डॉलर की जगह भारतीय रुपये में व्यापार करना चाहते हैं कई देश

भारत के रुपये में अंतरराष्ट्रीय कारोबार करने की प्रक्रिया यानी डॉलर और अन्य बड़ी मुद्राओं की जगह रुपया इस्तेमाल करने का तरीका अन्य कई देशों को भा रहा है. दुनिया के कई देशों ने इस संबंध में भारत से संपर्क किया है.

ताजिकिस्तान, क्यूबा, लग्जमबर्ग और सूडान समेत कई देशों ने भारत से यह जानने के लिए बातचीत शुरू की है कि वह डॉलर या दूसरी बड़ी मुद्राओं को छोड़ भारतीय करंसी में अंतरराष्ट्रीय लेनदेन कैसे कर रहा है. समाचार एजेंस रॉयटर्स ने कम से कम दो आधिकारिक सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है. जब यूक्रेन युद्ध शुरू होने पर रूस पर वित्तीय प्रतिबंध लगे थे, तब रूस और भारत ने इस प्रक्रिया से ही कारोबार शुरू किया था.

भारतीय रिजर्व बैंक ने जुलाई में यह प्रक्रिया शुरू की थी. उद्योग जगत की एक हस्ती के हवाले से रॉयटर्स ने लिखा है कि अब भारत सरकार ऐसे देशों को भी इस प्रक्रिया के तहत लाने की कोशिश कर रही है जिनके पास डॉलर यानी अमेरिकी मुद्रा की कमी है. इस व्यक्ति ने अपना नाम प्रकाशित ना करने के आग्रह पर यह सूचना दी क्योंकि मामला अभी गोपनीय है. भारतीय वित्त मंत्रालय और आरबीआई ने इस संबंध में पूछे गए सवालों के जवाब नहीं दिए.

रॉयटर्स के देखे दस्तावेजों के मुताबिक कम से कम चार देशों ने भारत में रुपये में खाता खोलने में दिलचस्पी दिखाई है. इन खातों को वोस्तरो व्यापार सत्रों के बारे में जानकारी अकाउंट कहा जाता है. हालांकि भारत के बैंकों ने अभी उन देशों को ये सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई हैं. इन खातों को खोलने के लिए रिजर्व बैंक से इजाजत लेनी होती है.

कई और देश इच्छुक

मॉरिशस और श्रीलंका ने भी इस प्रक्रिया में दिलचस्पी दिखाई है. उनके वोस्तरो खातों को तो रिजर्व बैंक ने मंजूरी भी दे दी है. दस्तावेजों के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक ने 12 वोस्तरो खाते मंजूर किए हैं, जो रूस के साथ रुपये में कारोबार के लिए खोले गये हैं. छह अन्य खाते श्रीलंका और मॉरिशस के लिए हैं. इनमें से श्रीलंका के लिए पांच खाते हैं.

भारत कई अन्य बड़े व्यापारिक साझीदारों के साथ भी डॉलर की जगह रुपये में व्यापार करने की कोशिश कर रहा है. इनमें सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश शामिल हैं जिनसे भारत बड़ी मात्रा में तेल आयात करता है. एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक यूएई और भारत के केंद्रीय बैंक रुपया-दिरहम व्यापार व्यवस्था के लिए प्रक्रिया स्थापित करने पर बातचीत कर रहे हैं. सऊदी अरब के साथ रुपया-रियाल व्यापार प्रक्रिया की भी तैयारी की जा रही है.

अधिकारी के मुताबिक यूएई और सऊदी अरब अपने निर्यात से मिलने वाले भारतीय रुपये को भारत में ही निवेश करने के तरीकों पर भी बातचीत कर रहे हैं. इस अधिकारी ने कहा, "हमने अतिरिक्त रुपयों को भारतीय बाजारों में निवेश करने का विकल्प पेश किया है.”

कैसे काम करती है व्यवस्था

इसी साल भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय मुद्रा में उपलब्ध किसी भी संपत्ति को सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने की इजाजत दे दी थी. आरबीआई ने मार्च में ही भारतीय व्यापारियों को रूस के साथ रुपये में कारोबार करने की इजाजत दे दी थी. भारतीय मुद्रा में अंतरराष्ट्रीय व्यापार करने से भारत को अपना निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी और वह उन देशों के साथ भी व्यापार कर सकता है जिन पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रतिबंध लगे हैं. मसलन, रूस से तेल खरीदने के लिए भारतीय व्यापारियों ने रुपये में भुगतान किया. इससे भारत कम दाम में तेल खरीद पाया.

