बनने वाले डायनासोर पार्क का न हो गुजरात जैसा हाल

बनने वाले डायनासोर पार्क का न हो गुजरात जैसा हाल

प्रेमविजय पाटिल, धार। मप्र के धार जिले में राष्ट्रीय डायनासोर पार्क बनाए जाने की कवायद हो रही है। इस मामले में बड़े-बड़े विशेषज्ञ भी अपनी राय दे रहे हैं। डायनासोर घाटी राज्य पार्क इनमें से एक विशेषज्ञ डॉ. अशोक साहनी का मानना है कि देश में मप्र द्वारा जो पहल की गई है वह नेचरल हिस्ट्री यानी प्राकृतिक इतिहास के मामले में महत्वपूर्ण कदम होगा। सबसे अहम बात यह है कि पार्क बनाने के मामले में गुजरात राज्य के अनुभवों को ध्यान में रखा जाए। वहां जैसे हाल भविष्य में मप्र में नहीं होना चाहिए।

गौरतलब है कि जिले के बाग क्षेत्र में डायनासोर के अंडे व फासिल्स पाए गए थे। इस मामले में राष्ट्रीय स्तर का पार्क बनाए जाने की कवायद मप्र सरकार द्वारा केंद्र सरकार के सहयोग से की जा रही है। एक बड़ी कवायद विशेषज्ञों के माध्यम से शुरू होगी।

साइंस के प्रति स्र्झान

डॉ. साहनी ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि यह एक ऐसी उपलब्धि होगी जिसके तहत बच्चों की विज्ञान में स्र्चि बढ़ेगी। विज्ञान के माध्यम से बच्चे एक अच्छा भविष्य भी बना सकते हैं। साथ ही इससे कहीं आगे बढ़कर टूरिज्म और अध्ययन के लिए एक केंद्र तैयार होगा। उन्होंने कहा कि इस तरह का प्रयास 1983 में गुजरात प्रांत के रावली क्षेत्र में हुआ था। इसके बाद वहां जो हाल हुए वह चिंताजनक रहे। इसकी वजह यह थी कि वहां जितने भी फासिल्स थे लोग ले गए। सुरक्षा के नाम पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। हमारे देश में यह एक बड़ी पहल होने जा रही है। इसलिए यहां भी ध्यान रखने की जरूरत होगी।

एशिया को दिया था मप्र ने ज्ञान

वहीं डॉ. साहनी का कहना है कि 1828 में पूरे एशिया को डायनासोर के बारे में जबलपुर से जानकारी मिली थी। जबलपुर में डायनासोर के जीवाश्म प्राप्त हुए थे। इसके पहले तक एशिया में डायनासोर के बारे में जानकारी का अभाव रहता था। मप्र और नर्मदा घाटी दोनों ही डायनासोर के मामले में अध्ययन की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण केंद्र बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हम यह देखते हैं कि जितनी भी चिड़िया हैं वे छोटे डायनासोर से ही निकली हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में नेचरल हिस्ट्री का एक केंद्र है। किंतु उससे भी आगे धार का डायनासोर पार्क साबित होना चाहिए। यहां पर रिसर्च के लिए भी अवसर मिलना चाहिए। जिससे कि बड़ी उपलब्धि मिलेगी।

डायनो ट्रेल

नर्मदा घाटी में हुई हालिया खुदाई से पता चलता है कि डायनासोर की एक स्थानिक प्रजाति राजासौरस नर्मदेंसिस नर्मदा घाटी में मौजूद थी। यह प्रजाति मुख्य रूप से क्रेटेशियस अवधि [जिसे ‘के-पीरियड’ के रूप में भी जाना जाता है] में मौजूद थी। के-पीरियड जुरासिक काल (145 मिलियन वर्ष पहले) और पालेओजेन काल (66 मिलियन वर्ष पहले) के बीच था।

