2. स्पष्ट रूप- वर्गीकरण की योजना कुछ इस प्रकार होनी चाहिए कि वह भ्रामक, जटिल न होकर स्पष्ट व सरल हो। किस पद को किस वर्ग में रखा जाए? इस बात के लिए कोई संदेह न हो।
अनुसंधान के प्रकार का वर्णन Types of Research in Hindi
जॉन डब्ल्यू. बेस्ट के अनुसार , " ऐतिहासिक अनुसन्धान का सम्बन्ध ऐतिहासिक समस्या के वैज्ञानिक विश्लेषण से है। विभिन्न पद भूतकाल के सम्बन्ध में एक नई सूझ पैदा करते है , जिसका सम्बन्ध वर्तमान एवं भविष्य से होता है। "
ऐतिहासिक अनुसन्धान के मूल उद्देश्य है-
- भूत के आधार पर वर्तमान को समझना और भविष्य के लिए सतर्क रहना।
- शिक्षा मनोविज्ञान अमदा सामाजिक विज्ञानों में चिन्तन को नई दिशा देना।
- भूतकालीन तथ्यों के प्रति जिज्ञासा की तृप्ति ।
- वर्तमान में सिद्धान्त और क्रियाएँ जो व्यवहार में है , उनके उद्भव में विकास की परिस्थितियों का विश्लेषण
ऐतिहासिक अनुसन्धान के चरण Steps of Historical Research
ऐतिहासिक अनुसन्धान के निम्नलिखित चरण होते हैं-
1. ऑकड़ों का संग्रह
वर्णनात्मक अनुसन्धान Descriptive Research Details in Hindi
इसके अन्तर्गत स्पष्ट परिभाषित समस्या पर कार्य किया जाता है। यह विशेष सरल एवं अत्यन्त कठिन , दोनों प्रकार का हो सकता है। यह ' क्या है ' को स्पष्ट करता है। इसके अन्तर्गत समस्या समाधान हेतु उपयोगी सूचना प्राप्त करते हैं। इसके कल्पनापूर्ण नियोजन आवश्यक है। यह अनुसन्धान संख्यात्मक एवं गुणात्मक दोनों हो सकता है।
वर्णनात्मक अनुसन्धान के उद्देश्य
- भविष्य के अनुसन्धान के प्राथमिक अध्ययन में सहायता करना।
- मनोवैज्ञानिक विशेषताओं से परिचय प्राप्त करना और शैक्षिक नियोजन में सहायता करना।
- मानव व्यवहार के विभिन्न पक्षों की जानकारी प्राप्त करना।
वर्णनात्मक अनुसन्धान के चरण Steps of Descriptive Research
वर्णनात्मक अनुसन्धान के निम्नलिखित चरण है-
- अनुसन्धान समस्या का कथन
- यह निर्धारित करना कि समस्या सर्वेक्षण अनुसन्धान के उपयुक्त है या नहीं।
- उचित सर्वेक्षण विधि का चुनाव ।
- सर्वेक्षण के उद्देश्यों का निर्धारण । आर्थिक विश्लेषण के प्रकारों का वर्गीकरण
- सर्वेक्षण की सफलता का निर्धारण।
- आँकड़े प्राप्त करने का अभिकल्प।
- आँकड़ों का संग्रह।
- आंकड़ों का विश्लेषण।
- प्रतिवेदन तैयार करना।
प्रयोगात्मक अनुसन्धान Experimental Research Details in Hindi
यह ऐसी विधि है जिसमें हम किसी सूक्ष्म समस्या का समाधान प्रस्तुत कर सकते हैं । यह विधि अर्थ एवं उपयोगिता की दृष्टि से व्यावहारिक है। इसमें अध्ययन नियन्त्रित परिस्थिति में किया जाता है। यह विधि एकल चर की धारणा पर आधारित है। यह सभी विज्ञानों में प्रयुक्त की जाती है।
प्रयोगात्मक अनुसन्धान के चरण
- प्रयोग अनुसन्धान के विभिन्न चरण इस प्रकार है
- समस्या से सम्बन्धित साहित्य का सर्वेक्षण
- समस्या का चयन एवं परिभाषीकरण
- परिकल्पना निर्माण , विशिष्ट पदावली तथा चरों की व्याख्या
- प्रयोगात्मक योजना का निर्माण।
- प्रयोग करना।
- आंकड़ों का संकलन एवं सारणीयन
- प्राप्त निष्कर्ष का मापन
- निष्कर्ष का विश्लेषण एवं व्याख्या
- निष्कर्ष का विधिवत् प्रतिवेदन तैयार करना।
आर्थिक विश्लेषण के प्रकारों का वर्गीकरण
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वर्गीकरण की परिभाषाएं (Definition of data in आर्थिक विश्लेषण के प्रकारों का वर्गीकरण hindi)
आइये हम वर्गीकरण से संबंधित कुछ परिभाषाओं (Vargikaran ki paribhasha) का अध्ययन करते हैं। जिनसे यह स्पष्ट हो जाएगा कि वर्गीकरण के लक्षण व महत्व क्या है?
