क्या है डिजिटल करेंसी, जो बन सकती है भारत की अधिकारिक मुद्रा
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) वो करेंसी होगी जो केंद्रीय बैंक, यानी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी एक डिजिटल मुद्रा होगी. यह "ब्लॉकचैन और अन्य तकनीकों" पर आधारित होगा. सरल शब्दों में कहें तो CBDC भारतीय रुपये का एक डिजिटल रूप होगा.
डिजिटल करेंसी
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 07 फरवरी 2022,
- (Updated 07 फरवरी 2022, 7:29 PM IST)
भारतीय मुद्रा का डिजिटल रूप होगी ये करेंसी
इसका आंतरिक मूल्य होगा
ये राज्य द्वारा समर्थित होगी
2022-23 का केंद्रीय बजट पेश करते वक्त वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजीटल करेंसी (Digital Currency) के बारे में बात की. उन्होंने कहा था कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया वित्त वर्ष 2022-23 में डिजीटल करेंसी को लॉन्च करेगा, और ये भारत सरकार की आधिकारिक डिजिटल करेंसी होगी. इसके अलावा उन्होंने बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी से होने वाले मुनाफे पर फ्लैट 30% टैक्स की भी घोषणा की थी. तब से ये दोनों चीजें चर्चा का विषय बनी हुई हैं. हालांकि इस बारे में ज्यादा सूचना या विवरण सरकार बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी ने नहीं दिया है. तो चलिए आज आपको डिजीटल करेंसी के बारे में बताते हैं.
क्या है डिजिटल करेंसी?
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) वो करेंसी होगी जो केंद्रीय बैंक, यानी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी एक डिजिटल मुद्रा होगी. यह "ब्लॉकचैन और अन्य तकनीकों" पर आधारित होगा. सरल शब्दों में कहें तो CBDC भारतीय रुपये का एक डिजिटल रूप होगा. एक बार जब आरबीआई डिजिटल करेंसी को जारी करना शुरू कर देगा तो हम और आप जैसे आम लोग नियमित रुपये की तरह ही इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. डिजिटल रुपया आपके एनईएफटी, आईएमपीएस या डिजिटल वॉलेट की तरह होगा. आप इसका उपयोग थोक लेनदेन या खुदरा भुगतान करने के लिए कर सकते हैं. आप इसे विदेश भेज सकते हैं. आप इसके साथ बहुत कुछ कर सकते हैं.
क्यों चाहिए ये डिजीटल करेंसी?
फिलहाल इस बारे में अभी कोई खास जानकारी नहीं है लेकिन भारत सरकार डिजीटल करेंसी इसलिए लॉन्च कर रही है क्योंकि आज कल डिजीटल करेंसी का जमाना है और भारत किसी भी मायने में दूसरे देशों से पीछे नहीं रहना बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी चाहता है. हम सब की तरह सरकार ने भी ये मान लिया है कि इस करेंसी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. सरकार ने वर्चुअल करेंसी के वजूद को नकारने के बजाय अपनी खुद की एक करेंसी लॉन्च करने का फैसला किया है. नियमित करेंसी के विपरीत आपको डिजिटल करेंसी को ट्रांसफर करने के लिए बैंक खाते की आवश्यकता नहीं होगी. चूंकि यह ब्लॉकचेन पर आधारित होगा, इसलिए आप इसे बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी सीधे दूसरे व्यक्ति के डिजिटल रुपये वाले वॉलेट में ट्रांसफर कर सकते हैं.
यह बिटकॉइन जैसी निजी डिजीटल मुद्राओं से कैसे अलग होगा?
एक डिजिटल करेंसी मूल रूप से बिटकॉइन और एथेरियम जैसी निजी क्रिप्टोकरेंसी से अलग होगी क्योंकि यह राज्य द्वारा समर्थित होगी और इसका आंतरिक मूल्य होगा. सरकार ने बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी को वर्चुअल एसेट्स कहा है. यानी वो लीगल टेंडर नहीं होंगे.
