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Jaipur Times Dec 25, 2022 0 4
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अंतरराष्ट्रीय
बिज़नेस
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क्रिप्टोकरेंसी में निवेश पर रोक: विदेश में धन भेजकर वर्चुअल करेंसी में नहीं कर सकते हैं निवेश, ICICI बैंक का फैसला
ICICI बैंक ने अपने ग्राहकों से कहा है कि जब भी वे विदेश में पैसा भेजेंगे तो उन्हें यह बताना होगा कि वे इसका निवेश क्रिप्टो में नहीं करेंगे। इसके लिए बैंक ने अपने 'रिटेल आउटवर्ड्स रेमिटेंस एप्लीकेशन फॉर्म' में बदलाव किया है। इसके मुताबिक, ग्राहकों को आउटवर्ड्स रेमिटेंस आवेदन पत्र देना होगा। इसे ग्राहकों को आरबीआई लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के तहत विदेशों में स्टॉक और संपत्तियों को खरीदने के लिए पैसा ट्रांसफर के लिए हस्ताक्षर करने होंगे। एलआरएस डिक्लरेशन क्रिप्टोटोकरेंसी में डायरेक्ट निवेश तक ही सीमित नहीं है।
ग्राहकों को बैंक की बातों से सहमत होना होगा
ग्राहकों को इस बात से भी सहमत होना होगा कि एलआरएस रेमिटेंस को बिटकॉइन में काम करने वाली कंपनी के म्यूचुअल फंड या शेयर या किसी अन्य संसाधनों की इकाइयों में निवेश नहीं किया जाएगा। क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए ज्यादातर बैंकिंग सेवाएं बंद करने के बाद ICICI बैंक ने अब अपने ग्राहकों से कहा है कि वे क्रिप्टो से जुड़े निवेश के लिए रिजर्व बैंक की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) का इस्तेमाल न करें।
बैक ने फॉर्म में किया फेरबदल
फेमा के तहत घोषणा के हिस्से के रूप में, बैंक ने अपने रिटेल आउटवर्ड्स रेमिटेंस एप्लिकेशन फॉर्म में फेरबदल किया है। यहां ग्राहकों को यह घोषणा करनी होगी कि प्रस्तावित निवेशों का उपयोग क्रिप्टो असेट्स की खरीद के लिए नहीं किया जाएगा। डिक्लेरेशन में कहा गया है कि ऊपर बताए गए रेमिटेंस बिटकॉइन/ क्रिप्टोकरेंसी, वर्चुअल करेंसी (जैसे एथोरम, रिपल, लाइटकॉइन, डैश,पीयरकॉइन, डोगेकॉइन, प्राइमकॉइन, चाइनाकॉइन, वेन, बिटकॉइन या किसी अन्य वर्चुअल करेंसी, क्रिप्टोकरेंसी, बिटकॉइन) के निवेश या खरीद के लिए नहीं है।
बैंक ने ग्राहकों के लिए शर्त डाल दी है
एलआरएस का लाभ उठाने के लिए ICICI बैंक के ग्राहकों को इन सभी शर्तों से सहमत होना होगा। एलआरएस क्रिप्टो निवेश के लिए एक प्रमुख साधन रहा है। एक क्रिप्टो एक्सचेंज के संस्थापक ने बताया कि ICICI बैंक की इस तरह की घोषणा के बाद अन्य प्रमुख बैंक भी क्रिप्टो निवेश के लिए एलआरएस दरवाजे बंद कर देंगे। यह भारतीय क्रिप्टो बाजार के ट्रांजेक्शन को प्रभावित करेगा।
2004 में रिजर्व बैंक ने पेश किया था एलआरएस
एलआरएस को 4 फरवरी, 2004 को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के कानूनी ढांचे के तहत पेश किया गया था। लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत, अधिकृत डीलर किसी भी अकाउंट या लेनदेन या दोनों के लिए एक वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) तक रेजिडेंट द्वारा स्वतंत्र रूप से रेमिटेंस की अनुमति दे सकते हैं। यह योजना कॉर्पोरेट, पार्टनरशिप फर्मों, ट्रस्ट आदि के लिए उपलब्ध नहीं है।
लोग क्रिप्टो में पैसा लगाने की कोशिश कर रहे हैं
बहुत सारे लोग क्रिप्टो में अपना पैसा लगाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि ज्यादातर लोगों को यकीन नहीं हो रहा है कि इसको लेकर भारत में क्या होने वाला है। इसलिए वे क्रिप्टो में निवेश करने और इसे देश के बाहर भेजने के लिए एलआरएस का उपयोग करना पसंद कर रहे हैं। क्योंकि भारत सरकार ने विभिन्न कारणों से इसे यहां अनुमति नहीं दी है।
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प्राकृतिक खेती से भूमि और लोगों के स्वास्थ्य को होगा लाभ, किसानों को करें जागरूक : डीसी
Ramgarh : प्राकृतिक खेती एवं इसके विस्तार विषय पर शनिवार को रामगढ़ डीसी माधवी मिश्रा की अध्यक्षता में समाहरणालय सभाकक्ष में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला की शुरुआत डीसी माधवी मिश्रा, उप विकास आयुक्त (डीडीसी) रामगढ़ नागेंद्र कुमार सिंह एवं उपस्थित अधिकारियों ने दीप जलाकर की.