एल. आर. कार्नर के अनुसार- "वर्गीकरण वस्तुओं को समूह अथवा वर्गों में उसकी समानता और सजातीयता के आधार पर व्यवस्थित करने की प्रक्रिया को कहा जाता है। जिससे व्यक्तिगत इकाइयों की विविधता में एकता व्यक्त की जा सकती है।"
स्पूर एवं स्मिथ के अनुसार- "संबंधित तथ्यों को व्यवस्थित करके, विभिन्न वर्गों में प्रस्तुत करने की क्रिया को वर्गीकरण कहा जाता है।"
होरेक्स सेक्राइस्ट के अनुसार- "वर्गीकरण समंकों को उनकी सामान्य विशेषताओं के आधार पर क्रम या समूहों में क्रमबद्ध तथा संबंधित विभिन्न भागों में अलग-अलग करने की प्रक्रिया है।"
शुक्ल और सहाय के अनुसार, "समंकों के अव्यवस्थित विशाल आर्थिक विश्लेषण के प्रकारों का वर्गीकरण ढेर को, वर्गीकरण के द्वारा एक व्यवस्थित रूप दिया जाता है ताकि भविष्य का कार्य सरल हो सके।"
वर्गीकरण के लक्षण | Main features of classification in hindi
समंकों के वर्गीकरण के निम्नलिखित लक्षण या आँकड़ों के वर्गीकरण की मुख्य विशेषताएँ (Vargikaran ki visheshtayen) निम्न हैं-
2. वर्गीकरण आँकड़ों की समानता, सादृश्यता या उनके गुणों के आधार पर होता है।
3. यह पदों की विभिन्नता के बीच में भी उनकी 85 को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करता है।
4. वर्गीकरण समूह की इकाइयों को भिन्न-भिन्त्र वर्गो में विभाजित करने की एक युक्ति है।
5. वर्गीकरण अथवा समंकों का विभाजन वास्तविक अथवा काल्पनिक दोनों रूप में हो सकता है।
वर्गीकरण के उद्देश्य (Objects of Classification in hindi)
1. वर्गीकरण का उद्देश्य जटिल व बिखरे हुए तथ्यों को सरल व संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया जाना होता है।
2. समान गुण रखने वाले तथ्यों को एक वर्ग में रखा जाता है। जिससे तथ्यों में पायी जाने वाली समानता आर्थिक विश्लेषण के प्रकारों का वर्गीकरण व असमानता स्पष्ट हो जाती है। जैसे- साक्षर-निरक्षर, पुरुष-स्त्री आदि।
किसी भी आदर्श वर्गीकरण में होने वाली विशेषताएँ (Adarsh vargikaran ki visheshtaen) निम्नलिखित होनी चाहिए। जिससे यह पता लगाया जा सके कि एकत्रित समंकों को विशेष सजातीयता के आधार पर विभक्त किया गया है। आइये हम वर्गीकरण की विशेषताएं जानते हैं-
1. उद्देश्य की अनिरुपता- वर्गीकरण का रूप, अनुसन्धान के रूप में और उद्देश्य के अनुरूप होना चाहिए। वर्गीकरण का आधार, वर्गों के गुण, उनकी संख्या आदि को इस तरह निर्धारित करना चाहिए ताकि उस अनुसंधान विशेष के उद्देश्य की पूर्ति हो।
लेखांकन के प्रकार या शाखाएँ (Types or Branches of Accounting)
(1) वित्तीय लेखांकन (Financial Accounting),
(2) लागत लेखांकन (Cost Accounting),
(3) प्रबन्ध लेखांकन (Management Accounting)
(1) वित्तीय लेखांकन (Financial Accounting) – वित्तीय लेखांकन वह लेखांकन है जिसके अन्तर्गत वित्तीय प्रकृति वाले सौदों को लेखाबद्ध किया जाता है। इन्हें सामान्य लेखाकर्म भी कहते हैं और इन लेखों के आधार पर लाभ-हानि या आय विवरण तथा चिट्ठा (तुलन-पत्र) तैयार किया जाता है।
लेखांकन की अन्य शाखाएँ (Other Branches of Accounting)
कर लेखांकन (Tax Accounting) – भारत और अन्य देशों में सरकारी काम-काज के लिए कई प्रकार के कर लगाये जाते हैं, जैसे-आयकर, सम्पदा कर, बिक्री कर, उपहार कर, मृत्यु कर, आदि। कर व्यवस्थाओं के लिए विशेष प्रकार की लेखांकन पद्धति अपनायी जाती है। कर व्यवस्थाओं के अनुसार रखे जाने वाले लेखांकन को कर लेखांकन कहा जाता है।