इस व्यवस्था के तहत व्यापार सत्रों के बारे में जानकारी व्यापार सत्रों के बारे में जानकारी आयात और निर्यात करने वाले व्यापारी एक विशेष वोस्तरो खाता खोलते हैं, जो साझीदार देश के किसी बैंक के साथ जुड़ा होता है. वोस्तरो खाता साझीदार देश का बैंक भारत में किसी बैंक में खोलता है. व्यापारी को जितना भुगतान करना होता है, वह इस खाते में रुपयों में जमा कर देता है. उस रुपये को साझीदार देश किसी से भी रुपये में कारोबार करने में इस्तेमाल कर सकता है.

भारत को व्यापार छूट खत्म करने पर विचार कर रहा अमेरिका

भारत अमेरिका से मिलने वाली अहम व्यापार छूट से वंचित हो सकता है। अमेरिका इस संबंध में विचार कर रहा है। मामले से परिचित सूत्रों ने यह जानकारी दी है। सूत्रों के अनुसार, अमेरिका से मिली व्यापार.

भारत को व्यापार छूट खत्म करने पर विचार कर रहा अमेरिका

भारत अमेरिका से मिलने वाली अहम व्यापार छूट से वंचित हो सकता है। अमेरिका इस संबंध में विचार कर रहा है। मामले से परिचित सूत्रों ने यह जानकारी दी है।

सूत्रों के अनुसार, अमेरिका से मिली व्यापार छूट के तहत भारत को करीब 5.6 अरब डॉलर के निर्यात पर शून्य सीमा शुल्क देना पड़ता है। भारत को यह सुविधा 1970 के दशक से लागू वरीयताओं की सामान्यीकृत प्रणाली (जीएसपी) के तहत मिली है। लेकिन व्यापार और निवेश नीतियों पर विवाद के बीच इस प्रणाली को वापस लेने का कदम, अमेरिका की ओर से भारत के खिलाफ सबसे सख्त कार्रवाई होगी। अमेरिका में सत्ता संभालने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वह बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा कम करने के लिए कदम उठाएंगे।

सूत्रों ने कहा कि ट्रंप बार-बार भारत को उच्च व्यापार शुल्क खत्म करने के लिए कह चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को विनिर्माण हब में बदलने और कार्यबल में शामिल होने को तैयार लाखों युवाओं को रोजगार देने के लिए अपने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के हिस्से के रूप में विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया है। जबकि ट्रंप अपने ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ अभियान के हिस्से के रूप में अमेरिकी विनिर्माणों को घर लौटने के लिए कहते रहे हैं।

व्यापार संबंधों में नवीनतम गिरावट ई-कॉमर्स पर भारत के नए नियमों से आई। ये नियम उन तरीकों को नियंत्रित करते हैं जिनके जरिये अमेजन डॉट कॉम कंपनी और वॉलमार्ट समर्थित फ्लिपकार्ट तेजी से बढ़ते ऑनलाइन बाजार में 2027 तक 200 अरब डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कारोबार करती हैं।

अमेरिका यह कदम उठाने पर ऐसे समय विचार कर रहा है, जब भारत ने मास्टर कार्ड और वीजा जैसी वैश्विक कार्ड भुगतान कंपनियों को उनका डाटा भारत में ही रखने को कहा है। साथ ही स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाने की बात कही है।

