लिक्विड फंड आसान तरलता वाले शॉर्ट टर्म फंड होते हैं. ये ऐसे डेट म्यूचुअल फंड होते हैं जो कि 91 दिन तक की प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं. यह फंड ऐसे निवेशकों के लिए उपयोगी होते हैं जिनके पास अचानक कहीं से बड़ी रकम मिली हो सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे और उन्हें एक से तीन महीने तक इस रकम की जरूरत न हो. यह म्यूचुअल फंड में सबसे कम जोखिम वाले फंड माने जाते हैं.

Dynamic Bond Fund: डेट फंड-सदाबहार निवेश का विकल्प, 9.3 फीसदी का सालाना रिटर्न मिला है पिछले 10 साल में

पिछला एक साल डेट बाजार के लिए काफी अस्थिर रहा है, क्योंकि आरबीआई ने रेपो दर में पांच बार में 2.25% बढ़त की है। आगे क्या होगा इसे कोई नहीं जानता, क्योंकि महंगाई चिंता का विषय है। मौजूदा अनिश्चितता को देखते हुए विशेषज्ञ डायनॉमिक बॉन्ड फंड में निवेश की सलाह दे रहे हैं। इसी पर अजीत सिंह की रिपोर्ट.

छोटी और लंबी अवधि की प्रतिभूतियों के बीच स्विच करने की सुविधा के कारण डायनॉमिक बॉन्ड फंड को अस्थिरता से निपटने का अच्छा तरीका माना जाता है। यह एक ओपन-एंडेड डेट स्कीम है। अपने पोर्टफोलियो में प्रतिभूतियों की परिपक्वता के लिहाज से प्रदर्शन करती है।

यह इस बात पर निर्भर करता है कि अधिकतम रिटर्न कहां अर्जित करने की उम्मीद है। फंड मैनेजर यह तय करता है कि कुछ महीनों में परिपक्व होने वाले सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे बॉन्ड में निवेश करना है या कई वर्षों के बाद मैच्योर होने वाले बॉन्ड में। यही क्षमता उन्हें सबसे अनोखे प्रकार के डेट फंड उपलब्ध कराती है। इस फंड में सभी प्रकार के बाजार में उचित रिटर्न पैदा करने की क्षमता है।

सेबी ने सख्त किए म्यूचुअल फंड के नियम, निवेशकों को होगा फायदा

सेबी ने दिखाई सख्ती

  • नई दिल्ली,
  • 28 जून 2019,
  • (अपडेटेड 28 जून 2019, 11:29 AM IST)

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Sebi) ने लिक्विड म्यूचुअल फंडों के लिए नियम काफी सख्त कर दिए हैं. असल में कई कर्जधारक कंपनियों द्वारा डिफाल्ट को देखते हुए ऐसी सख्ती जरूरी थी ताकि भविष्य में निवेशकों को किसी तरह के नुकसान से बचाया जा सके.

गुरुवार को अपनी बैठक के बाद सेबी ने कई सुधार की घोषणा की है. सेबी की चिंता सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे खासकर हाउसिंग सेक्टर को कर्ज देने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में निवेश को लेकर है. सेबी ने कहा कि अब लिक्विड फंड अपने कुल एसेट का अधिकतम 20 फीसदी ही किसी एक सेक्टर में लगा सकेंगे. अभी तक किसी एक सेक्टर में 25 फीसदी तक निवेश करने की इजाजत थी.

शेयर बाजार के कार्य, विशेषताएँ, लाभ, सीमाये/दोष

शेयर बाजार से आशय उस बाजार से है जहां नियमित कम्पनीयों के अंशपत्र, ऋणपत्र, प्रतिभूति, बाण्ड्स आदि का क्रय विक्रय होता है। शेयर बाजार एक संघ, संगठन या व्यक्तियों की संस्था है जो प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय या लेनदेन के उद्देश्य हेतु सहायक नियमन व नियंत्रण के लिए स्थापित किया जाता है फिर चाहे वह निर्गमीत हो या न हो।

1. अनवरत बाजार उपलब्ध कराना- शेयर बाजार सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के नियमित एवं सुविधापूर्ण क्रय-विक्रय के लिए एक स्थान है। शेयर बाजार विभिन्न अंशों, ऋणपत्रों, बॉण्ड्स एवं सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे सरकारी प्रतिभूतियों के लिए तात्कालिक एवं अनवरत बाजार उपलब्ध कराता है इसके माध्यम से प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय मे उच्च कोटि की तरलता पाई जाती हैं क्योंकि इसके धारक जब भी चाहें, अपनी प्रतिभूतियों का नकद भुगतान प्राप्त कर सकते हैं।


2. मूल्य एवं विक्रय सम्बन्धी सूचना प्रदान करना-एक शेयर बाजार विभिन्न प्रतिभूतियो के दिन-प्रतिदिन के लेने देन का पूर्ण विवरण रखता है और मूल्य एवं विक्रय की मात्रा की नियमित सूचना प्रेस एवं अन्य संचार माध्यमों को देता रहता है वास्तव मे आजकल आप टी.वी. चैनल जैसे-सी.एन.बी.सी. जी न्यूज, एन.डी.टी.वी. और मुख्य खबरों (हेड लाइन) के माध्यम से विशिष्ट अंशों के विक्रय की मात्रा एवं मूल्यों के सम्बन्ध मे मिनट-मिनट की जानकारी प्राप्तर कर सकते है। यह निवेशकों को उन प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय के सम्बन्ध में शीघ्र निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करता है जिनके लेनदेन में वे इच्छुक है।