इतिहास में- राजासौरस नर्मदेंसिस भारत में क्रेटेशियस पीरियड के अंत में पायी जाने वाली कार्निवोरोस एबेलिसॉरिड थेरोपोड डायनासोर की एक प्रजाति है। हममें से बहुत से लोग इस बात से अवगत नहीं हैं कि शुरुआती ट्रियासिक से लेकर अंतिम क्रेटेशियस पीरियड तक भारत कई डायनासोरों का घर था। गुजरात भारत के उन गिने-चुने राज्यों में से एक है जहाँ डायनासोर के जीवाश्मों का खजाना है। राजासौरस भारत में क्रेटेशियस पीरियड के अंत में पाए जाने वाले कार्निवोरोस एबेलिसॉरिड थेरोपोड डायनासोर का वंशज है, जिसकी एक प्रजाति है- राजासौरस नर्मदेंसिस । पश्चिमी भारत के गुजरात राज्य में लमेटा फॉर्मेशन (मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में पाई जाने वाली एक तलछटी चट्टानी संरचना) से हड्डियों की खुदाई की गई थी, जो शायद अब नर्मदा नदी घाटी है।इसका जातिगत नाम राजासौरस संस्कृत के राजा से निकला है, जिसका अर्थ है ‘शासक, संप्रभु, प्रमुख, या अपनी तरह का सबसे अच्छा’ और प्राचीन ग्रीक सौरस का अर्थ है ‘छिपकली’; और इसका विशिष्ट नाम नर्मदेंसिस मध्य भारत में नर्मदा नदी को संदर्भित करता है जहां इसे खोजा गया था।

आकर्षक प्रतिकृति- एक खास प्रकार के सींग वाले स्थानिक डायनासोर की एक प्रतिकृति बनाई गई है जिसे आगंतुकों के लिए प्रदर्शित किया गया है। डायनासोर घाटी राज्य पार्क प्रतिकृति का आकार वास्तविक डायनासोर के अनुमानित आकार से लगभग तीन गुना है; इसकी लंबाई 75 फीट और ऊंचाई 25 फीट है। यह आगंतुकों को अपने ग्रह और मानव जाति के विकास की एक झलक देता है और इस क्षेत्र की प्राचीन वनस्पतियों एवं जीवों के बारे में जागरूकता पैदा करने का एक प्रयास करता है।

स्थापत्यों को इस तरह से रखा गया है कि लोगों को इन विलुप्त दुर्जेय जानवरों की उपस्थिति का वाकई अहसास हो सकता है। यह आपको लाखों साल पहले पृथ्वी पर के जीवन का अनुभव देता है। विंध्याचल के जंगलों के बीच एक नैसर्गिक पथ आपको राजासौरस नर्मदेंसिस के पास ले जाता है और उस आदिम युग को फिर से जीने का बेशकीमती क्षण प्रदान करता है जब ये भीमकाय जानवर नर्मदा घाटी के प्रागैतिहासिक वुडलैंड्स में विचरण करते थे।

राजासौरस गुजरात के सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। जुरासिक पार्क जैसी फिल्मों और टीवी शो के कारण एक फ़िल्मी दैत्य के तौर पर डायनासोर की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। इसलिए इसने लोगों का ध्यान खींचा है, विशेष रूप डायनासोर घाटी राज्य पार्क डायनासोर घाटी राज्य पार्क से युवा पीढ़ी का। इसकी प्रशस्ति का एक और कारण डायनासोर के खिलौने का बढ़ता आकर्षण है।

सूखा पड़ते ही सामने आ गया 11 करोड़ साल पुराना डायनासोर! पांव के निशान देख डर गए लोग

नदी के नीचे छिपा सबूत आया लोगों के सामने (इमेज- Dinosaur Valley State Park)

टेक्सास (Texas) के डायनासोर वैली स्टेट पार्क (Dinosaur Valley State Park) में अचानक लोगों की नजर विश्लकाय जानवर के पैरो . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : डायनासोर घाटी राज्य पार्क August 24, 2022, 11:44 IST

