कमोडिटी विकल्प क्या हैं
आम तौर पर निवेश का मतलब लोग इक्विटी और डेट में ही पैसा डालना समझते हैं। कुछ लोग निवेश को बीमा से भी जोड़कर देखते हैं।
निवेशकों को यह बात जरूर याद रखनी चाहिए कि बीमा का मतलब सिर्फ जोखिम के कवर से है और इसे निवेश के तौर पर देखा जाना उचित नहीं है। स्थिर आय योजनाओं की बात करें तो ये महंगाई के समय में ही बेहतर प्रतिफल देती हैं।
कहने का सीधा सा मतलब यह है कि आप अगर अपने निवेश पर बेहतर प्रतिफल अर्जित करने कमोडिटी विकल्प क्या हैं में सक्षम हैं तो भी महंगाई इसे कहीं का नहीं छोड़ती है। दिनोदिन बाजार में अनिश्चितता बढ़ती जा रही हैं, जाहिर सी बात है, निवेशकों को इससे खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सवाल उठता है कि निवेशक इन परिस्थितियों का सामना कर आखिर किस तरह से धन अर्जित कर सकते हैं?
इसके लिए निवेश के अन्य विकल्पों पर विचार किया जा कमोडिटी विकल्प क्या हैं सकता है। ये विकल्प आपके पोर्टफोलियो के जोखिम को करने के साथ ही इसे विविधता प्रदान करते हैं। इनमें से ज्यादातर निवेश विकल्प वित्तीय और प्रतिभूति बाजार में कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव से सीधे संबंधित नहीं होते हैं। नीचे इसी तरह के कुछ विकल्पों की चर्चा की गई है:
सोना : सोने को मुद्रा के विकल्प के रूप में भी देखा जाता है। सोना पोर्टफोलियो के साथ जुड़ी अनिश्चितता को दूर करने में काफी मददगार होता है। महंगाई से सुरक्षा प्रदान करने में भी इसकी भूमिका अहम होती है।
सोने में निवेश का एक बेहतर तरीका एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) जैसे गोल्ड बीईईएस, क्वांटम गोल्ड ईटीएफ, कोटक गोल्ड ईटीएफ है। अगर आप साबुत सोना खरीदना चाहते हैं तो आपके लिए सोने की टिकिया और सिक्के बेहतर विकल्प हो सकते हैं।
बैंक से सोना खरीदना महंगा हो सकता है और यह बात भी याद रखना जरूरी है कि बैंक आपसे इसकी पुनर्खरीद भी नहीं करते हैं। एक अच्छी साख वाले आभूषण विक्रेता से सोना खरीदना एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
कमोडिटी : कमोडिटी में निवेश हाजिर बाजार में या डेरिवेटिव मार्केट में किया जा सकता है। कमोडिटी डेरिवेटिव का कारोबार एक्सचेंज नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स), मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में होता है।
जिंस वायदा में निवेश इक्विटी फ्यूचर ट्रेडिंग के जैसा ही होता है। आप इसमें लॉन्ग पोजीशन (जब आप सौदा खरीदते हैं) और शॉर्ट पोजीशन (जब आप इसे बेचते हैं) ले सकते हैं। सीधे तौर पर कहें तो इक्विटी बाजार की तरह ही आप कीमतें चढ़ने के समय में खरीदारी और कीमतों के गिरने के समय बिकवाली कर सकते हैं।
आर्ट्स : हालांकि, आर्ट निवेश का एक अच्छा विकल्प माना जाता है लेकिन इसमें तरलता, ऊंची लागत, मूल्यांकन में अनिश्चितता आदि समस्याएं जुड़ी हुई हैं। जाने-माने चित्रकार एम एफ हुसैन और राजा रवि वर्मा की पेंटिंग और पिकासो इसके उदारहरण हैं।
रियल एस्टेट : निवेश के एक अन्य महत्त्वपूर्ण विकल्प के तौर पर रियल एस्टेट में निवेश के वास्ते एक मोटी रकम और साथ ही सही योजना और मूल्यांकन की जरूरत होती है।
भारत में रियल एस्टेट की कीमतें हमेशा से अधिक रही हैं। इसकी मुख्य वजह मांग की अधिकता और सीमित गुणवत्ता की कम से कम आपूर्ति है। रियल एस्टेट न सिर्फ पूंजी में बढ़ोतरी के रूप में आप को लाभ देता है बल्कि किराये के रूप में नियमित आय भी प्रदान करता हैं।
