Market A-Z Show: Technical Analysis क्या है और इसके में अहम इंडिकेटर क्या है?
Market Analysis को मुख्य रूप से Fundamental Analysis और Technical Analysis में विभाजित किया गया है। Technical Analysis को विशेष रूप से Stock Market में Short Term की Trading करने के लिए किया जाता है। Technical Analysis की मदद से Share Price Movements, Trends, Trading Volume इत्यादि का विश्लेषण कर सकते हैं। Institutional Equity KR Choksey Stocks & Securities के Senior VP Hemen Kapadia ने Jagran Business के Market A-Z Show पर टेक्निकल एनालिसिस बारे में विस्तार से बताया।
Technical Analysis का उपयोग Financial Market की चाल को आसानी से समझने के लिए किया जाता है। यह ऐतिहासिक वॉल्यूम और प्राइस मूवमेंट के आंकड़ों के आधार पर Financial Market की कीमतों की दिशा का पहले से अनुमान लगाने का एक मेथड है । इसके माध्यम से पुराने आंकड़ों के आधार पर शेयर की चाल का पूर्वानुमान लगा सकते हैं। शेयर के उतार-चढ़ाव के चार्ट का विश्लेषण कर सकते हैं।
Technical Analysis में इंडिकेटर अहम टूल्स होते हैं। दरअसल ये शेयर की मूवमेंट को लेकर अहम संकेत देते हैं। इनमें मूविंग एवरेज, RSI, MACD, सुपर ट्रेंड और बोलिंजर बैंड समेत कई इंडिकेटर शामिल हैं। हर इंडिकेटर का अपना महत्व है लेकिन शेयर बाजार में सक्रिय ज्यादातर Investor मूविंग एवरेज, MACD और RSI इंडिकेटर को अहम मानते हैं।
टेक्निकल एनालिसिस क्या है?
पिछले कई अध्यायों को पढ़ने के दौरान हमने कई बार टेक्निकल एनालिसिस का ज़िक्र किया। अब हम आगे इसकी विस्तृत जानकारी लेते हुए देखेंगे कि टेक्निकल एनालिसिस कितना बहुमुखी हो सकता है। हम टेक्निकल एनालिसिस का आधार बनने वाले प्राथमिक अनुमानों और धारणाओं को भी देखेंगे। चलिए, हमेशा की तरह, पहले टेक्निकल एनालिसिस पर ध्यान देते हैं।
टेक्निकल एनालिसिस क्या है?
टेक्निकल एनालिसिस एक निवेश विश्लेषण तकनीक है जिसमें मूल्य के संभावित भविष्य के रूझानों की भविष्यवाणी करने के लिए एसेट के पिछले मूल्य और रूझानों का अध्ययन करते हैं। यह ऐतिहासिक जानकारी का उपयोग करके आने वाले भविष्य का अनुमान लगाने की कोशिश करता है, ताकि ट्रेडर संभावित रूझानों का इस्तेमाल कर मुनाफ़ा कमा सकें।
जैसा कि आप देख सकते हैं कि इस तकनीक का मुख्य उद्देश्य ऐतिहासिक मूल्य रूझानों का विश्लेषण करके भविष्य की कीमत के रूझान का अनुमान लगाना है। यह दृष्टिकोण फंडामेंटल एनालिसिस से बहुत अलग है, जो हर दिशा से निवेश का मूल्यांकन करने और एक एसेट को प्रभावित करने वाले मात्रात्ममक और गुणात्मक कारकों का विश्लेषण करने पर केंद्रित है। वास्तव में यह अंतर ही शेयरों और दूसरे एसेट के टेक्निकल एनालिसिस को बहुमुखी बनाता है।
बहुमुखी प्रयोग
