पूंजीगत लाभ की गणना कैसे की जाती है?

पूंजीगत लाभ की गणना निम्नलिखित राशि को हस्तांतरित करने के परिणामस्वरूप प्राप्त या जमा किए गए विचारों के पूर्ण मूल्य से कटौती करके की जाती है: (i) ऐसे हस्तांतरण के संबंध में पूरी तरह से और विशेष रूप से व्यय किए गए व्यय (उदाहरण के लिए ब्रोकरेज या खरीदार, पंजीकरण शुल्क, यात्रा करने के लिए कमीशन स्थानांतरण के संबंध में खर्च); और (ii) पूंजीगत संपत्ति के अधिग्रहण की लागत और इसमें सुधार की लागत। हालांकि, दीर्घकालिक पूंजी परिसंपत्ति के हस्तांतरण के मामले में ऐसे हस्तांतरण के संबंध में पूरी तरह से और विशेष रूप से किए गए व्यय में कटौती करने के मामले में, 'अधिग्रहण की अनुक्रमित लागत' और 'सुधार की अनुक्रमित लागत' काटना होगा।

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समामेलन से पूर्व लाभ या हानि (Loss Prior to Incorporation Account) की विधियों का गणना करना

जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले हमने सीए के विभिन्न टॉपिक का अध्ययन किया था अगर आप जिन टॉपिक का अध्ययन कर चुके है। तो यह आप के लिए लाभकारी होगा । यदि आपने यह टॉपिक नहीं पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की टॉपिक समझने मे आसानी होगी।

समामेलन से पूर्व लाभ या हानि का आशय-
(Meaning of Profit or Loss Prior to Incorporation)-

कोई भी कम्पनी समामेलन का प्रमाण पत्र (Certificate of Incorporation) प्राप्त हो जाने के बाद वैधानिक रूप से अस्तित्व में आती है। जब कोई नई कंपनी स्थापित की जाती है तो वह अपने समामेलन से पूर्व की तिथि से किसी चालु व्यवसाय को क्रय करती है। और तिथि से कंपनी के समामेलन की तिथि तक क्रय किये गये व्यवसाय द्वारा अर्जित लाभ या हानि की राशि को समामेलन से पूर्व का लाभ अथवा हानि कहते हैं।

जब तक किसी विक्रेता से कोई स्पष्ट समझौता नहीं हो जाता है। तब तक यह लाभ या हानि विक्रेता कम्पनी का ही होगा। चूंकि कोई कम्पनी अपने अस्तित्व में आने से पूर्व कोई लाभ या हानि नहीं अर्जित कर सकती है। अतः इस प्रकार हम कह सकते है की समामेलन से पूर्व का लाभ या हानि व्यापारिक लाभ या हानि नहीं माना जाता है । यह वास्तव में इस प्रकार का लाभ अथवा हानि पूंजीगत प्रकृति का होता है । क्योंकि व्यवसाय के क्रय मूल्य के निर्धारण में इस लाभ या हानि का अवश्य ध्यान रखा गया होगा। इस प्रकार के लाभ-हानि की गणना के लिये कंपनी के समामेलन की तिथि पर ध्यान देना चाहिए न कि उसके व्यवसाय प्रारम्भ करने के प्रमाण पत्र प्राप्त करने की तिथि पर।

See Also Leverage (उत्तोलक) क्या होता है। इसके कितने प्रकार है। operating लाभ और हानि की गणना का उदाहरण लाभ और हानि की गणना का उदाहरण leverage और financing leverage मे क्या अंतर हैं। combined leverage क्या हैं।

समामेलन से पूर्व के लाभ अथवा हानि का लेखाकरण-
(Accounting Treatment of Profit or Loss Prior to Incorporation)-
समामेलन से पूर्व लाभ और हानि को इस प्रकार बाँट सकते है।