क्या यह पारंपरिक रुपये की जगह लेगा?
इस डिजिटल करेंसी को मुद्रा के रूप में गिना जाएगा. इससे सरकार को कम नोट छापने और नकली मुद्रा पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी. यह "अधिक कुशल और सस्ती मुद्रा प्रबंधन प्रणाली" बनाने में मदद करेगा. नियमित रुपये के विपरीत, डिजिटल रुपये को ऑनलाइन लेनदेन के लिए बैंक मध्यस्थ की आवश्यकता नहीं होगी. प्रेषक और प्राप्तकर्ता ब्लॉकचैन का उपयोग करके लेनदेन कर सकते हैं, और आरबीआई गारंटर होगा.
क्या डिजिटल रुपये के कोई नुकसान हैं?
डिजिटल रुपये का उपयोग हमेशा पैसे का निशान छोड़ देगा. इसका मतलब है कि सरकार यह ट्रैक कर सकेगी कि आपने पैसे का इस्तेमाल कहां और कैसे किया. यह गोपनीयता की चिंताओं को जन्म देगा क्योंकि इसमें शामिल पक्षों के वित्तीय लेनदेन को लीक और दुरुपयोग किया जा सकता है.
डिजिटल रुपया कब लॉन्च होगा?
कुछ पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह तभी होगा जब संसद क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक का विनियमन पारित करेगी, जो आरबीआई को डिजिटल रुपया जारी करने का अधिकार देगा. संसद के चालू बजट सत्र में इस बिल के पेश होने की संभावना नहीं है. हो सकता है, इसे कैलेंडर वर्ष के दूसरे भाग में मानसून या शीतकालीन सत्र में पेश किया जाए.
डिजिटल अर्थव्यवस्था एवं आत्मनिर्भर गांव, देश में पैदा होंगे रोजगार के नये अवसर
भारत सरकार ने 2022-23 के बजट में डिजिटल मुद्रा के लेन-देन में शामिल लोगों/पक्षों के हितों को संरक्षित करने और इस मुद्रा को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कई प्रावधान किए हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि देश डिजिटल युग में प्रवेश कर रहा है.
Updated: May 11, 2022 10:24 AM IST
तकनीकी क्रांति और वैज्ञानिक नवाचार के युग में, ऑनलाइन शॉपिंग, नेट बैंकिंग, पैसों के लेन-देन हेतु पेटीएम, गूगल-पे, ई-वॉलेट जैसे माध्यमों का उपयोग व्यावसायिक-वाणिज्यिक लेनदेन के साथ-साथ अन्य सम्बन्धित गतिविधियों में भी किया जा रहा है. वर्ष 2022-23 के लिए पेश किए गए बजट में डिजिटल संपत्तियों पर कर का प्रावधान किया गया हैं. वर्चुअल डिजिटल सम्पत्तियों पर एक प्रतिशत कर, डिजिटल करेंसी के लाभ पर तीस प्रतिशत और यदि क्रिप्टो उपहार में मिलता है तो उस कमाई पर भी कर का प्रॉवधान किया गया है.
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आज डिजिटल करेंसी बिटकॉइन, पोलकाडॉट, एथेरियम लिटकॉइन आदि विभिन्न नामों से प्रचलन में है इस व्यवस्था में प्रत्येक लेनदेन को डिजिटल हस्ताक्षर से सत्यापित किया जाता है जिसका रिकॉर्ड क्रिप्टोग्राफिक में रखा जाता है. डिजिटल मुद्राओं के लेनदेन के लिए पंजीकरण करना आवश्यक है, और यह लेनदेन क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर होता है.
दुनिया के विकसित देशों सहित दर्जनों देशों में डिजिटल मुद्रा की शुरुआत की गयी है, इस मुद्रा के विकास एवं प्रसार में कई वर्षों से गंभीर प्रयास और शोध किये जा रहे हैं. कुछ देशों में इस मुद्रा को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में भी चलाया जा रहा हैं. हमारे पड़ोसी देश चीन में बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी भी 2019 से रेनमिन्बी नाम से डिजिटल युआन मुद्रा प्रचलन में है. डिजिटल मुद्रा का सबसे बड़ा लाभ यह है कि सरकार को नोटों की छपाई और वितरण की चुनौतियों और समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है और इस व्यवस्था में वे लोग भी बैंकिंग प्रणाली से जुड जाते हैं जिनके पास बैंक खाते नहीं हैं.
