-किसी चार्ट पर ट्रेंडलाइन लागू करने से रेसिस्टैंस का अधिक गतिशील दृश्य उपलब्ध हो सकता है।

सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल के आधार पर ट्रेडिंग

जब कीमतें अपट्रेंड में होती है, तो अंतिम लो और अंतिम हाई कीमतें बहुत महत्वपूर्ण होती है।

यदि कीमतें लोअर लो बनाना शुरू करती है, तो यह ये दर्शाता है की ट्रेंड रिवर्सल हो सकता है।

लेकिन अगर कीमतें हाई बनी रहती है तो अपट्रेंड की पुष्टि होती है।

एक निवेशक को उचित और वर्तमान मेजर सपोर्ट और रेजिस्टेंस स्तरों को चिन्हित करना चाहिए क्योंकि जब कीमतें इन स्तरों पर पहुंचती है तो वे महत्वपूर्ण हो सकते है।

इसके अलावा, उचित और करंट माइनरसपोर्ट और रेजिस्टेंस स्तरों को चिन्हित करना चाहिए जो आपको करंट ट्रेंड, चार्ट पैटर्न और सीमाओं का एनालिसिस करने में मदद करेगा।

आपको नए सपोर्ट और रेजिस्टेंस की रेखाएं बनाते रहना चाहिए और पुराने लेवल्स को हटा देना चाहिए, क्यूंकि कीमतें पुरानी लेवल्स को पहले ही पार कर चूकी हैं ।

की पॉइंट्स :

  • माइनर सपोर्ट और रेजिस्टेंस स्तर कीमतों को होल्ड नहीं कर पाते है।
  • माइनर सपोर्ट और रेजिस्टेंस के क्षेत्र आपकी होल्डिंग बढ़ाने के अवसर प्रदान करते है।
  • मेजर रेजिस्टेंस और सपोर्ट का लेवल वो क्षेत्र है जो ट्रेंड रिवर्सल का कारण बनते है।
  • मार्केट डाउनट्रेंड में है या अपट्रेंड में है, या भविष्य में क्या हो सकता है, इन सबकी जानकारी ट्रेंड लाइन्स स्पष्ट दिखाती है।
  • एक निवेशक या एनालिस्ट को उचित और वर्तमान मेजर सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवलों को चिन्हित करना चाहिए क्योंकि जब कीमतें इन लेवल पर पहुंचती है तो वे महत्वपूर्ण हो सकते है।
  • रेलेवेंट और करंट माइनर सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवलों को चिन्हित करना चाहिए जो आपको करंट ट्रेंड, रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है चार्ट पैटर्न और सीमाओं का एनालिसिस करने में मदद करेगा।

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Resistance Level- रेसिस्टैंस लेवल

क्या होता है रेसिस्टैंस (रेसिस्टैंस लेवल)?
Resistance Level: रेसिस्टैंस (प्रतिरोध) या रेसिस्टैंस लेवल एक कीमत है जिस पर किसी ऐसेट की कीमत को विक्रेताओं, जो उस कीमत पर बेचने के इच्छुक हैं, की बढ़ती संख्या के उद्भव द्वारा उसके रास्ते पर आने वाले दबाव का सामना करना पड़ता है। अगर कोई नई जानकारी सामने आती है जो ऐसेट के बारे में पूरे बाजार के दृष्टिकोण को बदल देती रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है है तो वे अल्प कालिक हो सकते हैं या वे दीर्घ कालिक रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है हो सकते हैं। टेक्निकल एनालिसिस के लिहाज से, साधारण रेसिस्टैंस लेवेल का समय अवधि के लिए उच्चतम हाई के साथ साथ एक पंक्ति ड्रॉ करने के द्वारा चार्ट बनाया जा सकता है। रेसिस्टैंस का विपरीत सपोर्ट हो सकता है। प्राइस एक्शन के अनुरूप, यह लाइन या पंक्ति सपाट या तिरछी हो सकती है। बहरहाल, बैंड, ट्रेंडलाइन और मूविंग एवरेज को शामिल करने के द्वारा रेसिस्टैंस की पहचान करने के लिए और अधिक उन्नत तरीके हैं।

Support And Resistance Level In Hindi

Table of Contents

support and resistance level in hindi

स्टॉक मार्केट में Support और Resistance Level का एक अहम रोल हैं इसको हम हमारी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजि में किस प्रकार प्रयोग कर सकतें हैं और अपने प्रॉफिट को कैसे बढ़ा सकतें है यानि ‘सपोर्ट लेवल’ और ‘रेजिस्टेंस लेवल’ को हम इस आर्टिकल (support and resistance level in hindi) में विस्तार से समजेंगे तो चलिए शुरू करते हैं

Support और Resistance Level क्या हैं :-

Support and Resistance Level क्या होता है यह जानेंगे साथ ही शेयर बाजार में लिस्टेड अनेकों रेज़िस्टेंस लेवल क्या होता है शेयरों में कोन से स्टॉक में ज्यादा खरीद – बिक्री हो रही है यानि किन – किन स्टॉक्स में मार्केट कारोबार ज्यादा हो रहा है और किन – किन शेयरों में कारोबारी कम हो रही है