सरकारी प्रतिभूतियां : यह सॉवरिन डेट होता है जिसमें निवेश की सुरक्षा की गारंटी सबसे अधिक होती है। निवेशक 20 वर्षों के 8.35 फीसदी के प्रतिफल के साथ निवेश के विकल्प का चयन कर सकते हैं। इससे लंबी अवधि में सतत रूप से आय की प्राप्ति होती है। खुदरा निवेशक इनमें निवेश के बाद छमाही आधार पर आय अर्जित करते हैं।
आर्बिट्राज फंड : आर्बिट्राज फंड आर्बिट्राज अवसरों का फायदा उठा कर प्रतिफल देते हैं। ये फंड शुध्द इक्विटी की तुलना में अपेक्षाकृत कम जोखिम वाले होते हैं। हालांकि, इसके बाद भी इन्हें जोखिम मुक्त नहीं कहा जा सकता है क्योंकि आर्बिट्राज फंड के साथ भी जोखिम जुड़ा होता है।
स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट : इस तरह के उत्पाद का निर्माण इस तरह से किया जाता है कि जोखिम भी कम होता है और बेहतर प्रतिफल भी देते हैं। स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट सामान्यत: प्री-पैकेज्ड स्ट्रैटेजी होते हैं जो डेरिवेटिव, एक शेयर या इससे अधिक शेयरों, सूचकांकों, कमोडिटी, डेट सिक्योरिटी पर आधारित होते हैं।
कमोडिटी बाजार से कमाई करने से पहले इन 7 बातों को जानना है जरूरी
कमोडिटी मार्केट में मार्जिन शेयर बाजार के मुकाबले काफी कम है
सवाल नंबर 2. क्या वे वही ब्रोकर्स हैं जो शेयर बाजार में भी ब्रोकिंग की सेवा देते हैं?
जवाब: आमतौर पर नहीं, लेकिन इक्विटी में ब्रोकिंग की पेशकश करने वाले कई ब्रोकर्स ने कमोडिटी ब्रोकिंग सेवाओं के लिए सहायक कंपनी बनाई हैं. उदाहरण के तौर पर एंजेल कमोडिटीज, कार्वी कमोडिटीज जैसी कंपनियां कमोडिटी एफएंडओ (फ्यूचर एवं ऑप्शन) ब्रोकिंग की पेशकश अपनी सहायक कंपनियों के जरिए करती हैं. इसका मतलब है कि यदि आप ट्रेड करना चाहते हैं तो आपको अपने इक्विटी खाते से अलग डीमैट / ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होगा.
सवाल नंबर 3. क्या कमोडिटीज की डिलीवरी अनिवार्य है?
जवाब: ज्यादातर कृषि वायदा, जैसे खाद्य तेल, मसाले, आदि की डिलीवरी अनिवार्य है. लेकिन आप डिलीवरी से पहले पोजीशन खत्म कर सकते हैं. गैर-कृषि नॉन एग्री कमोडिटीज में, अधिकांश वस्तुओं जैसे सोने और चांदी में नॉन डिलीवरी आधारित हैं.
सवाल नंबर 4. क्या कमोडिटी में यह ट्रेडिंग शेयरों में एफएंडओ ट्रेडिंग जैसी है?
जवाब: हां. उसमें, मार्क-टू-मार्केट दैनिक आधार पर तय किया जाता है, लेकिन मार्जिन शेयर बाजार के मुकाबले काफी कम है.
सवाल नंबर 5. ट्रेडिंग करने के लिए मार्जिन क्या हैं?
जवाब: आम तौर पर 5-10 फीसदी, लेकिन कृषि वस्तुओं में, जब उठापटक आती है, एक्सचेंज अतिरिक्त मार्जिन लगा देते हैं. एक्सचेंज लॉन्ग या शॉर्ट साइड में स्पेशल मार्जिन लगा देते हैं, जो मौजूदा मार्जिन का कभी-कभी 30-50 फीसदी अधिक हो सकता है.
सवाल नंबर 6.कमोडिटी एफएंडओ बाजार को कौन नियंत्रित करता है?
जवाब:सेबी मेटल्स और एनर्जी मार्केट के शीर्ष कमोडिटी एक्सचेंज मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज यानी एमसीएक्स और कृषि कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स जैसे एक्सचेंजों को रेगुलेट करता है.
सवाल नंबर 7. किन कमोडिटीज में ज्यादा ट्रेड होता है ?
जवाब: नॉन-एग्री कमोडिटीज में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग सोने, चांदी, कच्चा तेल, कॉपर आदि जैसी कमोडिटीज में होती है, जबकि नॉन एग्री कमोडिटीज की बात करें तो सोयाबीन, सरसों, जीरा, ग्वारसीड जैसे काउंटर्स में ठीक-ठाक ट्रेडिंग होती है.
कमोडिटी डेरिवेटिव मार्केट क्या है, कैसे करते हैं यहां ट्रेडिंग?