भारत सरकार ने 2022-23 के बजट में डिजिटल मुद्रा के लेन-देन में शामिल लोगों/पक्षों के बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी हितों को संरक्षित करने और इस मुद्रा को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कई प्रावधान किए हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि देश डिजिटल युग में प्रवेश कर रहा है. लेकिन हमारी आबादी का बड़ा हिस्सा आज भी गांवों में रहता है और उनका मुख्य व्यवसाय कृषि तथा कृषि से सम्बन्धी गतिविधियों तक ही सीमित है. डिजिटल और तकनीकी प्रगति के युग में, दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले ग्रामीण गरीबों के मुद्दों और समस्याओं का समाधान भी जरूरी है.
आज आवश्यकता उनके जीवन में संतोष और एवं परिवार में खुशहाली लाने के साथ ही गांवों को भी रौशन करने की है, और इसके लिए ग्रामीण मुद्दों को केंद्रित करते हुए गांव आधारित नीतियों का निर्माण और कार्यान्वयन एक महत्वपूर्ण पहल होगी. इस दिशा में कुछ कल्याणकारी योजनाएं देश में संचालित की गयी हैं जिसके सुखद परिणाम भी देखे जा रहे हैं. जिसमें पीएम किसान फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, और किसान सम्मान योजना आदि काफी प्रभावी साबित हुई है इससे सीमांत व मझौले किसानों को ऋण के दुष्चक्र से बाहर निकालने और कृषि उत्पाद बढ़ाने में भी मदद मिल रही है. लेकिन किसानों की आय को दोगुना करने और ग्रामीण गरीबों की स्थिति में सुधार लाने की दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है अर्थव्यवस्था को डिजिटल दौर में ले जाने की इस मुहिम में किसानों की आय बढ़ाने के साथ ही गांव व गरीब की समस्याओं का प्रभावी हल भी जरूरी है. गांवों के विकास एवं किसानों के कल्याण से सम्बंधित नीतियों का निर्माण इस दिशा में निर्णायक सिद्व होगा.
डिजिटल मुद्रा के लेन-देन पर कर लगाने के प्रावधान से इस मुद्रा को मान्यता देने और देश में डिजिटल व्यवसाय को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक आवश्यक कदम होगा, डिजिटल विश्वविद्यालय स्थापित करने से जहां एक ओर डिजिटल प्रौद्योगिकी से संबंधित कौशल विकास और तकनीकी प्रशिक्षण कार्य आसान होगा वहीं दूसरी ओर युवाओं एवं विद्यार्थियों में कौशल संवर्द्वन व तकनीकी क्षमता विकसित होगी जो देश में डिजिटल तकनीकी के प्रयोग हेतु अनुकूल वातावरण बनाने में सहायक होगा.
साथ ही आजादी के 75 साल के समारोह के क्रम में आजादी के अमृत महोत्सव अभियान के तहत देश के 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंक स्थापित किए जाएंगे, जो देश की अर्थव्यवस्था के डिजिटल युग में प्रवेश को प्रेरित करेगा और इस व्यवस्था से देश में रोजगार के नये अवसर उत्पन्न होंगे.
–प्रोफेसर एचसी पुरोहित
(विभागाध्यक्ष, स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, दून य़ूनिवर्सिटी, देहरादून)
(लेख में व्यक्त लेखक के निजी विचार हैं.)
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बजट 2022-23: सरकार लाएगी डिजिटल रुपया, क्रिप्टो से आय पर तीस प्रतिशत टैक्स
बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि डिजिटल मुद्रा की शुरुआत करने से रुपये का प्रबंधन सस्ता और आसान होगा. इससे भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. उन्होंने यह भी बताया कि क्रिप्टो से कमाई पर कर लगेगा. डिजिटल एसेट उपहार में देना भी कर के दायरे में होगा, जहां प्राप्तकर्ता टैक्स देगा.
बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि डिजिटल मुद्रा की शुरुआत करने से रुपये का प्रबंधन सस्ता और आसान होगा. इससे भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. उन्होंने यह भी बताया कि क्रिप्टो से कमाई पर कर लगेगा. डिजिटल एसेट उपहार में देना भी कर के दायरे में होगा, जहां प्राप्तकर्ता टैक्स देगा.
बजट भाषण 2022-23 के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण. (फोटो: पीटीआई)
नई दिल्ली: वित्त बजट 2022-23 मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में पेश किया. ढेरों घोषणाओं के बीच एक घोषणा यह भी की गई कि इस वित्त बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी वर्ष में सरकार डिजिटल करेंसी यानी डिजिटल रुपया लेकर आएगी.
वित्त मंत्री सीतारमण ने इस संबंध में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से 2022-23 से ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करके ‘डिजिटल रुपया’ पेश करने का प्रस्ताव है.
उन्होंने कहा कि बैंक द्वारा डिजिटल रुपये की शुरूआत करने से रुपये का प्रबंधन सस्ता और आसान होगा. इससे भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.
इकॉनॉमिक्स टाइम्स के मुताबिक, ‘केंद्र सरकार ने बीते वर्ष लोकसभा को सूचित किया था कि आरबीआई केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) लाने की दिशा में काम कर रही है.
साथ ही, सरकार ने कहा था कि आरबीआई ने अक्टूबर में इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधन की दिशा में एक प्रस्ताव पेश किया था. जिसमें बैंक नोट की परिभाषा के दायरे को बढ़ाकर उसमें डिजिटल मुद्रा को शामिल करने की बात थी.
इस दौरान वित्त राज्य मंत्री ने सदन में डिजिटल मुद्रा के फायदे गिनाते हुए कहा था कि इसे लाने का मकसद नकदी पर निर्भरता को कम करना है, इससे मुद्रा के निर्माण और वितरण की लागत में कमी आएगी.
उन्होंने कहा था कि नई डिजिटल मुद्रा संभवतः अधिक मजबूत, कुशल, विश्वसनीय, विनियमित और कानूनी निविदा-आधारित भुगतान विकल्प उपलब्ध कराएगी.
सीबीडीसी, फिएट मुद्रा का एक डिजिटल संस्करण है जिसे ब्लॉकचेन-आधारित वॉलेट के माध्यम से एक्सचेंज किया जा सकता है और केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित किया जाता है.
फिएट मुद्रा सरकार द्वारा जारी एक मुद्रा होती है. सीबीडीसी, बिटकॉइन जैसी ही मुद्रा है, बस अंतर इतना है कि इसे सरकार द्वारा क़ानूनी वैधता प्राप्त होती है.
इसके साथ ही वित्त मंत्री ने बताया कि वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के मामले में लेन-देन में बढ़ोतरी के मद्देनज़र किसी भी वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफर से होने वाली आय 30 फीसदी टैक्स रेट के दायरे में आएगी.
नवभारत टाइम्स के अनुसार, वित्त मंत्री ने बताया कि एक्वीजीशन कॉस्ट (अधिग्रहण की लागत) को छोड़कर किसी अन्य खर्च पर कोई कटौती नहीं मिलेगी. डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफर के दौरान किसी भी तरह का नुकसान, किसी अन्य आय के साथ सेटऑफ नहीं किया जा सकेगा.
साथ ही वर्चुअल एसेट्स के ट्रांसफर में पेमेंट्स पर 1 फीसदी टीडीएस लगेगा, जो कि मॉनेटरी थ्रेसहोल्ड से अलग होगा. गिफ्ट के रूप में प्राप्त डिजिटल एसेट भी कर के दायरे में आएंगे, जहां इसे पानेवाले को टैक्स देना होगा.
