मार्च 2020 : सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टो बैंकिंग बैन को रद्द किया
भारत में क्रिप्टोकरेंसी का सफर
भारत में क्रिप्टोकरेंसी का सफर रोलर-कोस्टर राइड से कम नहीं रहा है। पाबंदियों का सामना करने के बाद अब सख्त रेगुलेशंस की आशंकाओं के बीच, इस वर्चुअल एसेट को कई गंभीर चुनौतियों से जूझना पड़ा है। भारत में क्रिप्टोकरेंसीज के फ्यूचर को लेकर अनिश्चितता के बावजूद, अनरेगुलेटेड डिजिटल एसेट्स खासकर बिटकॉइन में निवेश का ट्रेंड 2020 के बाद काफी बढ़ा है। कई घरेलू क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजेस से मिले डाटा से पता चलता है कि 1.5-2 करोड़ भारतीयों ने इस वर्चुअल एसेट में निवेश किया है। इससे इस साल नवंबर में यह 10 अरब डॉलर के लेवल पर जा चुका है। क्रिप्टोकरेंसी अपनाने वालों की बढ़ती संख्या से देश में निवेश का तरीका बदल गया है, जो अभी तक गोल्ड और अन्य सुरक्षित एसेट्स में निवेश करते रहे हैं। बहुप्रतीक्षित क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफीशियल डिजिटल करेंसी बिल आने से पहले, वर्चुअल एसेट्स के अभी तक के सफर पर नजर डालते हैं।
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2010: क्रिप्टो की पहली बिक्री
दो साल बाद, बिटकॉइन के इस्तेमाल से पहली बार कोई सामान बिका जब एक शख्स ने दो पिज्जा के बदलने में 10,000 बिटकॉइन का भुगतान किया। इस तरह, पहली बार क्रिप्टोकरेंसी के साथ कैश वैल्यू जुड़ गई। कुछ समय बाद ही लाइटकॉइन, नेमकॉइन और स्विफ्टकॉइन जैसे क्रिप्टोकरेंसी सामने आईं और डिजिटल असेट को लेकर आकर्षण बढ़ने लगा।
2013: RBI ने जारी किया क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित पहला सर्कुलर
भारत में क्रिप्टो इनवेस्टमेंट बढ़ने और जेबपे, पॉकेट बिट्स, कॉइनसिक्योर, कॉइनेक्स और यूनोकॉइन जैसे एक्सचेंजेस के सामने आने से, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने 2013 में एक सर्कुलर जारी करके यूजर्स को वर्चुअल करंसी से जुड़े संभावित जोखिमों को लेकर आगाह किया।
Cryptocurrency Price: बिटकाॅइन सहित कई अन्य क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में इजाफा, चेक करें लेटेस्ट रेट्स
बिटकॉइन की कीमतों में पिछले 4 दिनों से जारी गिरावट के बाद गुरुवार को इजाफा देखने को मिला है। गुरुवार को दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे लोकप्रिय डिजिटल करेंसी बिटकॉइन 2 प्रतिशत की बढ़त के साथ 23,179 डॉलर के निशान पर रही। CoinGecko के अनुसार गुरुवार को ग्लोबल क्रिप्टो मार्केट कैप एक ट्रिलियन डॉलर के ऊपर रहा। पिछले 24 घंटों में ग्लोबल क्रिप्टो मार्केट 2 प्रतिशत की बढ़त के साथ 1.12 ट्रिलियन डॉलर के निशान पर रहा।
डिजिटल करेंसी की छवि
बिटकॉइन के ट्रांजेक्शन के वक्त क्योंकि बैंक जैसा कोई बिचौलिया नहीं होता है, इसलिए इसकी छवि हमेशा से संदेह के दायरे में रहती थी. बिटकॉइन को डार्क वेब, आतंकी गतिविधियों, ड्रग्स के लेन-देन जैसे कारनामों में भी इस्तेमाल होते देखा गया है. इसके अलावा, टैक्स को लेकर कोई एक राय न बन पाने से सरकारें इसे रेगुलेट नहीं कर पा रही हैं.
इसके अलावा, जो सबसे चिंताजनक बात है, वह है बिटकॉइन के निर्माण के दौरान खर्च होने वाली बिजली. जिस तरह रुपये या डॉलर के नोट को सेंट्रल बैंक ईश्यू करता है, उसी तरह बिटकॉइन को भी क्रिएट किया जाता है. इसे बिटकॉइन माइनिंग कहते हैं. बिटकॉइन माइनिंग के दौरान अलग-अलग कंप्यूटरों पर एक खास किस्म के हार्डवेयर के साथ दुनियाभर में हो रहे बिटकॉइन ट्रांजेक्शन को वेरिफाई किया जाता है. इसे करने वाले आईटी एक्सपर्ट होते हैं जो करीब 10 मिनट के अंदर मैथमैटिकल प्रॉब्लम को सुलझा कर हर लेन-देन को वेरिफाई करते हैं. इसके बदले उन्हें पैसे मिलते बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी हैं, जो बिटकॉइन में होते हैं. इस तरह, हर बिटकॉइन के लेन-देन के वेरिफिकेशन के बाद कई अन्य बिटकॉइन पैदा होते हैं.
