डेली न्यूज़
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधन का प्रस्ताव दिया है जो इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लॉन्च करने में सक्षम बनाएगा और इस प्रकार डिजिटल रूप में मुद्रा को शामिल करने के लिये 'बैंक नोट' की परिभाषा का दायरा बढ़ाएगा।
Digital Currency क्या Cryptocurrency है ?
Introduction : दोस्तो, पिछले कुछ सालों में हमने Cryptocurrency के बारे में बहुत कुछ देखा – सुना। रातोंरात Bitcoin लेकर लोग करोड़पति बन गए। लेकिन जब सरकारों ने उस पर टैक्स लगाए तो उतनी ही तेजी से Bitcoin और दूसरी Cryptocurrency नीचे गिरी।
जिन लोगों ने महंगे दामों पर खरीद लिया थे , वे कंगाल भी हो गए।
इससे बहुत से लोग सरकार से नाराज भी हो गए। लेकिन डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? सरकार भी मजबूर थी। क्युँकि बिना Income Tax देश कैसे चलेगा। और Cryptocurrency का इस्तेमाल Terrorist भी कर सकते हैं।
इस problem के solution के तौर पर अब India की Government Digital Currency – CBDC ( Central Bank Digital Currency ) लायी है। तो आइये जानते हैं कि Digital Currency – CBDC क्या है ? और क्या यह डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? Bitcoin डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? की तरह Cryptocurrency है या नहीं ?
Digital Currency क्या है ?
कोई भी Currency जो सिर्फ electronic form में मौजूद होती है , उसे Digital Currency कहते हैं।
इसमें कोई कागज के नोट नहीं होते। सिर्फ Blockchain के जरिये एक code होता है। आपने simple QR code तो देखा ही होगा।
वैसे ही digital Currency एक encrypted Code ही है लेकिन उसे कोई break नहीं कर सकता।
इसी Code को आप अपने Digital Currency वाले Bank Account में रख सकते हैं जो आपको अपने डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? बैंक में खुलवाना पड़ेगा। (आगे पूरा बताया गया है )।
Types of Digital Currency
Digital Currency तीन types की होती है।
3. Central Bank Digital Currency (CBDC )
दोस्तो, तो अभी तक जो Cryptocurrency चल रही थी वो भी वास्तव में digital currency ही है।
और अभी जिस digital Currency की चर्चा हो रही है , वह CBDC केटेगरी में आती है।
Digital currency (CBDC ) क्या Cryptocurrency है ?
तो इस question का जवाब है – नहीं। क्युँकि Cryptocurrency को कोई Government control नहीं करती।
जबकि CBDC को Government ही जारी करेगी और सरकार का उस पर पूरा control रहेगा।
लेकिन दोनों में समानता है कि दोनों Blockchain technology पर काम करते हैं। और दोनों ही Electronic Code डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? के जैसे हैं।
CBDC क्या है (Central Bank Digital Currency)
Central Bank Digital Currency एक तरह की electronic Currency है जिसे सरकार जारी करती है।
यह Cryptocurrency की तरह Blockchain technology पर ही काम करती है।
मान लीजिये आपने किसी को 100 रुपये भेजने हैं तो आप अपने फ़ोन से भेज सकते हैं। लेकिन यह एक Code की तरह जायेगा। साथ ही इस transaction के दौरान अलग -अलग blocks में जाकर यह Code अपने आप ही change होता रहेगा।
इस वजह से आप उस Currency डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? को वापस नहीं ले सकते। और जिसे आपने भेजा है उसके खाते में वही यह एक नए electronic Code के रूप में जाएगी।
लेकिन CBDC कभी भी Physical डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? Currency जैसे कागज के नोट या सिक्के आदि की तरह Cash के रूप में निकाली नहीं जा सकती। क्युँकि इसका ऐसा अस्तित्व ही नहीं होता। यह सिर्फ Cryptic Code का ही transaction है।
CBDC कैसे खरीदें या CBDC में invest कैसे करें ?
