प्रदान करते हैं।
साथ ही, आपके व्यापार के लिए स्वतंत्र और अतिरिक्त उपकरण पास उस पर पूंजी के साथ एक सक्रिय बैंक खाता होना चाहिए। यह अवरुद्ध नहीं है और आप इसे अपने वित्तीय कार्यों में उपयोग करने के लिए स्वतंत्र हैं। आपकी पूंजी जितनी अधिक होगी, सेवाओं की व्यापक रेंज आप अपने ग्राहकों को प्रदान कर सकते हैं।
प्रक्रिया का समयांतराल
दस्तावेजों की तैयारी सहित लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया 6 से 9 महीने तक हो सकती है। लाइसेंस की लागत हमारे विशेषज्ञों के साथ जांचना बेहतर है।
कृपया, हमारी टीम से संपर्क करें यदि आपके कोई प्रश्न हैं या आपको लाइसेंस शर्तों और लाभों के बारे में विस्तृत जानकारी चाहिए।
नए ऑफ़र के लिए अपडेट रहने के लिए कृपया हमारे टेलीग्राम चैनल से जुड़ें।
व्यापार के लिए स्वतंत्र और अतिरिक्त उपकरण
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