हम सबसे पहले अवधि के आधार पर समय अनुपात कर सकते है |

अवधि के आधार पर ही विक्रय अनुपात (Sales Ratio) ज्ञात किए जाएंगे |

खर्चे बिक्री व समय पर आधारित होते हैं। इसलिए खर्चों को बिक्री में समय अनुपात में बांटना आवश्यक होता है |

(Statement of P&L) में लिखे जाने वाले ऐसे व्यय जो समय के आधार पर विभाजित होते हैं जैसे – वेतन, ब्याज, बीमा प्रीमियम, किराया, मूल्यह्रास, अंकेक्षण फीस, विद्युत व्यय, प्रशासनिक व्यय आदि |

व्यापार खाते (Trading Account) में लिखे जाने वाले आय एवं व्यय को बिक्री अनुपात में बांटा जाएगा | जैसे – Sales, Purchase, Carriage inward, Stock आदि |

P&L अकाउंट में लिखे जाने वाले व्यय का भी बँटवारा बिक्री अनुपात में किया जाएगा | जैसे -सेल्स कमीसन ,Agent का वेतन एवं यात्रा व्यय, विक्रय वापसी, डिस्काउंट, आदि |

ऐसे कुछ खर्चे लाभ हानि खाते में ऐसे लिए जाते हैं। जिनका संबंध न तो बिक्री से होता है और ना ही समय से होता है ऐसे व्यय के संबंध में निम्न नियम है |

व्यापार के स्वामी का वेतन, व्यापार स्वामियों की पूंजी पर ब्याज एवं उनके आहरण पर ब्याज ऐसे व्यय हैं जिनका कंपनी से कोई संबंध नहीं होता है अतः ऐसे समस्त व्ययों को समामेलन से पूर्व के व्यय में शामिल लाभ और हानि की गणना का उदाहरण किया जाएगा |

यदि व्यापार विक्रेता को क्रय प्रतिफल पर कोई ब्याज का भुगतान किया गया है तथा यह पूर्ण लेखा अवधि से संबंधित नहीं है तो इसे वास्तविक अनुपात मे बांटा जाएगा |

समामेलन से पूर्व लाभ या हानि का निर्धारण-
(Ascertainment of Profit and Loss Prior to Incorporation)-

समामेलन से पूर्व लाभ या हानि का निर्धारण इस प्रकार किया जा सकता है।

(On time basis)समय के आधार पर-
कुछ स्थिर व्यय जैसे वेतन, किराया, दर और कर, बीमा, सामान्य व्यय, टेलीफोन, डाक और तार, बिजली व्यय, कार्यालय व्यय, हास, अंकेक्षण,छपाई फीस आदि को दोनों अवधियों में समय के आधार पर बाँटना चाहिये। चूंकि कम्पनी के लिए अंकेक्षण अनिवार्य होता है। जबकि व्यवसाय व साझेदारी में ऐसी कोई अनिवार्यता नही होती है।इसलिए अंकेक्षण फीस को पूर्णतया समामेलन के बाद का व्यय भी माना जा सकता है।

(On turnover basis)बिक्री के आधार पर-
कुछ ऐसे व्यय होते है। जैसे कमीशन, कटौती, दलाली, विक्रेताओं का वेतन, विज्ञापन, यात्रा व्यय, विक्रय पर भाडा, डूबत ऋण आदि जो की बिक्री के आधार पर होते है और इनको दोनों अवधियों की बिक्री के आधार पर बाँटना चाहिये।

(Pre-incorporation लाभ और हानि की गणना का उदाहरण expenses) समामेलन से पूर्व के व्यय-
समामेलन से पूर्व की अवधि के व्यय जैसे विक्रेता का वेतन, पूँजी पर ब्याज, क्रय प्रतिफल पर समामेलन की तिथि तक का ब्याज आदि जो की पूर्व की अवधि में ही दिखाना चाहिए क्योंकि ये पूर्व के है।