चलिए रोज़मर्रा की दो गतिविधियां लेते हैं जैसे, खाना बनाना और ड्राइविंग। अब खाना पकाने के लिए प्रत्येक व्यंजन की रेसिपी अलग है। आप एक ही रेसिपी से दो अलग अलग व्यंजन बनाकर, अलग अलग स्वाद की उम्मीद नहीं कर सकते। दूसरे शब्दों में, हर बार जब आप नया व्यंजन बनाते हैं तो आपको अलग सामग्री का उपयोग करने और इसके लिए अलग विधि का पालन करने की आवश्यकता होती है।
फंडामेंटल एनालिसिस कुछ ऐसा ही है। जैसे, हर एसेट के फंडामेंटल पूरी तरह से अलग होते हैं, इसलिए उन मूल सिद्धांतों के विश्लेषण की प्रक्रिया भी हर निवेश विकल्प के लिए बदलती है। उदाहरण के तौर पर, हमने पहले के एक मॉड्यूल में देखा कि इक्विटी शेयरों का फंडामेंटल एनालिसिस करने के लिए आपको उद्योग का मूल्यांकन करने, कंपनी का आकलन करने और फिर उसके फाइनेंशियल्स का विश्लेषण करने के बाद शेयर के मूल्य पर पहुँचना होता है। अब अगर आप एक अलग एसेट, जैसे कृषि उत्पाद का फंडामेंटल एनालिसिस कर रहे हैं, तो ये दृष्टिकोण उस पर काम नहीं करेगा।
ऐसी स्थिति में आपको अलग पहलुओं पर ध्यान देने की ज़रूरत होगी, जैसे मौसम का पैटर्न, फसल चक्र, उसकी मांग और आपूर्ति। अब एक गैर-कृषि उत्पाद के फंडामेंटल, फसल के लिए अध्ययन किए गए फंडामेंटल से अलग होंगे।
लेकिन टेक्निकल एनालिसिस में यह बहुत आसान है। विश्लेषण की केंद्रीय धारणा एक ही रहती है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस तरह के एसेट का मूल्यांकन कर रहे हैं। यह काफी हद तक बाइक चलाने जैसा है। एक बार जब आप एक तरह की बाइक चलाना सीख जाते हैं तो आप व्यावहारिक रूप से किसी भी बाइक की सवारी कर सकते हैं। इसमें कुछ छोटे-मोटे बदलाव हो सकते हैं, लेकिन तकनीक बहुत हद तक समान ही रहते हैं। है ना?
इसी तरह टेक्निकल एनालिसिस, जिसे आप जब एक बार सीख लेते हैं, तो इसे किसी भी प्रकार के एसेट पर आसानी से लागू किया जा सकता है। सभी एसेट के टेक्निकल एनालिसिस क्या है और यह कैसे काम करता है लिए डाटा का वर्ग काफी हद तक समान ही रहता है, हाई प्राइस पॉइंट, लो प्राइस पॉइंट व्यापार किए गए एसेट की मात्रा आदि। यही कारण है कि टेक्निकल एनालिसिस एक बहुमुखी निवेश विश्लेषण तकनीक है जिसे विभिन्न प्रकार के एसेट्स पर लागू किया जा सकता है।
टेक्निकल एनालिसिस की मूल धारणाएँ
अब आप जानते हैं कि जब विश्लेषण के मैट्रिक्स की बात आती है, तो टेक्निकल एनालिसिस बहुत सीधा और सरल है। यह तकनीक केवल टेक्निकल एनालिसिस क्या है और यह कैसे काम करता है पिछले मूल्य और एसेट के व्यापार की मात्रा पर केंद्रित है और इस जानकारी के सहारे भविष्य के रूझानों का अनुमान लगाया जाता है।
इसलिए पिछले डाटा और संभावित भविष्य रूझानों के बीच संबंध स्थापित करने के लिए कुछ धारणाओं या अनुमानों की आवश्यकता होती है। यहां टेक्निकल एनालिसिस की तीन मुख्य धारणाएं हैं:
बाज़ार सब जानता है