इस बीच, प्राइमस पार्टनर्स-डिजिटल करेंसी के प्रबंध निदेशक श्रवण शेट्टी ने कहा कि ब्लॉकचेन-आधारित डिजिटल मुद्रा से क्रिप्टोकरेंसी क्षेत्र में ‘सट्टेबाजी’ की गुंजाइश कम होगी. इससे अर्थव्यवस्था को डिजिटल मुद्रा का लाभ एक संरचनात्मक ढांचे में मिल सकेगा.
वहीं, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी यह सवाल भी उठाया है कि क्या सरकार ने ‘क्रिप्टोकरेंसी’ से होने वाली आय पर कर लगाकर ‘क्रिप्टोकरेंसी’ को बिना विधेयक लाए ही वैध करार दिया है?
मालूम हो कि सरकार ने संसद के पिछले सत्र में ही क्रिप्टोकरेंसी पर एक विधेयक लाने की मंशा जताई थी. तब रिजर्व बैंक की तरफ से एक आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के गठन का ढांचा तैयार होने की बात कही गई थी. लेकिन मंत्रिमंडल में इस विधेयक के प्रारूप पर सहमति नहीं बन पाने से उसे संसद में नहीं रखा जा सका था.
गत नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रिप्टोकरेंसी के मुद्दे पर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की थी. उस बैठक से ऐसे संकेत मिले थे कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी के नियमन के लिए सख्त कदम उठा सकती है.
हालांकि ध्यान देने वाली बात यह भी है कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी शक्तिकांत दास क्रिप्टोकरेंसी को अनुमति देने की सोच को कई बार खारिज कर चुके हैं. उनका कहना है कि यह डिजिटल मुद्रा किसी भी वित्तीय प्रणाली के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है.
Cryptocurrency: युवा निवेशक क्रिप्टो में जमकर लगा रहे है पैसा
आरबीआई ( Reserve bank of india ) बार-बार क्रिप्टो करेंसी ( crypto currency ) और इसके निवेशकों को आगाह कर रही हैं, लेकिन क्रिप्टों में पैसा लगाने वालों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही, निवेशक ( bitcoin currency) हैं कि लगातार क्रिप्टों में अपना निवेश बढ़ाते ही जा रहे हैं।
आरबीआई ( Reserve bank of india ) बार-बार क्रिप्टो करेंसी ( crypto currency ) और इसके निवेशकों को आगाह कर रही हैं, लेकिन क्रिप्टों में पैसा लगाने वालों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही, निवेशक ( bitcoin currency) हैं कि लगातार क्रिप्टों में अपना निवेश बढ़ाते ही जा रहे हैं। जयपुर में बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्टमेंट को लेकर होड़ सी मची है। यहीं कारण है वर्तमान में अब तक जयपुर में करीब एक लाख लोगों क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर चुके है और यह आंकड़ा प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। बात अगर पूरे भारत की करें तो करीब 2 करोड़ लोग भारत में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर चुके है। जयपुर के एक लाख लोगों ने क्रिप्टोकरेंसी में करीब 150 करोड़ का निवेश कर रखा है।
युवाओं की पहली पसंद अब क्रिप्टो
करोड़पति युवाओं की पहली पसंद अब क्रिप्टो बन चुका है, अमेरिका में अधिकांश युवा करोड़पति अपना पैसा, क्रिप्टो करेंसी में ही लगा रहे हैं, दुनिया के कई और देशों में भी इसी तरह का चलन देखने को मिल रहा है, लेकिन कुछ देश इसे कानूनी मान्यता भी दे चुके हैं, जबकि भारत में अभी तक क्रिप्टो का भविष्य साफ नहीं है, बावजूद इसके, लोग इसमें बिना डर पैसा लगा बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी रहे हैं।
क्रिप्टो के विरोध में आरबीआई हमेशा से
वैकल्पिक मुद्राओं को मान्यता देने के विरोध में आरबीआई हमेशा से अडिग रहा है। हालांकि केंद्रीय बैंक को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2018 में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध को वापस लेने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन इसने क्रिप्टोकरेंसी पर अपनी राय नहीं बदली है।
क्यों बना हुआ डर.
