Bull बनाम Bear : अगले सप्ताह कौन से फैक्टर्स तय करेंगे शेयर मार्केट की दिशा और दशा ?
बढ़ती महंगाई और इसे नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बैंकों के और कठोर कदम उठाने की संभावना, वैश्विक आर्थिक विकास मंदी के . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : May 07, 2022, 13:26 IST
नई दिल्ली . अमेरिकी बाजारों में गिरावट के बाद शुक्रवार को भारतीय शेयर मार्केट में भी भारी गिरावट दर्ज की गई. शेयर मार्केट एक्सपर्ट का मानना है कि बढ़ती महंगाई के कारण बदतर स्थिति, इसे नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बैंकों की ओर से और कठोर कदम उठाने की संभावना, भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक मंदी के खतरे जैसे कारकों ने भारतीय निवेशकों को डरा दिया है. इससे सेंसेक्स और निफ्टी में तेज गिरावट आई है.
भारतीय इक्विटी बाजार में गिरावट के कारणों पर स्वस्तिक इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड (Swastika Investmart Ltd) के मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील न्याती ने कहा, “भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से अचानक रेपो रेट और सीआरआर में बढ़ोतरी ने निवेशकों को हैरान कर दिया है. यह महामारी के कारण दिए जा रहे प्रोत्साहन के अंत का प्रतीक है. हम मानते हैं कि निवेशकों को अच्छा रिटर्न हासिल करने के लिए बहुत मेहनत करनी होगी क्योंकि आसानी से पैसे बनाने के दिन समाप्त हो रहे हैं.”
न्याती ने मिंट को दिए इंटरव्यू में निवेशकों को गुणवत्ता वाले शेयरों में निवेश करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि ऐसी कंपनियों के शेयरों में निवेश करें, जिनके पास अच्छा विकास विजन है और उचित रूप से मूल्यवान हैं. साथ ही उन्होंने, शेयर में आए करेक्शन का लाभ उठाने की भी राय दी है. ट्रेडर्स और निवेशकों को उन कारकों से सतर्क रहना चाहिए जो दलाल स्ट्रीट के लिए प्रमुख ट्रिगर के रूप में काम कर सकते हैं. यहां उन शीर्ष कारकों की लिस्ट दी जा रही है, जो अगले सप्ताह शेयर बाजार को प्रभावित करेंगे:
चौथी तिमाही के नतीजे
राइट रिसर्च की फाउंडर सोनम श्रीवास्तव का मानना है कि इस समय बाजार कंपनियों के रिजल्ट को देख रहा है. अगले सप्ताह एशियन पेंट, एमआरएफ, पीवीआर सहित कई कंपनियां रिजल्ट पेश करेंगी, जिनकी अर्निंग से कई क्षेत्रों के भाग्य का फैसला होगा. कंपनियों के खराब रिजल्ट का असर निश्चित तौर पर शेयर मार्केट पर दिखेगा.
महंगाई और बॉन्ड यील्ड
आरबीआई ने महंगाई में और बढ़ोतरी के संकेत दिए हैं. कमोडिटी की कीमतें पहले से ही अत्यधिक अस्थिर हैं और खाद्य कीमतें बढ़ रही हैं. बॉन्ड यील्ड भी बढ़ रही है, जो कम नकदी वाले कारोबार के लिए परेशानी का संकेत है. भारत में महंगाई और कंज्यूमर सेंटिमेंट अगले सप्ताह बाजार के लिए महत्वपूर्ण कारक हो सकते हैं.
वैश्विक कारक
डॉलर इंडेक्ट में 20 साल की रिकॉर्ड वृद्धि और निकट भविष्य में डॉलर की मांग बनी रहने के कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों के ‘शुद्ध विक्रेता’ बने रहने की उम्मीद है. ऐसे में डॉलर के उतार-चढ़ाव पर नजर रखना अहम होगा. वैश्विक धारणा, महंगाई दर और बॉन्ड यील्ड आदि अगले सप्ताह बाजार के लिए अहम होंगे. फेड की ओर से ब्याज दर में वृद्धि ने बाजारों को धीमा कर दिया है. अभी यूरोपीय और अमेरिकी अर्थव्यवस्थाओं और बाजार की प्रतिक्रिया देखनी होगी.
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ग्राफ और चार्ट वेक्टर चित्रण के साथ बैल और भालू का शेयर बाजार डिजाइन पृष्ठभूमि
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हर इच्छा पूरी करे फेंगशुई बुल
मानव का स्वभाव चंचल होता है। इससे उसके मन में कई तरह की वस्तुओं को पाने की इच्छाएं बलवती होती रहती हैं। देखा जाए तो हर किसी के जीवन में कुछ न कुछ प्राप्त करने की इच्छा होती है। उस इच्छा की पूर्ति के.