CBDC लेने के लिए आपको अपने बैंक में digital currency का account डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? खुलवाना पड़ेगा।
फिर आप सरकार से उसे खरीद सकते हैं जैसे शेयर्स या Bitcoin खरीदा जाता है। इसकी value बढ़ने पर
आपकी CBDC भी बढ़ेगी।
इसके बाद App के जरिये आप उसका इस्तेमाल लेन -देन के लिए कर सकते हैं।
इसके विपरीत Cryptocurrency (Bitcoin आदि) लोग WazirX से खरीदते थे। इसके लिए कोई Bank account नहीं होता था। जिससे उसपर सरकार का कोई control नहीं होता था। और न ही Tax लगता था।
Digital Currency के फायदे
दोस्तो, Digital Currency (CBDC ) के निम्नलिखित फायदे हैं
1) इसमें नोट नहीं छापने पड़ते। जिससे पेड़ भी नहीं काटने पड़ेंगे। ऐसे ही सिक्के बनाने और उठाने का झंझट भी
नहीं रहेगा।
2) कोई भी Black Money बनाकर corruption नहीं कर सकता।
3) Terrorist इसका गलत इस्तेमाल नहीं कर सकते।
4) Government सारा लेखा -जोखा रख पायेगी। और Income Tax भी ले पायेगी।
5) कोई भी Scam नहीं हो सकता।
समाप्त।
तो दोस्तो, यह थी नयी Digital Currency की पूरी जानकारी और आपने जाना कि – Digital Currency क्या Cryptocurrency है ? अगर आपको कोई भी query हो तो नीच comment में पूछ लें। धन्यवाद।
क्या होती है डिजिटल करेंसी | ई रुपया | E Rupee RBI
E Rupee Digital Currency- रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने 01 नवंबर 2022 से, पहली बार डिजिटल करेंसी शुरू करी| इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर होलसेल ट्रांसैक्शन के लिए ही चालू किया गया डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? था| अब रिटेल ट्रांसैक्शन के लिए भी 01 दिसंबर 2022 से पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत हो रही है| देश में आरबीआई की रिटेल डिजिटल करेंसी (ई-रुपया) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने-न रखने का विकल्प होगा| डिजिटल करेंसी (E Rupee) आप अपने मोबाइल वॉलेट में रख सकेंगे और इस डिजिटल करेंसी के सर्कुलेशन पर पूरी तरह से रिजर्व बैंक का नियंत्रण रहेगा| आइये जानते हैं क्या होती है डिजिटल करेंसी (E Rupee Digital Currency) और कैसे अलग है यह क्रिप्टो करेंसी से (Digital rupee Vs Cryptocurrency):
क्या होती है डिजिटल करेंसी (CBDC)
भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) को केंद्रीय बैंक द्वारा जारी कानूनी निविदा (legal tender) के डिजिटल रूप में परिभाषित करता है| सीधे शब्दों में कहें, तो यह फिएट मुद्रा का एक डिजिटल रूप है, यानी भारतीय रुपया जिसे एक फिएट मुद्रा (भारतीय रूपया) से बदला जा सकता है|
डिजिटल करेंसी के क्या फायदे हैं (Benefit of Digital Currency)
सीबीडीसी के वे सभी फायदे होंगे जो क्रिप्टोकरेंसी और भुगतान के डिजिटल रूपों में होते हैं| एक डिजिटल मुद्रा को कभी भी फाड़ा, जलाया या क्षतिग्रस्त नहीं किया जा सकता है| यह खो भी नहीं सकते हैं| नोटों की तुलना में, मुद्रा के डिजिटल रूप की लाइफ इस प्रकार अनिश्चित होगी| लेनदेन लागत को कम करने के अलावा, एक डिजिटल मुद्रा होने से सरकारों के लिए अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले सभी लेनदेन तक पहुंचना आसान हो जाएगा और सरकारों की नज़र से बचना असंभव हो जाएगा| इस प्रकार प्रत्येक लेनदेन को देश के भीतर प्रासंगिक कानूनों के अधीन किया जाएगा|
आरबीआई की डिजिटल करेंसी केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा शासित होगी इसलिए इस डिजिटल करेंसी (E Rupee) में बिटकॉइन जैसी अन्य डिजिटल मुद्राओं से जुड़े अस्थिरता जोखिम बेहद कम होंगें|
आरबीआई ने बार-बार बिटकॉइन, ईथर और अन्य जैसी निजी क्रिप्टोकरेंसी के बारे में चिंता व्यक्त की है, जिनका उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फाइनेंसिंग और टैक्स चोरी के लिए किया जा रहा है| अपने स्वयं के सीबीडीसी (डिजिटल करेंसी E Rupee) की शुरूआत को डिजिटल मुद्रा के लाभों और जोखिमों को पाटने के साधन के रूप में देखा गया है|