इसको कोई सरकार या कोई विनियामक अथॉरिटी इसे जारी नहीं करती है। इसके अलावा टैक्स, मनी लॉन्ड्रिंग, इनसोल्वेंसिंग कोड, पेमेंट सिस्टम, निजता और डाटा प्रोटेक्शन भी बड़ी चुनौतियां होंगी।
घोटालों की संख्या बढ़कर 3300 हुई
साल 2021 में क्रिप्टोकरेंसी के बाजार में सक्रिय वित्तीय घोटालों की संख्या 2020 के 2052 के आंकड़े से बढ़कर 3300 हो गई है। दुनिया की लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी इथेरियम और बिटकॉइन के मूल्य में वृद्धि के साथ इनमें निवेश करने वाले निवेशकों के साथ घोटाले होने की वारदातों में भी इजाफा हुआ है।
क्रिप्टो करेंसी क्या है?
क्रिप्टो करेंसी किसी मुद्रा का एक डिजिटल रूप है। यह किसी सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप में आपकी जेब में नहीं होता है। यह पूरी तरह से ऑनलाइन होती है और व्यापार के रूप में बिना किसी नियमों के इसके जरिए व्यापार होता है।
क्रिप्टो करेंसी को नियंत्रित करने के लिए कुछ नियम बनाने होंगे। इनकी प्रतियोगिता की कोई जरूरत नहीं है। क्रिप्टो करेंसी के सार्वजनिक और केंद्रीय बैंक साथ-साथ चल सकते हैं। पूरी दूनिया में इसका चलन बढ़ रहा है। अगर भारत में इसपर बैन लगता है, तो हम एक बार फिर डिजिटल रूप में दूनिया से पीछड़ जाएंगे।
आयुष अग्रवाल, एडवाइजर, क्रिप्टो
क्रिप्टो एक्सचेंज पॉइंट नो यॉर कस्टमर (केवाईसी) इक_ा करके इसकी लेन-देन सिर्फ बैंक अकाउंट के जरिए कर सकते हैं। इस तरीके से कुछ बुरे तत्व इसका लाभ नहीं उठा पाएंगे, क्योंकि ब्लॉकचेन तकनीक में यह सार्वजनिक पारदर्शिता की व्यवस्था कर पाएगा।
अशोक जालान, विशेषज्ञ, इक्विटी बाजार
डिजिटल अर्थव्यवस्था एवं आत्मनिर्भर गांव, देश में पैदा होंगे रोजगार के नये अवसर
भारत सरकार ने 2022-23 के बजट में डिजिटल मुद्रा के लेन-देन में शामिल लोगों/पक्षों के हितों को संरक्षित करने और इस मुद्रा को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कई प्रावधान किए हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि देश डिजिटल युग में प्रवेश कर रहा है.
Updated: May 11, 2022 10:24 AM IST
तकनीकी क्रांति और वैज्ञानिक नवाचार के युग में, ऑनलाइन शॉपिंग, नेट बैंकिंग, पैसों के लेन-देन हेतु पेटीएम, गूगल-पे, ई-वॉलेट जैसे माध्यमों का उपयोग व्यावसायिक-वाणिज्यिक लेनदेन के साथ-साथ अन्य सम्बन्धित गतिविधियों में भी किया जा रहा है. वर्ष 2022-23 के लिए पेश किए गए बजट में डिजिटल संपत्तियों पर कर का प्रावधान किया गया हैं. वर्चुअल डिजिटल सम्पत्तियों पर एक प्रतिशत कर, डिजिटल करेंसी के लाभ पर तीस प्रतिशत और यदि क्रिप्टो उपहार में मिलता है तो उस कमाई पर भी कर का प्रॉवधान किया गया है.