मानव का स्वभाव चंचल होता है। इससे उसके मन में कई तरह की वस्तुओं को पाने की इच्छाएं बलवती होती रहती हैं। देखा जाए तो हर किसी के जीवन में कुछ न कुछ प्राप्त करने की इच्छा होती है। उस इच्छा की पूर्ति के लिए काफी प्रयास भी किए जाते हैं। फेंगशुई बुल एक ऐसा ही गैजेट है, जिसे इच्छापूर्ति गैजेट कहा जाता है। आइए जानते हैं इसके बारे में
फेंगशुई में बुल यानी बैल को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। घर में इसका प्रतिरूप रखने से इच्छा पूर्ति होती है। इसलिए इस गैजेट को इच्छापूर्ति गैजेट भी कहा जाता है। आपने आज तक बुल यानी बैल को शेयर बाजार के प्रतीक चिह्न के रूप में देखा होगा, लेकिन फेंगशुई में भी बैल उसी प्रकार महत्वपूर्ण है, जिस प्रकार शेयर बाजार में। जिस तरह बैल शेयर बाजार की सशक्तता को दर्शाता है, उसी प्रकार फेंगशुई बैल भी शक्ति और मजबूती का परिचायक है। जीवन में अगर बड़ी चुनौतियों का सामना करना हो तो उसके लिए तैयारियां भी बेहतर करनी पड़ती हैं। बात चाहे करियर की हो, बिजनेस की या फिर अहम ओहदे की जिम्मेदारियां निभाने की, हमारी सफलता-असफलता इसी बात पर निर्भर करती है कि हम कैसे चुनौतियों का सामना करते हैं। अगर आप भी अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए खुद को अशक्त महसूस कर रहे हैं, तो इस फेंगशुई गैजेट को घर व कार्यस्थल पर स्थापित करें। भगवान शिव का वाहन नंदी भी एक बैल है। भारत समेत कई देशों में बैल को पवित्र जानवर माना गया है। आइए, जानते हैं इस गैजेट को कहां और कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है।
अगर आप खुद को मानसिक या शारीरिक रूप से कमजोर और असहाय महसूस कर रहे हंै तो किसी फेंगशुई विशेषज्ञ से अपनी निजी शुभ दिशा जानकर, फेंगशुई बुल को वहां स्थापित करें।
करियर या व्यवसाय में सफलता पाने के लिए इसे आप अपनी ऑफिस टेबल या डेस्क पर स्थापित कर सकते हैं।
अगर आप किसी सरकारी अड़चन से घिरे हैं, टेंडर पास नहीं हो रहे हैं, या फिर विभागीय अनुमति मिलने में अटकल लग रही है तो यह गैजेट चमत्कारी रूप से आपकी मदद करता है।
विशेषकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को फेंगशुई बुल अवश्य स्थापित करना चाहिए।
समाज में परिवार की मजबूती का आकलन उसकी समृद्धि से भी किया जाता है। अगर आप चाहते हैं कि आपका परिवार समृद्ध हो तो फेंगशुई बैल को अपने लिविंग रूम में दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थापित करें।
आपके व्यवसाय या करियर में कोई परेशानी आ रही है, मनमाफिक नौकरी नहीं मिल पा रही है या व्यवसाय में कोशिशों के बावजूद अवसर हाथ से निकल जाते हैं, तो फेंगशुई बुल आपके लिए आदर्श गैजेट है। इससे आप हमेशा आशावान बने रहकर कोशिशें करना बंद नहीं करते।
बाजार और ऑनलाइन उपलब्ध हैं गैजेट
इच्छा पूर्ति गैजेट के नाम से पहचान बनाने वाले फेंगशुई बुल बाजार के साथ ही ऑनलाइन भी ऑर्डर कर सकते हैं। बाजार में एक हजार रुपये से फेंगशुई बुल की शुरुआत होती है। ऐसे में फेंगशुई बुल को सही साइट से ऑर्डर करके मंगवाया जा सकता है, लेकिन इसको घर में रखने के दौरान वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ से जानकारी कर लें। नेपाल के साथ ही अब भारत में भी लोगों ने फेंगशुई बुल को घरों में रखना शुरू कर दिया है। इससे आपको सकारात्मक परिणाम चाहिए तो फेंगशुई बुल खरीदने से पहले विशेषज्ञ से इस बारे में पूरी जानकारी कर लें, जिससे कि आपको सही बुल मिल जाए।
जानिए, बैल से संबंधित रहस्यमयी बातें जो कम ही लोग जानते हैं
सम्पूर्ण मानव जाति की उत्त्पत्ति का स्रोत एक ही है और सभी उसी एक में मिल जाएंगे अर्थात हमारा आदि और अंत एक ही है। हम सभी के देव और देवी भी एक ही हैं और कुछ पूजनीय जीव भी जैसे कि सर्प, गाय आदि। गाय और गौवंश में कुछ तो ऐसा है कि जिसने दुनिया की सभी संस्कृतियों में एक प्रतिष्ठित स्थान अर्जित किया है। वर्तमान समय में 'हौली काऊ' को भारतवर्ष से जोड़ा जाता है पर इतिहास के पन्नों से इस गोजातीय देवी की सर्व उपस्थिति का पता चलता है।
