मुख्तलिफ हिसाब
5 जुलाई 2019 को पूर्वाह्न 11.01 बजे, ट्रेजरी बेंच की मेजों की गड़गड़ाहट के बीच निर्मला सीतारमण लोकसभा में अपना पहला बजट भाषण देने के लिए खड़ी हुईं. लोक सभा में केवल दूसरी बार किसी महिला ने ऐसा किया था- इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान 1970 में बजट पेश किया था. इस ऐतिहासिक अवसर की तैयारी के दौरान, सीतारमण ने अपने दो पूर्ववर्तियों का आशीर्वाद मांगा था- पहला, बीमार अरुण जेटली, जिन्हें वह अगले महीने श्रद्धांजलि में “मेरे गुरु, मेरे पथप्रदर्शक, मेरी नैतिक शक्ति” के रूप में वर्णित करने वाली थीं, और दूसरा, मनमोहन सिंह, जिनके जुलाई 1991 के बजट भाषण ने सुधारों के एक नए युग की शुरुआत की थी, उन्होंने संसद को आश्वासन दिया, भारत “चालू वित्त वर्ष में तीन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा” और अगले कुछ वर्षों में वह “पांच ट्रिलियन डॉलर” तक पहुंच जाएगा.
सीतारमण बजट दस्तावेजों को लाल कपड़े में लिपटी एक पारंपरिक खाता-बही के रूप में संसद में ले गई थीं, जो उनके पूर्ववर्तियों की पसंदीदा उस लाल ब्रीफ केस के बजाय एक नया तरीका था,जो ब्रिटिश सरकार के मंत्री स्तरीय डिस्पैच बॉक्स की नकल हुआ करती था. उस समय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने मीडिया को बताया कि यह विकल्प “पश्चिमी विचारों की दासता से पीछा छुड़ाने” का प्रतीक है. सीतारमण ने बाद में बताया कि खाता-बही के चयन के पीछे का सूक्ष्म संदेश यह था कि नरेन्द्र मोदी सरकार “सूटकेस के आदान-प्रदान की संस्कृति में विश्वास नहीं करती है” - दूसरे शब्दों में कहें तो, रिश्वतखोरी में.
“हालिया चुनाव, जिसने हमें आज इस प्रतिष्ठित सदन में आने का मौका दिया, उसेएक उज्ज्वल और स्थिर नए भारत के लिए आशा और उम्मीद के साथ संचालित किया गया था,” सीतारमण ने उस आम चुनाव का जिक्र करते हुए अपना भाषण शुरू किया, जिसने उनकी भारतीय जनता पार्टी को सत्ता वापस लौटा दिया था, दो महीने पहले, 2014 से भी बड़े जनादेश के साथ पार्टीसत्ता में आई. उन्होंने कहा, “भारत की जनता ने हमारे आरबीआई ने अवैध विदेशी मुद्रा व्यापार ऐप देश के भविष्य के दो लक्ष्यों को मान्यता प्रदान किया है: राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास.”
जब तक उन्होंने अपना 137 मिनट लंबा भाषण समाप्त किया, तब तक शेयर बाजारों में गिरावट आ चुकी थी. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का हेडलाइन इंडेक्स, सेंसेक्स उस दिन लगभग एक प्रतिशत और अगले महीने लगभग दस प्रतिशत गिर गया. एक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा करने के बजाय, जिसके बारे में मोदी के फिर से चुने जाने के मद्देनजर कारपोरेट उम्मीद कर रहे थे, सीतारमण ने सालाना 2 करोड़ रुपए से अधिक कमाने वालों पर आयकर अधिभार बढ़ा दिया, धनाढ्य विदेशी फंडों पर कर लगाया, कैपिटल गेन टैक्स को बरकरार रखा, जो निवेशकों के बीच अलोकप्रिय था, उन्होंने देश की सबसे बड़ी कंपनियों को कारपोरेट टैक्स में कटौती के दायरे से बाहर रखा और कई सामानों पर शुल्क बढ़ा दिया. इसके अलावा, इस बात पर कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई थी कि सरकार एक बड़े संकट का जवाब कैसे देगी, जिसे अर्थशास्त्रियों और उद्योगपतियों ने विकास को मन्द करने के लिए जिम्मेदार माना था.