RBI Retail Direct: भारतीय रिजर्व बैंक की इस स्कीम में खुलवाएं खाता, कमाई के साथ होगी पैसों की पूरी सुरक्षा

RBI Retail Direct: भारतीय रिजर्व बैंक की इस स्कीम में खुलवाएं खाता, कमाई के साथ होगी पैसों की पूरी सुरक्षा

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने ‘आरबीआई रिटेल डायरेक्ट’ (RBI Retail Direct) योजना की घोषणा की. इसके जरिये व्यक्तिगत निवेशकों को गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में एक स्थान से निवेश की सुविधा मिलेगी. रिजर्व बैंक के साथ ‘रिटेल सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे डायरेक्ट गिल्ट खाता’ (Retail Direct Gilt Account) खोलने और उसके प्रबंधन के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा. हालांकि, भुगतान गेटवे के लिए पंजीकृत निवेशकों को शुल्क देना होगा.

सरकारी प्रतिभूतियों में खुदरा भागीदारी बढ़ाने के प्रयास के तहत फरवरी, 2021 को ‘द आरबीआई रिटेल डायरेक्ट सुविधा’ की घोषणा की थी. इसका मकसद खुदरा निवेशकों की ऑनलाइन पहुंच के जरिये सरकारी प्रतिभूतियों तक पहुंच में सुधार करना है. इसमें प्राथमिक और द्वितीयक बाजार दोनों शामिल हैं.

ऑनलाइन खोल सकते हैं खाता

इसके अलावा उन्हें रिजर्व बैंक के पास गिल्ट प्रतिभूति खाता (Retail Direct) खोलने की भी सुविधा दी जाएगी. केंद्रीय बैंक ने कहा कि खुदरा निवेशक रिजर्व बैंक सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे के पास रिटेल डायरेक्ट गिल्ट खाता (RDG Account) खोल सकते हैं. यह खाता इस योजना के लिए उपलब्ध कराए गए ऑनलाइन पोर्टल के जरिये खोला जा सकता है.

यह ऑनलाइल पोर्टल पंजीकृत प्रयोगकर्ताओं को सरकारी प्रतिभूतियों के प्राथमिक निर्गम के अलावा एनडीएस-ओएम तक पहुंच उपलब्ध कराएगा. एनडीएस-ओएम (NDS-OM) से आशय द्वितीयक बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों में कारोबार के लिए आरबीआई सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे की स्क्रीन आधारित इलेक्ट्रॉनिक ऑर्डर के मिलान की प्रणाली से है.

केंद्रीय बैंक ने कहा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रिटेल डायरेक्ट की योजना को व्यक्तिगत निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश की सुविधा के लिए वन-स्टॉप समाधान के रूप में तैयार किया गया है.

कौन खोल सकता है खाता

आरबीआई ने स्पष्ट किया कि आरडीजी खाता सिंगल या ज्वाइंट रूप से किसी अन्य खुदरा निवेशक के साथ खोला जा सकता है जो पात्रता मानदंडों को पूरा करता है.

खुदरा निवेशकों को भारत में बचत बैंक खाता, स्थायी खाता संख्या (PAN) या केवाईसी (KYC) उद्देश्यों के लिए किसी भी आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज, खुदरा प्रत्यक्ष योजना के तहत पंजीकरण करने और आरडीजी खाता बनाए रखने के लिए एक वैध ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर की आवश्यकता होती है.

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के तहत सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने के पात्र अनिवासी खुदरा निवेशक भी योजना का लाभ उठा सकते हैं.

बॉण्ड यील्ड में वृद्धि: आर्थिक संवृद्धि के लिये चुनौती

(प्रारंभिक परीक्षा: विषय- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, आर्थिक और सामाजिक विकास) (मुख्य परीक्षा: विषय- भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय)

संदर्भ

अमेरिका एवं जापान जैसे विकसित देशों तथा भारत में सरकारी प्रतिभूतियों या बॉण्ड्स पर बढ़ती बॉण्ड यील्ड पर भारतीय रिज़र्व बैंक ने चिंता व्यक्त करते हुए इसे अर्थव्यवस्था की संवृद्धि में बाधक बताया है।

क्या है बॉण्ड यील्ड?

  • बॉण्ड यील्ड, किसी निवेशक को उसके बॉण्ड या सरकारी प्रतिभूति पर मिलने वाला एक प्रतिफल (Return) है।
  • ब्याज दरों में वृद्धि के कारण बॉण्ड की कीमतें गिरने लगती हैं तथा बॉण्ड यील्ड बढ़ जाती है, जबकि ब्याज दर कम होने पर बॉण्ड की कीमतें बढ़ने से बॉण्ड यील्ड में गिरावट आती है।
  • केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति, विशेष रूप से ब्याज दरों के संदर्भ में बॉण्ड यील्ड को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक है। इसके अतिरिक्त, सरकार की राजकोषीय स्थिति, सरकारी उधारियाँ, वैश्विक बाज़ार तथा मुद्रास्फीति जैसे कारक भी इसे प्रभावित करते हैं।
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