व्यापार सत्रों के बारे में जानकारी

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यूएनडब्ल्यूटीओ में भागीदारी

संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष बहुपक्षीय एजेंसी के रूप में, विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) पर्यटन के क्षेत्र में बहुपक्षीय अंतर्राष्ट्रीय निकाय है, जो पर्यटन नीति के मुद्दों के लिए एक वैश्विक मंच और पर्यटन के बारे में जानकारी का एक स्रोत है। जबकि मुख्य रूप से 150 से अधिक सदस्य देशों के साथ एक अंतर सरकारी संगठन, यह संबद्ध सदस्यों के रूप में भाग लेने के लिए निजी क्षेत्र, शैक्षणिक संस्थानों, पर्यटन संघों और स्थानीय पर्यटन प्राधिकरणों का भी स्वागत करता व्यापार सत्रों के बारे में जानकारी है। भारत ने 6 से 8 जून, 2010 तक प्यूर्टो इगाज़ु, अर्जेंटीना में यूएनडब्ल्यूटीओ की कार्यकारी परिषद की बैठक के 88 वें सत्र में भाग लिया और 24-26 अक्टूबर 2010 से ईरान के किश द्वीप में कार्यकारी परिषद की बैठक के 89 वें सत्र में भारत का चयन किया गया। अक्टूबर 2009 में कजाकिस्तान के अस्ताना में महासभा सत्र के दौरान यूएनडब्ल्यूटीओ की कार्यकारी परिषद। कार्यकारी परिषद यूएनडब्ल्यूटीओ का शासी निकाय है, जो यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है कि संगठन कार्य करता है और अपने बजट का पालन करता है। भारत पिछले 19 वर्षों से लगातार यूएनडब्ल्यूटीओ की कार्यकारी परिषद का सदस्य है; इस अवधि के दौरान, भारत को दो बार कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष के लिए चुना गया है।

Britain: भारत-UK के बीच FTA को मार्च 2023 तक अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद, पाकिस्तान के लिए भी आई राहत भरी खबर

सूत्रों के मुताबिक, एफटीए पर चर्चा मंत्री स्तर पर होगी या सचिव व्यापार सत्रों के बारे में जानकारी स्तर पर, यह जल्द ही तय हो जाएगा। भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए को मार्च 2023 तक अंतिम रूप दिए जाने व्यापार सत्रों के बारे में जानकारी की उम्मीद है।

ऋषि सुनक और नरेंद्र मोदी

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को मार्च 2023 तक अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी।

दोनों देशों की बीत मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता अक्तूबर तक पूरी होनी थी, लेकिन किसी तरह देरी हो गई। भारत और ब्रिटेन के बीच एक व्यापार समझौता है, जिसके तहत 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना है।

ये चर्चा मंत्री स्तर पर होगी या सचिव स्तर पर, यह जल्द ही तय हो जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, भारत और व्यापार सत्रों के बारे में जानकारी ब्रिटेन के बीच एफटीए को मार्च 2023 तक अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।

हाल ही में वेस्ट मिडसलैंड्स के मेयर एंटी स्ट्रीट ने कहा कि भारत को मोटर वाहन उद्योग जैसे क्षेत्रों को लाभ पहुंचाने के लिए विनिर्मित वस्तुओं पर शुल्क कम करने को प्राथमिकता देनी चाहिए। एंडी स्ट्रीट सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्य हैं।

सूत्रों के मुताबिक, व्यापार सौदे के 26 अध्यायों (चैप्टर्स) में से 14 को अंतिम रूप दे दिया गया है और आने वाले दिनों में ब्रिटेन के प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य बाकी अध्यायों के बारीक पहलुओं पर सहमत होना है।

पिछले महीने भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बने हैं। उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी के साथ एक फोन कॉल के दौरान एफटीए को अंतिम रूप देने की आशा व्यक्त की थी।

ब्रिटेन ने पाकिस्तान को अधिक जोखिम वाले देशों की सूची से हटाया
इस बीच, ब्रिटेन की सरकार ने पाकिस्तान को अधिक जोखिम वाले देशों की अपनी सूची से हटा दिया है। इस सूची में अब ईरान, म्यांमार और सीरिया सहित 26 देश रह गए हैं। ब्रिटेन की संसद ने सोमवार को सूची में एक संशोधन करते हुए निकारागुआ को भी इससे हटा दिया।

इस सूची में उन देशों को रखा जाता है जिन्होंने धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण को नियंत्रित करने के लिए संतोषजनक कदम नहीं उठाए हैं।

विस्तार

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को मार्च 2023 तक अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी।

दोनों देशों की बीत मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता अक्तूबर तक पूरी होनी थी, लेकिन किसी तरह देरी हो गई। भारत और ब्रिटेन के बीच एक व्यापार समझौता है, जिसके तहत 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना है।

ये चर्चा मंत्री स्तर पर होगी या सचिव स्तर पर, यह जल्द ही तय हो जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए को मार्च 2023 तक अंतिम रूप दिए व्यापार सत्रों के बारे में जानकारी जाने की उम्मीद है।