मेसोपोटामिया के निवासी बैल को असाधारण शक्ति और जनन क्षमता का प्रतीक समझ औरोक्स के रूप में उसकी पूजा करते थे। बैल, बेबीलोन देवता एन्न, सिन और मर्दुक का भी चिन्ह था और गाय, देवी ईश्तर की। असीरियन देव निन का भी राज्य चिह्नन मानव - बैल के रूप में था। प्राचीन बेबीलोन निवासी तथा असीरियन लोगों ने अपने महलों (जिसमें देवताओं का आह्वान करने वाले शिलालेख रखे थे ) की रक्षा करने के लिए, विशाल पंखों वाले बैलों की प्रतिमाओं का निर्माण किया था। ईरानियों के पास भी उनके महलों की रक्षा के लिए भारी पंखों वाले बैल थे। सेमिटिक कानांइट्स के लिए भी बैल बाल का प्रतीक था और गाय अस्तरते का। प्राचीन मिस्रवासी गाय बैल एक बैल बाजार का प्रतीक है को हाथोर् के नाम से और बैल को एपिस नाम से पूजते थे। बैल की इतनी महत्ता थी कि एपिस बैल के मरने के बाद उसके शव पर लेप लगाकर ग्रेनाइट ताबूत में दफनाया जाता था।एक्सोडस के एक लोकप्रिय भाग 32: 1 - 32: 45 में इस बात का उल्लेख है कि किस तरह इजराइल के लोगों ने मोसेस की अनुपस्थिति में एक सोने का बछड़ा बनाकर उसकी पूजा की थी। इस उद्धरण से यह पता चलता है इजराइल के पारम्परिक इतिहास में गाय और बछड़े की कितनी श्रद्धेय स्थिति थी।
पारसी शास्त्रों के अनुसार ‘गवयवोदता’( विशेष रूप से बनाई गई गाय ) अहुरा माजदा द्वारा बनाए गए छह मुख्य भौतिक पदार्थों में से एक है जो कि सभी गुणकारी पशुओं की पूर्वज प्रजनक बन गई। सेल्टिक संस्कृतियों में भी गोजातीय देवी दमोना और बोअन्न की पूजा होती थी। नॉर्स परम्परा में भी बैल एक बैल बाजार का प्रतीक है अति प्राचीन गाय औधुम्ब्ला का उल्लेख है। यूनान में भी स्त्री और विवाह की देवी हेरा के लिए भी गाय पवित्र पशु था। चीन और जापान की प्राचीन सभ्यताओं में भी गोजातीय पशुओं का सम्मान किया जाता था और गौ मांस का आहार वर्जित था। बैल, भगवान शिव का प्रिय वाहन जोकि नन्दी के रूप में श्रृद्धेय है, सिंधु घाटी की मुद्राओं की मुख्य आकृति है।
ऋग्वेद, विश्व का सबसे प्राचीन शास्त्र भी गाय को अदिति और अघ्न्या कहता है अर्थात जिसको टुकड़ों में नहीं काटा जाना चाहिए। अथर्ववेद उसको समृद्धि का मूलस्रोत मानता है (धेनु सदानम् रयीणाम् - अथर्ववेदा 11. 1. 34 ) एक वैदिक यज्ञ में गव्य उत्पादों के प्रयोग का महत्व तो सभी जानते हैं। एक और दिलचस्प बात, भारतीय मंदिरों के प्रवेश द्वार की रक्षा हेतु भी उनके बाहर बैलों की प्रतिमाएं स्थापित की जाती थी।
इन सभी तथ्यों के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि हमारे पूर्वजों ने चाहे वे दुनिया के किसी भी कोने से हों, गाय को पूजनीय और पवित्र माना है। मिस्र से लेकर उत्तरी यूरोप तथा पूर्व तक गाय और बैल प्रजनन, शक्ति और प्रचुरता के सार्वभौमिक प्रतीक थे। होली काऊ अर्थात पवित्र गाय किसी एक विशेष धर्म के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि इस पूरी दुनिया की सांझी विरासत है।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए की आधुनिक विज्ञान के अनुसार कुछ सदियों पहले पूरी दुनिया एक बड़ा भू भाग था जो बाद में अलग हुआ। यह भी प्रमाणित हो चुका है कि आरम्भ में सारी पृथ्वी पानी में डूबी हुई थी और दुनिया भर की सभ्यताएं और संस्कृति इस बात से सहमत हैं कि सारी मानव जाति, जीवित बचे लोगों के एक समूह से ही उभरी है चाहे उसे हम मनु की नाव कह लें या नोअहस आर्क या फिर डुकलिओंस चेस्ट या उत्नापिष्टिम् की नाव, सारी मानव जाति का एक ही मूलस्रोत सभी ने स्वीकार किया है। वेदों की गूंज दुनिया के सभी धर्मों में सुनाई देती है।
महाराष्ट्र: यहां पशुओं के लिए मनाया जाता है बैल पोला, लेकिन अमरावती में घट रही इनकी संख्या
भले ही कृषि में मशीनीकरण तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन बैलों और गायों का जलवा उनके महत्व की वजह से अब भी कायम है. ऐसे में अमरावती जिले में इनकी संख्या का घटना किसानों के लिए चिंता का विषय बन गया है.