कुशल बाज़ार परिकल्पना याद है? जो मानती है कि बाज़ार हर तरह की जानकारी का हिसाब टेक्निकल एनालिसिस क्या है और यह कैसे काम करता है लगाकर उसके प्रभाव को शेयरों की कीमत में शामिल कर लेता है, चाहे वो जानकारी सार्वजनिक हो या निजी या ऐतिहासिक। शेयर और अन्य एसेट्स का टेक्निकल एनालिसिस भी कुछ इसी लाइन पर काम करता है। यह तकनीक इस धारणा पर आधारित है कि कोई भी जानकारी जो किसी एसेट के लिए अहम है वह पहले से ही उस एसेटकी कीमत में शामिल है। दूसरे शब्दों में, बाज़ार पहले से ही सभी उपलब्ध और अफ़वाह जैसी जानकारियों को एसेट की कीमत में शामिल कर लेता है।
तकनीकी विश्लेषक ये अध्ययन करते हैं कि इस सारी जानकारी के संबंध में शेयर की कीमत में किस तरह की प्रतिक्रिया होगी। और एसेट की कीमत के रूझानों के आधार पर विश्लेषक यह निर्धारित करते हैं कि वह एसेट खरीदने के लिए ठीक है या नहीं।
कीमतें रूझानों पर चलती हैं
टेक्निकल एनालिसिस के संबंध में हम जिन मूल्य रूझानों की बात करते रहते हैं वो कोई अनियमित रूझान नहीं है, कम से कम टेक्निकल एनालिसिस तो यही मानता है। इसके अनुसार, मूल्य परिवर्तन हमेशा एक निर्धारित रुझान पर या एक सेट पैटर्न पर चलता है, चाहे वो बुलिश/ तेज़ी(ऊपर की ओर) का हो या बेयरिश/ मंदी (नीचे की ओर )का। ऐसे पैटर्न को समय के साथ पहचाना जा सकता है। एक बार कीमत के रुझान स्थापित हो जाएं, तो शेयर और अन्य एसेट्स का टेक्निकल एनालिसिस यह मानता है कि एसेट उसी दिशा में चलता रहेगा, जब तक कि कोई नया रुझान नहीं आ जाता।
ये ट्रेंड या रुझान, प्रकृति के आधार पर छोटी, मीडियम या लंबी अवधि के हो सकते हैं। अगर आप शॉर्ट टर्म ट्रेडर हैं तो आपको छोटी-अवधि के ट्रेंड चार्ट को देखने की आवश्यकता होगी जो प्रति घंटा या मिनट-दर-मिनट के रूझानों को प्लॉट करता है। दूसरी ओर, अगर आप एक लॉन्ग टर्म ट्रेडर हैं तो आपके लिए साप्ताहिक या मासिक चार्ट अधिक उपयोगी साबित होगा।
इतिहास खुद को दोहराता है
यह शायद टेक्निकल एनालिसिस की सबसे मौलिक धारणा है। यह तकनीक मानती है कि मूल्य रुझान समय के साथ खुद को दोहराते है, क्योंकि मानव व्यवहार का एक निर्धारित तौर पर ही काम करता है। उदाहरण के तौर पर, जब बाज़ार में तेज़ी होती है और शेयर की कीमतें बढ़ रही होती हैं , तब भी ट्रेडर ऊँची कीमतों के बावजूद खरीदारी करते हैं, क्योंकि वो मानते हैं कि मूल्य आगे भी बढ़ते रहेंगे, और वो अभी शेयर खरीदकर उस बढ़ोतरी का फायदा उठा सकते हैं। इसी तरह मंदी के बाज़ार में लोग गिरती कीमतों के बावजूद अपने एसेट्स बेचते हैं।
क्योंकि हर बार मानव व्यवहार इसी तरह काम करता है, इसलिए मूल्यों के रुझान भी हमेशा समान ही रहते हैं। और इस धारणा के आधार पर टेक्निकल एनालिसिस अतीत की कीमतों के पैटर्न का अध्ययन करता है ताकि, यह अनुमान लगाया जा सके कि भविष्य के रुझान किस तरह काम करेंगे।
निष्कर्ष
इन प्राइस पैटर्न का अध्ययन करने के लिए टेक्निकल एनालिसिस विभिन्न प्रकार के चार्ट का उपयोग करता है। अगर आप चार्ट के प्रकारों के बारे में और कैंडलस्टिक्स- जो टेक्निकल एनालिसिस में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला चार्ट है, के बारे में अधिक अधिक जानने के लिए उत्सुक हैं तो हमने इन सभी को अगले अध्याय में शामिल किया है।
