विदेशी मुद्रा समय क्या है?
न्यूनतम एक वर्ष विदेश में सतत रहने के बाद स्थायी रूप से लौट रहे अनिवासी भारतीयों, भारत में बैंकों में निवासी, विदेशी मुद्रा खाते खोल सकते हैं. जो एक साल से भी कम रहने के बाद लौट आए हैं, आरएफसी खाता खोलने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से अनुमति प्राप्त करनी होगी.
किसी आरएफसी खाते में धारित फंड रिजर्व बैंक की मंजूरी के बिना विदेश में स्वतंत्र रूप से प्रेषित किये जा सकते हैं. भारत में भुगतान करने के लिए धन भी रुपए में निकाला जा सकता है . अगर बाद में कोई अप्रवासी भारतीय बनने के लिए विदेश चला जाता है तो उनके आरएफसी खाते के राशि को एनआरई / एफसीएनआर खाते में परिवर्तित किया जा सकता हैं.
अगर कोई व्यक्ति "निवासी लेकिन आमतौर पर निवासी न हो “, के रूप में लंबे समय तक स्थिति बनाये रखता है तो, जमा ब्याज पर टैक्स से छूट दी जाएगी. एनआरई/एफसीएनआर खातों और अन्य विदेशी मुद्रा विनिमय फंड वापसी के समय RFC डिपॉजिट में निवेश किया जा सकता है. इसी प्रकार उसकी विदेशों में रखी संपत्ति की आय का भी निवासी विदेशी मुद्रा खाते में रखा जा सकता है.
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विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार फिर लुढ़का
राज एक्सप्रेस। देश में जितना भी विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार जमा होता है, उसके आंकड़े समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए जाते हैं। इन आंकड़ों में हमेशा ही उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। काफी समय तक विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में गिरावट के बाद पिछले सप्ताह दर्ज हुई बढ़त के बाद अब एक बार फिर इसमें बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, स्वर्ण भंडार (Gold Reserves) में इस बार बढ़त दर्ज हुई है। इस बात का खुलासा RBI द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों से होता है। बता दें, यदि विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज की जाती है तो, कुल विदेशी विनिमय भंडार में भी बढ़त दर्ज होती है।
RBI के ताजा आंकड़े :
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 19 अगस्त 2022 को खत्म हुए सप्ताह में 6.687 अरब डॉलर घटकर 564.053 अरब डॉलर पर आ पहुंचा है,जबकि, 12 अगस्त 2022 को खत्म हुए सप्ताह में 2.23 अरब डॉलर घटकर 570.74 अरब डॉलर पर आ पहुंचा था। वहीँ, अगर 5 अगस्त 2022 को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार देखे तो यह 2.23 अरब डॉलर 89.7 करोड़ डॉलर घटकर 572.978 अरब डॉलर पर आ पहुंचा था। जबकि, 29 जुलाई 2022 को खत्म विदेशी मुद्रा समय क्या है? हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 2.315 अरब डॉलर की बढ़त दर्ज हुई थी और यह 573.875 अरब डॉलर पर पहुच गया था। उससे पहले विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का दौर काफी समय तक जारी था।
गोल्ड रिजर्व की वैल्यू :
बताते चलें, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत के गोल्ड रिजर्व की वैल्यू में भी पिछले कुछ समय से गिरावट दर्ज होने के बाद एक बार की बढ़त के बाद अब समीक्षाधीन सप्ताह में गोल्ड रिजर्व की वैल्यू 70.4 करोड़ डॉलर घटकर 39.914 अरब डॉलर पर आ गिरी हैं। हालांकि, इससे पहले भी गोल्ड रिजर्व में बढ़त दर्ज हुई थी। रिजर्व बैंक ने बताया कि, आलोच्य सप्ताह के दौरान IMF के पास मौजूद भारत के भंडार में मामूली वृद्धि हुई। बता दें, विदेशी मुद्रा संपत्तियों (FCA) में आई गिरावट के चलते विदेशी मुद्रा भंडार में भी गिरावट दर्ज होती है, लेकिन अब जब FCA में बढ़त दर्ज हुई है तो विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ा है। RBI के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज होने की वजह से कुल विदेशी विनिमय भंडार में बढ़त हुई है और विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक अहम भाग मानी जाती है।
आंकड़ों के अनुसार FCA :
