CNG की बढ़ती कीमतों के कारण दिल्ली में आज ऑटो- कैब की हड़ताल, पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर पड़ेगा असर
दिल्ली में टैक्सी और ऑटो यूनियन ने आज हड़ताल करने का फैसला किया है। लगातार पेट्रोल, डीजल और सीएनजी के बढ़ती कीमतों की वजह से आज दिल्ली में चक्का जाम किया जाएगा। बढ़ती कीमतों से परेशान कैब और ऑटो यूनियन ने किराया बढ़ाने की मांग रखी है।
Auto Taxi Cab Driver Strike : देश की राजधानी दिल्ली में आज यात्रिों को यात्रा के दौरान परेशानी का सामना करना पड़ेगा। ऑटो, कैब, टैक्सी और मिनी बस चालकों के अलग अलग संगठनों ने सोमवार को दिल्ली में हड़ताल करने का निर्णय लिया है। लगातार पेट्रोल, डीजल और सीएनजी के बढ़ती कीमतों की वजह से सोमवार को राजधानी में चक्का जाम करने का फैसला लिया गया है। हड़ताल की वजह से जो लोग टैक्सी, ऑटो, मिनी बस, ओला और उबर का इस्तेमाल करने वाले है उनको आज दिनभर परेशानियों से जुझना पड़ेगा।
ट्रांसपोर्ट हड़ताल का चौथा दिन, आने वाले दिनों में बढ़ सकती है महंगाई
दरअसल रविवार को हड़ताल कर रहे ट्रांसपोर्टरों ने चेतावनी दी थी कि आने वाले दिनों में वो दिल्ली में दूध और सब्जियों जैसे जरूरी सामानों की सप्लाई भी रोक देंगे.
परमीता शर्मा/अंकित यादव
- नई दिल्ली,
- 23 जुलाई 2018,
- (अपडेटेड 23 जुलाई 2018, 5:03 PM IST)क्यों जरूरी है स्ट्राइक प्राइस?
देशभर में लगातार बढ़ रही पेट्रोल और डीजल की कीमतों के चलते ट्रांसपोर्टर हड़ताल पर हैं. दिल्ली में भी ट्रांसपोर्ट पूरी तरह से ठप है, यही वजह है कि दिल्ली के सबसे बड़े ट्रांसपोर्ट नगर संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर में हजारों ट्रक ठप खड़े नजर आए. सोमवार को दिल्ली की थोक सब्जी मंडियों में आने वाले ट्रकों की संख्या भी काफी कम रही.
दरअसल रविवार को हड़ताल कर रहे ट्रांसपोर्टरों ने चेतावनी दी थी कि आने वाले दिनों में वो दिल्ली में दूध और सब्जियों जैसे जरूरी सामानों की सप्लाई भी रोक देंगे. उसके बाद जहां तहां जरूरी सामान की सप्लाई करने वाले ट्रक यूनियनों को भी अपनी हड़ताल में शामिल कर लिया गया, ऐसे में अगले क्यों जरूरी है स्ट्राइक प्राइस? दो दिन से सब्जी के दामों में तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है.
सरकार को क्यों नहीं पड़ रहा फर्क?
हड़ताल में शामिल सबसे बड़ी संस्था ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के पदाधिकारी अजय मैनी का कहना है कि तीन दिन बीत जाने के बावजूद सरकार को हड़ताल से कोई फर्क नहीं पड़ा, जबकि पचास लाख ट्रकों के पहिए थम गए हैं. इससे करीब एक करोड़ लोगों के रोजगार पर संकट है.
अब ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि जैसे ही बाजार में सब्जियों का स्टॉक खत्म होगा और आम जनता में अफरा-तफरी मचेगी तब सरकार की नींद टूटेगी और तब इसके लिए सरकार जवाबदेह होगी. वहीं दूसरी तरफ ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि हड़ताल की वजह से उनकी रोजी रोटी पर भी संकट बढ़ रहा है, क्योंकि गाड़ियों की किश्त और वर्कर की सैलरी तो उन्हें देनी ही है ऐसे में सरकार को जल्द से जल्द उनकी मांगे माननी चाहिए.