सरकारी/राजकीय लेखांकन (Government Accounting) – केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार एवं स्थानीय सत्ताएँ (जैसे-नगर निगम, नगरपालिका, जिला बोर्ड, आदि) जो लेखांकन पद्धति अपनाती हैं, उसे सरकारी लेखांकन कहा जाता है। सरकार का उद्देश्य प्रशासन करना और विभिन्न विभागों के कार्यों को अच्छी आर्थिक विश्लेषण के प्रकारों का वर्गीकरण प्रकार चलाना होता है। सरकार अपने आय-व्यय के लिए बजट बनाती है। सरकारी लेखों में लेन-देनों का वर्गीकरण प्रशासनिक क्रियाओं और लेन-देनों की प्रकृति के वर्गीकरण के आधार पर किया जाता है।
निष्पादन बजट
बजट का वह स्वरूप जिसका निर्माण परिणामों को ध्यान में रखकर किया जाता है वह निष्पादन बजट कहा जाता है। निष्पादन बजट (Performance Budget) मैं सरकार उपलब्धियों पर ध्यान रखते हुए प्रस्तावित कार्यक्रमों की रूपरेखा एवं उन पर खर्च किए जाने वाले सभी मदों का मूल्यांकन आदि आर्थिक विश्लेषण के प्रकारों का वर्गीकरण किया जाता है। इसे उपलब्धि बजट भी कहा जाता है, बजट के प्रकार.
निष्पादन बजट का सर्वप्रथम प्रयोग संयुक्त राज्य अमेरिका में किया गया।
भारतीय संसद मैं पहली बार 25 अगस्त, 2005 को निष्पादन बजट वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम द्वारा प्रस्तुत किया गया।
आउटकम बजट
आउटकम बजट एक नए प्रकार का बजट है। इसके अन्तर्गत साधनों के साथ-साथ उन लक्ष्यों को भी निर्धारित कर दिया जाता है, जिन्हें प्राप्त करना आवश्यक माना जाता है। इस बजट के अन्तर्गत एक वित्तीय बर्ष के लिए किसी मंत्रालय अथवा विभाग को आबंटित किए गए बजट मैं मूल्यांकन किए जा सकने चाले भौतिक लक्ष्यों का निर्धारण इस उद्देश्य से किया जाता है, जिससे बजट के क्रियान्वयन को परखा आर्थिक विश्लेषण के प्रकारों का वर्गीकरण जा सके।
आउटकम बजट सामान्य बजट की तुलना में एक जटिल प्रक्रिया हैं, जिसमे वित्तीय प्रावधानों को परिणामों के सन्दर्भ में देखा जाना होता है।
भारत में इसकी शुरूआत वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम ने वर्ष 2005 में की थी
सन्तुलित बजट
यह एक आदर्श बजट है, जिसे व्यवहार में लाना अत्यंत कठिन है, सन्तुलित बजट में विभिन्न क्षेत्रों का समान अनुपात में आबंटन किया जाता है तथा इसमें व्यय एवं प्राप्ति का अन्तराल सीमित होता है, जिसके परिणामस्वरूप बजट के अनुमानित घाटे एवं वास्तविक घाटे में भी अन्तर नहीं होता।
वह बजट जो महिला और शिशु कल्याण को ध्यान मई रखकर बनाया जाता है उसे लैंगिक बजट कहा जाता है. यह बजट महिला विकाश और सशक्तिकरण के योजनाओं के लिए राशि सुनिश्चित करता है.
शुन्य आधारित बजट
यह बजट गत वर्षों के आंकड़ों को आधार न मानकर शुन्य को अधर मानते हुए बनाया जाता है. इस बजट को तब अपनाया जाता है जब आम बजट घाटे मई चलने लगता है. यह बढ़ते घटे को अंकुश लगाने मई सहायक होता है.
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Sheshan Pradhan is a blogger and author at pscnotes.in. He has published various articles in leading news and laws websites including livelaw.in and barandbench.com.
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