दुनिया में ऐसे कई जीव रह चुके हैं, जो अब गायब हैं. एक समय था जब धरती पर इनके नंबर काफी ज्यादा थे. लेकिन आज के समय में ये गायब हो चुके हैं. कुछ डायनासोर घाटी राज्य पार्क जानवरों के विलुप्त होने की वजह उनका अंधाधुंध शिकार है तो कुछ प्रकृति के कहर की वजह से गायब हो गए. प्रकृति के कारण गायब हुए जीवों में एक है डायनासोर. ये एक समय में दुनियाभर में फैले हुए थे. लेकिन आज इनकी हड्डियां और अवशेष ढूंढकर उनके आधार पर विशेषज्ञ राय देते हैं. हाल ही में टेक्सास (Texas) से एक डायनासोर के पांव के निशान मिले हैं. ये निशान कई सालों से चट्टान के अंदर छिपे थे, जिसके ऊपर से पानी बहा करता था. लेकिन अब सूखा पड़ जाने की वजह से ये सतह पर नजर आने लगा है.

जानकारी के मुताबिक़, डायनासोर के पैरों के निशान 113 मिलियन साल पुराना है. यानी ये निशान दुनिया की डायनासोर घाटी राज्य पार्क नजरों स एकरीब 11 करोड़ 30 लाख साल तक छिपे हुए थे. अब जब इस एरिया में भीषण सूखा पड़ा है, तब जाकर पैरों के ये निशान वापस से नजर आने लगे हैं. इन निशानों के आधार पर अभी कहा जा रहा है कि ये सात टन वजनी, 15 फ़ीट के Acrocanthosaurus स्पीसीज का डायनासोर था. जानकारी एक मुताबिक़, ये प्रजाति असल में Tyrannosaurus प्रजाति का कजिन था.

अलग-अलग डायनासोर के पैरों के निशान
एक्सपर्ट्स को चट्टान पर जो निशान मिले हैं, वो किसी एक डायनासोर के नहीं है. असल में यहां कई निशान मिले हैं और बताया जा रहा है कि इनमें कई लग डायनासोर शामिल हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसमें 44 टन के Sauroposeidon के निशान भी है. ये करीब 60 फ़ीट के हुआ करते थे. इन निशानों को रिकॉर्ड कर उसका एक वीडियो पार्क के ऑफिशियल्स ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है. ये निशान कई सालों से पलुसी नदी के डायनासोर घाटी राज्य पार्क नीचे थे. अब सूखा पड़ने पर ये नदी सूख गई है, तब जाकर ये निशान सतह पर दिखने लगे हैं.

dinosaur footprints

डायनासोर के अस्तित्व से भरा है पार्क
टेक्सास का ये पार्क डायनासोर के अस्तित्व से भरा पड़ा है. इस एरिया डायनासोर घाटी राज्य पार्क में कई डायनासोर रहा करते थे. अभी तक खुदाई में इस जगह से उनसे जुड़े कई अवशेष मिल चुके डायनासोर घाटी राज्य पार्क हैं. लेकिन पानी के नीचे भी ऐसा कुछ होगा, इसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी. यहां मांसाहारी के अलावा शाकाहारी डायनासोर के अवशेष भी मिल चुके हैं. कुछ तो हाथी से भी बड़े हुआ करते थे, वहीं तीन अँगुलियों वाले डायनासोर के अवशेष भी इसी पार्क से मिले थे. अब जब ये नदी सुख गई है, तो एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि शायद कोई नई प्रजाति भी मिल जाए, जो पानी में रहा करती थी. इसे लेकर टीम जांच में लग गई है.

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नदी सूखी तो दिखी ऐसी भयावह चीज, देखकर चौंकी पूरी दुनिया, तस्वीरें वायरल

अमेरिका के टेक्सास के डायनासोर वैली स्टेट पार्क से गुजर रही नदी सूख जाने के बाद वहां जो नजर आया है, वो पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है. जी, हां नदी के नीचे डायनासोर की दो प्रजातियों के पैरों के निशान मिले हैं. उनके बारे में बताया जा रहा है कि वो करीब 113 मिलियन साल पहले धरती पर हुआ करते थे.