कब से शुरू हो रही है भारत की डिजिटल करेंसी (E Rupee)
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के पास रेगुलेटर का सपोर्ट है और यह डिजिटल फॉर्मेट में स्टोर रहेगा| इसे पेपर करेंसी में बदला जा सकेगा जो आरबीआई की बैलेंस शीट में दिखाई देगा यानि आरबीआई की इस डिजिटल करेंसी को वैधानिक मान्यता रहेगी| इसे 'इ रूपी'/ E Rupee कहेंगे| यह क्रिप्टो करेंसी नहीं है| यह फियट करेंसी यानि जिस करेंसी का सभी इस्तेमाल करते हैं, उसका डिजिटल रूप है|
दरअसल डिजिटल करेंसी की घोषणा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 01 फरवरी 2022 को बजट में की थी| उन्होनें ऐलान किया था कि आरबीआई वित्त वर्ष 2022-2023 में सीबीडीसी लांच करेगा| वित्त मंत्री ने कहा था कि यह ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होगा और इससे डिजिटल इकॉनमी को बढ़ावा मिलेगा|
रिज़र्व बैंक ने लोगों में जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से 07 अक्टूबर 2022 को एक कॉन्सेप्ट नोट जारी किया था, जिससे डिजिटल करेंसी के सही तरीके से इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा सके| 31 अक्टूबर 2022 को आरबीआई ने डिजिटल रूपए की दिशा में आगे बढ़ते हुए होलसेल सेगमेंट में डिजिटल रूपए के पहले पायलट का ऐलान किया| इस पायलट प्रोजेक्ट में भारत के नौ बैंकों को शामिल किया गया है (E Rupee Bank):
एडिटोरियल
यह एडिटोरियल 09/02/2022 को ‘लाइवमिंट’ में प्रकाशित “RBI Shouldn’t Rush the Launch of India’s Official Digital Rupee” लेख पर आधारित है। इसमें डिजिटल मुद्रा के महत्त्व और जल्दबाज़ी में इसकी लॉन्चिंग से जुड़ी चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई है।
संदर्भ
हाल ही में भारत सरकार ने अपने बजट 2022-23 में घोषणा की है कि केंद्रीय बैंक (RBI) द्वारा वर्ष 2022-23 के आरंभ में एक डिजिटल मुद्रा जारी की जाएगी। यह एक महत्त्वपूर्ण निर्णय है जिस बारे में विश्व की अधिकांश प्रमुख अर्थव्यवस्थाएँ जल्दबाज़ी में कोई भी निर्णय लेने से बचती रही हैं। डिजिटल रुपए (Digital Rupee) के पक्ष में यह तर्क प्रस्तुत किया जाता है कि भारत की वैध मुद्रा का इलेक्ट्रॉनिक प्रतिनिधित्व इसकी डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा। हालाँकि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (Central Bank Digital Currency- CBDC) को जल्दबाज़ी में अपनाने के संबद्ध में जोखिमों का मूल्यांकन करना भी आवश्यक है।
भारत की अपनी डिजिटल मुद्रा
डिजिटल रुपया:
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अगले वित्त वर्ष डिजिटल मुद्रा जारी करेगा जिसे ‘डिजिटल रुपया’ (Digital Rupee) कहा जाएगा।
- केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) द्वारा किसी राष्ट्र विशेष (या क्षेत्र) की अधिदिष्ट या वैध मुद्रा (Fiat Currency) के आभासी रूप का प्रतिनिधित्व करने हेतु एक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड या डिजिटल टोकन का उपयोग करती है।
डिजिटल मुद्रा के पक्ष में तर्क:
- CBDC द्वारा क्रिप्टोकरेंसी जैसे डिजिटल मुद्रा की सुविधा एवं सुरक्षा और पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली के विनियमित, आरक्षित-समर्थित धन परिसंचरण दोनों ही प्रकार की व्यवस्थाओं को संयुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- डिजिटल मुद्रा वाणिज्यिक बैंकों के साथ लेन-देन में भारतीय जमाकर्त्ताओं को होने वाले नुकसान के जोखिम को कम करेगी।
- उपभोक्ताओं हेतु ई-रूपया (e-rupee) बैंक जमा का एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है जहाँ PhonePe , Google Pay और Paytm जैसे ऐप के माध्यम से लगभग 76 ट्रिलियन रुपए का वास्तविक समय भुगतान/रियल टाइम पेमेंट (Real-Time Payments) होता है।