कार्यशाला में प्रभारी कृषि विज्ञान केंद्र, मांडू, रामगढ़ डॉ. दुष्यंत कुमार राघव ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा झारखंड के कुल 12 जिलों का चयन प्राकृतिक कृषि एवं इसके विस्तार के लिए किया गया बिटकॉइन के लाभ और उपयोग है. साथ ही उन्होंने पीपीटी के माध्यम से सभी को प्राकृतिक खेती के तकनीक एवं फायदों के बारे में बताया.
कार्यशाला के दौरान डीसी माधवी मिश्रा ने सभी संबंधित अधिकारियों, नाबार्ड, एफपीओ आदि से कहा कि जिस उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती के लिए रामगढ़ जिले का चयन किया गया है. उनको सफल बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने की अपील की. साथ ही उन्होंने सभी किसानों तक प्राकृतिक खेती की जानकारी पहुंचाने एवं उन्हें इसके इस्तेमाल के प्रति जागरूक करने की अपील की. डीसी ने कहा कि प्राकृतिक खेती ना केवल किसानों के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से लाभकारी है, बल्कि जो भी फसल प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाई जाएंगी, वह लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होगी. मौके पर डीसी ने सभी से किसानों को अन्य फसलों के साथ-साथ शकरकंद, मडुवा, मूंगफली आदि की भी खेती कर रामगढ़ जिले को कृषि के क्षेत्र में अग्रणी जिला बनाने की अपील की.
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कृषि की प्राचीन पद्धति है प्राकृतिक खेती : डॉ. राघव
कार्यशाला के दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. राघव ने बताया कि प्राकृतिक खेती कृषि की प्राचीन पद्धति है. यह भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखती है. प्राकृतिक खेती में रासायनिक कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता है. इस प्रकार की खेती में जो तत्व प्रकृति में पाए जाते हैं, उन्हीं को खेती में पोषक तत्व के रूप में कार्य में लिया जाता है. प्राकृतिक खेती में पोषक तत्वों के रूप में गोबर खाद, कंपोस्ट, जीवाणु खाद्य, फसल अवशेष और प्रकृति में उपलब्ध खनिज जैसे रॉक फास्फेट, जिप्सम आदि द्वारा पौधों को पोषक तत्व दिए जाते हैं. प्राकृतिक खेती में प्रकृति में उपलब्ध जीवाणुओं, मित्र कीट और जीवन कीटनाशक द्वारा फसल को हानिकारक जीवाणुओं से बचाया जाता है.
कार्यशाला के दौरान उन्होंने विशेष रूप से प्राकृतिक खेती की आवश्यकता, प्राकृतिक खेती के लाभ, प्राकृतिक खेती के महत्व, जैविक कृषि व प्राकृतिक कृषि में अंतर, प्रकृति में स्वत: उपलब्ध प्राकृतिक संसाधन, प्राकृतिक कृषि के मुख्य आधार, वर्तमान कृषि पद्धति में प्राकृतिक संसाधनों की स्थिति, प्राकृतिक खेती के मुख्य घटक, प्राकृतिक खेती में फसल सुरक्षा के उपाय, प्राकृतिक खेती में चुनौतियों सहित इससे संबंधित अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से जानकारी दी.
