Step Two: एक बार पिछली 14 अवधि की गणना हो जाती है तब दुसरे सूत्र की मदद से RSI की कैलकुलेशन होती है| यहाँ निचे हमने दुसरे स्टेप का RSI Formula आपसे शेयर किया है|

इन्वर्टर बैटरी की बेसिक जानकारी हिंदी में

यहां पर एक बात जान ले कि जब भी आप बैटरी का पानी चेक करे तो बैटरी के ऊपर या बैटरी के आसपास मोमबत्ती या कोई भी आग वाली चीज ना लाये. क्योकि जब आप बैटरी का पानी का ढक्कन खोलते हो तो बैटरी में से जो गैस निकलती है वो जवलनशील होती है . मतलब कि बैटरी आग पकड़ सकती है. बैटरी फट सकती है. बैटरी में पानी आप RO फ़िल्टर वाला डाल सकते है. याद रहे कि आप बैटरी में कुए या ट्यूबवेल का पानी मत डाले . ऐसा करने से आपकी बैटरी की लाइफ कम हो सकती है.

Inverter :- अब बात इन्वर्टर की आती है. सबसे पहले मैं यहां पर इन्वर्टर और बैटरी के कनेक्शन की बात करता हूँ. इन्वर्टर में 2 तार लाल और काली रंग की दी गए होती है जो बैटरी से जुड़ती है. यहां पर मैं बता दू कि लाल रंग कि तार बैटरी के plus (+) point से और काले रंग कि तार minus (-) point से जुड़ती है. आप इसे गलती से भी मत जोड़िएगा. अब इन्वर्टर में एक और wire दी हुई होती है जो main plug में लगती है जो इन्वर्टर को charging कि supply देने के लिए होती है . मैं आप से कहना चाहूंगा कि ये आप किसी बिजली के मिस्त्री से ही कनेक्ट करवाए तो अच्छा होगा.

स्टोकैस्टिक आरएसआई का उपयोग करते हुए मोमेन्टम ट्रेडिंग

यह इंडिकेटर अपनी वैल्यू तक पहुँचने के लिए आरएसआई वैल्यू पर स्टोक़ैस्टिक ओसिलेटर फोर्मूला लगाता है, यह गणना खुद प्राइज़ की जगह प्राइज़ के इंडिकेटर पर आधारित है, इसे प्राइज़ का दूसरा डेरिवेटिव या इंडिकेटर का इंडिकेटर कहा जाता है। इसका अर्थ यह है कि स्टोक आरएसआई बनने के लिए प्राइज़ दो बदलावों से गुज़री है। प्राइज़ को आरएसआई में कन्वर्ट करना एक बदलाव है। आरएसआई को स्टोक़ैस्टिक ओसिलेटर में बदलना दूसरा बदलाव है।

परिणामित इंडिकेटर आरएसआई की तरह ही 0 और 100 के बीच झूलती है। पहले वैल्यू 0 और 1 के बीच थी लेकिन अधिकतर आधुनिक तक्निकी विश्लेषण इसे स्पष्टीकरण की सुविधा के लिए इसे 0 और 100 में कन्वर्ट करते हैं।

यह इंडिकेटर तुषार चंदे और स्टेनली क्रॉल ने बनाया था और 1994 में इसे अपनी पुस्तक “द न्यू टेक्निकल ट्रेडर” में इसका परिचय दिया। चंदे और क्रॉल ने समझाया कि बिना छोर तक पहुंचे, आरएसआई की लंबे समय Indicators कितने होते है तक 80 और 20 के बीच झूलने की प्रकृति होती है।इसीलिए आरएसआई Indicators कितने होते है में ओवर बॉट और ओवर सोल्ड आरएसआई रीडिंग के आधार पर किसी स्टॉक में प्रवेश करने की इच्छा रखनेवाले ट्रेडर्स बिना किसी ट्रेड सिग्नल के खुद को साइड लाइंस में पा सकते हैं। दूसरी तरफ स्टोक आरएसआई, आरएसआई की संवेदनशीलता बढ़ा कर अधिक ओवर बॉट/ओवर सोल्ड सिगनल्स उत्पन्न करता है।

[Ultimate Guide] Relative Strength Index Indicator in Hindi | RSI Indicator क्या है?

RSI Indicator in Hindi: क्या आप जानते है की RSI Indicator क्या है और इसे कैसे उपयोग किया जाता है? यहाँ हमने Indicators कितने होते है RSI Indicator की सभी महत्वपूर्ण जानकारी Hindi में आपसे शेयर की है| अगर आप स्टोक मार्केट में टेक्निकल एनालिसिस को सीखना चाहते है तो आपको यह इंडिकेटर के बारेमे अवश्य जानना चाहिए|

शेयर मार्किट में स्टॉक के एनालिसिस के लिए कई तरह के इंडिकेटर का उपयोग होता है लेकिन उनमे से कुछ अधिक प्रचलित इंडिकेटर कुछ ही है, RSI Indicator उन्ही प्रचलितो में से एक है| यहाँ हमने आपसे RSI Indicator की सभी महत्वपूर्ण जानकारी आपसे शेयर की है जैसे की RSI Indicator क्या है?, उसका FullForm क्या है?, RSI की गणना के पीछे का Maths Formula क्या है और उसकी गणना कैसे की जाती है?, RSI की मदद से हम क्या जान सकते है?, RSI का विश्लेषण कैसे किया जाता है?, RSI में Divergences क्या है?, RSI की क्या क्या मर्यादाओ है? इत्यादि

