एक पोर्टफोलियो बनाने में आपके रिटर्न और रिस्क लेने की क्षमता का अच्छा बैलेंस होना बेहद जरूरी है। अगर आप लॉन्ग टर्म निवेश और लो रिस्क के लिए निवेश कर रहे हैं तो आपके पोर्टफोलियो का बड़ा हिस्सा Bonds और Mutual Funds होना चाहिये। वहीं अगर आप हाई रिस्क के लिए जा रहे हैं तो आप अपने पोर्टफोलियो का बड़ा हिस्सा इक्विटी स्टॉक्स में निवेश कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप स्टॉक्स में भी अपनी रिस्क लेने की क्षमता के अनुसार लार्ज कैप, स्मॉल कैप व पेनी स्टॉक्स में निवेश कर सकते हैं।

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Risk management rules and risk reward ratio kya hota hai

आप पैसा कमाने के लिए बिजनेस करते हैं तथा stock market में निवेश और ट्रेडिंग करते हैं इसलिए आप उसमे जो पैसा लगाते वह डूबे ना, इसके लिए आपको Risk Management सीखना चाहिए।आज की पोस्ट में, Stock market me risk management rules and risk Market रिस्क क्या होता है? Market रिस्क क्या होता है? reward retio kya hota hai ? इसके बारे में बताया जायगा।

Stock m kya hota hai arket me risk management tatha risk reward ratio

बहुत से ट्रेडर अपने अकाउंट साइज को देखे बिना ट्रेडिंग को उत्सुक रहते हैं तथा एक ट्रेड में ही बहुत ज्यादा पैसा कमाने की कामना करते हैं। इस प्रकार के ट्रेड को ट्रेडिंग नहीं Gambling कहते हैं।
यदि आप risk management rules के बिना ट्रेड करते हैं तो आप Gambling करते हैं। आप long-term return नहीं देखते अपने निवेश पर आप jackpot के चक्कर में रहते हैं। मनी मैनेजमेंट रूल्स केवल आपके मनी को प्रोटेक्ट ही नहीं करते बल्कि आपको लॉन्ग टर्म में काफी प्रॉफिट भी देते हैं। आपको बहुत ही अच्छा statistician होना चाहिए gambler नहीं तभी आप लम्बे समय में विनर बन सकते हैं तथा आपको मनी मैनेजमेंट रूल्स का सख्ती से पालन करना चाहिए।

पूंजीकरण (Capitalization) :

ये तो आप सभी जानते हैं कि पैसे से पैसा बनता है लेकिन ट्रेडिंग स्टार्ट करने से पहले आपका stock market के व्यवहार के बारे मे सीखना जरूरी है तथा आपको Risk management Market रिस्क क्या होता है? rules का सख्ती से पालन करना चाहिए जैसे -आपके ट्रेडिंग अकाउंट में 20,000रूपये हैं तथा आप एक ट्रेड में 2 % का रिस्क लेते हैं तो एक ट्रेड में लॉस होने पर आपके अकाउंट से चार सौ रूपये कम होगे तथा 10 % का रिस्क लेने पर 2000 रूपये कम होंगे। इस प्रकार आप 2 Market रिस्क क्या होता है? % और 10 % का रिस्क का अंतर समझ सकते हैं।
ब्रोकर रिटेल ट्रेडर को फंड भी उपलब्ध करवाते हैं जिसे मार्जिन मनी (margin money ) कहते हैं लेकिन आपको उससे जल्दबाजी में ट्रेडिंग स्टार्ट नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसमें रिस्क बहुत ज्यादा होता है इसमें आपको अपनी पोजीशन ना चाहते हुए भी कटनी पड़ सकती है। यदि आपके पास फिलहाल money नहीं है तो आपको मनी save करके, उसके बाद ही ट्रेडिंग शुरू करनी चाहिए। What is Stock Broker and Brokrage fee-in Hindi

Risk Reward Ratio:

रिस्क रिवार्ड रेश्यो वह पैरामीटर है जो ट्रेडर ट्रेड करते समय रिवर्ड के अनुपात में रिस्क भी उठता है। जैसे -कि यदि आप दो सौ रूपये का रिस्क उठाते हैं और चार सौ रूपये कमाना चाहते हैं तो इसे 1:2 का रिवार्ड रेश्यो कहते हैं। इसी प्रकार यदि आप पाँच सौ रूपये का रिस्क उठाते हैं तथा पन्द्रह सौ रूपये का रिवार्ड चाहते हैं तो इसे 1:3 का रिवार्ड रेश्यो कहते हैं।
मान लीजिये आप दस ट्रेड करते हैं तथा पाँच ट्रेड में प्रत्येक में एक हजार रूपये का नुकसान करते हैं तथा पाँच ट्रेड में प्रत्येक में तीन हजार रूपये का प्रॉफिट करते हैं प्रकार आप 50 % विनर रहते हैं तथा कुल मिलाकर पाँच ट्रेड में पांच हजार रूपये का नुकसान तथा 1500 हजार रूपये का प्रॉफिट कमाते हैं। इस प्रकार पॉँच हजार के लॉस को निकलकर भी आप दस हजार रूपये का प्रॉफिट कमाते हैं। इसमें 1:3 का रिस्क रिवार्ड रेश्यो है।
ट्रेडिंग के दौरान ट्रेडर को रिस्क कम और रिवार्ड ज्यादा का रेश्यो रखना चहिये तथा1:3 का रिवार्ड रेश्यो अच्छा रहता है, ज्यादा रिस्की ट्रेड को अवॉयड करना चाहिए। बहुत से अनुभवी ट्रेडर तभी ट्रेड करते हैं जब रिवार्ड रेश्यो 1:5 या इससे अधिक हो। हाई अच्छे रिस्क रिवार्ड रेश्यो के लिए ट्रेडर को इंतजार करना चाहिए तथ जब risk reward ratio अपने अनुकूल हो तभी ट्रेड करना चाहिए। इसी को risk management rules को फॉलो करना कहते हैं
यह सही है कि पैसे से पैसा बनता है, लेकिन आपको ट्रेडिंग स्टार्ट करने से पहले उस पर अच्छी तरह पकड़ बना लेनी चाहिए यानि कि अच्छी तरह सीख कर शुरुआत करनी चाहिए। आपको वो सभी कोशिश करनी चाहिए जिनसे आप अपने अकाउंट को प्रोटेक्ट कर सकते हैं। आपको अपने अकाउंट के स्मॉल पर्सेंटेज का ही रिस्क उठाना चाहिए जिससे आप लम्बे समय तक सर्वाइव कर सकें।
आशा है कि अब आप अच्छी तरह समझ गए होंगे कि Risk management rules and reward ratio kya hota hai . उम्मीद है आज की प्रेरणादायी पोस्ट आपको जरूर पसंद आयी होगी, ऐसी ही प्रेरणादायी पोस्ट पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर कीजिये।

किस तरह के निवेश में लिक्विडिटी कम होती है?

रियल एस्टेट या आर्ट जैसे कुछ निवेश में यह समस्या रहती है. अपनी मर्जी से जब चाहे आप इन्हें बेच नहीं सकते हैं. इस मार्केट का वॉल्यूम बहुत कम होता है. खरीदार ढूंढने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है.

क्यों लिक्विडिटी में कमी का सामना करना पड़ता है?

क्यों लिक्विडिटी में कमी का सामना करना पड़ता है?

कई कारणों Market रिस्क क्या होता है? से रिटेल निवेशकों के लिए कॉरपोरेट डेट मार्केट में लिक्विडिटी की कमी आती है. खरीदार बाजार से गायब हो जाते हैं. जो बॉन्ड खरीदने के इच्छुक भी होते हैं, वे इनकी कम कीमत देना चाहते हैं.

लॉक-इन अवधि के मामले में क्या हाेता है?

लॉक-इन अवधि के मामले में क्या हाेता है?

कुछ इंस्ट्रूमेंट में न्यूनतम लॉक-इन अवधि हो सकती है. यानी एक तय समय तक इनमें से पैसा नहीं निकाला जा सकता है. बैंक एफडी और म्यूचुअल फंडों की टैक्स सेविंग स्कीमें (ELSS) इन्हीं में से एक हैं.

क्या शेयर बाजार में लिक्विडिटी रिस्क हाेता है?

क्या शेयर बाजार में 'लिक्विडिटी रिस्क' हाेता है?

शेयर बाजार में काफी ज्यादा लिक्विडिटी होती है. हालांकि, कुछ कंपनियों के शेयरों की ट्रेडिंग रफ्तार में नहीं होती है. इनके साथ भी लिक्विडिटी का जोखिम होता है.

(इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.)