Technical Analysis क्या है | What is Technical Analysis in Hindi
दोस्तों, हमें इससे पिछले लेखों में share/stock market की बारे में आधिक जानकारी दे चुके है. आज हम फिर से share market के दूसरे टेक्निकल एनालिसिस क्या है और यह कैसे काम करता है हिस्से (Technical analysis kya hai, What is Technical analysis in Hindi) के बारे में अच्छे से जानेंगे. इसमें हम जानेंगे की technical analysis क्या है,
Technical analysis को अच्छे से समझने के लिए किस बुक को पढ़ा जाये, स्टॉक मार्किट में सफल इन्वेस्टर बनने के लिए किस तरह से research करनी चाहिए, किस तरह पता लगाए की मार्किट किस तरफ जाने बाली है?
- किस कीमत पर share को खरीदा और बेचना चाहिए
- रिस्क कितना प्रतिशत है
- मुनाफा कितना हो सकता है
- शेयर का होल्डिंग पीरियड
टेक्निकल एनालिसिस (T.A) में बो ताकत है जिससे आपके इन सभी सवालों के जवाव मिल जाएँगे. इससे आप share और index दोनो पर नजर रख सकते है साथ ही मार्किट में घुसने का सही समय और निकलने का सही समय और रिस्क को देखते हुए सौदे को कब ख़त्म किया जाय. रिसर्च करने में उपयोग की गई तकनीकों की तरह ही टेक्निकल एनालिसिस क्या है और यह कैसे काम करता है टेक्निकल एनालिसिस की अपनी विशेषताएं है.
टेक्निकल एनालिसिस क्या है (What is Technical analysis in Hindi)
हम उदहारण को लेकर समझते है –
मान लीजिये की आप किसी देश में छुट्टी मना रह है, और उस देश में मौसम, रहन-सहन और खान-पान आपके लिए बिलकुल नया है. जब आप पहले दिन काफी अधिक घूम लेते है तो आपको काफी भूक भी लगने लगती है. इसके बाद आपको पास में एक जगह दिखी, जहाँ पर काफी खाने पीने की महशूर दुकाने मिली.
आप उनका सुआद लेने का फैसला लेते है और वह उन दुकानों पर अलग-अलग तरह की खाने पीने की मजेदार चीजें दिखीं. इसके बाद में आपको यह समझ नहीं आ रहा की क्या खाया जाये? और वहां पर लोगों से भी नहीं पूछ सकते है क्योकि आप उनकी भाषा नहीं जानते है इस स्थति में आप क्या करेंगे? क्या वो चीजे खाएंगे?
What is Technical analysis in Hindi (विकल्प 1, विकल्प 2)
विकल्प 1: आप सबसे पहली दुकान पर जाएंगे और देखेंगे कि आखीर वह क्या पका रहा है और पकाने के लिए किन – किन पदार्थो को डाल रहा है, वह किस तरह पका रहा है, और क्या पाता उसे आप थोड़ा सा चखकर भी देखेंगे. इसके बाद आप तय कर पाएंगे कि यह चीज आपके खाने लायक है या नहीं !
इसी तरह आप सभी दुकान चलाने वालों के साथ करेंगे तब आप अपनी मन पसंद जगह को ढूंढ पाएंगे और अपने मन पसंदीदा चीज खा सकेंगे. यह करने से आपको ये फायदा है की आप पूरी तरह से संतुष्ट रहंगे कि आप क्या खा रह है इसका मतलब ये हुआ की इस चीज को खाना के लिए आपने खुद ही research की हुई है.
