RBI policy के ऐलान के बाद टूटा बाजार, जानिए क्या है इसकी वजह
Market today:आज के शरुआती कारोबारी सत्र के अधिकांश हिस्से में बाजार दायरे में करोबार करता दिखा। लेकिन RBI policy के ऐलान के बाद बाजार में कमजोरी आती दिखी। फिलहाल 12:15 बजे के आसपास सेंसेक्स 109.64 अंकों की कमजोरी के साथ 62,516.72 के स्तर पर दिख रहा था।
बाजार जानकारों का कहना है कि आरबीआई ने उम्मीद के मुताबिक रेपो क्या है मार्केट सेंटीमेंट रेट में 0.35 फीसदी की बढ़त कर दी लेकिन आरबीआई गवर्नर का टोन हॉकिस बना रहा
Market today:आज के शरुआती कारोबारी सत्र के अधिकांश हिस्से में बाजार दायरे में करोबार करता दिखा। लेकिन RBI policy के ऐलान के बाद बाजार में कमजोरी आती दिखी। फिलहाल 12:15 बजे के आसपास सेंसेक्स 109.64 अंक यानी 0.क्या है मार्केट सेंटीमेंट 18 फीसदी की कमजोरी के साथ 62,516.72 के स्तर पर दिख रहा था। वहीं, निफ्टी 48.70 अंक यानी 0.26 फीसदी की गिरावट के साथ 18,594.05 के स्तर पर दिख रहा था। RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया है कि RBI ने ब्याज दरों (रेपों रेट) में 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी की है। RBI ने रेपो रेट 0.35 फीसदी बढ़ाकर 6.25 किया गया है। रेपो रेट 5.90 फीसदी से बढ़कर 6.25 फीसदी हुआ है। इसी तरह SDF रेट भी 5.65 फीसदी से बढ़ाकर 6 फीसदी कर दिया गया है।
महंगाई के मोर्चे पर आरबीआई की चिंता खत्म नहीं हुई है। यही कारण है कि आरबीआई का रवैया अभी भी हॉकिस (सतर्क) बना हुआ है। FY23 रिटेल महंगाई अनुमान 6.7 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। आज आरबीआई गवर्शनर शक्ति कांत दास ने कहा कि महंगाई के खिलाफ लड़ाई आगे भी जारी रहेगी। जरूरत पड़ी तो महंगाई पर और कदम उठाने को तैयार हैं। ये कह कर शक्तिकांत दास ने आगे क्या है मार्केट सेंटीमेंट भी दरों में बढ़त जारी रहने के संकेत दे दिए हैं। जानकारों का मानना है कि फरवरी में एक और रेट हाइक हो सकती है। आरबीआई की टर्मिनल रेट 6.50 फीसदी तक जा सकती है। महंगाई पर आरबीआई का ये बयान बाजार को पसंद नहीं आया है। इसी के चलते पॉलिसी के ऐलान के बाद बाजार में गिरावट देखने को मिली है।
बाजार जानकारों का कहना है कि आरबीआई ने उम्मीद के मुताबिक रेपो रेट में 0.35 फीसदी की बढ़त कर दी लेकिन आरबीआई गवर्नर का टोन हॉकिस बना रहा। बाजार अनुमान लगा रहा था क्या है मार्केट सेंटीमेंट कि अब गवर्नर शक्तिकांत दास की तरफ से दरों में बढ़ोतरी थमने या इसमें कमी आने के कोई संकेत मिलेंगे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। जिसके चलते बाजार को निराशा हुई है। इसके अलावा आरबीआई ने जीडीपी अनुमान में भी कटौती कर दी है। इससे भी मार्केट सेंटीमेंट पर निगेटिव असर पड़ा है।
Market Sentiment- मार्केट सेंटीमेंट
क्या होता है मार्केट सेंटीमेंट?
