Trading और Investing में अंतर क्या है (Difference between Trading and Investing):-

Trading और Investment क्या हैं, दोनों में क्या अंतर है

जब भी नए लोग शेयर मार्केट में आते है। उसके मन में ये सवाल जरूर आता ही हैं। Trading और Investing क्या है इन दोनों में क्या अंतर होते हैं। ये सवाल मन में आना जायज भी हैं। जब तब नए लोगो को ये समझ नहीं आते उसे कैसे पता लगेगा उसका जोखिम क्षमता और लक्ष्य के हिसाब से, Trading और Investing में उसके लिए किया बेहतर होगा। आज हम जानेंगे Trading और Investing होता क्या है, दोनों में क्या अंतर हैं, Trading कितने तरह की होते हैं। साथ ही साथ जानेंगे कि ट्रेडिंग से हर रोज कमाई कर सकते है या नहीं।

Table of Contents

Trading क्या होता है:-

जब भी आप शेयर को खरीदते हो और उस दिन ही बेच देते हो। तब इसे Trading कहते हैं। मतलब आप Stock Trading में ज्यादा समय तक शेयर को अपने पास नहीं रख सकते हो। मान लीजिए आप एक शेयर खरीदा 200 रुपये में प्रॉफिट होने पर आपने उस दिन ही 220 रुपये में बेच दिया। इसी प्रोसेस को कहते है ट्रेडिंग। Trading करते वक्त Trader हमेशा Technical Analysis के साथ चलते हैं। जिससे उस कंपनी के शेयर प्राइस को कुछ समय आगे का शेयर प्राइस अंदाजा हो जाता हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कंपनी क्या काम करती है, भविष्य की योजना क्या हैं। सिर्फ ये देखा जाएगा शेयर प्राइस किस तरफ जा रही है। Trading करते समय न्यूज़ पर ध्यान देना बहुत जरुरी होता हैं. क्युकी कोई अच्छी खबर किसी भी शेयर को ऊपर ले जा सकती हैं। और बुरी खबर एकदम से नीचे भी ला सकती हैं।

Trading के प्रकार (Types of Trading):-

बहुत सारे Types of Trading होते है मुख्य रूप से 5 तरह का होता है। जिससे ट्रेडर ट्रेडिंग करके निवेश विश्लेषण क्या है पैसा कमाई कर सके।

Investing क्या होता है:-

जब कोई शेयर आज खरीद के बहुत साल बाद बेच देते है तब इसे Investing कहते हैं। इन्वेस्टिंग में आप बहुत लंबे समय के शेयर को अपने Demat Account में रखते हो। कंपनी के वित्तीय विवरण, पिछले प्रदर्शन, भविष्य में होने वाले ग्रोथ को देखते हुए ही किसी भी शेयर में इन्वेस्ट करता हैं। Investing में Fundamental Analysis करना बहुत जरुरी हैं। जिससे आपको कंपनी के बारे अच्छी नॉलेज होगा और भविष्य में अच्छा रितर्न कमाके देगा।

Trading और Investment क्या हैं, दोनों में क्या अंतर है

मुहूर्त ट्रेडिंग क्या है?

मुहूर्त ट्रेडिंग दीवाली के दिन एक घंटे के सेशन को दर्शाती है और इसे निवेश के लिए शुभ माना जाता है।इस बार यह 4 नवंबर 2021 को शाम 6:15 बजे से शाम 7:15 बजे तक है । ऐसा माना जाता है कि यदि आप इस समय के दौरान निवेश करते हैं, तो पूरे वर्ष धन के बढ़ने की संभावना अधिक होती है। अच्छा, क्या यह आपको दिलचस्प नहीं लगा? गौरतलब है कि यह केवल भारतीय शेयर बाजार के बारे में सच है।

अब जब आपको मुहूर्त ट्रेडिंग की बुनियादी समझ हो गई है, तो आइए निवेश के इस उपयोगी समय के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें।

मुहूर्त ट्रेडिंग भाग्यशाली क्यों है?