- खरीद के ऑनलाइन होने के साथ मांग जमा में विश्वास का आधार (कि वे अंकित मूल्य पर नकद में परिवर्तित हो जाते हैं) एक सैद्धांतिक अवधारणा ही होगी।
- जैसे-जैसे खरीद ऑनलाइन होती है, मांग जमा (Demand Deposits) में विश्वास उत्पन्न करने वाले कई उपाय, जैसे कि अंकित मूल्य पर नकद में परिवर्तन में सैद्धांतिक तौर पर कमी को बढ़ावा दे सकते हैं।
- ई-मुद्रा परिवर्तनीयता की धारणा को दैनिक वास्तविकता पर निर्धारित करसकती है।
- विदेशों में काम करने वाले भारतीयों के लिये अपने घर पैसा भेजना आसान और सस्ता हो जाएगा जिसके परिणामस्वरूप भारत के लिये बड़ी बचत का निर्माण होगा जो विश्व में शीर्ष विप्रेषण प्राप्तकर्त्ता देश है।
डिजिटल मुद्रा के विपक्ष में तर्क:
- यदि ई-कैश (e-cash) लोकप्रिय हो जाता डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? है और RBI द्वारा मोबाइल वॉलेट में रखी वाली राशि की कोई सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती है इसी स्थिति में दुर्बल बैंक को अपने पास कम लागत वाली जमा राशि ( Low-Cost Deposits ) को बनाए रखने हेतु प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ सकता है।
- छोटे बैंकों द्वारा कम लागत वाली जमा राशि की स्थिति में सुधार के बावजूद ऋणदाता अपनी ऋण संपत्ति को छोड़ने और मुनाफे का त्याग करने के प्रति अनिच्छुक बने रह सकते हैं।
- इसका निहितार्थ है कि लेस लिक्विड बैलेंस शीट (less-liquid balance sheets) अर्थात् बलेंस शीट में तरलता की कमी उन्हें बैंक परिचालन हेतु सुभेद्य बना सकता है।
- हालाँकि बैंकों के साथ किये गए लेन-देन भुगतान ऐप्स हेतु दृश्यमान नहीं भी हो सकते हैं और फिनटेक फर्म सस्ते ऋणों हेतु चुने जा रहे उन लोगों से संबंधित आँकड़ों से वंचित हो सकती हैं जिनके पास संपार्श्विक नहीं है।
डिजिटल मुद्रा के संबंध में अन्य देशों की स्थिति:
- कुछ देशों ने पहले ही किसी न किसी रूप में CBDC जारी कर रखा है। वर्ष 2020 में बहामास के केंद्रीय बैंक ने एक डिजिटल मुद्रा जारी की थी।
- दुनिया भर के अधिकतर केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं की व्यवहार्यता, उपयोगिता और मूल्य पर विचार कर रहे हैं।
- पाँच वर्षों से विभिन्न मूल्यांकनों के बाद भी स्वीडिश मौद्रिक प्राधिकरण ई-क्रोना (e-krona) जारी करने पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं ले सका है।
- जापान अपनी डिजिटल मुद्रा जारी करने में वर्ष 2026 तक का समय ले सकता है।
डिजिटल रुपए को अपनाने हेतु जल्दबाज़ी के कारण:
- भारत की जल्दबाजी का एक कारण क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े मुद्दों का समाधान करना है हालाँकि यह समझना कठिन है कि ई-रुपया लोगों को तुरंत अमीर बनने के लिये क्रिप्टोकरेंसी अपनाने के लालच से कैसे रोक सकेगा।
- एक अन्य कारण चीन से प्रतिस्पर्द्धा है जो अपनी डिजिटल मुद्रा e-CNY (Chinese Yuan Renminbi) लॉन्च करने के लिये तैयार है।
- चीन सीमा पार व्यापार और वित्त में डॉलर के एक प्रतिद्वंद्वी मुद्रा को बढ़ावा देना चाहता है।
आगे की राह
- बेहतर मूल्यांकन के साथ कार्यान्वयन: काग़ज़ी मुद्रा के घटते उपयोग के साथ मुद्रा के इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफाॅर्म को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है। यह भारत जैसी उच्च भौतिक नकदी उपयोग वाली अर्थव्यवस्थाओं में अधिक कुशलता लाएगा।
- हालाँकि प्रकार के महत्त्वपूर्ण निर्णय का उचित नियोजित और अच्छी तरह से मूल्यांकित कार्यान्वयन महत्त्वपूर्ण है क्योंकि जल्दबाज़ी में किये गए कार्यान्वयन से लाभ से अधिक हानि की स्थिति बनेगी।
- ‘नो योर कस्टमर’ (Know Your Customer) मानदंडों का कड़ाई से अनुपालन करने की आवश्यकता है ताकि आतंकी वित्तपोषण या मनी लॉन्ड्रिंग के लिए मुद्रा के दुरूपयोग को रोका जा सके।