लेकिन समस्या यह होती है जब 100 दुकाने या फिर उससे भी ज्यादा दुकाने है, ऐसे में आप सभी दुकानों को अकेले chack नहीं कर पाएंगे. अधिक दुकाने होने पर काफी दिक्कत होगी. समय की कमी, इससे भी आपको समस्या हो सकती है क्योकि आपके पास इतना समय नहीं है जो टेक्निकल एनालिसिस क्या है और यह कैसे काम करता है सभी दुकानों पर जा सके. ऐसे में तो यही संभव है की आपकी मनपसंद चीज ही छुट जाए.
विकल्प 2 : सबसे पहले आपको मार्किट में बीचो-बिच खड़े होकर नजर डालनी है. और ये देखने की कोशिश करे की किस दुकान पर सबसे ज्यादा भीड़ है और अच्छी बिक्री हो रही है. इसी प्रकार आप अनुमान लगा सकते है की उस दुकान पर अच्छा खाना मिल रहा है इसलिए इतनी भीड़ है.
इसी अनुमान लगाने की बजह से आप उस दुकान पर जाकर अच्छा खाना खायेंगे. इस तरह से आपको ज्यादा संभावना होगी की आपको बाजार का सबसे अच्छा खाना मिल सके. इससे ये फायदा होता है की आप अच्छी दुकान को जल्दी खोज सकेंगे. और सबसे ज्यादा भीड़ वाली दुकान पर जाकर अच्छा खाना पाने की उम्मीद कर सकते है.
थोड़ी दिक्कत ये है की क्या पता जिस दूकान पर अधिक भीड़ हो, उनकी पसंद ही गलत है. शायद आपको हर बार खाने के लिए अच्छा खाना ना मिले. आपको इन दोनों बिकल्प को पढ़कर ये समझ में आ गया होगा की पहला विकल्प फंडामेंटल एनालिसिस की तरह है, जिसमे आपको ही कंपनियो के बारे में गहराई से research करनी होती है.
टेक्निकल एनालिसिस-
यह फंडामेंटल एनालिसिस से काफी अलग है टेक्निकल एनालिसिस में इन्वेस्टर/ट्रेडर को मौका तलाश करना होता है की मार्किट इस समय किधर जा रही है. मार्किट क्या चाहती है? टेक्निकल एनालिसिस की तकनीक को मार्किट में सभी इन्वेस्टर/ट्रेडर पसंद करते हुए ट्रेड करते है. शेयर मार्किट में (chart/graph) को देख के ही सभी ट्रेडर/इन्वेस्टर की पसंद को पता कर सकते है.
जब चार्ट में कोई pattern बनता है तब उस pattern को देखकर मार्किट का संकेत को समझ सकते है. टेक्निकल एनालिस्ट (Technical Analyst) का काम ये होता है कि वो इस पैटर्न को समझे और अपना नजरिया बनाए. (Technical analysis kya hai? What is Technical analysis in Hindi)
टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है?
जितने भी नय ट्रेडर होते है उनको लगता है की टेक्निकल एनालिसिस से आधिक रूपए कमाएंगे. लेकिन सच्चाई ये है ना तो इसे करना इतना आसान है और ना ही कम समय में अधिक पैसा कमाने का रास्ता है. यह बात ठीक है यदि टेक्निकल एनालिसिस को ठीक से समझ कर किया जाए तो इससे कम समय में भी बढ़ा मुनाफा कमा सकते है लेकिन इसे सिखने के लिए अधिक महनत करनी होगी.
यदि technical analysis की मदद से कम समय में अधिक पैसा कमाया जा सकता है तो इसी से अधिक नुक्सान भी हो जाता है क्योकि मार्किट में अधिक पैसा डुबाने के बाद आमतौर पर नुकसान का सारा इल्जाम टेक्निकल एनालिसिस पर डाल देते है. वो लोग ट्रेडर की गलती को नहीं देखते है.