अभी क्या है स्थिति?
फिलहाल हड़ताल के तीन दिन बीत जाने के बावजूद सरकार ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है. बीते दिनों ट्रांसपोर्ट यूनियन की सरकार से हुई मुलाकात भी विफल रही जिसके बाद यूनियन ने हड़ताल जारी रखने का फरमान रखा था. वहीं अभी तक बाजार में जरूरी सामानों की कोई खास किल्लत भी नहीं हुई है ऐसे में आम जनता में भी कोई खास हलचल नजर नहीं आ रही है.
क्यों है हड़ताल?
दिल्ली समेत देशभर में ट्रांसपोर्टर 20 जुलाई से हड़ताल पर हैं और ट्रकों का चक्का जाम कर दिया गया है. डीजल को जीएसटी के अंतर्गत लाने और टोल टैक्स खत्म करने जैसी मांगों को लेकर देशभर में ट्रांसपोर्टर हड़ताल पर हैं. वहीं ट्रांसपोटर्स की नाराजगी थर्ड पार्टी बीमा की बढ़ी हुई किश्त को लेकर भी है. दिल्ली के संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर में सोमवार को ट्रांसपोर्टर्स ने परिवहन मंत्री का पुतला भी फूंका.
16 हजारी Nifty से निवेशक हुए मालामाल, एक दिन में 8 गुना हुआ निवेश, अब आगे क्या करना चाहिए?
करीब 45 सेशन के बाद बाजार ने ब्रेकआउट दिया और निफ्टी 16000 के पार बंद हुआ. अब निवेशकों के सामने बड़ा सवाल ये है कि क्या बाजार में यह तेजी जारी रहेगी या फिर उन्हें सही समय पर मुनाफावसूली पर फोकस करना चाहिए.
What should investors do now: मंगलवार को शेयर बाजार ने नया रिकॉर्ड कायम किया. निफ्टी 245 अंकों की तेजी के साथ पहली बार सोलह हजार के स्तर को पार कर 16130 पर बंद हुआ. आज की इस तेजी के बाद कुछ ट्रेडर्स ने एक दिन के भीतर अपने निवेश पर करीब आठ गुना रिटर्न पाया है. लंबे समय से निफ्टी एक रेंज में ट्रेड कर रहा था और बार-बार यह 15900 के स्तर से रिटर्न हो जा रहा था. आखिरकार इसने आज ब्रेक आउट दिया है.
सोमवार को ऐसा नहीं लग रहा था कि मंगलवार को निफ्टी इतिहास रच देगा. इकोनॉमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, निफ्टी फिफ्टी के 16000 के स्तर को छूने को लेकर (Strike price) ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल ऑप्शन के प्रीमियम में करीब 750 फीसदी का उछाल आया है. इस स्ट्राइक प्राइस के लिए प्रति कॉन्ट्रैक्ट प्रीमियम 157.45 रुपए का हो गया है. इस हिसाब से अगर किसी ट्रेडर ने सोमवार को 16000 के स्ट्राइक प्राइस के लिए 1 मिलियन कॉन्ट्रैक्ट लिया होगा तो उसके 1.9 करोड़ का इन्वेस्टमेंट आज करीब 16 करोड़ का हो गया होगा.
ग्लोबल फैक्टर्स कमजोर, फिर भी बाजार में रही तेजी
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की असिसटेंट वाइस प्रेसिडेंट स्नेहा पोद्दार ने कहा कि जून के शुरुआत में निफ्टी में अच्छी तेजी देखने को मिली. ग्लोबल फैक्टर्स सकारात्मक नहीं थे, इसके बावजूद बाजार में तेजी थी. उन्होंने कहा कि अगर बाजार में यह तेजी बनी रहती है तो निफ्टी 16400 के स्तर क्यों जरूरी है स्ट्राइक प्राइस? तक जा सकता है.