मार्केट सेंटीमेंट (Market Sentiment) यानी बाजार धारणा किसी विशेष सिक्योरिटी या वित्तीय बाजार के प्रति निवेशकों के समग्र रवैये को संदर्भित करती है। यह बाजार की भावना या टोन या भीड़ मानसिकता है जैसाकि उस बाजार में ट्रेड की जा रही सिक्योरिटियों की गतिविधि या प्राइस मूवमेंट के जरिये पता लगता है। व्यापक अर्थों में, बढ़ती कीमतें बुलिश मार्केट सेंटीमेंट का संकेत देती हैं जबकि गिरती कीमत मंदी अर्थात बियरिश मार्केट सेंटीमेंट का संकेत देती हैं।
मुख्य बातें
- मार्केट सेंटीमेंट से तात्पर्य किसी स्टॉक या कुल मिलाकर स्टॉक मार्केट के बारे में समग्र आम सहमति से है।
- मार्केट सेंटीमेंट बुलिश होता है जब कीमतें बढ़ रही होती हैं।
- मार्केट सेंटीमेंट बियरिश होता है जब कीमतें घट रही होती हैं।
- तकनीकी संकेतक निवेशकों को मार्केट सेंटीमेंट की माप करने में सहायता कर सकते हैं।
मार्केट सेंटीमेंट को समझना
मार्केट सेंटीमेंट को ‘निवेशक धारणा' भी कहा जाता है और यह हमेशा फंडामेंटल्स यानी बुनियादी कारकों पर ही अधारित नहीं होता है। डे ट्रेडर और तकनीकी विश्लेषक मार्केट सेंटीमेंट पर भरोसा करते हैं क्योंकि यह उन तकनीकी संकेतकों को प्रभावित करता है जिनका उपयोग वे किसी सिक्योरिटी के प्रति निवेशकों के रवैये द्वारा अक्सर उत्पन्न अल्प अवधि प्राइस मूवमेंट की माप करने और लाभ उठाने के लिए करते हैं।
मार्केट सेंटीमेंट उन विपरीत निवेशकों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो व्याप्त सहमतियों की विपरीत दिशा में ट्रेड करना पसंद करते हैं। निवेशक आम तौर पर मार्केट सेंटीमेंट को बियरिश या बुलिश के रूप में देखते हैं। जब बियर्स यानी मंदडियों का नियंत्रण होता है तो स्टॉक की कीमतें नीचे जाती हैं। जब बुल्स यानी तेजड़ियों का नियंत्रण होता है तो स्टॉक की कीमतें ऊपर जाती हैं। भावनाएं अक्सर स्टॉक मार्केट को प्रेरित करती हैं इसलिए मार्केट सेंटीमेंट हमेशा फंडामेंटल वैल्यू का पर्याय नहीं होते। अर्थात मार्केट सेंटीमेंट भावनाओं और संवदेनशीलता का मसला है जबकि फंडामेंटल वैल्यू का संबंध कंपनियों के प्रदर्शन से है। कुछ निवेशक मार्केट सेंटीमेंट की माप करने के लिए विभिन्न संकेतकों का उपयोग करते हैं जो उन्हें यह निर्धारित करने में मदद करता है कि ट्रेड करने के लिए कौन सर्वश्रेष्ठ स्टॉक है।
स्टॉक मार्केट सेंटिमेंट क्या होता है?
जब बाजार चढ़ता है तो मार्केट सेंटिमेंट में मजबूती आती है वहीं, बाजार के गिरने पर मार्केट सेंटिमेंट में कमजोरी आती है.
2. जब बाजार चढ़ता है तो मार्केट सेंटिमेंट में मजबूती आती है. दूसरे शब्दों में कहें तो लोग ज्यादा जोखिम लेने के लिए तैयार होते हैं. वहीं, बाजार के गिरने पर मार्केट सेंटिमेंट में कमजोरी आती है. ऐसी स्थितियों में निवेशक सतर्क रुख अपनाते हैं या फिर जोखिम लेने से कतराते हैं.
3. मार्केट सेंटिमेंट हमेशा बुनियादी बातों पर आधारित नहीं होते हैं. कई बार बाजार में भावनाओं में बहकर निवेशक दांव लगाते हैं. यही कारण है कि मार्केट सेंटिमेंट को देखकर दांव लगाने से नफा-नुकसान दोनों हो सकते हैं.
4. प्रतिभूतियों को लेकर निवेशकों की धारणा से उसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव आता है. इस उतार-चढ़ाव का डे-ट्रेडर्स और टेक्निकल एनालिस्ट्स फायदा उठाते हैं. वे छोटी अवधि में कीमतों में उठापटक से लाभ उठाने की कोशिश करते हैं.