- भारत जैसे देश में अभी भी विशाल डिजिटल विभाजन को देखते हुए ऑफलाइन उपयोग हेतु एक प्रोटोकॉल पर कार्य करना होगा। आदर्श रूप से एक बहुवर्षीय परियोजना के कार्यान्वयन में जल्दबाज़ी करना अनावश्यक जोखिमों से भरा हो सकता है।
अभ्यास प्रश्न: ‘‘भारतीय रिज़र्व बैंक को विभिन्न मुद्दों को ध्यान में रखते हुए डिजिटल रुपए को लॉन्च करने से पहले इसके गुण-दोषों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना चाहिये।’’ टिप्पणी कीजिये।
डिजिटल करेंसी कैश की तरह, निजता के डर की जरूरत नहीं: आरबीआई गवर्नर
शेयर बाजार 12 घंटे पहले (07 दिसम्बर डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? 2022 ,18:45)
डिजिटल करेंसी कैश की तरह, निजता के डर की जरूरत नहीं: आरबीआई गवर्नर
चेन्नई, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के शासनादेश को बढ़ाने, भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के दायरे का विस्तार करने और डिजिटल मुद्रा लेनदेन के मामले में लोगों की गोपनीयता सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसकी सूचना गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को दी।उन्होंने कहा कि नई लॉन्च की गई डिजिटल मुद्रा नकदी के समान है और गोपनीयता की कमी के बारे में कोई डरने की जरूरत नहीं है।
मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की वृद्धि करने के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए, दास ने कहा कि यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय खुदरा भुगतान प्रणाली बन गई है।
इसमें वर्तमान में आवर्ती के साथ-साथ सिंगल ब्लॉक एंड सिंगल डेबिट लेनदेन के लिए भुगतान अधिदेश को संसाधित करने की कार्यक्षमता शामिल है।
हर महीने 70 लाख से अधिक ऑटोपे मैंडेट हैंडल किए जाते हैं और आधे से ज्यादा इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) एप्लिकेशन यूपीआई के ब्लॉक फीचर का इस्तेमाल कर प्रोसेस किए जाते हैं।
सिंगल ब्लॉक एंड मल्टीपल डेबिट कार्यक्षमता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा।
दास ने कहा, यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि ब्लॉक करने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, आसानी से निकाला जा सकता है। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेन सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।
दास ने कहा, बीबीपीएस 2017 में लॉन्च होने के बाद से विस्तार कर रहा है और अब व्यापारियों और उपयोगिताओं के आवर्ती बिल भुगतान को संभालता है और गैर-आवर्ती बिलों को पूरा नहीं करता है।
यह बिल भुगतान या संग्रह जैसे पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान, किराया संग्रह और अन्य व्यक्तियों के लिए भी पूरा नहीं करता है, भले ही वे आवर्ती प्रकृति के हों।
यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव, धन तक तेजी से पहुंच और बेहतर दक्षता से लाभान्वित हो सकते हैं।
यूपीआई और नए लॉन्च किए गए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) या ई-रुपया के बीच के अंतर को समझाते हुए पूर्व के मामले में, एक बैंक मध्यस्थता के लिए होगा।
दूसरी ओर, सीबीडीसी के मामले में, यह कैश ऑन हैंड या कैश ऑन फोन की तरह है।
दास ने कहा, डिजिटल करेंसी फोन में वॉलेट में रखी जाएगी। इसे एक व्यक्ति के वॉलेट से दूसरे में ट्रांसफर किया जाएगा।
हार्ड कैश के मुकाबले डिजिटल मुद्रा द्वारा दी जाने वाली गोपनीयता पर पूछे जाने पर, दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक लेनदेन को ट्रैक नहीं करता है।
उन्होंने कहा, सीबीडीसी के लिए ये शुरूआती दिन हैं और खुदरा भुगतान में पायलट अब शुरू हो गया है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 347