इस ट्रेडिंग सेशन को भाग्यशाली माना जाता है क्योंकि देश भर के निवेशक इस एक घंटे की अवधि में, दीवाली जैसे त्योहार के दौरान पैसा निवेश करने की आस्था से प्रेरित होते हैं। यह बहुत समय पहले हि एक परंपरा बन गई थी क्योंकि व्यापारी धन की देवी लक्ष्मी जी को अपनी शुभकामनाएं देकर एक नए सेशन की शुरुआत करते थे।

मुहूर्त ट्रेडिंग तब होती है जब लोग दीवाली के दिन सामूहिक सद्भावना साझा करने के लिए एक साथ आते हैं। शेयर बाजार में नए खिलाड़ी धमाकेदार निवेश विश्लेषण क्या है एंट्री करते हैं। हर निवेशक की निगाहें बाजार में होने वाले घटनाक्रम पर होती हैं, एक् उम्मीद में कि इस दौरान निवेश करने से उन्हें मुनाफा होगा। हालांकि, हमेशा की तरह, आपको निवेश करते समय सावधान रहना चाहिए। दीवाली के रुझानों का आँख बंद करके पालन करने के बजाय, जो कि केवल अटकलें हो सकती हैं, अपना शोध करना और उसके अनुसार निवेश करना सबसे बेहतर होता है।

मुहूर्त ट्रेडिंग में अपनी निवेश यात्रा कैसे शुरू करें?

आरंभ करने में आपकी सहायता करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

चरण 1: एक डीमैट खाता खोलें। यह आपके द्वारा खरीदे गए शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से संग्रहीत करता है।

चरण 2: अपने बैंक खाते से अपने डीमैट खाते में धनराशि जोड़ें।

चरण 3: जिन शेयरों में आप निवेश करना चाहते हैं, उन पर थोड़ा शोध करें। इसमें स्टॉक की अतीत की कीमतों को देखना, कंपनी के वित्तीय विवरणों का विश्लेषण करना, तुलना करना और बहुत कुछ शामिल होता है। इस तक आसान पहुंच के लिए, आप टिकरटेप पर जा सकते हैं। सुनिश्चित करें कि आप मजबूत फंडामेंटल वाले शेयरों को चुनें ताकि वे लंबे समय में बाजार में गिरावट का सामना कर सकें और अच्छा रिटर्न दे सकें।

चरण 4: अपने शोध के बाद, आप शेयरों में निवेश शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

मुहूर्त ट्रेडिंग से पहले कुछ् ध्यान रखने योग्य बातें

ट्रेडिंग से पहले कुछ पहलुओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए, जो इस प्रकार हैं:

  • सभी खुली पोजीशनें सेशन के अंत में सेटलमेंट ऑब्लिगेशन (Settlement Obligations) के रूप में होंगी।
  • मुहूर्त ट्रेडिंग सत्र के लिए, बाजार केवल एक घंटे के लिए खुला रहेगा।
  • इस सेशन के दौरान बाजार अस्थिर हो सकता है इसिलिये बाजार पर नजर रखें ताकि आप समझदारी से निर्णय ले सकें।
  • लंबी अवधि के लिए किसी शेयर में निवेश करने से पहले सुनिश्चित करें कि आप कंपनी के मूल निवेश विश्लेषण क्या है सिद्धांतों पर बरकरार हैं। पिछले मुहूर्त ट्रेडिंग सेशनों में यह देखा गया है कि सेशन के दौरान उत्साह के कारण अफवाहें तेजी से फैलती हैं।
  • यदि आप बाजार में उतार-चढ़ाव को भुनाने की योजना बना रहे हैं, तो ऐसे शेयरों का चयन करना सुनिश्चित करें, जिनमें ट्रेडिंग वॉल्यूम अच्छा हो।

मौलिक विश्लेषण क्या है (Fundamental Analysis kya hai ) – शेयर मार्केट में इसका महत्व

शेयर मार्केट के चर्चे आज हम हर जुबान पर सुन सकते है। जिस तरीके से शेयर मार्केट lockdown या कोरोना काल में जमीन को छूकर सातवे आसमान पर पहुँचा है। यह देखकर लोगो का इस फील्ड में रुझान बढ़ने लगा है। अब हर आदमी शेयर मार्केट को पैसा कमाने का जरिया बनाना चाहता है। लेकिन शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने से पहले हमें उसे पूरा समझ कर, विश्लेषण करके निवेश करना चाहिए।