(Post-incorporation expenses) समामेलन के बाद के व्यय-
समामेलन के बाद की अवधि के व्यय जैसे संचालकों की फीस, ऋणपत्रों पर ब्याज, प्रारम्भिक व्यय, स्थान व्यय आदि बाद की अवधि में ही दिखाना चाहिए क्योंकि यह बाद के व्यय है।

(Seasonal nature expenses)मौसमी प्रकृति के व्यय-
कुछ व्यवसाय के कुछ व्यय मौसमी प्रकृति के हैं। तो ऐसे व्यय को उस अवधि से दिखाया जाए जिसमें ये किये गये हैं।

यदि आपको इन को समझने मे कोई परेशानी आ रही है। या फिर यदि आप इससे संबन्धित कोई सुझाव या जानकारी देना चाहते है।या आप इसमे कुछ जोड़ना चाहते है। तो कृपया हमे कमेंट बॉक्स मे जाकर अपने सुझाव दे सकते है।

हमारी Hindi law notes classes के नाम से video भी अपलोड हो चुकी है तो आप वहा से भी जानकारी ले सकते है। कृपया हमे कमेंट बॉक्स मे जाकर अपने सुझाव दे सकते लाभ और हानि की गणना का उदाहरण है।और अगर आपको किसी अन्य पोस्ट के बारे मे जानकारी चाहिए तो आप उससे संबन्धित जानकारी भी ले सकते है।

3 thoughts on “समामेलन से पूर्व लाभ या हानि (Loss Prior to Incorporation Account) की विधियों का गणना करना”

Mara kuch is chapter ka question ma problem arahi ha usko kaisa puchu ya kasa solve karu

लाभ और हानि की गणना का उदाहरण

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लाभ और हानि की गणना का उदाहरण

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साझेदारी फर्म का पुनर्गठनः साझेदार का प्रवेश

एक व्यवसाय पिछले कुछ वर्षों मे .

एक व्यवसाय पिछले कुछ वर्षों में 1,00,000 रु. का औसत लाभ अर्जित करता है और इसी प्रकार के व्यवसाय में प्रतिफल की सामान्य दर 10% है। यदि व्यवसाय की निवल परिसंपत्तियों का मूल्य 8,20,000 रु. दिया है तो पूँजीगत औसत लाभ विधि द्वारा ख्याति के मूल्य का निर्धारण करें।

Solution : औसत लाभों का पूँजीगत मूल्य `= (1.00,000 xx100)/10 = 10.00,000` रु.
ख्याति = पूँजीकृत मूल्य - निवल परिसंपत्तियाँ = 10,00,000 रु. - 8,20,000 रु. = 1,80,000 रु.
(ब) अधिलाभों का पूँजीकरण : ख्याति का निर्धारण, अधिलाभों का पूँजीकरण करके सीधे ज्ञात किया जा सकता है। इस विधि के अंतर्गत औसत लाभों का पूँजीकरण करने की आवश्यकता नहीं हैं। इसके अंतर्गत निम्न चरण आते
(i) फर्म की पूँजी ज्ञात करें जिसे कुल परिसंपत्तियों में से बाह्य दायित्वों को घटाकर प्राप्त किया जाता है।
(ii) फर्म की पूँजी पर सामान्य लाभ की गणना करें।
(iii) दिए गए गत वर्षों के औसत लाभ की गणना करें।
(iv) औसत लाभ में से सामान्य लाभ की राशि को घटाकर अधिलाभ की राशि की गणना करें।
(v) अधिलाभ की राशि को प्रतिफल की सामान्य दर गुणाक से गुणा करें, लाभ और हानि की गणना का उदाहरण अर्थात
ख्याति `= ("अधिलाभ")/(" सामान्य प्रतिफल की दर")xx100`
दूसरे शब्दों में ख्याति के मूल्य को अधिलाभ पर पूँजीकृत किया जाता है। इस विधि से ख्याति की राशि की गणना उसी प्रकार से की जाती है जैसा कि औसत लाभों को पूँजीकृत करके किया जाता है।
उदाहरण के लिए, उदाहरण 14 में दी गई संख्याओं के प्रयोग करने पर औसत लाभ 1.00,000 रु. है तथा सामान्य लाभ 82,000 रु. (8,20,000 रु. का 10% ) होगा, अधिलाभ 1,80,000 रु. (1,00,000 रु. - 82,000 लाभ और हानि की गणना का उदाहरण रु.) निकलेगा, ख्याति 18,000 x 100/10 = 1,80,000 रु. होगी।