यह सभी बातें हम स्टॉक के Support and Resistance Level Chart से पता कर सकते है मगर उनसे पहले हमें Support and Resistance Level की Basic इन्फोर्मेशन लेना अनिवार्य है, तो बिना समय गवाएं आगे बढ़ते है हमारे अहम टॉपिक की ओर तो चलिए शुरू करते हैं

“Support and Resistance Level वह होता है जो किसी स्टॉक चार्ट में उस खास Price ‘Point’ को दिखाता है, जिस प्राइस पर Buyers और Sellers सबसे ज्यादा Active रहते है”

सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल को बेहतर तरीके से समजने के लिए हमें पहले टारगेट प्राइस को समजना जरुरी है, और यह हमें शेयर के मार्केट प्राइस के चार्ट को ध्यान में रखके समजना होता है

स्टॉक निवेश के पॉइंट्स :-

Support and Resistance Level की मदद से स्टॉक मार्केट में निवेश के सबसे अहम तिन Points का पता लगा सकते हैं

  • पहला पॉइंट Entry Point – किसी भी कंपनी के स्टॉक में शेयर मार्केट के समय के दौरान कोनसे समय पर किस ट्रेड प्राइस पर खरीदना है वह पता लगा सकते है
  • दुसरे पॉइंट Target – कोनसी कंपनी के शेयर पर कोनसा टारगेट प्राइस है जिनसे उस प्राइस पर हम अपना प्रॉफिट बुक कर सकते है
  • तीसरा पॉइंट Exit Point – किसी भी कंपनी के ख़रीदे हुए स्टॉक को बाजार मूवमेंट के आधार पर कोनसे प्राइस पर Stop-Loss लगाना चाहिए और किस प्राइस पर उसे Sell करदेना चाहिए इस बात का पता चलता है

Support and Resistance Level की लाइनें केवल शेयर के चार्ट में प्राइसिंग (कीमतें) Up – Down होने की संभावना का संकेत देती है किसी भी तरह से उन्हें निश्चित विश्वसनीयता के तौर पर नहीं माना जाना चाहिए

डायबिटीज समेत कई बीमारियों की वजह बन सकता है इंसुलिन रेजिस्टेंस, ऐसे करें बचाव

इंसुलिन ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : August 17, 2022, 06:01 IST

हाइलाइट्स

इंसुलिन रजिस्टेंस का खतरा बुजुर्गों को सबसे ज्यादा होता है.
मोटापा, इनएक्टिव लाइफस्टाइल की वजह से ऐसा हो सकता है.

Insulin Resistance And Diabetes: डायबिटीज और इंसुलिन का सीधा कनेक्शन होता है. टाइप 1 डायबिटीज होने पर मरीज के शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है या कई बार बेहद कम मात्रा में बनता है. इसकी वजह से ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है. टाइप 2 डायबिटीज में पेशेंट के शरीर में इंसुलिन तो बनता है, लेकिन रेजिस्टेंस की वजह से उसका सही इस्तेमाल नहीं हो पाता. अगर बॉडी में इंसुलिन का प्रोडक्शन और यूज सही तरीके से होता रहे, तो डायबिटीज का कोई खतरा नहीं होता. अब सवाल उठता है कि इंसुलिन रेजिस्टेंस क्या होता है और यह किस वजह से पैदा हो जाता है. इसके क्या लक्षण होते हैं और बचाव के क्या तरीके हो सकते हैं. इन सभी सवालों के जवाब विस्तार से जान लेते हैं.

प्रतिरोध के नियम (Laws of Resistance)

किसी पदार्थ का प्रतिरोध चार कारकों पर निर्भर करता है- लंबाई(length), क्रॉस-अनुभागीय क्षेत्र(cross-sectional area), सामग्री की प्रकृति(nature of the material) और पदार्थ का तापमान(temperature)|

प्रतिरोधकता या विशिष्ट प्रतिरोध को प्रतिरोध के 4 नियमों से मापा जा सकता है जो इस प्रकार हैं:

प्रतिरोध का पहला नियम (First Rule of Resistance)

यह नियम कहता है कि प्रतिरोध सीधे पदार्थ की लंबाई(length of the substance) के आनुपातिक है या आप कह सकते हैं कि जब पदार्थ की लंबाई बढ़ जाती है, तो उसका प्रतिरोध भी बढ़ जाता है और जब पदार्थ की लंबाई कम हो जाती है, तो उसका प्रतिरोध भी कम हो जाता है।

इसके पीछे कारण यह है कि जब लंबाई बढ़ जाती है, तो इलेक्ट्रॉन अधिक पथों की यात्रा करेंगे और collision की संभावना बढ़ जाती है परिणामस्वरूप, conductor से गुजरने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या कम हो जाती है, इस प्रकार, current कम हो जाता है। इसे भी इस प्रकार लिखा जा सकता है:

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