45 सेशन के बाद आया ब्रेक आउट, 16400 तक पहुंचने का अनुमान
मनी कंट्रोल में छपी रिपोर्ट में मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के चंदन तापड़िया ने कहा कि टेक्निकल आधार पर बाजार में मजबूती दिख रही है. 45 सेशन के बाद बाजार ने अपने दायरे को तोड़ा है. सपोर्ट लेवल लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में पहला टार्गेट 16250 का और उसके बाद 16400 का टार्गेट होगा. Choice Broking के कुणाल परार का कहना है कि शॉर्ट टर्म में बाजार में तेजी की पूरी संभावना है और यह 16300-16400 के रेंज तक जा सकता है. मीडियम टर्म में यह 17500 के स्तर तक पहुंच सकता है. अगर यहां सेलर्स हावी होते हैं तो 15750 पर एक अच्छा सपोर्ट है. उसके नीचे आने पर 15450 पर एक बहुत ही मजबूत सपोर्ट बना हुआ है.
बैंकिंग इंडेक्स का अच्छा परफॉर्म करना जरूरी
Religare Broking के अजित मिश्रा का कहना है कि टेक्निकल इंडिकेटर मजबूत हैं. बैंकिंग इंडेक्स का मजबूती से परफॉर्म करना जरूरी है. इससे बाजार की दिशा तय होगी. उन्होंने निफ्टी को 16300 तक आसानी से पहुंचने का अनुमान लगाया है. बता दें कि जुलाई में FPI (फॉरन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स) ने बाजार से करीब 7500 करोड़ रुपए निकाले. जब-जब इसमें तेजी आई है, उन्होंने मुनाफावसूली की है. ऐसे में बाजार के जानकार रिटेल निवेशकों को सावधानी से निवेश और ट्रेड की सलाह दे रहे हैं.
निपटा लें अपने सभी जरूरी काम, 26 से 29 सितंबर तक बंद रहेंगे बैंक, जानें क्यों?
सितंबर महीने के आखिर में 26 से लेकर 29 सितंबर तक बैंक बंद रहेंगे. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अधिकारियों की चार यूनियनों ने 10 सरकारी बैंकों के विलय की घोषणा के विरोध में 26 और 27 सितंबर को हड़ताल पर रहेंगे.
लगातार 4 दिन बंद रहेंगे बैंक
खास बातें
- बैंक संबंधित कामकाज 26 सितंबर से पहले निपटा लें
- 26 से लेकर 29 सितंबर तक बंद रहेंगे बैंक
- बैंक मर्जर की वजह से दो दिनों की हड़ताल पर रहेंगी बैंक यूनियन
सितंबर महीने के आखिर में 26 से लेकर 29 सितंबर तक बैंक बंद रहेंगे. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अधिकारियों की चार यूनियनों ने 10 सरकारी बैंकों के विलय की घोषणा के विरोध में 26 और 27 सितंबर को हड़ताल पर रहेंगे. वहीं, 28 सितंबर को महीने का चौथा शनिवार होने के कारण बैंक बंद रहेगा और रविवार को साप्ताहिक अवकाश होता है. तो इस लिहाज से लगातार चार दिन बैंक बंद रहेंगे. 30 सितंबर और एक अक्टूबर को बैंक खुले रहेंगे. इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) को भेजे नोटिस में अधिकारियों की यूनियनों ने कहा कि उनका बैंकिंग क्षेत्र में विलय के खिलाफ हड़ताल पर जाने का प्रस्ताव है. सरकार ने 30 अगस्त को सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का एकीकरण कर चार बैंक बनाने की घोषणा की थी. यूनियन के नेता ने यह भी कहा कि नवंबर के दूसरे सप्ताह से राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं.