टेक्निकल एनालिसिस के दोवारा ट्रेड लेने से पहले अपनी उम्मीद को रखे और अच्छे से समझ कर ट्रेडिंग करे.( Technical analysis kya hai? Technical analysis book in hindi pdf download)
टेक्निकल एनालिसिस और फंडामेंटल एनालिसिस में क्या अंतर है?
- ट्रेड (Trader)- टेक्निकल एनालिसिस का सबसे अच्छा उपयोग है- short term सौदा करने के लिए. क्योकि (TA) टेक्निकल एनालिसिस long term investment के लिए ठीक नहीं है.
- लॉन्ग टर्म के लिए इन्वेस्टर को फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग करना सही है. यदि आप फंडामेंटल एनालिसिस की मदद से इन्वेस्ट करते हो तो खरीदने का सही समय (entry point) और निकलने के सही समय (exit point) के लिए टेक्निकल एनालिसिस की मदद ले सकते है.
- प्रतेक सौदे से मुनाफा- Technical analysis के दोवारा की गय सौदे कम समय के लिए होते है. इसलिए अधिक मुनाफे पाने की उम्मीद ना करे. TA में तभी अच्छा मुनाफा कमा सकते है जब आप बार-बार छोटे-छोटे सौदे (trade) करे और अच्छा मुनाफा कमाए.
Holding Period- TA टेक्निकल एनालिसिस के दोवारा किय गय सौदे कुछ मिनटों से लेकर घंटो या हफ़्तों तक ही होता है इससे ज्यादा नहीं!
Risk- अच्छा ट्रेडर हमेशा अच्छे मौके की तलाश करता है, लेकिन हर बार ठीक सौदा नहीं लगता है और ट्रेडर नुकसान उठाता है. कुछ ट्रेडर ऐसे होते है जो चल रह नुकसान में मुनाफा में बदलाव की उम्मीद टेक्निकल एनालिसिस क्या है और यह कैसे काम करता है करते है. लेकिन ध्यान रह TA पर आधारित सौदे शार्ट term होते है, इसलिए कम नुक्सान होने पर ही मार्किट से बहार निकलने की कोशिश करे.
फंडामेंटल एनालिसिस का परिचय
1.1 संक्षिप्त विवरण
किसी भी बिज़नेस को समझने के लिए फ़ंडामेंटल एनालिसिस का इस्तेमाल किया जाता है। अगर कोई निवेशक लम्बे समय के लिए बाज़ार में निवेश करना चाहता है तो उसको उस बिज़नेस को ठीक से समझना चाहिए जिसमें निवेश कर रहा है। फ़ंडामेंटल एनालिसिस बिज़नेस को कई तरफ से देखने और समझने के इसी काम में मदद करती है। निवेशक के लिए ये ज़रूरी है कि वो बाजार के हर दिन के शोरगुल से अलग हट कर बिज़नेस के कामकाज पर नज़र डाले। फ़ंडामेंटल तौर पर मज़बूत कंपनियों के शेयर की क़ीमत समय के साथ बढ़ती है और निवेशक को फ़ायदा होता है।