अगर आप देखेंगे जिंदगी में कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले विश्लेषण करना जरूरी है। जैसे बच्चा कॉलेज जाने से पहले कोर्स और कॉलेज का विश्लेषण करता है। उसी प्रकार हमें भी शेयर मार्केट में पैसे डालने से पहले अच्छी तरह से विश्लेषण करना चाहिए ताकि हमारे पैसे सुरक्षित रहें। अधिकतर लोगों के शेयर मार्केट में पैसे इसलिए डूब जाते है क्योंकि वह बिना सोचे-समझे और विश्लेषण किये बिना ही या किसी ओर के सुझाव पर स्टॉक खरीदते हैं। इससे आप समझ ही गए होंगे कि Fundamental Meaning In Hindi Kya Hai.

टेक्निकल विश्लेषण

टेक्निकल विश्लेषण में हम यह देखते हैं कि कंपनी के शेयर्स में कितना उतार-चढ़ाव हो रहा है। पिछले निवेश विश्लेषण क्या है कई सालों में कंपनी के शेयर्स की क्या हालत है या हम यह भी देखते हैं कि वर्तमान समय में क्या निवेश विश्लेषण क्या है यह शेयर खरीदना ठीक रहेगा? इसमें चार्ट, ग्राफ और lines बनाकर हम कंपनी के शेयरों का विश्लेषण करते हैं। कई बार यह Fundamental Analysis For Small Investors के लिए किया जाता है या फिर उनके लिए किया जाता है जो थोड़े समय के लिए ही निवेश करना चाहते हैं। इसमें हमें कंपनी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिलती है और risk भी ज्यादा हो सकता है।

कोई भी निवेशक अधिक समय तक किसी स्टॉक में इन्वेस्ट करना चाहता है तो वह फंडामेंटल विश्लेषण जरूर करेगा। आमतौर पर फंडामेंटल विश्लेषण उन स्टॉक्स पर किया जाता है जिन्हें 1 साल या उससे अधिक समय तक पोर्टफोलियो में रखना है। फंडामेंटल विश्लेषण के द्वारा हम कंपनी के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। फंडामेंटल निवेश विश्लेषण क्या है विश्लेषण हमें कंपनी को बेहतर तरीके से समझने में मदद करता है। फंडामेंटल विश्लेषण के द्वारा शेयर मार्केट में निवेश करना सुरक्षित माना जाता है। कई बड़े निवेशक Fundamental Analysis ce investment करके पैसे कमाते हैं।

Fundamental Analysis Kaise Kare ??

फंडामेंटल विश्लेषण करना ज्यादा आसान भी नहीं है और ज्यादा मुश्किल भी नहीं है l

लेकिन इसे करने के लिए थोड़ी मेहनत जरूर लगती है। फंडामेंटल एनालिसिस में निम्न सवालों के जवाब ढूंढे जाते हैं। आइए जानते हैं Why We Use Fundamental Analysis

  • कंपनी कौन सा प्रोडक्ट बेच रही है या कौन सी सर्विस प्रोवाइड कर रही है?
  • क्या उसका प्रोडक्ट या उसकी सर्विस मार्केट में डिमांड में है? क्या आप कंपनी प्रॉफिट में है या फिर loss में चल रही है?
  • क्या कंपनी ने कोई कर्जा ले रखा है? अगर ले रखा है तो बड़ा है या छोटा?
  • कंपनी जिस सेक्टर से है क्या वह सेक्टर अच्छा रिटर्न देता है?
  • क्या कंपनी की मार्केट में अच्छी reputation है?

इन सब बातों का अच्छी तरीके से analysis करके हम उस कंपनी के shares को डिस्काउंट प्राइस में खरीद कर लंबे समय तक अपने पास रखते हैं। फिर हम उन शेयर्स को भविष्य में Premium प्राइस में बेच देते हैं। इससे हमें ज्यादा प्रॉफिट होता है।

Fundamental Analysis types

  1. गुणात्मक विश्लेषण (Qualitative analysis)

गुणात्मक विश्लेषण में हम कंपनी के बिजनेस मॉडल को पर रखते हैं l उनके प्रोडक्ट ओर सर्विस को अच्छी तरह से जाने की कोशिश करते हैं l कंपनी का मैनेजमेंट विश्लेषण के बारे में भी हम जानकारी प्राप्त करते हैं। इसके अलावा हम और भी कई गुणों (आर्थिक दृष्टि से) को परखते हैं।