Web Title : what is liquidity risk in investments what you should know
Hindi News from Economic Times, TIL Network

Share Market Portfolio: अच्छे रिटर्न के लिए जरूरी है Strong Portfolio, जानें खास बातें

Share Market Portfolio अच्छा पोर्टफोलियो आपको शेयर मार्केट में आने वाले उतार चढ़ाव से बचाते हुए एक अच्छा रिटर्न प्रदान करता है। इस वजह से अपने पोर्टफोलियो का निर्माण हर निवेशक के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है।

नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। अपने पैसे का निवेश हर प्रोफेशनल के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। आज से कुछ सालों पहले तक युवा निवेश के लिए रियल एस्टेट व गोल्ड जैसे Market रिस्क क्या होता है? ट्रेडिशनल तरीकों पर ही केंद्रित थे। जानकारी के अभाव में अधिकतर युवा शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने से कतराते थे। हालांकि पिछले कुछ सालों में ये सोच बदली है और अब शेयर मार्केट में निवेश को Market रिस्क क्या होता है? लेकर युवाओं की रुचि काफी बढ़ गयी है। शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट से अच्छा रिटर्न पाने के लिए जरूरी है एक अच्छा पोर्टफोलियो बनाना। जिसके लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है।

क्या होता है पोर्टफोलियो

एक पोर्टफोलियो, किसी निवेशक द्वारा किये गये सभी निवेशों का संग्रह होता है। मान लीजिये आपने 10 कम्पनियों के शेयर खरीदे हैं। ऐसे में आपने किस कम्पनी में कितने पैसे लगाये हैं, उनका पूरा संग्रह या कलेक्शन आपका पोर्टफोलियो कहलाएगा। इसके द्वारा आप अपने इन्वेस्टमेंट की पूरी सूची को देख सकते हैं, साथ ही यहां पर आपको आपके पूरे निवेश पर होने वाले लाभ व हानि का भी पूरा ब्यौरा मिल जाता है।

अच्छा पोर्टफोलियो आपको शेयर मार्केट में आने वाले उतार चढ़ाव से बचाते हुए एक अच्छा रिटर्न प्रदान करता है। इस वजह से अपने पोर्टफोलियो का निर्माण हर निवेशक के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। एक अच्छे पोर्टफोलियो के बारे में एक कहावत काफी लोकप्रिय है कि Don’t put all your eggs in one basket. यानी कि कभी भी हमें अपना सारा पैसा किसी एक कम्पनी के शेयर में नहीं डालना चाहिये, फिर चाहे वो कम्पनी आपको कितना ही अच्छा रिटर्न क्यों न दें। शेयर मार्केट में आए दिन उतार चढाव आते रहते हैं। ऐसे में अगर आप एक ही सेक्टर की कम्पनी या एक ही कम्पनी में अपने पैसे डालते हैं तो उस सेक्टर में किसी भी कारण से आने वाली गिरावट पर आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे में आपको एक डायवर्स पोर्टफोलियो बनाना चाहिए।

डायवर्स पोर्टफोलियो से कम होता है रिस्क

मान लेते हैं आपने ऑटो सेक्टर की अच्छी कम्पनियों में निवेश कर रखा है और आपको रिटर्न भी अच्छा मिल रहा है। ऐसे में किन्हीं कारणों से ऑटो सेक्टर में मंदी आ जाती है तो आपके सभी शेयर्स की वैल्यू गिर जाएगी व आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी इन्वेस्टमेंट को किसी एक सेक्टर की जगह पर कई सारे सेक्टर में करें। इससे इकोनॉमी के एक सेक्टर में आने वाली हलचल से आप बच जाएंगे। यानी कि अगर ऑटो सेक्टर नीचे जाता है तो भी अन्य सेक्टर आपको नुकसान से बचा सकेंगे। शेयर मार्केट में शेयरों की संख्या से ज्यादा सेक्टर्स व कम्पनियों की संख्या ज्यादा महत्वपूर्ण होती है।

साल में एक या दो बार अपने पोर्टफोलियो को बैलेंस करते रहें। अक्सर ऐसा देखा गया है कि हमारे पोर्टफोलियो में कुछ शेयर्स उम्मीद से अच्छा रिटर्न देते हैं तो वहीं कुछ ऐसे शेयर्स भी होते हैं जो उम्मीद से कम रिटर्न देते हैं। ऐसे में अपने टार्गेट के अनुसार अपने पोर्टफोलियो को साल में एक Market रिस्क क्या होता है? या दो बार जरूर बैलेंस करते रहें। इसमें आपको सही समय पर अपने शेयर्स को बेचना, उन्हें खरीदना व ऐवरेजिंग करना जानना होगा।

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Investment Tips: म्यूचुअल फंड या शेयर मार्केट में से कहां निवेश करना है ज्यादा फायदेमंद! यहां जानें

Mutual Funds vs Share Market: आजकल के समय में हर व्यक्ति शेयर मार्केट में निवेश करना चाहता है. शेयर मार्केट में निवेश करने का दो तरीका है. पहला कि निवेशक अपना एक डीमैट अकाउंट खोलें Market रिस्क क्या होता है? और इसके जरिए बाजार में निवेश करें. दूसरे तरीके में आपको म्यूचुअल फंड में एसआईपी की मदद से लंबे Market रिस्क क्या होता है? वक्त में मोटा रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं.

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