भारतीय बाज़ार में ऐसे कई उदाहरण हैं जैसे इनफ़ोसिस , TCS, पेज इंडस्ट्री , आयशर मोटर्स , बॉश इंडिया , नेस्ले इंडिया , TTK प्रेस्टीज आदि। इनमें से हर कंपनी ने दस साल से ज़्यादा तक औसतन 20% से ज़्यादा का कम्पाउंड वार्षिक रिटर्न ( CAGR) दिया है। आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि इनमें पैसा लगाने वाले हर निवेशक का पैसा 3.5 साल में दोगुना हो रहा था। CAGR रिटर्न जितना ज़्यादा होगा आपकी पूँजी उतनी ही तेज़ी से बढ़ेगी। बॉश इंडिया जैसी कुछ कंपनियों ने तो 30% तक का CAGR दिया है। तो अब आपको समझ आ गया होगा कि फ़ंडामेंटल तौर पर मज़बूत कंपनियों में निवेश करके कितनी तेज़ी से और कितना ज़्यादा पैसा कमाया जा सकता है ।
नीचे दिए गए बॉश इंडिया , आयशर मोटर्स और TCS लिमिटेड के चार्ट को देख कर आप अन्दाज़ा लगा सकते हैं कि लम्बे समय में सम्पत्ति कैसे बढ़ती है। याद रहे कि भारतीय बाज़ार के कई उदाहरणों में से ये टेक्निकल एनालिसिस क्या है और यह कैसे काम करता है सिर्फ़ तीन उदाहरण हैं।
आपको लग सकता है कि मैं सिर्फ़ अच्छे-अच्छे चार्ट दिखा रहा हूँ। आप सोच रहे होंगे कि सुज़लॉन एनर्जी , रिलायंस पावर और स्टर्लिंग बॉयोटेक के चार्ट कैसे दिखेंगे। इनको भी देखिए।
पैसे डुबाने वाले बहुत सारे उदाहरणों में से ये सिर्फ़ तीन हैं।
पैसा कमाने के लिए ये ज़रूरी है कि आप कमाई कराने वाली और नुक़सान कराने वाली कंपनियों के फ़र्क़ को पहचानें। कमाई कराने वाली हर कंपनी में कुछ गुण होते हैं जो उनको अलग से दिखाते हैं। इसी तरह पैसा डुबाने वाली कंपनियों की भी कुछ ख़ास पहचान होती है और अच्छा निवेशक उसे पहचान लेता है।
फ़ंडामेंटल एनालिसिस वो तकनीक है जो आपको सही कंपनी को पहचान कर लम्बे समय के निवेश के लिए भरोसा देती है।
1.2- क्या मैं फ़ंडामेंटल एनालिस्ट बन सकता हूँ?
आप बिलकुल बन सकते हैं। ये एक ग़लतफ़हमी है कि सिर्फ़ चार्टर्ड अकाउंटंट या कॉमर्स के बैकग्राउंड वाले लोग ही अच्छे फ़ंडामेंटल एनालिस्ट बन सकते हैं। एक अच्छा फ़ंडामेंटल एनालिस्ट बनने के लिए आपको बस कुछ चीज़ें सीखनी होंगी। :
- वित्तीय स्टेटमेंट को समझना
- हर बिज़नेस को उसकी इंडस्ट्री के परिप्रेक्ष्य के साथ समझना होगा
- ज़रूरी गणित को जानना होगा
इस अध्याय में हम ऊपर की लिस्ट में से पहली दो चीज़ों को सीखेंगे जिससे हमें फ़ंडामेंटल एनालिसिस आ सके।
1.3 – मुझे टेक्निकल एनालिसिस आती है, फंडामेंटल एनालिसिस समझने की क्या जरुरत है?