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ऑल इंडिया बैंक आफिसर्स कनफेडरेशन (AIBOC), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (AIBOA), इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस (INBOC) और नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स (NOBO) ने संयुक्त रूप से हड़ताल का नोटिस दिया है. इसके अलावा बैंक यूनियनों की पांच दिन का सप्ताह करने और नकद लेनदेन के घंटों और विनियमित कार्य घंटों को कम करने की भी मांग है. यूनियनों ने सतर्कता से संबंधित मौजूदा प्रक्रियाओं में बाहरी एजेंसियों का हस्तक्षेप रोकने, सेवानिवृत्त कर्मचारियों से संबंधित मुद्दों को सुलझाने, पर्याप्त भर्तियां करने, एनपीएस को समाप्त करने और उपभोक्ताओं के लिए सेवा शुल्क कम क्यों जरूरी है स्ट्राइक प्राइस? करने और अच्छा प्रदर्शन नहीं करने के नाम पर अधिकारियों को परेशान नहीं करने की मांग की है.
एआईबीओसी (चंडीगढ़) के महासचिव दीपक कुमार शर्मा ने कहा कि देशभर में राष्ट्रीयकृत बैंक 25 सितंबर मध्यरात्रि से 27 सितंबर मध्यरात्रि तक हड़ताल पर रहेंगे. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय के विरोध और अपनी अन्य मांगों के समर्थन में बैंक कर्मियों ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि नवंबर के दूसरे सप्ताह से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की जाएगी.
सरकार ने दस राष्ट्रीयकृत बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने की घोषणा की है. इसके तहत यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का विलय पंजाब नेशनल बैंक में किया जाएगा. इसके बाद अस्तित्व में आने वाला बैंक सार्वजनिक क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा. इसी तरह सिंडिकेट का विलय केनरा बैंक में किया जाएगा. इलाहाबाद बैंक का विलय इंडियन बैंक में होना है, जबकि आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में मिलाया जाएगा.
हड़ताल के मूड में 9 बैंक यूनियन, तारीख भी तय, ग्राहकों को लगातार 3 दिन परेशानी!
पेंशन समेत कई मामलों को लेकर नौ बैंक यूनियनों की एक संयुक्त संस्था यूनाइटेड फोरम क्यों जरूरी है स्ट्राइक प्राइस? ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) ने हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। हड़ताल की तारीख 27 जून, दिन सोमवार तय की गई है।
जून माह के आखिरी सप्ताह में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारी हड़ताल पर जा सकते हैं। दरअसल, नौ बैंक यूनियनों की एक संयुक्त संस्था यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) ने हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। हड़ताल की तारीख 27 जून, दिन सोमवार तय की गई है।
लगातार 3 दिन असर: हड़ताल की स्थिति में ग्राहकों को अपना जरूरी कामकाज 24 जून, दिन शुक्रवार तक निपटा लेना होगा। इसके बाद 25 जून को माह का चौथा और आखिरी शनिवार है, इस दिन अधिकतर बैंकों में कामकाज होने की संभावना नहीं है। 26 जून को रविवार है, जो साप्ताहिक अवकाश का दिन होता है। वहीं, 27 जून को सोमवार है, इसी दिन हड़ताल की चेतावनी दी गई है।
मांग क्या है: अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने यूएफबीयू की बैठक के बाद कहा कि उनकी मांगों में सभी पेंशनभोगियों के लिए पेंशन योजना में संधोशन और राष्ट्रीय पेंशन योजना को खत्म करना है। इसके अलावा सभी बैंक कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना भी शामिल है।
वहीं, अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी) की महासचिव सौम्या दत्ता ने कहा कि देश भर के करीब सात लाख कर्मचारी हड़ताल में शामिल होंगे।
आपको बता दें कि यूएफबीयू के अधीन आने वाले नौ बैंक यूनियन में अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी), अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) और नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) शामिल हैं।
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