रिजर्व बैंक (RBI) के साप्ताहिक आंकड़ों पर नजर डालें तो, विदेशीमुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का विदेशी मुद्रा समय क्या है? अहम हिस्सा होती हैं। बता दें, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में बढ़त होने की वजह से मुद्रा भंडार में बढ़त दर्ज की गई है। FCA को डॉलर में दर्शाया जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्रा सम्पत्ति भी शामिल होती हैं। आंकड़ों के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (SDR) 14.6 करोड़ डॉलर घट कर 17.98 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। जबकि, IMF में रखे देश का मुद्रा भंडार भी 5.8 करोड डॉलर गिर कर 4.936 अरब डॉलर हो गया। समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA) 5.77 अरब डॉलर घटकर 501.216 अरब डॉलर रह गई है।
क्या है विदेशी मुद्रा भंडार ?
विदेशी मुद्रा भंडार देश के रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इसका उपयोग आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में विदेशी मुद्रा समय क्या है? भी किया जाता है। कई लोगों को विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी का मतलब नहीं पता होगा तो, हम उन्हें बता दें, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी अच्छी बात होती है, इसमें करंसी के तौर पर ज्यादातर डॉलर होता है, यानि डॉलर के आधार पर ही दुनियाभर में कारोबार किया जाता है। बता दें, इसमें IMF में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे :
विदेशी मुद्रा भंडार से एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति आसानी से की जा सकती है।
अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता विदेशी मुद्रा समय क्या है? है।
यदि भारत के पास भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है तो, सरकार जरूरी सैन्य सामान को तत्काल खरीदने का निर्णय ले सकती है।
विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की प्रभाव पूर्ण भूमिका होती है।
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फिर घटा विदेशी मुद्रा भंडार, जानिए कितना रह गया
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार भंडार में एक बार फिर से कमी आई है। तीन जून 2022 को समाप्त सप्ताह के दौरान यह 30.6 करोड़ डॉलर घटकर 601.057 अरब डॉलर पर आ गया। अपना विदेशी मुद्रा भंडार एक महीने से अधिक समय तक 600 बिलियन डॉलर से नीचे रहा था। इसके साथ ही यह लगातार 10 सप्ताह तक गिरा था। तब जा कर 20 मई 2022 और 27 मई 2022 को समाप्त सप्ताह के दौरान इसमें बढ़ोतरी हुई थी। अब एक बार फिर से इसमें गिरावट दिखी है।
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में एक बार फिर हुई कमी (File Photo)
फिर आ गई गिरावट
बीते 3 जून को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में फिर 30.6 करोड़ डॉलर की गिरावट आ गई। समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों में आई गिरावट है जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण घटक है। आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 20.8 करोड़ डॉलर घटकर 536.779 अरब डॉलर रह गयी। डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि अथवा मूल्यह्रास के प्रभावों को शामिल किया जाता है।
सोने का भी भंडार घटा
आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य सप्ताह में स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 7.4 करोड़ डॉलर घटकर 40.843 अरब डॉलर रह गया। समीक्षाधीन सप्ताह में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 2.8 करोड़ डॉलर घटकर 18.41 अरब डॉलर रह गया। आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार 50 करोड़ डॉलर बढ़कर 5.025 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
Foreign Currency Reserves: देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट ने दिलाई 2013 के Taper Tantrum की याद!
Foreign Currency Reserves Update: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अक्टूबर 2021 के 642 अरब डॉलर के लेवल से घटकर अब 550 अरब डॉलर रह गया है.