Somesh Jha is a member of The Reporters Collective, a non-profit media organisation based in Delhi. He has reported on the Indian government and economy for close to a decade and worked at Business Standard, The Hindu and BloombergQuint.
भाजपा सांसद ने जमाखोरी और कालाबाज़ारी की बात कहते हुए 2,000 के नोट बंद करने की मांग की
नकली नोट, काला धन और आतंकवाद को नियंत्रित करने की बात कहते हुए मोदी सरकार ने 2016 में नोटबंदी की घोषणा की थी और 2,000 रुपये के नोट जारी किए थे. अब भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने राज्यसभा में कहा है कि बड़े पैमाने पर लोगों ने इस नोट की जमाखोरी कर रखी है. केवल अवैध व्यापार में इनका इस्तेमाल हो रहा है. The post भाजपा सांसद ने जमाखोरी और कालाबाज़ारी की बात कहते हुए 2,000 के नोट बंद करने की मांग की appeared first on The Wire - Hindi.
नकली नोट, काला धन और आतंकवाद को नियंत्रित करने की बात कहते हुए मोदी सरकार ने 2016 में नोटबंदी की घोषणा की थी और 2,000 रुपये के नोट जारी किए थे. अब भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने राज्यसभा में कहा है कि बड़े पैमाने पर लोगों ने इस नोट की जमाखोरी कर रखी है. केवल अवैध व्यापार में इनका इस्तेमाल हो रहा है.
भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी. (फोटो: पीटीआई)
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक सदस्य ने राज्यसभा में सोमवार को दावा किया कि 2,000 रुपये के नोटों का आपराधिक गतिविधियों व अवैध व्यापार में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है, लिहाजा सरकार को इसे चरणबद्ध तरीके से बंद कर देना चाहिए.
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया.
उन्होंने कहा, ‘बाजार में गुलाबी रंग के 2,000 रुपये के नोटों का दर्शन दुर्लभ हो गया है. एटीएम से नहीं निकल रहा है और अफवाह है कि यह अब वैध नहीं रहा.’
उन्होंने सरकार से इस बारे में स्थिति स्पष्ट करने की मांग की.
ज्ञात हो कि नकली नोट, काला धन, भ्रष्टाचार और आतंकवाद को नियंत्रित करने की बात कहते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी. इसके तहत 500 और 1,000 रुपये के नोटों को अवैध घोषित कर चलन से बाहर कर दिया गया था. सरकार ने कुछ दिनों के बाद उनके स्थान पर 500 रुपये और 2,000 रुपये के नए नोट जारी किए थे.
सुशील कुमार मोदी ने दावा किया कि 2016 में 500 रुपये और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को तेज गति से बदलने के लिए आरबीआई द्वारा 2000 रुपये के नोट पेश किए गए थे. प्रचलन से जुड़ी कई चुनौतियों के कारण पिछले तीन वर्ष से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2,000 रुपये के नोटों की छपाई बंद कर दी है और बड़ी संख्या में 2,000 रुपये के नकली नोट जब्त भी किए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि 2000 रुपये के नोटों की जमाखोरी और कालाबाजारी के मामले सामने आ रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘बड़े पैमाने पर लोगों ने 2,000 के नोटों की जमाखोरी कर रखी है. केवल अवैध व्यापार में इसका इस्तेमाल हो रहा है. कुछ जगहों पर यह आरबीआई ने अवैध विदेशी मुद्रा व्यापार ऐप ब्लैक में भी मिल रहा है और प्रीमियम पर बिक रहा है.’
उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण में सहित कई अपराधों में इन नोटों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है.
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि दुनिया की सभी आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में बड़े नोटों का प्रचलन बंद हो गया है.
उन्होंने कहा कि अमेरिका में अधिकतम 100 डॉलर है और वहां भी 1,000 डॉलर के नोट नहीं हैं. चीन में 100 युआन, कनाडा में सीएडी 100 और यूरोपीय संघ में 200 यूरो अधिकमत हैं.
उन्होंने कहा कि केवल पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों में 5,000 के नोट हैं, जबकि इंडोनेशिया में एक लाख मूल्य तक के नोट प्रचलन में हैं.