  1. मात्रात्मक विश्लेषण (Quantitative analysis)

मात्रात्मक विश्लेषण में हम कंपनी में cash flow कैसे हो रहा है और sales growth कैसे चल रही है यह जानते हैं। इसमें हम कंपनी की बैलेंस sheet, प्रॉफिट और loss अकाउंट भी देखते हैं। इसी के साथ हम कंपनी आर्थिक दृष्टि से किस स्तर पर काम कर रही है यह जानने की कोशिश करते हैं।

फंडामेंटल विश्लेषण मैं हम यह भी देखते हैं कि global economy, local economy और sector growth आने वाले सालों में कैसी रहेगी। इसे हम top-down approach भी कह सकते है। इसमें हम कंपनी की आर्थिक स्थिति को ऊपर से नीचे तक पूरी तरीके से और अच्छे से स्कैन कर लेते हैं।

किसे कहते हैं आईपीओ, कैसे होता है निवेश, किन बातों का रखें का ध्‍यान, जानि‍ए यहां

किसे कहते हैं आईपीओ, कैसे होता है निवेश, किन बातों का रखें का ध्‍यान, जानि‍ए यहां

कोविड -19 महामारी के प्रभाव के बावजूद, ऐसा लगता है कि देश में इस साल रिकॉर्ड संख्या में आईपीओ आएंगे। (Photo By Financial Express Archive)

इस मानसून भारत में आईपीओ की बारिश हो रही है। पिछले सात महीनों में 40 आईपीओ पहले ही आ चुके हैं। वहीं कई आईपीओ कतार में लगे हुए हैं। जबकि पूरे 2020 में 33 और 2019 में 49 आईपीओ आए थे। कोविड -19 महामारी के प्रभाव के बावजूद, ऐसा लगता है कि देश में इस साल रिकॉर्ड संख्या में आईपीओ आएंगे। जिससे निवेशकों को भी कमाई करने का भरपूर मौका मिलेगा। पहले यह समझना काफी जरूरी है कि आख‍िर आईपीओ है क्‍या और यह काम कैसे करता है। साथ ही निवेशकों को आईपीओ में निवेश करने निवेश विश्लेषण क्या है से पहले किन बातों का ध्‍यान रखना काफी जरूरी है।

डेविड ईस्टन का निवेश निर्गत विश्लेषण

डेविड ईस्टन ने आधुनिक काल में इस पद्धति का प्रतिपादन किया, जो उनका महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। उन्होंने अपने निवेश निर्गत विश्लेषण में राजनीतिक व्यवस्था को उसके पर्यावरण के संदर्भ में देखने की कोशिश की है। उनका मानना है कि पर्यावरण से निवेश के रूप में मांगे उठती हैं और उन्हें व्यवस्था का समर्थन प्राप्त होता है। इस मांगों को राजनीतिक दल, दबाव समूह, समाचार पत्र व अन्य समुदाय आदि समर्थन देकर व्यवस्था में रूपांतरण के लिए प्रस्तुत करते हैं। इन मांगों के परिणामस्वरूप कुछ नये निर्णय लिए जाते हैं, पुराने निर्णयों में संशोधन किया जाता है, अथवा कुछ निर्णयों को स्थापित किया जाता है। इस प्रकार निर्णयों को लिया जाना तथा नीतियां निर्धारित करना ही निर्गत कहलाता है। यह कार्य रूपांतरण एक प्रक्रिया के माध्यम से होता है। ईस्टन का मत है कि सत्ताधारियों के निर्णय व नीतियां निर्गत रूप से पुनः पर्यावरण में प्रवेश कर जाते हैं और उसमें परिवर्तन करके पुनः समाज में नई मांगे निवेश के रूप में उठ खड़ी होती हैं। इस कार्य को ईस्टन ने फीडबैक या पुनर्निवेश की संज्ञा दी है। इस प्रकार निवेश रूपांतरण तथा निर्गत की यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। ईस्टन का मत है कि राजनीतिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए निवेश रूपांतरण और निर्गत की इस प्रक्रिया का सदा चलते रहना आवश्यक है। ईस्टन ने इसे एक चार्ट के माध्यम से समझाने की कोशिश की है जो इस प्रकार है।

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