डायनासोर पार्क का फोटो ( क्रेडिट- ट्विटर)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 अगस्त 2022,
  • (अपडेटेड 24 अगस्त 2022, 6:59 PM IST)

दुनिया के किसी इंसान ने अपनी आंखों से डायनासोर जैसे विशाल जीव बेशक नहीं देखें लेकिन कई जगह उनके किसी निशान के सहारे उनके अस्तित्व में होने के सबूत जरूर मिल चुके हैं. ऐसे ही अब कुछ सबूत अमेरिका के टेक्सास में डायनासोर वैली स्टेट पार्क से गुजर रही एक सूखी हुई नदी में देखने को मिले हैं. दरअसल, पार्क में नदी के सूखने के बाद निचली सतह पर डायनासोर की दो अलग प्रजातियों के पैरों की छाप मिली है, जो पूरे विश्व में चर्चा का विषय बन गए हैं.

टेक्सास की जिस नदी में डायनासोर के पैरों की छाप देखी गई है, वह डायनासोर वैली स्टेट पार्क से होकर बह रही है. नदी के अंदर ही उस ट्रैक का कुछ हिस्सा डूबा हुआ था, जिस पर से डायनासोर गुजरा करते थे. जिन डायनासोर के पैरों की छाप नदी के नीचे मिली है, उनके बारे में बताया जा रहा है डायनासोर घाटी राज्य पार्क कि वो करीब 113 मिलियन साल पहले धरती पर हुआ करते थे.

नदी में दिखे डायनासोर के पैरों के निशानों की फोटो सोशल मीडिया पर भी शेयर की जा रही है. फोटो में जो फुटप्रिंट्स दिख रहे हैं, उनमें तीने अंगूठे की शेप बनी हुई है. साथ ही कैप्शन में लिखा गया है कि यह दुनिया में डायनासोरों का सबसे लंबा ट्रैकवे है.

नदी का पानी सूखा तो नजर आए डायनासोरों के पैर के निशान
टेक्सास पार्क एंड वाइल्डलाइफ डिपार्टमेंट की अधिकारी स्टेफनी सलीनाज ग्रेसिया ने कहा कि सूखा पड़ने की वजह से नदी का पानी बेहद कम और कई जगहों पर बिल्कुल सूख गया जिस वजह से डायनासोर ट्रैक साफ नजर आने लगे हैं.

स्टेफनी ने बताया कि गर्मियों में अधिक सूखे की वजह से नदी अधिकतर जगहों पर पूरी तरह सूख गई है, जिसकी वजह से पार्क के अंदर डायनासोर ट्रैक की कई ऐसी लोकेशन भी नजर में आ गई है, जो पहले पानी में डूबी हुई थी. स्टेफनी ने बताया कि जो ये नए ट्रैक नजर आए हैं, अधिकतर पानी के अंदर थे डायनासोर घाटी राज्य पार्क और चट्टानों ने इन्हें ढक लिया था.

दो डायनासोर प्रजातियों के बताए जा रहे हैं ये निशान
टेक्सास के पार्क में नदी के सूखने के बाद जो पैरों के निशान मिले हैं, वे जो डायनासोर प्रजाति के बताए जा रहे हैं जिनमें सबसे ज्यादा एक्रोकैंथोसोरस के हैं. एक एडल्ट एक्रोकैंथोसोरस का सामान्य वजन करीब 7 टन होता था जो करीब 15 फीट तब तक लंबा होता था. वहीं कुछ निशान सॉरोपोसीडॉन प्रजाति के मिले हैं तो युवा समय में करीब 60 फीट लंबे और 44 टन के होते थे.

खास बात है कि जहां सूखा पड़ने की वजह से नदी का पानी खत्म हुआ और ये निशान देखने को मिल गए, लेकिन जैसे ही बरसात का मौसम आएगा, ये निशान एक बार फिर नदी के पानी में डूब जाएंगे. इस बारे में स्टेफनी ने बताया कि बेशक बारिश के बाद नदी में फिर पानी आ जाएगा और ये निशान छुप जाएंगे, लेकिन डायनासोर वैली स्टेट पार्क हमेशा इन 113 मिलियन साल पुराने ट्रैक्स को ना सिर्फ अभी के लिए बल्कि भविष्य की जनरेशन के लिए बचाकर रखेगा.

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