भाजपा सांसद सुशील मोदी ने कहा, ‘यूरोपीय संघ ने 2018 में 500 यूरो के नोटों को बंद कर दिया और सिंगापुर ने 2010 में 10,000 सिंगापुर डॉलर के नोट जारी करना बंद कर दिया, ताकि नशीले पदार्थों की तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, कर चोरी जैसी अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके.’
उन्होंने कहा, ‘भारत में 2,000 के नोट के प्रचलन आरबीआई ने अवैध विदेशी मुद्रा व्यापार ऐप का अब कोई औचित्य नहीं है. अब तो सरकार डिजिटल लेन-देन को भी बढ़ावा दे रही है. इसलिए मेरा सरकार से अनुरोध है कि वह चरणबद्ध तरीके से 2,000 के नोटों को धीरे-धीरे बंद कर दिया जाना चाहिए.’
उन्होंने मांग की कि सरकार जनता को मौका दें, ताकि वे एक या दो साल में 2,000 के नोटों को दूसरे नोटों से बदल लें.
उन्होंने कहा, ‘2,000 का नोट यानी ब्लैक मनी यानी कालाबाजारी… अगर काले धन पर रोक लगानी है तो 2,000 के नोट को बंद करना चाहिए.’
मालूम हो कि अगस्त 2022 में लोकसभा में दिए गए सरकार के एक लिखित जवाब से खुलासा हुआ था कि नोटबंदी के बावजूद भी देश में जाली मुद्रा का बाजार फल-फूल रहा है.
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत एक लिखित में बताया था कि वर्ष 2016 से 2020 के बीच 2,000 रुपये के नकली नोटों आरबीआई ने अवैध विदेशी मुद्रा व्यापार ऐप की संख्या में 107 गुना वृद्धि हुई है.
पंकज चौधरी बताया था कि 2016 में 2,000 रुपये के 2,272 जाली नोट पकड़े गए थे, जबकि 2017 में 74,898, 2018 में 54,776, 2019 में 90,566 और 2020 में 24,4834 जाली नोट जब्त किए गए थे.
उनके जवाब के हिसाब से 2018 को छोड़ दें, तो 2016 के बाद से यह संख्या लगातार बढ़ रही है. 2019 और 2020 के बीच, 2,000 रुपये मूल्यवर्ग के नकली नोटों की संख्या में 170 प्रतिशत की वृद्ध हुई है. दूसरी ओर, बैंकिंग प्रणाली में नकली नोटों का पता लगाने की संख्या में कमी आई है.
मार्च 2020 में केंद्र की मोदी सरकार की ओर से लोकसभा में कहा गया था कि सरकार का 2000 रुपये के बैंक नोट को प्रचलन से वापस लेने का कोई प्रस्ताव नहीं है. उसका कहना था कि अब भी कई एटीएम में 2000 रुपये के करेंसी नोट दिए रहे हैं.
नवंबर 2019 में पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग का कहना था कि 2,000 रुपये के नोटों का एक बड़ा हिस्सा सर्कुलेशन में नहीं है.
उन्होंने कहा था कि लोग 2,000 के नोटों की जमाखोरी करने में लगे हैं. इस वजह से बड़ी संख्या में यह नोट प्रचलन में नहीं है. लोग इसका इस्तेमाल ट्रांजैक्शन में बहुत कम रहे हैं. अगर यह नोट बंद किया जाता है तो किसी को कोई नुकसान नहीं होगा.
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2017 के अंत में 2,000 रुपये के 328.50 करोड़ नोट चलन में थे. एक साल बाद, 31 मार्च 2018 को, उस संख्या में केवल 336.3 करोड़ नोट की मामूली वृद्धि हुई थी.
31 मार्च 2018 को चलन में कुल मुद्रा की मात्रा 18 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की थी और इसमें से 2,000 के नोटों का हिस्सा 37.3 प्रतिशत ही था. वहीं 31 मार्च 2017 को ये आंकड़ा 50.2 प्रतिशत था.
