कच्चे तेल की कीमत में दर्ज हुई गिरावट :

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कच्चे तेल की कीमत में दर्ज हुई गिरावट से घट सकती है पेट्रोल-डीजल की कीमतें

Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। बीते सालों में देश में कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के समय और रूस और युक्रेन की जंग शुरू होने के बाद कुछ समय तक कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन पिछले साल तेल की कीमतों में काफी बढ़त दर्ज हुई थी। जो दुनियाभर में लगभग दो साल बाद अपने उच्च स्तर पर जा पहुंची थी। वहीं, मार्च में कच्चे तेल की बढ़ी हुई कीमतें बीते 8 सालों के अपने उच्चतम स्तर पहुंच गई थीं। इसके बाद बीते कुछ समय से कच्चे तेल की कीमत में गिरावट का दौर जारी है, लेकिन इसके बाद भी पेट्रोल-डीजल सस्ता नहीं हुआ था, लेकिन अब कच्चे तेल में दर्ज हुई गिरावट से पेट्रोल-डीजल की कीमत में गिरावट दर्ज होने की एक उम्मीद नज़र आ रही है।

क्या चुनाव के बाद सस्ता होगा Petrol-Diesel? 11 महीने में सबसे कम दाम पर मिल रहा है कच्चा तेल

कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2022,
  • (अपडेटेड 07 दिसंबर 2022, 10:56 AM IST)

क्या देश में पेट्रोल-डीजल के दाम (Petrol-Diesel Price) कम होने वाले हैं? ऐसे संकेत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट को देखकर मिल रहे हैं. Crude Oil के दाम 80 डॉलर प्रति बैरल के नीचे यानी सालभर के निचले स्तर पर आ गए हैं. फिलहाल, ब्रेंट क्रूड 79.35 डॉलर और WTI क्रूड 74.09 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है. ऐसे में लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं कि चुनाव के बाद देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें घट सकती हैं.

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पेट्रोल-डीजल पर कच्चे तेल की कीमतों की असर
रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रेंट क्रूड फ्यूचर की कीमत 4.03 फीसदी की गिरावट के साथ 4 जनवरी कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के साथ 2022 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. जबकि डब्ल्यूटीआई क्रूड के दाम में 3.48 फीसदी की कमी आई है. अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल के भाव में गिरावट का असर देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर भी दिखता है.

दरअसल, सस्ते होते Crude Oil का फायदा तेल खरीदार देशों को होता, जिसमें भारत भी शामिल है. तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतें निर्धारित करते समय कच्चे तेल के दाम को भी आधार बनाती हैं. ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों के संपन्न होने के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है.

देश में Petrol-Diesel की कीमतें
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOCL) की आधिकारिक वेबसाइट iocl.com के लेटेस्ट अपडेट के मुताबिक, देश की राजधानी दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल 96.72 रुपये और डीजल 89.62 रुपये में बिक रहा है. कोलकाता में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 106.03 रुपये और डीजल की 92.76 रुपये प्रति लीटर है. आर्थिक राजधानी मुंबई में एक लीटर पेट्रोल 106.31 रुपये और डीजल 94.27 रुपये प्रति लीटर, जबकि चेन्नई में पेट्रोल 102.74 रुपये प्रति लीटर और एक लीटर डीजल 94.33 रुपये में मिल रहा है.

. इतना सस्ता मिलना चाहिए पेट्रोल-डीजल? कच्चे तेल के मुताबिक ये बैठता है गणित

पेट्रोल की कीमतों में गिरावट की उम्मीद!