कमोडिटी फ्यूचर में ट्रेडिंग के लिए आप अपने इक्विटी ट्रेडिंग अकाउंट का इस्तेमाल कर सकते हैं.
क्या कारोबार के लिए अलग ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत है?
कमोडिटी फ्यूचर में ट्रेडिंग के लिए आप अपने इक्विटी ट्रेडिंग अकाउंट का इस्तेमाल कर सकते हैं. शर्त यह है कि आपका ब्रोकर कमोडिटी एक्सचेंज का सदस्य हो. लेकिन, एनएसई और बीएसई में ट्रेडिंग करने वाले क्लाइंट को MCX और NCDEX जैसे एक्सचेंजों के साथ अपने ब्रोकर के जरिए रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है.
क्या ट्रेडिंग में जोखिम है?
बिल्कुल है. बिना जानकारी के इस सेगमेंट में हाथ नहीं आजमाने चाहिए. संभव है कि शुरुआती चरणों में क्रूड, गोल्ड और बेस मेटल में ट्रेडिंग में दिलचस्पी बढ़े. लेकिन, ट्रेडिंग का फैसला अच्छी जानकारी के बाद ही लें.
कमोडिटी डेरिवेटिव में कौन करता है ट्रेडिंग?
इसमें मुख्य रूप से खुदरा निवेशक और होलसेल कमोडिटी ट्रेडर्स के अलावा कुछ कॉरपोरेट क्लाइंट खरीद-फरोख्त करते हैं. सेबी ने कैटेगरी 3 अल्टरनेट इंवेस्टमेंट फंड को ट्रेड करने की अनुमति दी है. कुछ समय में म्यूचुअल फंडों को ट्रेड करने की मंजूरी दी जा सकती है.
हाल में भारतीय कमोडिटी में निवेश करने वाली उन कंपनियों को भी ट्रेडिंग के लिए हरी झंडी दी गई है जिनकी मौजूदगी देश में नहीं है. बैंकों और एफपीआई को अब भी इसकी अनुमति नहीं है. यह अलग बात है कि बैंक अपने क्लाइंटों को कमोडिटी डेरिवेटिव में ट्रेड करने के लिए ब्रोकिंग सर्विसेज की पेशकश कर सकते हैं.
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Commodity Superfast: कई दिनों तक गिरावट के बाद सोने की कीमतों में आई तेजी! जानिए आज के ताजा रेट
आज कमोडिटी मार्केट में कई दिनों तक गिरावट के बाद सोने की कीमतों में तेजी आई है. मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर सोने के भावों में गिरावट आते हुए देखी गई थी. वहीं, आज खरीदारी बढ़ने से भावों में बढ़त देखी जा रही है. सोना जून वायदा 334 रुपये की तेजी के साथ ₹51,200 यानी 0.66% प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा है. डॉलर के मुकाबले रुपये में आई गिरावट के कारण भारतीय बाजारों में सोने के भाव बढ़ गए हैं. वहीं, कोरोना वायरस के नए मामलों में आई तेजी कमोडिटी विकल्प क्या हैं के कारण लोग फिर सुरक्षित निवेश विकल्प की ओर रुख कर रहे हैं. इससे सोने की कीमतों को समर्थन मिल रहा है. वहीं कच्चे तेल में भी तेजी आई है. मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर कच्चा तेल ₹8,500 यानी 2.94% के ऊपर ट्रेड कर रहा है. ब्रेंट $113 पर पंहुचा और WTI क्रूड $110 के ऊपर कारोबार कर रहा है.
Equity Vs Commodity: कमोडिटी विकल्प क्या हैं शेयर में डूब रहे पैसे, महंगाई और रेट हाइक के दौर में एग्री कमोडिटी और बुलियन बेहतर विकल्प?
कमोडिटी के सपोर्ट में कुछ फैक्टर काम कर रहे हैं. आने वाले दिनों में बुलियन और एग्री कमोडिटी का आउटलुक मजबूत नजर आ रहा है.
शेयर बाजार में बिकवाली का दबाव इस साल के शुरू से ही बना हुआ है. (reuters)
Investment Strategy in Commodity: शेयर बाजार में बिकवाली का दबाव इस साल के शुरू से ही बना हुआ है. महंगाई, रेट हाइक साइकिल, जियो पॉलिटिकल टेंशन, क्रूड की ऊंची कीमतें, सप्लाई चेन में रुकावट, बॉन्ड यील्ड में तेजी, रुपये में कमजोरी जैसे फैक्टर शेयर बाजार को कमजोर कर रहे हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि इक्विटी के लिए जो भी निगेटिव फैक्टर हैं, अचानक से खत्म होते नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में नियर टर्म में भी बाजार में करेक्शन दिखेगा. क्या ऐसे में इक्विटी में नुकसान की कुछ भरपाई कमोडिटी मार्केट से की जा सकती है. क्या बुलियन या एग्री कमोडिटी में निवेश के बेहतर मौके हैं. जानते हैं इस बारे में कमोडिटी एक्सपर्ट का क्या कहना है.