दरों में वृद्धि के परिणामस्वरूप अक्टूबर में ब्राजील की आर्थिक गतिविधि गिर गई।
27 अक्टूबर, 2022 को साओ पाउलो, ब्राज़ील की एक हवाई छवि, पैरासोपोलिस स्लम और मोरुम्बी पड़ोस से संरचनाओं को दर्शाती है।
ब्रिस्बेन – बुधवार को जारी एक केंद्रीय बैंक संकेतक के अनुसार, ब्राजील की जीडीपी अक्टूबर में सिकुड़ गई क्योंकि क्षेत्र की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीति से निपटने के लिए आक्रामक ब्याज दर वृद्धि से ग्रस्त है।
रॉयटर्स द्वारा सर्वेक्षण किए गए विशेषज्ञों द्वारा अनुमानित 0.5% वृद्धि के विपरीत, IBC-Br आर्थिक गतिविधि सूचकांक, सकल घरेलू उत्पाद का एक प्रमुख भविष्यवक्ता, पिछले महीने से अक्टूबर में मौसमी रूप से समायोजित 0.05% की गिरावट आई।
केंद्रीय बैंक ने भी सितंबर के प्रदर्शन को पहले घोषित 0.05% के छोटे लाभ से घटाकर स्थिर कर दिया।
मार्च 2021 से 1,175 आधार अंकों की मजबूत कसौटी के बाद, केंद्रीय बैंक ने इस महीने की शुरुआत में लगातार तीसरी नीति समीक्षा के लिए ब्याज दरों को 13.75% पर रखा।
श्रम बाजार में सुधार, महामारी के प्रभाव से सेवा क्षेत्र में एक मजबूत पलटाव, और राष्ट्रपति चुनाव की पूर्व संध्या पर राजकोषीय प्रोत्साहन आर्थिक विकास को गति दे रहे हैं।
केंद्रीय बैंक के अनुसार, IBC-Br इंडेक्स अक्टूबर 2021 से गैर-मौसमी रूप से समायोजित आधार पर 3.68% बढ़ा और पिछले 12 महीनों में 3.13% बढ़ा था।
एक साप्ताहिक केंद्रीय बैंक सर्वेक्षण के अनुसार, निजी अर्थशास्त्रियों ने इस साल ब्राजील के सकल घरेलू उत्पाद में 3.05% की वृद्धि का अनुमान लगाया है।
क्रिप्टो को कैसे विनियमित किया जाना चाहिए (How Crypto should be Regulated)
भारत में क्रिप्टो निवेशक लाभ लेने के लिए तैयार बैठे हैं लेकिन विधायिका अभी भी रोड़ा लटका रही है। क्रिप्टो के टैक्सेशन प्रणाली को देश में क्रिप्टो के भविष्य के लिए सख्त और हतोत्साहित करने वाला माना जा रहा है। क्या भारत को क्रिप्टो को आरबीआई ने अवैध विदेशी मुद्रा व्यापार ऐप अस्वीकार करने में इतनी जल्दी करनी चाहिए? क्या इसका कोई अलग तरीका हो सकता है? इस लेख में, हम इस बात पर ध्यान देंगे कि क्रिप्टो को किस प्रकार विनियमित किया जा सकता है।
नियमन की आवश्यकता
आइए पहले इसे नियम निर्माता के नजरिए से देखें। वे क्रिप्टो को मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य अवैध गतिविधियों के लिए एक बड़े प्रवर्तक के रूप में देखते हैं। क्रिप्टो मार्केट भी काफी हद तक ‘पंप और डंप’ योजनाओं, नकली ट्रेडिंग वॉल्यूम, धोखाधड़ी आदि के लिए अतिसंवेदनशील है। कुछ बुरे लोग गुमनाम रूप से कानून प्रवर्तन एजेंसियों से अपनी पहचान पूरी तरह से छिपाकर ट्रांजैक्शन कर सकते हैं। इसके अलावा, अगर हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से क्रिप्टो पर निर्भर होने लगती है तो इससे कई वित्तीय जोखिम हो सकते हैं।
उपरोक्त समस्याओं के बावजूद, क्रिप्टो को उचित तरीके से विनियमित किए जाने पर नुकसान से ज्यादा लाभ होगा। क्रिप्टो-संबंधित तकनीकें फिनटेक स्पेस में और नई खोज की संभावना को बढ़ाती हैं। ये नई खोजें उन देशों में हो रही हैं जो क्रिप्टो का स्वागत कर रहे हैं। क्रिप्टो के खिलाफ कड़े नियमन लोगों को कानूनी मार्ग अपनाने से हतोत्साहित करेंगे और ट्रांजैक्शन करने के लिए ग्रे जोखिम भरे तरीकों की तलाश करेंगे।
इसे कैसे विनियमित किया जाना चाहिए?