आदित्य के. राणा

  • नई दिल्ली,
  • 29 नवंबर 2022,
  • (अपडेटेड 29 नवंबर 2022, 6:10 PM IST)

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव 10 महीने के न्यूनतम स्तर पर लुढ़क गया है. इसके बाद सबकी नजर भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम पर लगी है कि आखिर इनमें कब कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के साथ कमी आएगी? इस कमी की संभावना को जानने के लिए हमें कुछ आंकड़ों को समझना होगा. सबसे पहले तो बात करते हैं कच्चे तेल की कीमतों के बारे में जिनमें सबसे प्रमुख ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) का भाव सोमवार को 2.6 डॉलर/बैरल यानी 3 फीसदी से ज्यादा कम होकर 80.97 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. ये कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के साथ इस साल की शुरुआत में 4 जनवरी के बाद का सबसे कम भाव है. ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) ऑयल की कीमतों में आई इस गिरावट से भारतीय बास्केट यानी जिस औसत दाम पर भारतीय कंपनियां कच्चा तेल खरीदती हैं, उसकी लागत मार्च के औसत 112.8 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 82 डॉलर प्रति बैरल हो गई है.

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क्यों घटे कच्चे तेल के दाम?
कच्चे तेल की कीमतों में कमी की वजह दुनिया के कई देशों पर छाए मंदी के काले बादल हैं. ऐसे में डिमांड घटने से आर्थिक रफ्तार सुस्त होने की आशंका बढ़ गई है. इससे चीन, अमेरिका और यूरोपीय देशों में इस बार सर्दियों में डिमांड में कमी हो सकती है. इस सबके चलते सेंटीमेंट्स कमजोर हो गए हैं और कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव बढ़ता जा रहा है. इसके साथ ही कई देशों में ब्याज दरों में जारी बढ़ोतरी का दौर और चीन में लॉकडाउन ने भी कच्चे तेल के दाम कम करने का काम किया है. इससे आशंका है कि आने वाले कुछ महीनों तक हालात कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के साथ सुधरने की उम्मीद नहीं है और कीमतों में कमी इसी तरह जारी रह सकती है. कच्चे तेल की कीमतों में कमी का एक कारण रूस के कच्चे तेल पर G-7 देशों द्वारा लगाए गए कड़े प्रतिबंध भी हैं. इसके अलावा अमेरिका ने वेनेजुएला में क्रूड उत्पादन को मंजूरी दी है जो अब शेवरॉन कार्प क्रूड का प्रॉडक्शन करेगा. इससे भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में सप्लाई बढ़ेगी और कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव पड़ेगा.

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट बढ़ी, क्या पेट्रोल और डीजल में मिलेगा फायदा?

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ओपेक देशों के द्वारा उत्पादन में कटौती के ऐलान के बाद भी कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है. दरअसल चीन सहित दुनिया भर के देशों में मंदी की आशंका की वजह से मांग घटने के संकेत हैं इसी वजह से कारोबारी क्रूड को लेकर सतर्क रुख अपना रहे हैं. जिससे कीमतों में गिरावट दर्ज हुई है. बुधवार को ब्रेंट क्रूड गिरावट के साथ 92 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से नीचे आ गया था. मंगलवार को ही कीमतों में 3 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली थी. फिलहाल निवेशकों की नजरें ओपेक देशों के साथ साथ फेडरल रिजर्व और चीन में कोविड के मामलों पर हैं.

कहां पहुंचा कच्चा तेल

ब्रेंट क्रूड बुधवार को सुबह के कारोबार में एक प्रतिशत से ज्यादा लुढ़ककर 92 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से नीचे पहुंच गया है. वहीं डब्लूटीआई फिलहाल 85 डॉलर के स्तर के आसपास बना हुआ है. कच्चे तेल में अगस्त के अंत से ही गिरावट का रुख है. 29 अगस्त को ब्रेंट क्रूड 105 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर पर था. फिलहाल कच्चा तेल 92 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से नीचे है. यानि 10 दिन के अंदर ब्रेंट क्रूड 13 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा सस्ता हो चुका है. हफ्ते की शुरुआत में ही क्रूड में तब हल्की तेजी देखने को मिली थी जब ओपेक देशों ने उत्पादन में कटौती का ऐलान किया था. हालांकि मांग घटने की आशंका के बाद कीमतों में एक बार फिर गिरावट दर्ज हुई. चीन में कोविड को लेकर सख्त नियमों की वजह से मांग में लगातार दबाव बना हुआ है. वहीं यूरोपियन देशों में भी सुस्ती की आशंका से कच्चे तेल को लेकर सेंटीमेंट्स बिगड़े हैं. जिसका असर कीमतों पर है.

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