आज महाराष्ट्र का मशहूर त्यौहार बैल पोला मनाया गया है. जिसमें किसान भाई उनका सत्कार करते हैं. सजाते हैं, दुलारते हैं. लेकिन यहां के कई क्षेत्रों में इनकी संख्या तेजी से घट रही है. महाराष्ट्र के अमरावती में हमेशा से कृषि कार्य में बैलों का प्रयोग होता रहा है. यहां किसानों के पास पशुओं की अच्छी खासी संख्या होती थी. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. अब इस जिले में गायों की कमी सामने आने लगी है. विशेषज्ञ इसके पीछे का बड़ा कारण बढ़ता कृषि मशीनीकरण और मजदूरों की अनुपलब्धता बता रहे हैं. पशुगणना की रिपोर्ट देखें तो लगातार जानवरों की कमी आई है. लगातार गायों, बैलों की कमी आने से यहां के चांदुर बाजार तालुका के किसान चिंतित हैं.
राज्य में हर पांच साल में पशुधन की गणना की जाती है. इसमें मवेशी, भैंस, बकरी, भेड़, घोड़े, गधे, सूअर और अन्य जानवर शामिल होते हैं. वर्ष 2012-13 में चांदुर बाजार तालुका में 16 हजार 620 नर गायें थीं. 2018-19 की पशुधन गणना में यह संख्या 9410 हो गई है. पिछले पांच वर्षों में नर सांडों की संख्या में 7210 (42%) की कमी आई है. पशुपालकों का कहना है कि इन्हें पालना कठिन है. रिटर्न उतना अच्छा नहीं आता. आज भी महाराष्ट्र में गाय का दूध बोतलबंद पानी के भाव बिक रहा है. फिर कोई क्यों पशुपालन करेगा.
हर साल कितने बैल कम हुए
चांदुर बाजार तालुका में हर साल 1442 बैलों की कमी आई है. वहां के किसान कहते हैं कि यह बड़ा चिंता का विषय है. क्योंकि गायों से मिलने वाला दूध, गोमूत्र और गोबर का काफी जगह उपयोग होता है. ऐसे में गायों की कमी से कहीं न कहीं किसानों का ही नुकसान है. इनके गोबर की खाद का उपयोग मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए भी किया जाता है. इनके गोबर की खाद से फसल की उत्पादकता भी बनी रहती है और उसकी गुणवत्ता भी.
उत्तम दर्जे के बैलों की कीमत
भले ही बैल अब कम होने लगे हैं लेकिन उनकी कीमत लाखों में है. क्योंकि उनकी कई तरह से प्रासंगिकता अब भी कायम है. महाराष्ट्र में आज भी गाय और बैल को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. किसानों के लिए ये पशु मां लक्ष्मी जैसा स्थान रखते हैं. उनके लिए बैल पोला उत्सव मनाया जाता है. ट्रैक्टर के जमाने में भी काफी किसान खेती बैल एक बैल बाजार का प्रतीक है के लिए बैलों पर निर्भर हैं. इसलिए किसान अपने गाय और मवेशियों को भगवान मानते हुए साल में एक बार उनकी पूजा करते हैं. ऐसे में उत्तम दर्जे के बैलों की कीमतें एक लाख से अधिक पहुंच गई है. जिसे आम किसानों के लिए खरीद पाना मुश्किल है.
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