जब नीति बनाने और नियमों को पारित करने की बात आती है तो मैं व्यक्तिगत रूप से बेहद कम योग्यता वाला व्यक्ति हो सकता हूं, लेकिन मैं निश्चित रूप से कुछ इनपुट प्रदान कर सकता हूं जिन्हें ध्यान में रखा जा सकता है:
- उन साधनों की संख्या को सीमित करें जिनके माध्यम से लोग क्रिप्टो में ट्रांजैक्शन कर सकते हैं: भले ही आपको क्रिप्टो का उपयोग करने के लिए सिर्फ एक इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता होती है, फिर भी अधिकारियों से गुमनाम रहने के लिए महत्वपूर्ण तकनीकी जानकारी की आवश्यकता होती है। इससे अधिकांश लोगों को अपनी जरूरतों को आसान बनाने के लिए एक्सचेंजों आरबीआई ने अवैध विदेशी मुद्रा व्यापार ऐप का उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। केवल स्वीकृत क्रिप्टो एक्सचेंजों के माध्यम से क्रिप्टो का उपयोग करना अनिवार्य किया जा सकता है। यह अधिकांश क्रिप्टो ग्राहकों को एक जगह पर लाएगा जहां इसे विनियमित करना आसान होगा।
- क्रिप्टो में ट्रांजैक्शन के लिए अलग लाइसेंस: जैसे हमारे पास नॉन-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) आदि के लिए एक बैंकिंग लाइसेंस और अलग पंजीकरण की आवश्यकता है, वैसे ही हमारे पास या तो एक अलग पंजीकरण हो सकता है या क्रिप्टो में ट्रांजैक्शन के लिए एक अलग लाइसेंस हो सकता है। इस प्रकार क्रिप्टो एक्सचेंजों का नियमन संभव है।
- एक नियामक निकाय (रेगुलेशन बॉडी) की स्थापना: हमारे पास बैंकिंग क्षेत्र को विनियमित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) है, सिक्योरिटीज मार्केट पर नजर के लिए भारत की सिक्योरिटीज और एक्सचेंज बोर्ड (SEBI) है, वैसे ही हम क्रिप्टो स्पेस में नजर रखने के लिए एक अलग निकाय बना सकते है।
- क्रिप्टो ग्राहकों के लिएKYCमानक अनिवार्य: यह नियामक संस्था निर्धारित कर सकती है कि सभी ग्राहकों को अपनी पहचान सत्यापित करने के लिए दस्तावेज जमा करने होंगे, जो कि बैंकों द्वारा पालन किए जाने वाले KYC मानक के अनुरूप हो। इस प्रकार क्रिप्टो ट्रांजैक्शन में नाम गुप्त रखने की समस्या से निपटा जा सकेगा।
- उच्च मूल्य की संपत्ति की खरीद के लिए अनिवार्य उच्च पहचान सत्यापन मानक: मनी लॉन्ड्रिंग तीन बुनियादी चरणों में होती है: प्लेसमेंट, लेयरिंग और इंटीग्रेशन। उपरोक्त सभी उपायों के बावजूद, अभी भी बुरे तत्व अपनी अवैध गतिविधियों की फंडिंग के साधन के रूप में क्रिप्टो का उपयोग कर रहे होंगे। उन्हें अंततः अपने लाभ का उपयोग वास्तव में उच्च मूल्य की संपत्ति खरीदने के लिए करना होगा। इस प्रकार एक सीमा निर्धारित की जा सकती है जिसके आगे कई पहचान प्रमाण प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा जिन्हें सत्यापित किया जाएगा और यह खरीद प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग बन जाएगा।
