पिछले साल 15 नवंबर तक उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर तैयार रिपोर्ट में कहा गया कि सूची में एक साल के अंदर कुछ देशों का स्थान बदला है।

Global Hunger Index, ग्लोबल हंगर इंडेक्स क्या है, और भारत की रैंकिंग कितनी है

अल्प पोषण या कुपोषित की व्यापकता जो कि आहार ऊर्जा सेवन की पुरानी कमी का सामना करने वाले पापुलेशन के अनुपात का एक उपाय है। देश में 2018 से 2022 में 14.6% से बढ़कर 2019- 2021 में 16.3 परसेंट हो गई थी। इसके बाद 224.3 मिलियन लोगों को भारत में कुपोषित माना गया है।

Global Hunger Index : ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट जारी की है, जिसने भारत की चिंता बढ़ा दी है। 121 देशों के लिस्ट में भारत को 107 वां स्थान मिला है। भारत युद्ध ग्रस्त अफगानिस्तान के अलावा दक्षिण एशिया के लगभग सभी देशों से इस लिस्ट में पीछे हैं। ग्लोबल हंगर इंडेक्स यानी जीएचआई वैश्विक क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भूख को व्यापक रूप से मापने और ट्रैक करने का एक उपकरण है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स सेकोर की गणना 100 अंकों के आधार पर की जाती है, जो कि भूख की गंभीरता को दर्शाता है।

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इन अंको में 0 या जीरो सबसे अच्छा स्कोर है और सबसे खराब 100 से है। भारत का स्कोर 29.1 है जो कि इसे गंभीर श्रेणी में रखता है, पड़ोसी मुल्कों और भारत की तुलना ग्लोबल इंडेक्स रिपोर्ट में अगर पड़ोसी देशों की बात करें तो लगभग सभी देश भारत से भूख के मामले में बेहतर है। श्रीलंका को 74 वें स्थान पर है जहां की आर्थिक स्थिति अभी बहुत खराब है। नेपाल को 81 वां स्थान और पाकिस्तान को 99वें स्थान मिला है। अफगानिस्तान 109 पर है वही भारत 107 पर है अफगानिस्तान की स्थिति दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? भारत से भी बदतर है। इसके अलावा चीन सामूहिक रूप से 1 और 17 के बीच रैंक वाले देश में से एक है। इस ग्लोबल हंगर इंडेक्स रेट में चीन 5 से भी कम है। अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here

भारत में कुपोषित लोगों की संख्या क्या है


अल्प पोषण या कुपोषित की व्यापकता जो कि आहार ऊर्जा सेवन की पुरानी कमी का सामना करने वाले पापुलेशन के अनुपात का एक उपाय है।

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देश में 2018 से 2022 में 14.6% से बढ़कर 2019- 2021 में 16.3 परसेंट हो गई दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? थी। इसके बाद 224.3 मिलियन लोगों को भारत में कुपोषित माना गया है। वहीं विश्व स्तर पर कुपोषित लोगों की कुल संख्या 828 मिलयन बताई गई है। Free Daily Current Affair Quiz-Attempt Now with exciting prize

देश का यह शहर रहने के लिए सबसे अच्छा, दिल्ली टॉप-50 में भी नहीं, जानिये अपने शहर का स्थान

देश का यह शहर रहने के लिए सबसे अच्छा, दिल्ली टॉप-50 में भी नहीं, जानिये अपने शहर का स्थान

महाराष्ट्र का पुणे शहर जीवन सुगमता सूचकांक में पहले स्थान पर.

खास बातें

  • शहरी विकास मंत्रालय ने जारी की सूची
  • इस लिस्ट में महाराष्ट्र का पुणे पहले नंबर पर
  • दिल्ली को इस सूची में मिला 65वां स्थान

शहरी क्षेत्रों में सुगमतापूर्ण जीवन की दशा से जुड़े 'जीवन सुगमता सूचकांक' के विभिन्न मानकों में किसी भी दशा में दिल्ली टॉप-10 शहरों की फेहरिस्त में शामिल नहीं हो पाई. आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय द्वारा जारी इस सूचकांक में देश के चारों महानगरों में सिर्फ मुंबई इन मानकों पर खरी उतर सकी है. आवास एवं शहरी मामलों के राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सूचकांक जारी करते हुए बताया कि इसमें पुणे अव्वल रहा है. नवी मुंबई को दूसरा तथा ग्रेटर मुंबई को तीसरा स्थान मिला है. अन्य प्रमुख महानगरों में चेन्नई को 14वां स्थान और दिल्ली को 65वां स्थान प्राप्त हुआ है. कोलकाता ने इसमें हिस्सा नहीं लिया.