लाभ और हानि फार्मूला और ट्रिक उदाहरण सहित | Profit and loss formula in Hindi

लाभ और हानि का फार्मूला लाभ और हानि की गणना का उदाहरण हम छठवीं कक्षा से पढ़ते आ रहे हैं। यह हमारी व्यक्तिगत जिंदगी में आमतौर पर प्रयोग होने वाला concept है। इसीलिए आज का हमारा यह लेख profit and loss formula in Hindi पर आधारित है। इस लेख के माध्यम से हम लाभ और हानि के फार्मूला को आसान शब्दों में उदाहरणों के माध्यम से समझेंगे। तो चलिए लेख शुरू करते हैं:लाभ और हानि की गणना का उदाहरण लाभ और हानि की गणना का उदाहरण -

Profit, loss and discount

गणित के सवाल को आसानी से हल करने के लिए फार्मूला का प्रयोग किया जाता है। गणित का विषय प्राचीन काल से ही रोचक रहा है। जीरो की खोज भारत में ही आर्यभट्ट के द्वारा की गई है।

चलिए अब लाभ, हानि और बट्टा की बात करते हैं, यदि हम आसान शब्दों में समझें तो किसी भी बिजनेस मे लेनदेन को सरल और सुचारू बनाने के लिए कुछ सरल और विशेष सूत्रों का प्रयोग किया जाता है, जैसे:- क्रय मूल्य, विक्रय मूल्य, लाभ, हानि और बट्टा इत्यादि।

क्रय मूल्य | cost price

जिस रेट पर किसी वस्तु को खरीदा जाता है वह उस वस्तु का क्रय मूल्य कहलाता है।

क्रय मूल्य निकालने का फार्मूला

  • क्रय मूल्य = विक्रय मूल्य – लाभ
  • क्रय मूल्य = loss + selling price
  • क्रय मूल्य = selling price × ( 1 + profit /100)
  • क्रय मूल्य= (selling price × 100) / 100 + profit in %
  • क्रय मूल्य= ( विक्रय मूल्य × 100) /100 + हानि in %

विक्रय मूल्य | selling price

कोई भी वस्तु जिस भी rate पर बेची जाती है, वह उस वस्तु का विक्रय मूल्य कहलाता है।

विक्रय मूल्य निकालने का सूत्र

  • विक्रय मूल्य = क्रय मूल्य – हानि
  • विक्रय मूल्य = लाभ + क्रय मूल्य
  • विक्रय मूल्य = क्रय मूल्य ( 1 + लाभ/100)
  • विक्रय मूल्य = क्रय मूल्य ( 1 – हानि/100)
  • विक्रय मूल्य = अंकित मूल्य – बट्टा
  • विक्रय मूल्य = अंकित मूल्य ( 1 + बट्टा( in %) /100)

लाभ क्या होता है?

Profit and loss formula in Hindi

आइए अब जानते हैं कि लाभ क्या होता है। जब किसी वस्तु का विक्रय मूल्य, उसके क्रय मूल्य से अधिक हो तो उस स्थिति में लाभ होता है।

लाभ निकालने का फार्मूला

लाभ = विक्रय मूल्य – क्रय मूल्य

लाभ% = (लाभ × 100) / क्रय मूल्य

आइए इसे उदाहरण की मदद से समझते हैं:-

जैसे आपने कोई पेन ₹7 का खरीदा है और उसे ₹10 में बेचा है, तो इस स्थिति में आपका पेन बेचने का मूल्य, आपके पेन खरीदने के मूल्य से ज्यादा है। इस लेनदेन को करने के बाद आपको ₹3 का लाभ हुआ है।

हानि किसे कहते हैं?