वाहन में दिए गए इंडिकेटर्स का सही से करें इस्तेमाल, दुर्घटना से बचने में मिलेगी मदद

वाहन में दिए गए इंडिकेटर्स का सही से करें इस्तेमाल, दुर्घटना से बचने में मिलेगी मदद

सभी वाहनों में इंडिकेटर्स लगे होते हैं। राइट साइड में मुड़ने पर राइट और लेफ्ट में मुड़ने पर लेफ्ट इंडिकेटर का उपयोग किया जाता है। इससे आपके पीछे या आगे आ रहे वाहनों को पता चलता है कि आप किस तरफ मुड़ने वाले हैं। ज्यादातर लोग इसे इस्तेमाल तो करते हैं लेकिन इसका सही उपयोग करना नहीं जानते हैं। जिस कारण इंडिकेटर्स का उपयोग करने के बाद भी दुर्घटना हो जाती है। जानें इसके उपयोग के सही तरीके।

समय से करें इसका उपयोग

सही समय पर इंडिकेटर्स का उपयोग करना जरूरी है। अन्यथा इसके इस्तेमाल का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। कई लोग ड्राइविंग करते समय म्यूजिक या बातों के कारण इसे इस्तेमाल करना भूल जाते हैं और जब मोड़ बहुत नजदीक आ जाता है तब सिग्नल देते हैं। इससे पीछे और आगे वाले वाहन का ड्राइवर उनकी योजना समझ नहीं पाता और उस साइड ही मुड़ जाता है, जिस तरफ उन्हें मुड़ना होता है। ऐसे में दुर्घटना होने का डर रहता है।

इंडिकेटर्स का उपयोग करना अच्छे ड्राइवर की आदत में आ जाता है। उन्हें इसका ध्यान रखने की जरूरत नहीं पड़ती है। मोड़ आने पर उनका हाथ तुरंत इंडिकेटर पर चला जाता है। वहीं कई लोगों को लगता है कि इसका उपयोग तभी करना चाहिए, जब कोई अन्य वाहन उनके आसपास हो। इंडिकेटर सिर्फ वाहनों के लिए नहीं होता। सड़क पर पैदल चलने वालों को भी इसका सिग्नल दिया जाता है ताकि उन्हें वाहन की स्थिति को समझने में मदद मिले।

बिना जरूरत के न करें इस्तेमाल

कुछ लोग ऐसे होते हैं जो जरूरत न होने पर भी इंडिकेटर का उपयोग करते हैं या फिर ड्राइविंग करते दौरान बोर होने पर बार-बार इंडिकेटर का इस्तेमाल करने लगते हैं। वो कई बार मजाक-मजाक में यह गलती कर जाते हैं, लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बिना कारण इसका इस्तेमाल करने से आपके आगे और पीछे आने वाले वाहनों को कंफ्यूजन हो सकता है। इससे एक बड़ी सड़क दुर्घटना होने का खतरा होता है।

कुछ लोग सोच नहीं पाते हैं कि उन्हें लेफ्ट जाना है या राइट। जिस कारण वे सही साइड का इंडिकेटर इस्तेमाल नहीं करते हैं। उन्हें जाना राइट में होता है और वे लेफ्ट इंडिकेटर का उपयोग करते हैं। इसलिए सोच लें फिर इसका इस्तेमाल करें।

आपकी गाड़ी की 80% प्रॉब्लम्स मीटर में आए सिग्नल से आ जाती है पकड़ में, क्या आप इन्हें इग्नोर तो नहीं कर रहे

ऑटो डेस्क। लेटेस्ट कारों को ड्राइव करना हम सब पसंद करते हैं लेकिन नए फीचर्स से लैस गाड़ी अगर टेक्निकल प्रॉब्लम आने के कारण बीच रास्तें में ही बंद हो जाए तो हमारे लिए परेशानी का सबब बन जाती है। ऐसे में गाड़ी का मीटर क्लस्टर गाड़ी में आने वाली लगभग 80% प्रॉब्लम हमें पहले ही बता देता है। मीटर क्लस्टर ही गाड़ी की हेल्थ का रिपोर्ट कार्ड बतलाता है कि गाड़ी में किसी तरह की प्रॉब्लम है या गाड़ी को कब सर्विस की जरुरत है। यह गाड़ी में होने वाली इंजन, बैटरी, एग्जॉस्ट सिस्टम, टेम्परेचर, इग्निशन सिस्टम से रिलेटेड प्रॉब्लम को अलग-अलग वार्निंग सिग्नल्स के द्वारा हमें सचेत कर देता है। ऐसे में हमें मीटर क्लस्टर पर मौजूद वार्निंग सिग्नल्स के बारे में हमें पूरी जानकारी होने जरूरी है। तो आइए एक्सपर्ट मनप्रीत सिंह से जानते हैं कि कौनसा वार्निंग सिग्नल आने पर किस तरह के प्रिकॉशन लेना चाहिए.

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