By: ABP Live | Updated at : 19 Sep 2022 07:04 PM (IST)
Edited By: manishkumar
Taper Tantrum In 2022: भारतीय रिजर्व बैंक ( Reserve Bank Of India) विदेशी निवेशकों (Foreign Investors) की बिकवाली के चलते घरेलू करेंसी ( Domestic Currency) में आई कमजोरी को थामने के लिए लगातार अपने विदेशी मुद्रा भंडार ( Forex Reserve) से डॉलर को बेचने में जुटा है. जिस प्रकार रुपये को थामने के लिए अपने विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Currency Reserve )का इस्तेमाल कर रहा है इसने 2013 की याद दिला दी है. उस समय भी आरबीआई ने रुपये में गिरावट को रोकने के लिए अपने कोष का इस्तेमाल किया था और डॉलर के मुकाबले रुपये में बड़ी गिरावट आने से रोका था.
6 महीने में 38.8 डॉलर घटा कोष
शुक्रवार 17 सितंबर, 2022 को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा वर्ष 2022 में जनवरी से लेकर जुलाई के बीच आरबीआई ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार से 38.8 अरब डॉलर बेचा. जिसमें केवल जुलाई महीने में आरबीआई ने 19 अरब डॉलर बेच डाला. अगस्त में भी यही हुआ जब रुपया पहली बार एक डॉलर के मुकाबले 80 रुपये के लेवल के नीचे चला गया. आरबीआई का फॉरवर्ड डॉलर होल्डिंग अप्रैल के 64 अरब डॉलर से घचकर 22 अरब डॉलर के लेवल पर आ गया है.
टेपर टैंट्रम की दिलाई याद
2013 में भी आरबीआई ने जून से सितंबर के बीच 13 अरब डॉलर अपने विदेशी मुद्रा भंडार से बेच डाला था. तब मई 2013 में, यूएस फेडरल रिजर्व ने संकेत दिया था कि वह अपने बांड-खरीद कार्यक्रम पर रोक लगाएगा जो कि वैश्विक वित्तीय संकट के परिणामस्वरूप वैश्विक स्टॉक और बॉन्ड में अचानक बिकवाली के बाद से चल रहा था. इसका अर्थ ये था कि फेडरल रिजर्व अंधाधुंध धन की आपूर्ति बंद कर देगा. जब यूएस सेंट्रल बैंक ने ये कहा तब माना गया कि ब्याज दरें वापस ऊपर की ओर बढ़ेंगी. जिसके बाद निवेशकों ने माना कि अब उभरती अर्थव्यवस्थाओं में बने रहने की आवश्यकता नहीं है, तो उन्होंने रातों-रात अपना पैसा निकाल लिया. इसे टेपर टैंट्रम (Taper Tantrum) का नाम दिया गया. तब भी विदेशी निवेशकों के बिकवाली के चलते रुपया कमजोर पड़ गया था. आरबीआई ने अपने विदेशी मुद्रा कोष से डॉलर की बिकवाली की थी.
11 महीने में 92 अरब डॉलर की कमी
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अक्टूबर 2021 के 642 अरब डॉलर के लेवल से घटकर अब 550 अरब डॉलर रह गया है. डॉलर की बिकवाली से तो कोष में कमी आई है साथ ही यूरो और येन जैसे करेंसी में भी गिरावट से विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ा है. बहरहाल विदेशी मुद्रा भंडार में कमी और आयात में बढ़ोतरी के बावजूद हमारे पास अगले 9 महीनों के आयात करने के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार मौजूद है. 2013 में टेपर टैंट्रम के दौरान केवल 7 महीने के आयात के लिए विदेशी मुद्रा भंडार बचा था.
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Published at : 19 Sep 2022 06:54 PM (IST) Tags: Reserve Bank of India forex reserve foreign currency reserve foreign investors Federal Reserve Taper Tantrum In 2022 Taper Tantrum हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related विदेशी मुद्रा समय क्या है? stories, follow: Business News in Hindi
रुपये के कमजोर या मजबूत होने का मतलब क्या है?
अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी इसलिए माना जाता है, क्योंकि दुनिया के अधिकतर देश अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में इसी का प्रयोग करते हैं
विदेशी मुद्रा भंडार के घटने और बढ़ने से ही उस देश की मुद्रा पर असर पड़ता है. अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी का रुतबा हासिल है. इसका मतलब है कि निर्यात की जाने वाली ज्यादातर चीजों का मूल्य डॉलर में चुकाया जाता है. यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत से पता चलता है कि भारतीय मुद्रा मजबूत है या कमजोर.
अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी इसलिए माना जाता है, क्योंकि दुनिया के अधिकतर देश अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में इसी का प्रयोग करते हैं. यह अधिकतर जगह पर आसानी से स्वीकार्य है.
इसे एक उदाहरण से समझें
अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में भारत के ज्यादातर बिजनेस डॉलर में होते हैं. आप अपनी जरूरत का कच्चा तेल (क्रूड), खाद्य पदार्थ (दाल, खाद्य तेल ) और इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम अधिक मात्रा में आयात करेंगे तो आपको ज्यादा डॉलर खर्च करने पड़ेंगे. आपको सामान तो खरीदने में मदद मिलेगी, लेकिन आपका मुद्राभंडार घट जाएगा.
मान लें कि हम अमेरिका से कुछ कारोबार कर रहे हैं. अमेरिका के पास 68,000 रुपए हैं और हमारे पास 1000 डॉलर. अगर आज डॉलर का भाव 68 रुपये है तो दोनों के पास फिलहाल बराबर रकम है. अब अगर हमें अमेरिका से भारत में कोई ऐसी चीज मंगानी है, जिसका भाव हमारी करेंसी के हिसाब से 6,800 रुपये है तो हमें इसके लिए 100 डॉलर चुकाने होंगे.
अब हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में सिर्फ 900 डॉलर बचे हैं. अमेरिका के पास 74,800 रुपये. इस हिसाब से अमेरिका के विदेशी मुद्रा भंडार में भारत के जो 68,000 रुपए थे, वो तो हैं ही, लेकिन भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में पड़े 100 डॉलर भी उसके पास पहुंच गए.
अगर भारत इतनी ही राशि यानी 100 डॉलर का सामान अमेरिका को दे देगा तो उसकी स्थिति ठीक हो जाएगी. यह स्थिति जब बड़े पैमाने पर होती है तो हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में मौजूद करेंसी में कमजोरी आती है. इस समय अगर हम अंतर्राष्ट्रीय बाजार से डॉलर खरीदना चाहते हैं, तो हमें उसके लिए अधिक रुपये खर्च करने पड़ते हैं.
कौन करता है मदद?
इस तरह की स्थितियों में देश का केंद्रीय बैंक RBI अपने भंडार और विदेश से खरीदकर बाजार में डॉलर की आपूर्ति सुनिश्चित करता है.
आप पर क्या असर?
भारत अपनी जरूरत का करीब 80% पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है. रुपये में गिरावट से पेट्रोलियम उत्पादों का आयात महंगा हो जाएगा. इस वजह से तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ा सकती हैं.
डीजल के दाम बढ़ने से माल ढुलाई बढ़ जाएगी, जिसके चलते महंगाई बढ़ सकती है. इसके अलावा, भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी आयात करता है. रुपये की कमजोरी से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें बढ़ सकती हैं.
यह है सीधा असर
एक अनुमान के मुताबिक डॉलर के भाव में एक रुपये की वृद्धि से तेल कंपनियों पर 8,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ता है. इससे उन्हें पेट्रोल और डीजल के भाव बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ता है. पेट्रोलियम उत्पाद की कीमतों में 10 फीसदी वृद्धि से महंगाई करीब 0.8 फीसदी बढ़ जाती है. इसका सीधा असर खाने-पीने और परिवहन लागत पर पड़ता है.
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