आवास एवं शहरी मामलों के राज्यमंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि जीवन सुगमता सूचकांक चार मानदंडों-शासन, सामाजिक संस्थाओं, आर्थिक एवं भौतिक अवसंरचना श्रेणियों में कुल 20 मानकों पर आधारित है. सूचकांक के अन्य मानकों प्रशासनिक सहूलियतें, आधारभूत ढांचागत सुविधायें, सामाजिक एवं आर्थिक सुविधाओं के मामले में भी नई दिल्ली शीर्ष दस शहरों की सूची में जगह नहीं बना पाई है.

मानव विकास सूचकांक में नहीं सुधरी भारत की स्थिति, 135वें पायदान पर

भारत 2013 में मानव विकास सूचकांक में उससे पिछले साल की ही तरह 135वें स्थान पर बना रहा जो इस बात का संकेत है कि देश को अपनी जनता के स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य नागरिक सुविधाओं में सुधार के साथ उनके जीवनस्तर को ऊपर उठाने की दिशा में अभी लम्बा सफर तय करना है।

मानव विकास सूचकांक में नहीं सुधरी भारत की स्थिति, 135वें पायदान पर

नई दिल्ली : भारत 2013 में मानव विकास सूचकांक में उससे पिछले साल की ही तरह 135वें स्थान पर बना रहा जो इस बात का संकेत है कि देश को अपनी जनता के स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य नागरिक सुविधाओं में सुधार के साथ उनके जीवनस्तर को ऊपर उठाने की दिशा में अभी लम्बा सफर तय करना है।

ढाका, कराची और लाहौर में लोगों का दम घुट रहा, लंबे समय से दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर बने हुए हैं

सर्दी के साथ ही वायु प्रदूषण(air pollution) की समस्या बढ़ जाती है। हम सिर्फ दिल्ली को लेकर ही अधिक खबरें पढ़ते हैं, लेकिन ये कुछ भी नहीं है। दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश के तीन शहरों का AQI दिल्ली से भी खराब स्थिति में हैं।

Dhaka Karachi and Lahore are the three most polluted cities in the world kpa

वर्ल्ड न्यूज. सर्दी के साथ ही वायु प्रदूषण(air pollution) की समस्या बढ़ जाती है। हम दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? सिर्फ दिल्ली को लेकर ही अधिक खबरें पढ़ते हैं, लेकिन ये कुछ दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है? भी नहीं है। हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश के शहरों का इससे भी बुरा हाल है। तमाम सख्ती के बावजूद वायु गुणवत्ता यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स(AQI) अभी भी बहुत खराब कैटेगरी में बना हुआ है। पढ़िए ताजा मामला.

यूपी को सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए दोगुनी करनी होगी कृषि विकास दर : योगी

शेयर बाजार 23 घंटे पहले (23 दिसम्बर 2022 ,17:15)

यूपी को सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए दोगुनी करनी होगी कृषि विकास दर : योगी

यूपी को सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए दोगुनी करनी होगी कृषि विकास दर : योगी

लखनऊ, 23 दिसम्बर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमें उत्तर प्रदेश को देश की अर्थव्यवस्था के ग्रोथ इंजन के रूप में आगे बढ़ाना है तो हमें कृषि विकास की दर को वर्तमान दर से दोगुना करना होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में किसान सम्मान दिवस के अवसर पर एफपीओ के उत्पादों की प्रदर्शनी का शुभारंभ एवं कृषकों, कृषि उद्यमियों व कृषि वैज्ञानिकों को सम्मानित एवं पुरस्कृत करते हुए कहीं। किसान सम्मान दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और किसान नेता चौधरी चरण सिंह को श्रद्धांजलि भी अर्पित की। कहा कि उत्तर प्रदेश में इसकी क्षमता है। देश की आबादी का 16 प्रतिशत हिस्सा प्रदेश में है तो 11 प्रतिशत कृषि भूमि है। यह देश में सबसे उर्वरा भूमि है। सबसे अच्छा जल संसाधन भी हमारे पास है। पूरे देश के कुल खाद्यान्न का 20 फीसदी उत्तर प्रदेश से आता है। अगर हम अपने संसाधनों का सही नियोजन कर लें तो हम इसे और आगे बढ़ा सकते हैं। इसमें कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की भूमिका अहम होगी।

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