जब किसी वस्तु का विक्रय मूल्य, उसके क्रय मूल्य से कम हो, तो उस स्थिति को हानि कहते हैं।

हानि निकालने का फार्मूला

हानि = विक्रय मूल्य – क्रय मूल्य

हानि% = (हानि × 100) / क्रय मूल्य

आइए इसे उदाहरण के मदद से समझते हैं। यदि कोई पेंट आप ₹10 में खरीदते हो और उसे ₹8 में बेचते हो तो उस स्थिति में आपको ₹2 की हानि होगी क्योंकि यहां पर आपके बेचने का मूल्य, आपके खरीदने के मूल्य से कम है।

बट्टा किसे कहते हैं?

जो रेट किसी वस्तु पर अंकित होता है, उस रेट पर दी जाने वाली छूट, बट्टा यानी डिस्काउंट कहलाती है।

जैसे:- ₹499 की sofa cover पर 20% की छुट।

₹ 3999 की fan पर 10% की छुट।

बट्टा निकालने का फार्मूला

  • बट्टा = अंकित मूल्य – विक्रय मूल्य
  • विक्रय मूल्य = अंकित मूल्य – बट्टा
  • बट्टा% मे = बट्टा × 100/ अंकित मूल्य

Market price

किसी वस्तु का market prize वह होता है, जो उस वस्तु पर पहले से ही अंकित किया गया हो।

अंकित मूल्य का फॉर्मूला

  • अंकित मूल्य = विक्रय मूल्य + बट्टा

Important profit and loss in Hindi

  • यदि किसी वस्तु का क्रय मूल्य ( buying rate) ₹x हो और उस वस्तु पर y प्रतिशत लाभ प्राप्त हुआ हो, तो उसके लिए विक्रय मूल्य का निम्नलिखित फार्मूला होगा:-

विक्रय मूल्य = (100 + y / 100) × x

  • यदि किसी वस्तु को ₹x में बेचने पर उस वस्तु पर लाy% की हानि हो, तो उस वस्तु का क्रय मूल्य निम्न होगा:-

क्रय मूल्य = (100 / 100 – y) × x

  • अगर दो अलग-अलग वस्तुओं का विक्रय मूल्य समान हो और एक वस्तु को बेचने पर x% लाभ तथा दूसरे को y प्रतिशत हानि हो जाए, तो उस वस्तु का हानि के लिए निम्न फार्मूला होता है:-

Profit and loss के example

Q- राहुल ने एक पुरानी कूलर 8200 रुपए में खरीदी। ₹700 उसकी मरम्मत पर खर्च किए और उस कूलर को 7500 में बेच दिया। राहुल को कुलर में कितना घाटा हुआ?

Solution- पुरानी कूलर का क्रय मूल्य = 8200

मरम्मत का लाभ और हानि की गणना का उदाहरण खर्च = 700

Cooler का कुल rate = 8900

Cooler का विक्रय मूल्य = 7500

हानि = विक्रय मूल्य – क्रय मूल्य

कैलकुलेशन के आधार पर राहुल को 1400 रुपए का घाटा हुआ।

निष्कर्ष

इस लेख लाभ और हानि की गणना का उदाहरण के माध्यम से हमने profit and loss formula in Hindi के बारे में जाना है। आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। आप इस जानकारी को अपने दोस्तों और फैमिली के साथ भी जरूर साझा करें। इस लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न आपके मन में है तो आप हमें कमेंट सेक्शन में लिखकर जरूर बताएं।

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