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दुनिया के विकसित देशों सहित दर्जनों देशों में डिजिटल मुद्रा की शुरुआत की गयी है, इस मुद्रा के विकास एवं प्रसार में कई वर्षों से गंभीर प्रयास और शोध किये जा रहे हैं. कुछ देशों में इस मुद्रा को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में भी चलाया जा रहा हैं. हमारे पड़ोसी देश चीन में भी 2019 से रेनमिन्बी नाम से डिजिटल युआन मुद्रा प्रचलन में है. डिजिटल मुद्रा का सबसे बड़ा लाभ यह है कि सरकार को नोटों की छपाई और वितरण की चुनौतियों और समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है और इस व्यवस्था में वे लोग भी बैंकिंग प्रणाली से जुड जाते हैं जिनके पास बैंक खाते नहीं हैं.
भारत सरकार ने 2022-23 के बजट में डिजिटल मुद्रा के लेन-देन में शामिल लोगों/पक्षों के हितों को संरक्षित करने और इस मुद्रा को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कई प्रावधान किए हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि देश डिजिटल युग में प्रवेश कर रहा है. लेकिन हमारी आबादी का बड़ा हिस्सा आज भी गांवों में रहता है और उनका मुख्य व्यवसाय कृषि तथा कृषि से सम्बन्धी गतिविधियों तक ही सीमित है. डिजिटल और तकनीकी प्रगति के युग में, दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले ग्रामीण गरीबों के मुद्दों और समस्याओं का समाधान भी जरूरी है.
आज आवश्यकता उनके जीवन में संतोष और एवं परिवार में खुशहाली लाने के साथ ही गांवों को भी रौशन करने की है, और इसके लिए ग्रामीण मुद्दों को केंद्रित करते हुए गांव आधारित नीतियों का निर्माण और कार्यान्वयन एक महत्वपूर्ण पहल होगी. इस दिशा में कुछ कल्याणकारी योजनाएं देश में संचालित की गयी हैं जिसके सुखद परिणाम भी देखे जा रहे हैं. जिसमें पीएम किसान फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, और किसान सम्मान योजना आदि काफी प्रभावी साबित हुई है इससे सीमांत व मझौले किसानों को ऋण के दुष्चक्र से बाहर निकालने और कृषि उत्पाद बढ़ाने में भी मदद मिल रही है. लेकिन किसानों की आय को दोगुना करने और ग्रामीण गरीबों की स्थिति में सुधार लाने की दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है अर्थव्यवस्था को डिजिटल दौर में ले जाने की इस मुहिम में किसानों की आय बढ़ाने के साथ ही गांव व गरीब की समस्याओं का प्रभावी हल भी जरूरी है. गांवों के विकास एवं किसानों के कल्याण से सम्बंधित नीतियों का निर्माण इस दिशा में निर्णायक सिद्व होगा.
डिजिटल मुद्रा के लेन-देन पर कर लगाने के प्रावधान से इस मुद्रा को मान्यता देने और देश में डिजिटल व्यवसाय को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक आवश्यक कदम होगा, डिजिटल विश्वविद्यालय स्थापित करने से जहां एक ओर डिजिटल प्रौद्योगिकी से संबंधित कौशल विकास और तकनीकी प्रशिक्षण कार्य आसान होगा वहीं दूसरी ओर युवाओं एवं विद्यार्थियों में कौशल संवर्द्वन व तकनीकी क्षमता विकसित होगी जो देश में डिजिटल तकनीकी के प्रयोग हेतु अनुकूल वातावरण बनाने में सहायक होगा.
साथ ही आजादी के 75 साल के समारोह के क्रम में आजादी के अमृत महोत्सव अभियान के तहत देश के 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंक स्थापित किए जाएंगे, जो देश की अर्थव्यवस्था के डिजिटल युग में प्रवेश को प्रेरित करेगा और इस व्यवस्था से देश में रोजगार के नये अवसर उत्पन्न होंगे.
–प्रोफेसर एचसी पुरोहित
(विभागाध्यक्ष, स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, दून य़ूनिवर्सिटी, देहरादून)
(लेख में व्यक्त लेखक के निजी विचार हैं.)
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