हाल ही में वेस्ट मिडसलैंड्स के मेयर एंटी स्ट्रीट ने कहा कि भारत को मोटर वाहन उद्योग जैसे क्षेत्रों को लाभ पहुंचाने के लिए विनिर्मित वस्तुओं पर शुल्क कम करने को प्राथमिकता देनी चाहिए। एंडी स्ट्रीट सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्य हैं।

सूत्रों के मुताबिक, व्यापार सौदे के 26 अध्यायों (चैप्टर्स) में से 14 को अंतिम रूप दे दिया गया है और आने वाले दिनों में ब्रिटेन के प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य बाकी अध्यायों के बारीक पहलुओं पर सहमत होना है।

पिछले महीने भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बने हैं। उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी के साथ एक फोन कॉल के दौरान एफटीए को अंतिम रूप देने की आशा व्यक्त की थी।

ब्रिटेन ने पाकिस्तान को अधिक जोखिम वाले देशों की सूची से हटाया
इस बीच, ब्रिटेन की व्यापार सत्रों के बारे में जानकारी सरकार ने पाकिस्तान को अधिक जोखिम वाले देशों की अपनी सूची से हटा दिया है। इस सूची में अब ईरान, म्यांमार और सीरिया सहित 26 देश रह गए हैं। ब्रिटेन की संसद ने सोमवार को सूची में एक संशोधन करते हुए निकारागुआ को भी इससे हटा दिया।

इस सूची में उन देशों को रखा जाता है जिन्होंने धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण को नियंत्रित करने के लिए संतोषजनक कदम नहीं उठाए हैं।

भारत को व्यापार छूट खत्म करने पर विचार कर रहा अमेरिका

भारत अमेरिका से मिलने वाली अहम व्यापार छूट से वंचित हो सकता है। अमेरिका इस संबंध में विचार कर रहा है। मामले से परिचित सूत्रों ने यह जानकारी दी है। व्यापार सत्रों के बारे में जानकारी सूत्रों के अनुसार, अमेरिका से मिली व्यापार.

भारत को व्यापार छूट खत्म करने पर विचार कर रहा अमेरिका

भारत अमेरिका से मिलने वाली अहम व्यापार छूट से वंचित हो सकता है। अमेरिका इस संबंध में विचार कर रहा है। मामले से परिचित सूत्रों ने यह जानकारी दी है।

सूत्रों के अनुसार, अमेरिका से मिली व्यापार छूट के तहत भारत को करीब 5.6 अरब डॉलर के निर्यात पर शून्य सीमा शुल्क देना पड़ता है। भारत को यह सुविधा 1970 के दशक से लागू वरीयताओं की सामान्यीकृत प्रणाली (जीएसपी) के तहत मिली है। लेकिन व्यापार और निवेश नीतियों पर विवाद के बीच इस प्रणाली को वापस लेने का कदम, अमेरिका की ओर से भारत के खिलाफ सबसे सख्त कार्रवाई होगी। अमेरिका में सत्ता संभालने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वह बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा कम करने के लिए कदम उठाएंगे।

सूत्रों ने कहा कि ट्रंप बार-बार भारत को उच्च व्यापार शुल्क खत्म करने के लिए कह चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को विनिर्माण हब में बदलने और कार्यबल में शामिल होने को तैयार लाखों युवाओं को रोजगार देने के लिए अपने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के हिस्से के रूप में विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया है। जबकि ट्रंप अपने ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ अभियान के हिस्से के रूप में अमेरिकी विनिर्माणों को घर लौटने के लिए कहते रहे हैं।

व्यापार संबंधों में नवीनतम गिरावट ई-कॉमर्स पर भारत के नए नियमों से आई। ये नियम उन तरीकों को नियंत्रित करते हैं जिनके जरिये अमेजन डॉट कॉम कंपनी और वॉलमार्ट समर्थित फ्लिपकार्ट तेजी से बढ़ते ऑनलाइन बाजार में 2027 तक 200 अरब डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कारोबार करती हैं।

अमेरिका यह कदम उठाने पर ऐसे समय विचार कर रहा है, जब भारत ने मास्टर कार्ड और वीजा जैसी वैश्विक कार्ड भुगतान कंपनियों को उनका डाटा भारत में ही रखने को कहा है। साथ ही स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाने की बात कही है।

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