इस साल इक्विटी के मुकाबले कमोडिटी का प्रदर्शन
रुपया: -5.26%
निफ्टी: -9.01%
सेंसेक्स: -9.33%
Dow Jones: -13.61%
MCX Gold: +7.19%
MCX SILVER: -2.15%
कॉपर: +2.54%
MCX Crude oil: +65.17%
NCDEX गुआर सीड: -3.73%
MCX कॉटन: +37.57%
NCDEX जीरा: +31.74%
किन वजहों से कमोडिटी को मिल रहा है सपोर्ट
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि इक्विटी पर अभी सेलिंग प्रेशर नियर टर्म में जारी रहेगा. वहीं दूसरी ओर कमोडिटी के सपोर्ट में कुछ फैक्टर काम कर रहे हैं. आने वाले दिनों में बुलियन और एग्री कमोडिटी का आउटलुक मजबूत नजर आ रहा है. उनका कहना है कि पैनडेमिक के बाद डिमांड में अचानक तेजी, जियो पॉलिटिकल टेंशन, दुनियाभर में मौसम की प्रतिकूल कंडीशन, महंगाई, लॉजिस्टिक सर्विसेज में दिक्कतें, प्रोडक्शन घटने और सप्लाई प्रभावित होने से कमोडिटी की कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है.
Gold and Silver Price Today: सोना मजबूत, चांदी में 1,447 रुपये का उछाल, खरीदारी से पहले चेक कर लें लेटेस्ट रेट
उनका कहना है कि जिस तरह से एग्री कमोडिटी के प्रमुख उत्पादक देशों का अभी फोकस इंपोर्ट बढ़ाने और एक्सपोर्ट कम करने या बंद करने पर है, इससे साफ है कि सप्लाई से ज्यादा डिमांड है. वहीं दुनियाभर के मौसम की कंडीशन देखें तो यह कमोडिटी को सपोर्ट करने वाला है. मसलन यूएस में सूखे की स्थिति रही है, जिससे सीजनल प्रोडक्शन पर असर होगा. वहीं रूस और यूक्रेन जंग के चलते कुछ एग्री कमोडिटी का प्रोडक्शन और सप्लाई दोनों ही प्रभावित हुआ है.
गेहूं, कॉटन, जौ, आयल सीड्स में आएगी तेजी
केडिया के अनुसार यूक्रेन को गेहूं का कटोरा कहा जाता है. इसके अलावा भी कई एग्री कमोडिटी का यूक्रेन प्रमुख उत्पादक देश है. इस सीजन की बात करें तो मार्च से मई तक सोइंग सीजन होता है, जिस पर जंग का असर पड़ा है. इस साल वहां बुआई 50 फीसदी से ज्यादा गिरी है, जिससे प्रोडक्शन सालान बेसिस पर घटकर आधा रह जाएगा. इसका असर 6 महीने बाद ए्रग्री कमोडिटी की कीमतों पर दिखेगा. ऐसे में आने वाले दिनों में गेहूं, कॉटन, जौ और आयल सीड्स में और तेजी आ सकती है.
बुलियन में आएगी तेजी
IIFL के VP-रिसर्च, अनुज गुप्ता का कहना है कि मौजूदा समय में जब इक्विटी में नुकसान हो रहा है, बॉन्ड मार्केट में भी रिस्क बना हुआ है, बुलियन में सेफ हैवन डिमांड बढ़ सकती है. सोने और चांदी दोनों में ही आगे बेहतर रिटर्न दिख रहा है. वैसे भी इस साल सोने में पॉजिटिव रिटर्न मिला है. इसे इनफ्लेशन, इक्विटी में अस्थिरता, रीसेशन का डर जैसे फैक्टर से सपोर्ट मिलेगा. हालांकि इंटरेस्ट रेट हाइक से कुछ दबाव है, लेकिन नियर टर्म में सोने और चांदी में रैली दिख रही है. उनका कहना है कि सोने में 49 हजार से 50 हजार के बीच में एंट्री करें और अगले 3 महीने के लिए 52 हजार और फिर 53 हजार का टारगेट बनाएं. वहीं सिल्वर में 59 हजार से 60 हजार के बीच एंट्री करें और 3 महीने के लिए वहले 65 हजार और फिर 68 हजार का टारगेट रखें.
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