टेक्निकल एनालिसिस आपको छोटे फ़ायदे दिलाती है। ये आपको बाज़ार में एंट्री और एग्ज़िट का सही समय बताती है। लेकिन ये सम्पत्ति बढ़ाने का सही तरीका नहीं है। आप अमीर तभी बन सकते हैं जब आप अच्छा लांग टर्म निवेश करें। वैसे अच्छा ये होगा कि आप टेक्निकल ऐनालिसिस और फ़ंडामेंटल ऐनालिसिस दोनों को इस्तेमाल करें। इसे समझने के लिए एक बार फिर से आयशर मोटर्स के चार्ट पर नज़र डालते हैं।
मान लीजिए एक निवेशक आयशर मोटर्स को फंडामेंटल तौर पर मजबूत शेयर मानकर उस में निवेश करता है। उसने 2006 में कंपनी के शेयर में पैसे लगाए , जैसा कि आप चार्ट में देख सकते हैं कि 2006 से 2010 के बीच में स्टॉक ने कोई खास पैसे नहीं बनाए। शेयर में तेजी 2010 के बाद ही शुरू हुई। इसका यह भी मतलब हुआ कि फंडामेंटल एनालिसिस के आधार टेक्निकल एनालिसिस क्या है और यह कैसे काम करता है पर किए गए इस निवेश में आयशर मोटर्स ने निवेशक को अच्छा रिटर्न नहीं दिया। 2006 से 2010 के बीच इस निवेशक ने अगर छोटे-छोटे ट्रेड किए होते तो उसको ज्यादा फायदा हो सकता था। टेक्निकल एनालिसिस इस तरह के छोटे सौदों के लिए फायदेमंद होता है । इसीलिए आपको टेक्निकल एनालिसिस और फंडामेंटल एनालिसिस का इस्तेमाल साथ – साथ करना चाहिए। इसी पर आधारित है पैसे निवेश करने की एक महत्वपूर्ण रणनीति जिसको कोर सैटेलाइट स्ट्रैटेजी ( The Core Satellite Strategy ) कहते हैं।
मान लीजिए एक निवेशक के पास ₹500 , 000 हैं वह इसको दो हिस्सों में बांटता है उदाहरण के तौर पर 60% और 40% के अनुपात में। इस राशि का 60% यानी ₹300 , 000 वह निवेश करता है लंबी अवधि के लिए और इसके लिए वह फंडामेंटल तौर पर मजबूत कंपनी ढूंढता है। ₹300,000 का यह निवेश उसका कोर पोर्टफोलियो बनता है। आप उम्मीद कर सकते हैं कि कोर पोर्टफोलियो कम से कम 12 से 15% CAGR के आधार पर हर साल बढ़ेगा। बाकी बचा हुआ 40% पैसा यानी ₹200,000 छोटी अवधि के ट्रेड में इस्तेमाल किए जा सकते हैं और इसके लिए टेक्निकल एनालिसिस तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे सैटेलाइट पोर्टफोलियो कहते हैं और इसमें भी 10 से 12% के रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है।
1.4 फंडामेंटल एनालिसिस के टूल्स यानी उपकरण
फंडामेंटल एनालिसिस के लिए इस्तेमाल की जाने वाले टूल्स बहुत ही साधारण होते हैं जो कि सबके लिए मुफ्त में उपलब्ध हैं। इसके लिए आपको चाहिए :
- कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट – फंडामेंटल एनालिसिस के लिए आपको जो भी सूचनाएं चाहिए वह कंपनी की एनुअल रिपोर्ट यानी वार्षिक रिपोर्ट में होती हैं आप इसे कंपनी के वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं।
- इंडस्ट्री से जुड़ा डेटा – यह जानने के लिए कि कंपनी कैसा काम कर रही है आपको इंडस्ट्री से जुड़ा हुआ डेटा भी चाहिए। यह डेटा भी मुफ्त उपलब्ध होता है। इसके लिए आपको उस इंडस्ट्री एसोसिएशन यानी संगठन की वेबसाइट पर जाना होता है।
- समाचार या खबरों पर नज़र – हर दिन की खबर आपको कंपनी के बारे में , इंडस्ट्री के बारे में और अर्थव्यवस्था के बारे में जानकारी देती रहती है। एक अच्छा समाचार पत्र या न्यूज़ चैनल आपके लिए काम आ सकता है।
- माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल ( MS Excel ) – हालांकि ये मुफ्त नहीं है लेकिन यह आपके फंडामेंटल एनालिसिस की गणनाओं के लिए काफी जरूरी है।
इन चार टूल्स यानी उपकरण की मदद से आप फंडामेंटल एनालिसिस कर सकते हैं और यह किसी भी दूसरे फंडामेंटल एनालिस्ट की एनालिसिस के मुकाबले कम नहीं होगा। बड़ी-बड़ी कंपनियों के रिसर्च डिपार्टमेंट भी ऐसे ही काम करते हैं और उनकी भी कोशिश होती है कि उनकी रिसर्च सीधी सरल और तर्कसंगत हो।
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