प्राकृतिक खेती से भूमि और लोगों के बिटकॉइन के लाभ और उपयोग स्वास्थ्य को होगा लाभ, किसानों को करें जागरूक : डीसी
Ramgarh : प्राकृतिक खेती एवं इसके विस्तार विषय पर शनिवार को रामगढ़ डीसी माधवी मिश्रा की अध्यक्षता में समाहरणालय सभाकक्ष में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला की शुरुआत डीसी माधवी मिश्रा, उप विकास आयुक्त (डीडीसी) रामगढ़ नागेंद्र कुमार सिंह एवं उपस्थित अधिकारियों ने दीप जलाकर की.
कार्यशाला में प्रभारी कृषि विज्ञान केंद्र, मांडू, रामगढ़ डॉ. दुष्यंत कुमार राघव ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा झारखंड के कुल 12 जिलों का चयन प्राकृतिक कृषि एवं इसके विस्तार के लिए किया गया है. साथ ही उन्होंने पीपीटी के माध्यम से सभी को प्राकृतिक खेती के तकनीक एवं फायदों के बारे में बताया.
कार्यशाला के दौरान डीसी माधवी मिश्रा ने सभी संबंधित अधिकारियों, नाबार्ड, एफपीओ आदि से कहा कि जिस उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती के लिए रामगढ़ जिले का चयन किया गया है. उनको सफल बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने की अपील की. साथ ही उन्होंने सभी किसानों तक प्राकृतिक खेती की जानकारी पहुंचाने एवं उन्हें इसके इस्तेमाल के प्रति जागरूक करने की अपील की. डीसी ने कहा कि प्राकृतिक खेती ना केवल किसानों के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से लाभकारी है, बल्कि जो भी फसल प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाई जाएंगी, वह लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होगी. मौके पर डीसी ने सभी से किसानों को अन्य फसलों के साथ-साथ शकरकंद, मडुवा, मूंगफली आदि की भी खेती कर रामगढ़ जिले को कृषि के क्षेत्र में अग्रणी जिला बनाने की अपील की.
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कृषि की प्राचीन पद्धति है प्राकृतिक खेती : डॉ. राघव
कार्यशाला के दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. राघव ने बताया कि प्राकृतिक खेती कृषि की प्राचीन पद्धति है. यह भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखती है. प्राकृतिक खेती में रासायनिक कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता है. इस प्रकार की खेती में जो तत्व प्रकृति में पाए जाते हैं, उन्हीं को खेती में पोषक तत्व के रूप में कार्य में लिया जाता है. प्राकृतिक खेती में पोषक तत्वों के रूप में गोबर खाद, कंपोस्ट, जीवाणु खाद्य, फसल अवशेष और प्रकृति में उपलब्ध खनिज जैसे रॉक फास्फेट, जिप्सम आदि द्वारा पौधों को पोषक तत्व दिए जाते हैं. प्राकृतिक खेती में प्रकृति में उपलब्ध जीवाणुओं, मित्र बिटकॉइन के लाभ और उपयोग कीट और जीवन कीटनाशक द्वारा फसल को हानिकारक जीवाणुओं से बचाया जाता है.
कार्यशाला के दौरान उन्होंने विशेष रूप से प्राकृतिक खेती की आवश्यकता, प्राकृतिक खेती के लाभ, प्राकृतिक खेती के महत्व, जैविक कृषि व प्राकृतिक कृषि में अंतर, प्रकृति में स्वत: उपलब्ध प्राकृतिक संसाधन, प्राकृतिक कृषि के मुख्य आधार, वर्तमान कृषि पद्धति में प्राकृतिक संसाधनों की स्थिति, प्राकृतिक खेती के मुख्य घटक, प्राकृतिक खेती में फसल सुरक्षा के उपाय, प्राकृतिक खेती में चुनौतियों सहित इससे संबंधित अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से जानकारी दी.
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