पर्यावरण को नुकसान
यह प्रक्रिया सुनने में जितनी दिलचस्प लगती है, हकीकत में उतनी ही खर्चीली और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली होती है. बिटकॉइन के निर्माण में एक-दो नहीं बल्कि हजारों कंप्यूटर एक साथ इस्तेमाल किए जाते हैं. कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के मुताबिक, बिटकॉइन माइनिंग इतनी बिजली खपाता है जितनी स्विट्ज़रलैंड एक साल में बिजली पैदा करता है.
क्लाइमेट चेंज और पर्यावरण को लेकर मुखर लोग बिटकॉइन के पूरी थ्योरी को ही नकारते हैं. उन्हें इसका इस्तेमाल समझ नहीं आता क्योंकि दुनियाभर में अमीरी-गरीबी की खाई इतनी गहरी है और समाज का एक हिस्सा ऐसा भी है जहां तक अभी तक बिजली जैसी बुनियादी जरूरत नहीं पहुंच पाई है. पर्यावरणविदों का मानना है कि डिजिटल करेंसी को लेकर ऐसा पागलपन और एक खास तबके का बिजली का यूं लापरवाही से इस्तेमाल करना, अन्याय है. इसमें कोई हैरानी नहीं होगी अगर अगले क्लाइमेट समिट में बिटकॉइन के विरोध में नारे लगें.
टेस्ला और बिटकॉइन का मेल
लेकिन पर्यावरणविदों के इन अभियान पर टेस्ला के मालिक इलान मस्क ने पानी फेर दिया है. इलेक्ट्रिक कार बनाने वाले कंपनी टेस्ला हमेशा से ग्रीन एनर्जी की समर्थक रही है. क्रिप्टो एक्सपर्ट प्रो. डेविड येरमैक का कहना है कि आज किसी भी करोड़पति का लगाव टेस्ला कार और बिटकॉइन बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी दोनों के लिए है और वह दोनों को रखना चाहता है. उनका मानना है कि जल्द ही बिटकॉइन को लेकर आम लोगों की धारणा और बदलेगी. बिटकॉइन माइनिंग के लिए हाइड्रो इलेक्ट्रिक या जियो थर्मल पावर का इस्तेमाल बढ़ रहा है, जो सराहनीय है.
इसमें कोई शक नहीं है कि बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी बिटकॉइन जिसे भविष्य की करेंसी कहा जाता है, अब अपने ऊंचाई की ओर बढ़ चला है. इसकी कीमत में तेजी से उछाल और ढलान ही इसकी खासियत है. आने वाले दिनों में टेक कंपनियों के दखल से इसे मुख्यधारा में आने का मौका मिलेगा और यह पारंपरिक बाजार के नक्शे को बदल सकता है.
Cryptocurrency:
Cryptocurrency को Private Parties, Central Bank या Government Authorities से स्वतंत्र रूप से विकसित किया जाता है। Crypto Currency, Blockchain Technology का उपयोग करते हैं, एक Digital Ledger System जो Crypto लेनदेन को रिकॉर्ड करता है। अधिकांश Cryptocurrency Digital Currency को छेड़छाड़-प्रतिरोधी और Network को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए Cryptography का भी उपयोग करती हैं।
Bitcoin and Ethereum (Crypto: ETH) दो सबसे बड़ी Cryptocurrency हैं। कंपनियों की बढ़ती सूची या तो Blockchain और Crypto विकास पर काम कर रही है या अपने संचालन में Cryptocurrency का उपयोग कर रही है।
Stable Coins:
Stable Coins एक प्रकार की हैं Cryptocurrency और Blockchain Technology और Cryptography का उपयोग करते हैं। हालाँकि, उनके और पारंपरिक Cryptocurrency के बीच महत्वपूर्ण अंतर यह है कि Stable Blocks को US Dollar या Gold जैसी Reserve Asset द्वारा समर्थित किया जाता है, और उन्हें पारंपरिक Crypto की तरह मूल्य में उतार-चढ़ाव नहीं करने के लिए Design किया गया है। इसके बजाय वे उस संपत्ति के मूल्य को Track करेंगे जो उनका समर्थन करती है।
Tether (CRYPTO: USDT) वर्तमान में सबसे बड़े स्थिर Crypto में से एक है। Facebook (NASDAQ: U.बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी S Plan) Dai नामक एक Stable Coin परियोजना भी विकसित कर रहा है।
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अफ्रीकी देशों में तेजी से बढ़ी दिलचस्पी
- सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक ने Bitcoin को करेंसी के तौर पर मान्यता दी है
- इससे पहले केवल अल साल्वाडोर ने बिटकॉइन को करेंसी की स्वीकृति दी थी
- अफ्रीका में क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट पिछले वर्ष लगभग 1,200 प्रतिशत बढ़ा
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लॉन्च करने वाले अफ्रीकी देशों की संख्या बढ़ रही है. अब कई देशों की सरकार विचार कर रही है कि उन्हें क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी दर्जा देना चाहिए या नहीं. इसी पहल में अफ्रीका का एक अन्य देश यूगांडा भी जुड़ गया है. इससे पहले सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक ने पिछले महीने Bitcoin को करेंसी के तौर पर मान्यता दी थी. इसके साथ ही यह ऐसा करने वाला दूसरा देश बन गया था. इससे पहले केवल अल साल्वाडोर ने बिटकॉइन को करेंसी के तौर पर स्वीकृति दी थी.
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