- अंतरराष्ट्रीय नियामक निकायों के साथ सहयोग: बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग केवल एक देश की भौगोलिक सीमाओं तक ही सीमित नहीं होती। इसके अलावा, एक्सचेंजों की अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति भी हो सकती है। संदिग्ध ट्रांजैक्शन की प्रामाणिकता को सत्यापित करने के लिए विशेष रूप से क्रिप्टो ट्रांजैक्शन पर लक्षित सूचना-साझा करने की व्यवस्था स्थापित करना समझदारी भरा कदम होगा। यह राजस्व के बहाव की समस्या को हल करने में भी मदद करेगा।
- क्रिप्टो-रिज़र्व का संचय: अपने आर्थिक हितों की रक्षा के हिस्से के रूप में, भारत ने बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा भंडार जमा किया आरबीआई ने अवैध विदेशी मुद्रा व्यापार ऐप है। इसी तरह से क्रिप्टो रिजर्व रखना भी सहायक होगा।
निष्कर्ष
क्रिप्टो स्पेस को विनियमित करना कोई आसान काम नहीं है। हालांकि, भारत के युवाओं में क्रिप्टो की लोकप्रियता बढ़ने के साथ, आरबीआई ने अवैध विदेशी मुद्रा व्यापार ऐप विनियमन और एक उचित टैक्सेशन नीति लाना फायदेमंद होगा जो निवेश और नई पद्धितियों की सुविधा प्रदान करता है। सरकार के लिए टैक्स के एक नए रास्ते के रूप में भी यह लाभदायक हो सकता है।
अस्वीकरण: क्रिप्टोकुरेंसी कानूनी निविदा नहीं है और वर्तमान में अनियमित है। कृपया सुनिश्चित करें कि आप क्रिप्टोकरेंसी का व्यापार करते समय पर्याप्त जोखिम मूल्यांकन करते हैं क्योंकि वे अक्सर उच्च मूल्य अस्थिरता के अधीन होते हैं। इस खंड में दी गई जानकारी किसी निवेश सलाह या वज़ीरएक्स की आधिकारिक स्थिति का प्रतिनिधित्व नहीं करती है। वज़ीरएक्स अपने विवेकाधिकार में इस ब्लॉग पोस्ट को किसी भी समय और बिना किसी पूर्व सूचना के किसी भी कारण से संशोधित करने या बदलने का अधिकार सुरक्षित रखता है।
निलंबित कर्मियों पर होगी विभागीय कार्रवाई
नगर निगम के निलंबित कर्मचारियों पर विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। शनिवार को निगम प्रशासन ने औसत से कम वसूली करने वाले 15 कर्मियों को निलंबित कर दिया था। इसमें से दो दैनिक वेतनभोगी.
नगर निगम के निलंबित कर्मचारियों पर विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। शनिवार को निगम प्रशासन ने औसत से कम वसूली करने वाले 15 कर्मियों को निलंबित कर दिया था। इसमें से दो दैनिक वेतनभोगी कर्मियों की सेवा समाप्त करने का भी आदेश जारी किया गया था। अब निलंबित कर्मियों पर भी गाज गिरने की आशंका है। निगम प्रशासन का कहना है कि निगम में चीजों को सुधारने के लिए अब कड़े कदम उठाने की जरूरत है और इसी आरबीआई ने अवैध विदेशी मुद्रा व्यापार ऐप के तहत यह निर्णय लिया गया। नगर आयुक्त ने नूतन राजधानी अंचल के दैनिक वेतनभोगी संजय कुमार (3) और पटना सिटी अंचल के बालेश्वर प्रसाद की सेवा समाप्त करने का निर्देश जारी किया है।ड्ढr ड्ढr वहीं अन्य 13 कर्मियों को निलंबित किया गया। नूतन राजधानी अंचल के मिथिलेश मिश्र, नरश कुमार गुप्ता, शशिभूषण प्रसाद, शत्रुघ्न कुमार, शिवलखन महतो, जगदीश पासवान, विनय कुमार, दिलीप कुमार, अमरश प्रसाद सिन्हा व अरुण कुमार और पटना सिटी अंचल के ध्रुवनंदन प्रसाद, रमेशचंद्र झा व रमेश राम पर अब अगली कार्रवाई की कवायद शुरू कर दी गयी है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 649