5. मार्केट सेंटिमेंट को नापने के लिए विभिन्न तरह के इंडिकेटर्स हैं. इनमें वोलेटिलिटी इंडेक्स शामिल है. इसकी मदद से निवेशकों को पता लगता है कि मार्केट सेंटिमेंट किस तरह के हैं.
इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.
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Trading Tips: बाजार में सही लेवल पर एंट्री करने का क्या है आसान फॉर्मूला? जानें अनिल सिंघवी से टिप्स
Index Trading Tips: इंडेक्स में ट्रेड करने वालों के लिए यह समझना जरूरी है कि पहले सपोर्ट लेवल और इंम्पॉर्टेंट लेवल में क्या अंतर है और इन लेवल पर कब खरीददारी करनी चाहिए. इस पर ही मार्केट गुरु अनिल सिंघवी आपको टिप्स दे रहे हैं.
Index Trading Tips: इंडेक्स पर ट्रेडिंग के लिए ट्रेडर्स को सही फॉर्मूला पता होना बहुत जरूरी है. इंडेक्स ट्रेडिंग स्टॉक ट्रेडिंग के मुकाबले कम बड़ा उतार-चढ़ाव देखता है, लेकिन यहां अमाउंट बड़ा होता है, जिसके चलते ट्रेडर्स को क्या है मार्केट सेंटीमेंट अपनी स्ट्रेटेजी सोच-समझकर बनानी चाहिए. अब अगर निफ्टी इंडेक्स (Nifty Index Trading) की बात करें तो एंट्री करने के लिए आपको सही लेवल पता होने चाहिए. इंडेक्स में ट्रेड करने वालों के लिए यह समझना जरूरी है कि पहले सपोर्ट लेवल और इंम्पॉर्टेंट लेवल में क्या अंतर है और इन लेवल पर कब खरीददारी करनी चाहिए. इस पर ही Zee Business के मैनेजिंग एडिटर और मार्केट गुरु अनिल सिंघवी आपको टिप्स दे रहे हैं.
1. प्राइस सेक्शन के हिसाब से पहला फॉर्मूला
जब आप करेक्शन के बाद ऊपर जाते हैं और आपको क्लोजिंग डे हाई पर मिलती क्या है मार्केट सेंटीमेंट है, तो इसका बड़ा फायदा होता है कि अगले दिन आपको ऊपर गैप मिलता है. तो आपको पता होता है कि आपका सपोर्ट लेवल क्या है. बाजार अगर डे लो पर बंद होता है तो आपको बॉटम लेवल भी पता होता है. आपको गैप से खुलने पर पहले सपोर्ट पर ही खरीदारी करनी चाहिए. आप कल की रिकवरी और आज का गैपअप देखकर पहले सपोर्ट लेवल पर खरीद सकते हैं.
नीचे की रिस्क और सेंटिमेंट के दम पर बाजार में कैसे करें ट्रेड?
बाजार में सही लेवल पर एंट्री करने का क्या है आसान फॉर्मूला?#Index में ट्रेड करने वाले जरूर देखें @AnilSinghvi_ का ये वीडियो.
2. सेंटीमेंट पर आधारित फॉर्मूला
दूसरा फॉर्मूला सेंटीमेंट को लेकर चल सकते हैं. अगर आपका सेंटीमेंट इतना मजबूत नहीं है कि जहां खुले वहां से ले लिया. अगर आपको पता है कि चार-पांच सेशन से खुलने पर हमेशा नीचे जा रहे हैं, तो सेंटीमेंट कमजोर रहेगा. लेकिन रिकवरी आने से कॉन्फिडेंस बढ़ता है तो सेंटीमेंट मजबूत होगा. यहां आप पहले सपोर्ट लेवल पर ले सकते हैं. अगर आपका सेंटीमेंट इंप्रूव नहीं है तो आपको इंपॉर्टेंट लेवल पर खरीदारी करनी चाहिए. पहला सपोर्ट लेवल जल्दी आता है, वहीं, इंपॉर्टेंट लेवल थोड़ा नीचे आता है. यह मजबूत डेटा पर आधारित होता है.
ये ध्यान रखें कि अगर आप ट्रेडिंग में सही एंट्री पॉइंट चुनते हैं तो आपका 80% काम तो ऐसे ही हो जाता है. अगर सही एंट्री पॉइंट नहीं रहा, तो आप बाकी फैक्टर्स में भले ही अच्छा कर रहे हों, लेकिन पैसा नहीं बनेगा.
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